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पीएफआई ने शाहीन बाग में मुस्लिमों को खिलायी बिरयानी, कोरोना संकट के समय सरकार के भरोसे छोड़ा

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कोरोना वायरस के संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए देशभर में 21 दिनों तक लॉकडाउन घोषित किया गया है। इस मुश्किल समय में गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए लोग पीएम केयर्स फंड और मुख्यमंत्री राहत कोष में दान दे रहे हैं। कई संगठन केंद्र और राज्य सरकारों के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। लेकिन हाल में ही चर्चा में रहा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) आज कहीं दिखाई नहीं दे रहा है। इस समय गरीब मुस्लिमों को मदद की जरूरत है, लेकिन शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी धरने में सौ दिनों तक हजारों लोगों को बिरयानी खिलाने वाले इस संगठन की गतिविधियां शांत हैं। मुस्लिमों का हितैषी होने का दावा करने वाला यह संगठन अबतक मुस्लिमों की मदद के लिए सामने नहीं आया है।

कोरोना वायरस धर्म और जाति को देखकर नहीं फैलता। यह एक महामारी है,  जिससे हर मजहब और जाति के लोग प्रभावित है। इससे मुस्लिम देश भी अछूता नहीं है। सार्क देशों में पाकिस्तान एक ऐसा देश है, जो कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित है। ऐसे में मदद के लिए पीएफआई के सामने नहीं आने से सवाल उठाता है कि क्या पीएफआई देश विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए ही सक्रिय है ? क्या गरीब और बेसहारा मुस्लिमों को अपने मकसद के लिए इस्तेमाल करता है ? इस समय जब गरीब मुस्लिमों को उसकी जरूरत है, तो यह संगठन मुस्लिमों को सरकार के भरोसे छोड़ दिया है।

पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की जांच में अबतक जो खुलासे हुए हैं, उससे पता चलता है कि देशभर में सीएए विरोधी प्रदर्शनों, दिल्ली हिंसा और शाहीन बाग में धरने के पीछे पीएफआई का ही हाथ था। इस बात के सबूत मिले हैं कि पीएफआई द्वारा चलाए जा रहे 73 बैंक खातों में 120.5 करोड़ रुपए डाले गए थे। अधिकतर में कैश डिपॉजिट हुआ। ईडी ने भी अपनी रिपोर्ट में बताया कि पीएफआई के कार्यकर्ता देशभर से चंदा इकट्ठा करके शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को फंडिंग कर रहे थे। ईडी की रिपोर्ट के अनुसार 15 खातों में कुल 1 करोड़ से अधिक की राशि जमा की गई। 

इनमें 10 खाते इस्लामिक संगठन पीएफआई के थे। वहीं 5 खाते रिहैब इंडिया फाउंडेशन के थे। इन खातों से 4 दिसंबर 2019 से लेकर 6 जनवरी 2020 तक में कुल 1 करोड़ 34 लाख रुपयों की लेन-देन हुई थी। इन पैसों का इस्तेमाल हिंसा फैलाने के लिए किया गया था। 

हालांकि सुरक्षा एजेंसियों द्वारा पीएफआई की अवैध फंडिंग मामले में कार्रवाई की जा रही है। अभी तक पुलिस ने पीएफआई के प्रेसिडेंट और सेक्रेटरी सहित 12 लोगों को जेल भेजा दिया है। यूपी में भी बड़े स्तर पर जांच चल रही है। पीएफआई और उसके गुर्गों पर नकेल कसी जा रही है। ऐसे में संगठन की दिल्ली शाखा की गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं। लेकिन इस संगठन का विस्तार कई राज्यों में हैं। जहां यह संगठन जरूरतमंद लोगों की मदद कर सकता है। लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है।

बता दें कि वर्ष 2006 में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट के मुख्य संगठन के रूप में पीएफआई का गठन किया गया था। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। एनडीएफ के अलावा कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी, तमिलनाडु के मनिथा नीति पासराई, गोवा के सिटिजन्स फोरम, राजस्थान के कम्युनिटी सोशल एंड एजुकेशनल सोसाइटी, आंध्र प्रदेश के एसोसिएशन ऑफ सोशल जस्टिस समेत अन्य संगठनों के साथ मिलकर पीएफआई ने कई राज्यों में अपनी पैठ बना ली है।

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