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पराजय का गुस्सा उतारने के लिए लोकतंत्र के मंदिर को मंच ना बनाएं- प्रधानमंत्री मोदी

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संसद का शीतकालीन सत्र आज 4 दिसंबर से शुरू हो गया है। संसद का शीतकालीन सत्र इस बार 22 दिसंबर तक चलने वाला है। सत्र 2023 की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सांसदों से कहा कि बाहर की पराजय का गुस्सा उतारने के लिए लोकतंत्र के मंदिर को मंच ना बनाएं। विधानसभा चुनावों के नतीजों से के बाद शुरू संसद सत्र से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘हर किसी का भविष्‍य उज्‍जवल है, निराश होने की जरूरत नहीं है। लेकिन कृपा करके बाहर की पराजय का गुस्‍सा सदन में मत उतारना।

उन्होंने कहा, ‘हताशा-निराशा होगी, आपके साथियों को आपका दम दिखाने के लिए कुछ न कुछ करना भी पड़ेगा, लेकिन कम से कम लोकतंत्र के इस मंदिर को वो मंच मत बनाइए। देश हित में सकारात्‍मक चीजों का साथ दीजिए। आपका भी भला इसमें है कि आप देश को सकारात्‍मकता का संदेश दें, आपकी छवि नफरत की और नकारात्‍मकता की नहीं बने, वो लोकतंत्र के लिए अच्‍छा नहीं है।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि ठंड शायद विलंब से चल रही है और बहुत धीमी गति से ठंड आ रही है लेकिन राजनीतिक गर्मी बड़ी तेजी से बढ़ रही है। कल ही चार राज्‍यों के चुनाव नतीजे आए हैं, बहुत ही उत्‍सावर्द्धक परिणाम हैं। ये उनके लिए उत्‍साहवर्द्धक हैं जो देश के सामान्‍य मानवी के कल्‍याण के लिए प्रतिबद्ध है, जो देश के उज्‍जवल भविष्‍य के लिए समर्पित हैं। विशेषकर सभी समाजों की सभी समूहों की, शहर और गांव की महिलाएं, सभी समाज के सभी समूह के गांव और शहर के युवा, हर समुदाय के समाज के किसान, और मेरे देश के गरीब, ये चार ऐसी महत्‍वपूर्ण जातियां हैं जिनका सशक्तिकरण उनके भविष्‍य को सुनिश्चित करने वाली ठोस योजनाएं और लास्ट माइल डिलेवरी, इन उसूलों को ले करके जो चलते हैं, उन्‍हें भरपूर समर्थन मिलता है।

उन्होंने कहा कि जब गुड गवर्नेंस होता है, पूर्णतया जन हित के लिए समर्थन होता है तो एंटी इंकम्बेंसी शब्‍द ये निरर्थक हो जाता है। और हम लगातार ये देख रहे हैं कि कोई इनको प्रो इंकम्बेंसी कहें, कोई इसे गुड गवर्नेंस कहें, कोई इसे पारदर्शिता कहें, कोई उसे राष्‍ट्रहित की, जनहित की ठोस योजनाएं कहें, लेकिन ये लगातार अनुभव आ रहा है। और इतने उत्‍तम जनादेश के बाद आज हम संसद के इस नए मंदिर में मिल रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘देश ने नकारात्‍मकता को नकारा है। मैं लगातार सत्र के प्रारंभ में विपक्ष के साथियों के साथ हमारा विचार-विमर्श होता है, हमारी मेन टीम उनसे चर्चा करती है, मिल करके भी सबके सहयोग के लिए हम हमेशा प्रार्थना करते हैं, आग्रह करते हैं। इस बार भी इस प्रकार की सारी प्रक्रियाएं कर ली गई हैं। और आपके माध्‍यम से भी मैं सार्वजनिक रूप से हमेशा हमारे सभी सांसदों से आग्रह करता हूं। लोकतंत्र का ये मंदिर जन-आकांक्षाओं के लिए, विकसित भारत की नींव को अधिक मजबूत बनाने के लिए बहुत महत्‍वपूर्ण मंच है।’

उन्होंने आगे कहा, ‘मैं सभी मान्‍य सांसदों से आग्रह कर रहा हूं कि वो ज्‍यादा से ज्‍यादा तैयारी करके आएं, सदन में जो भी बिल रखे जाएं उस पर गहन चर्चा हो, उत्‍तम से उत्‍तम सुझाव आएं और उन सुझावों के द्वारा…क्‍योंकि जब एक सांसद सुझाव देता है तो जमीनी अनुभव का उसमें बहुत ही उत्‍तम तत्‍व होता है। लेकिन अगर चर्चा ही नहीं होती है तो देश उसे मिस करता है उन चीजों को और इसलिए मैं फिर से आग्रह करता हूं।’

प्रधानमंत्री ने सांसदों से कहा कि अगर मैं वर्तमान चुनाव नतीजों के आधार पर कहूं तो जो विपक्ष में बैठे हुए साथी हैं ये उनके लिए सुनहरा मौका है। इस सत्र में पराजय का गुस्‍सा निकालने की योजना बनाने के बजाय इस पराजय में से सीख करके पिछले नौ साल से चलाई गई नकारात्‍मकता की प्रवृत्ति को छोड़ करके इस सत्र में अगर सकारात्‍मकता के साथ आगे बढ़ेंगे तो देश उनकी तरफ देखने का दृष्टिकोण बदलेगा, उनके लिए नया द्वार खुल सकता है और वो विपक्ष में हैं तो भी उनको एक अच्‍छी सलाह दे रहा हूं कि आइए, सकारात्‍मक विचार ले करके आइए। अगर हम दस कदम चलते हैं तो आप बारह कदम चलकर फैसला ले करके आइए।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष भी उतना ही महत्‍वपूर्ण है, उतना ही मूल्‍यवान है और उतना ही सामर्थ्‍यवान भी होना चाहिए। और लोकतंत्र की भलाई के लिए मैं फिर से एक बार अपनी ये भावना को प्रकट करता हूं। उन्होंने कहा कि अब देश विकसित होने के लक्ष्‍य में लम्‍बा इंतजार करना नहीं चाहता है। समाज के हर वर्ग में ये भाव पैदा हुआ है कि बस आगे बढ़ना है। इस भावना को हमारे सभी मान्‍य सांसद आदर करते हुए सदन को उस मजबूती से आगे बढ़ाएं, यही मेरी उनसे प्रार्थना है।

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