Home समाचार पिछले 75 वर्षों में संसद की सबसे बड़ी उपलब्धि इस पर लोगों...

पिछले 75 वर्षों में संसद की सबसे बड़ी उपलब्धि इस पर लोगों का लगातार बढ़ता विश्वास है- प्रधानमंत्री

SHARE

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज 18 सितंबर को संसद के विशेष सत्र को संबोधित किया। नए संसद भवन में जाने से पहले उन्होंने पुरानी संसद की 75 साल की यात्रा को याद दिया। प्रधानमंत्री ने कहा है कि पिछले 75 वर्षों में संसद की सबसे बडी उपलब्धि रही है- इस पर लोगों का लगातार बढ़ता विश्वास। संविधान सभा से लेकर उपलब्धियों, स्‍मृतियों और संदेशों की 75 वर्ष की संसदीय यात्रा पर लोकसभा में चर्चा की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के सभी उतार-चढावों का साक्षी यह संसद भवन जनता के विश्‍वास और भरोसे का केन्‍द्र बिन्‍दु रहा है।

उन्‍होंने कहा कि आज भारतीयों की उपलब्धियों की चर्चा विश्‍व में हर जगह हो रही है और यही संसद के 75 वर्षों के इतिहास के दौरान सामूहिक प्रयासों का सुपरिणाम है। उन्होंने कहा कि ये सही है इस इमारत के निर्माण करने का निर्णय विदेशी सांसदों का था, लेकिन ये बात हम न कभी भूल सकते हैं और हम गर्व से कह सकते हैं, इस भवन के निर्माण में पसीना मेरे देशवासियों का लगा था, परिश्रम मेरे देशवासियों का लगा था और पैसे भी मेरे देश के लोगों के लगे थे।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘इस 75 वर्ष की हमारी यात्रा ने अनेक लोकतांत्रिक परम्पराओं और प्रक्रियाओं का उत्तम से उत्तम सृजन किया है। और इस सदन में रहते हुए सबने उसमें सक्रियता से योगदान भी दिया है और साक्षी भाव से उसको देखा भी है। हम भले ही नए भवन में जाएंगे, लेकिन पुराना भवन भी; ये भवन भी आने वाली पीढ़ियों को हमेशा-हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। ये भारत के लोकतंत्र की स्वर्णिम यात्रा का एक महत्वपूर्ण अध्याय है जो सारी दुनिया को भारत की रगों में लोकतंत्र का सामर्थ्‍य कैसे है, इसका परिचित कराने का काम इस इमारत से होता रहेगा।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘चंद्रयान-3 की सफलता न सिर्फ पूरा भारत, पूरा देश अभिभूत है। और इसमें भारत के सामर्थ्‍य का एक नया रूप, जो आधु‍निकता से जुड़ा है, जो विज्ञान से जुड़ा है, जो टेक्‍नोलॉजी से जुड़ा है, जो हमारे वैज्ञानिकों के सामर्थ्‍य से जुड़ा है, जो 140 करोड़ देशवासियों की संकल्‍प की शक्ति से जुड़ा है, वो देश और दुनिया पर एक नया प्रभाव पैदा करने वाला है। ये सदन ने भूतकाल में जब NAM की समिट हुई थी, सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करके देश इस प्रयास को सराहा था। आज जी-20 की सफलता को भी आपने सर्वसम्‍मति से सराहा है। जी-20 की सफलता 140 करोड़ देशवासियों की है। ये भारत की सफलता है।’

उन्होंने कहा, ‘भारत के फेडरल स्‍ट्रक्‍चर ने, भारत की विविधता ने 60 स्‍थानों पर 200 से अधिक समिट और उसकी मेजबानी हिन्‍दुस्‍तान के अलग-अलग रंग-रूप में, देश की अलग-अलग सरकारों में बड़े आन-बान-शान से की और ये प्रभाव पूरे विश्‍वभर के मंच पर पड़ा हुआ है। ये हम सबके सेलिब्रेट करने वाला विषय है। देश के गौरव-गान को बढ़ाने वाला है। मैं उस इमोशनल पल को भूल नहीं सकता हूं, जब अफ्रीकन यूनियन की घोषणा हुई, और अफ्रीकन यूनियन के प्रेसिडेंट उन्‍होंने कहा कि मेरे जीवन में ऐसे पल थे कि शायद मैं बोलते-बोलते रो पडूंगा। आप कल्‍पना कर सकते हैं कि कितनी बड़ी आंकांक्षा और आशाएं पूरी करने का काम भारत के भाग्‍य में आया।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘हम सबके लिए गर्व की बात है, आज भारत विश्‍वमित्र के रूप में अपनी जगह बना पाया है। पूरा विश्‍व भारत में अपना मित्र खोज रहा है, पूरा विश्‍व भारत की मित्रता को अनुभव कर रहा है। और उसका मूल कारण है हमारे जो संस्‍कार हैं, वेद से विवेकानंद तक जो हमने पाया है, ‘सबका साथ, सबका विकास’ का मंत्र आज विश्‍व को हमें साथ लाने में जोड़ रहा है।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैं पहली बार जब संसद का सदस्य बना और पहली बार एक सांसद के रूप में इस भवन में मैंने प्रवेश किया तो सहज रूप से मैंने इस संसद भवन के द्वार पर अपना शीश झुकाकर के इस लोकतंत्र के मंदिर को श्रद्धाभाव से नमन करते हुए मैंने पैर रखा था। वो पल मेरे लिए भावनाओं से भरी हुई थी, मैं कल्पना नहीं कर सकता था लेकिन भारत के लोकतंत्र की ताकत है, भारत के सामान्य मानवी की लोकतंत्र के प्रति श्रद्धा का प्रतिबिंब है कि रेलवे प्लेटफार्म पर गुजारा करने वाला एक गरीब परिवार का बच्चा पार्लियामेंट पहुंच गया। मैंने कभी कल्पना तक नहीं की थी कि देश मुझे इतना सम्मान देगा, इतना आशीर्वाद देगा, इतना प्यार देगा सोचा नहीं था।’

उन्होंने कहा, ‘समय रहते जैसे-जैसे वक्त बदलता गया ये हमारे सदन की संरचना भी निरंतर बदलती रही है और अधिक समावेशी बनती गई है। समाज के हर वर्ग का प्रतिनिधि विविधताओं से भरा हुआ इस सदन में नजर आता है, अनेक भाषाएं हैं, अनेक बोलियां हैं, अनेक खानपान हैं, सदन के अंदर सब कुछ है और समाज के सभी तबके के लोग चाहे वो सामाजिक रचना के हो, चाहे आर्थिक रचना के हो, चाहे गांव या शहर के हो एक प्रकार से पूर्णरूप से समावेशी वातावरण सदन में पूरी ताकत के साथ जनसामान्य की इच्छा, आकाक्षाओं को प्रकट करता रहा है। दलित हो, पीड़ित हो, आदिवासी हो, पिछड़े हो, महिलाएं हो हर ने हर एक का धीरे-धीरे-धीरे योगदान बढ़ता चला गया है।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘प्रारंभ में महिलाओं की संख्या कम थी लेकिन धीरे-धीरे माताओं–बहनों ने भी इस सदन की गरिमा को बढ़ाया है, इस सदन के गरिमा में बहुत बड़ा बदलाव लाने में उनका योगदान रहा है। प्रारंभ से अब तक एक मोटा-मोटा हिसाब लगाता था करीब-करीब साढ़े सात हजार से अधिक जनप्रतिनिधि दोनों सदनों में मिलाकर के योगदान दे चुके हैं इतने सालों में साढ़े सात हजार से करीब-करीब ज्यादा। इस कालखंड में करीब 600 महिला सांसदों ने भी इस सदन की गरिमा को बढ़ाया है दोनों सदनों में।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘भारत के लोकतंत्र में तमाम उतार-चढ़ाव हमने देखे हैं और ये सदन लोकतंत्र की ताकत है, लोकतंत्र की ताकत की साक्षी है, जनविश्वास का एक केंद्र बिंदु रहा है। इस सदन की विशेषता देखिए और दुनिया के लोगों को आज भी अचरज होता है ये सदन है जिसमें कभी 4 सांसद वाली पार्टी सत्ता में होती थी और 100 सदस्य वाली पार्टी विपक्ष में बैठती थी। ये भी सामर्थ्य है। इस सदन के लोकतंत्र की ताकत का परिचय कराता है। और यही सदन है जिसमें एक वोट से अटल जी की सरकार गई थी और लोकतंत्र की गरिमा को बढ़ाया था, ये भी इसी सदन में हुआ था। आज अनेक छोटी-छोटी रीजनल पार्टियों का प्रतिनिधित्व हमारे देश की विविधता को, हमारे देश की आकांक्षा का, एक प्रकार से वो आकर्षक केंद्र बिंदु बना है।’

Leave a Reply