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PAK फिर एक्सपोज, FATF ने साफ कहा कि पहलगाम हमले में की आतंकी फंडिंग, आसिम मुनीर और कांग्रेस की किरकिरी

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पहलगाम पर आतंकी हमला कराने वाला पाकिस्तान बार-बार एक्सपोज हो रहा है। इसके बाद भी वो अपनी नापाक हरकतों को बाज नहीं आ रहा है। अब तो आतंकी फंडिंग की निगरानी करने वाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने भी साफ-साफ कह दिया है कि पहलगाम हमला इतना बड़ा और सुनियोजित था कि इसको आतंक फैलाने वालों के समर्थन के बिना कतई अंजाम नहीं दिया जा सकता था। इसके लिए सुनियोजित फंडिंग भी की गई। इस टास्क फोर्स का इशारा आतंक के आका पाकिस्तान की ओर ही है। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान में आतंकी अड्डों को तबाह करके साबित किया था कि आतंकवाद को पाकिस्तान की सरपरस्ती हासिल है। पाक किस तरह से आतंकियों का समर्थन कर रहा है। पाकिस्तान की झूठ की फैक्ट्री इससे पहले भी तब उजागर हुई थी, जबकि पाकिस्तान में यह दावा किया गया कि वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी सेना की 250वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित भव्य सैन्य परेड के लिए पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल सईद आसिम मुनीर को आमंत्रित किया गया, जबकि भारत को कोई तवज्जो नहीं दी गई। इस फेक न्यूज को लेकर कांग्रेस के नेताओं ने भी आसमान सिर पर उठा लिया था। लेकिन बाद में इन फेक खबरों को व्हाइट हाउस के सिरे से खारिज कर देने के बाद पाकिस्तान और कांग्रेस नेताओं की जमकर किरकिरी हुई है।

एक्शन टास्क फोर्स ने पहलगाम आतंकी हमले की घोर भर्त्सना की
ग्लोबल टेरर वॉच डॉग ने कहा कि आतंकी हमले लोगों को मारते हैं, घायल करते हैं और दुनियाभर में डर फैलाते हैं। FATF का यह बयान पहलगाम हमले के कई दिन बाद आया है। यह बयान ऐसे समय में आया है जबकि भारतीय अधिकारियों ने पाकिस्तान के लगातार आतंकवाद को समर्थन देने और मल्टीपल फंड्स को हथियारों की खरीद में इस्तेमाल करने की बात को उजागर किया है। भारत का तर्क है कि ऐसी ही गतिविधियों की वजह से पाकिस्तान को FATF की ‘ग्रे लिस्ट’ में डाला जाना चाहिए। FATF कभी-कभार ही आतंकवादी कृत्यों की निंदा करता है। पिछले एक दशक में यह तीसरा मौका है जब उसने किसी आतंकी हमले की निंदा की है। इससे पहले 2015 में और फिर 2019 में आतंकवादी हमलों के गंभीर मामलों में निंदा जारी की गई थी। बता दें कि पहलगाम में आतंकी हमला 22 अप्रैल को किया गया था। इसमें एक नेपाली समेत 26 टूरिस्ट की मौत हुई थी।

FATF की ग्रुप बैठकों के लिए पाकिस्तान के खिलाफ डोजियर तैयार
पाकिस्तान को 2018 में FATF की ग्रे लिस्ट में रखा गया था। तब उसने मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग पर लगाम लगाने के लिए एक एक्शन प्लान दिया था। इसके बाद 2022 में FATF ने पाकिस्तान को इस ग्रे लिस्ट से हटा दिया था। FATF की एशिया-पेसिफिक ग्रुप (APG) की बैठक 25 अगस्त को होनी है। इसके बाद FATF के वर्किंग ग्रुप की बैठक 20 अक्टूबर को होगी। इन बैठकों से पहले भारत पाकिस्तान के खिलाफ एक डोजियर तैयार कर रहा है। सूत्रों ने कहा कि भारत सरकार, एंटी मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग नियमों का पालन करने में विफल रहने के कारण पाकिस्तान को फिर से ‘ग्रे लिस्ट में डालने के लिए FATF के सामने मजबूत केस रखेगी। इसमें बताएगा कि पाकिस्तान कैसे फंडिंग का आतंकी गतिविधियों और मनी लॉन्ड्रिंग में इस्तेमाल कर FATF के नियमों का उल्लंघन कर रहा है।

भारत ने किया था पाकिस्तान के बेलआउट पैकेज का विरोध 
भारत सरकार ने इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) के 9 मई को पाकिस्तान को दिए गए 2.4 बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज का भी विरोध किया था। इसके बाद IMF ने बेलआउट पैकेज की अगली किस्त जारी करने को लेकर पाकिस्तान के सामने 11 नई शर्तें रखी हैं। नई शर्तों में फेडरल बजट के लिए पार्लियामेंट्री अप्रूवल, बिजली बिलों पर हायर डेट सर्विसिंग सरचार्ज और पुरानी यूज कारों पर प्रतिबंध हटाना शामिल है। इस बीच एफएटीएफ ने एक बयान में कहा है कि आतंकवाद दुनिया भर के समाजों और नागरिकों के लिए खतरा है। इसलिए वैश्विक निगरानी संस्था अपने वैश्विक नेटवर्क के भीतर 200 से अधिक न्यायक्षेत्रों को आतंकी फंडिंग के खिलाफ अपने उपायों को बनाने और बढ़ाने के लिए समर्थन दे रही है। इसमें वित्तीय खुफिया जानकारी का रणनीतिक उपयोग भी शामिल है। बयान में कहा गया कि एफएटीएफ जल्द ही आतंकी फंडिंग को लेकर एक व्यापक विश्लेषण जारी करेगा, जिसमें हमारे वैश्विक नेटवर्क द्वारा उपलब्ध कराए गए मामलों को संकलित किया जाएगा।

पीएम मोदी की आतंक के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को समर्थन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति रही है। उन्होंने कई वैश्विक मंचों पर आतंकवाद के विरूद्ध पुरजोर आवाज उठाई है और इसके खिलाफ सभी देशों को एकजुट होने का आह्वान किया है। अब एफएटीएफ की अध्यक्ष एलिसा डी आंदा माद्राजो ने भी पीएम मोदी के सुर में सुर मिलाते हुए कहा है कि कोई भी कंपनी, प्राधिकरण या देश अकेले आतंकवाद की चुनौती का मुकाबला नहीं कर सकता। हमें वैश्विक आतंकवाद के संकट के खिलाफ एकजुट होना चाहिए। क्योंकि आतंकवादियों को अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए केवल एक बार सफल होने की जरूरत होती है, जबकि हमें इसे रोकने के लिए हर बार सफल होना होगा।

एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में 24 देश, पाक को भी डाला जाए
भारत लगातार मांग कर रहा है कि पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डाला जाना चाहिए। भारत ने कहा है कि पाकिस्तान ने आतंकियों को सुरक्षित पनाह दी हुई है। मौजूदा समय में दुनिया के 24 देश एफएटीएफ की ‘ग्रे लिस्ट’ में हैं। इन देशों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी फंडिंग का मुकाबला करने के लिए रणनीतिक कमियों को दूर करना होगा। 2018 में पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रखा गया था और उसने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण पर लगाम लगाने के लिए एक कार्ययोजना दी थी। इसके बाद 2022 में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को इस सूची से हटा दिया था। लेकिन इसके बाद भी पाकिस्तान अपनी आतंकवाद समर्थक हरकतों से बाज नहीं आया। पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी मुख्यालयों को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में नेस्तनाबूत किया है। इसके बाद भी कई आतंकी पाकिस्तान में पनाह लिए हुए हैं।

मुनीर को अमेरिकी सैन्य परेड में बुलाने पर भी पाक ने बोला झूठ
इससे पहले भी पाकिस्तान का झूठ उजागर हुआ था। पाकिस्तान में यह झूठ सुनियोजित तरीके से फैलाया गया कि वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी सेना की 250वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित भव्य सैन्य परेड के लिए पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल सईद आसिम मुनीर को आमंत्रित किया गया है, जबकि भारत को कोई तवज्जो नहीं मिली है। इस परेड का आयोजन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के 79वें जन्मदिन के साथ हुआ, जिसमें 6,600 सैनिक, 150 वाहन, और 50 विमानों ने हिस्सा लिया। हालांकि, मुनीर को बुलाए जाने की खबरों को व्हाइट हाउस ने सिरे से खारिज कर दिया। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कोई भी विदेशी सैन्य नेता इस आयोजन में आमंत्रित नहीं था। यह बयान उन अफवाहों को खारिज करता है, जिनमें दावा किया गया था कि मुनीर को अमेरिका ने विशेष अतिथि के रूप में बुलाया था।

फेक न्यूज को कांग्रेसी जयराम रमेश ने भारत के लिए झटका बताया
पाकिस्तानी मीडिया और कुछ भारतीय यूट्यूबरों ने 12 जून को खबरें चलाईं कि मुनीर को अमेरिकी सेना के समकक्षी ने परेड में शामिल होने का निमंत्रण दिया गया है। इन फेक खबरों ने भारत में कांग्रेस के नेताओं ने सही मान लिया और बेसिरपैर का विवाद खड़ा कर दिया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने तो इसे भारत के लिए बड़ा “कूटनीतिक झटका” करार दे दिया। रमेश ने पाक को बुलाने और भारत को छोड़ देने पर ट्रम्प प्रशासन की नीतियों पर सवाल उठाए। बाद में व्हाइट हाउस ने इन दावों को “फर्जी खबर” बताते हुए कहा कि परेड की योजना पिछले साल शुरू हुई थी और यह पूरी तरह अमेरिकी सेना के इतिहास को समर्पित थी। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे ने जोर पकड़ा, जहां कई यूजर्स ने पाकिस्तान के दावों को खोखला प्रचार करार दिया।

 

मुनीर के आमंत्रण पर व्हाइट हाउस के खंडन से पाक हुआ शर्मिंदा
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान ने इस अफवाह के जरिए अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि सुधारने की कोशिश की थी, लेकिन व्हाइट हाउस के खंडन ने उसे शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यालय व्हाइट हाउस ने कहा है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर को 14 जून को वॉशिंगटन में होने वाली अमेरिकी सैन्य परेड के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एक अमेरिकी अधिकारी ने उन अटकलों को खारिज किया, जिनमें कहा जा रहा था असीम मुनीर को सैन्य समारोह में गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में आमंत्रित किया गया है। अधिकारी ने कहा कि ये खबरें गलत और बेबुनियाद हैं। अमेरिका की ओर से किसी भी विदेशी सैन्य अफसर को इस परेड के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है। ऐसे में मुनीर को न्योते की बात भी गलत है।

पाकिस्तान के कई मीडिया आउटलेट्स पर किया गया था झूठा दावा
पाकिस्तान के मीडिया आउटलेट्स ने दावा किया था कि असीम मुनीर को एक आधिकारिक निमंत्रण मिला है। वह अमेरिका में जाकर सैन्य परेड में शामिल होंगे। इसे लेफ्ट लिबरल विश्लेषकों और कांग्रेस ने भारत के लिए एक झटके की तरह देखा। एक्सपर्ट ने कहा था कि पाक सेना से अमेरिका की करीबी भारत के लिए मुश्किल का सबब बनेंगी। दूसरी ओर पाकिस्तानी मीडिया में इसके लिए लगातार शेखी बघारी जा रही थी। वैसे भी कांग्रेस पार्टी राष्ट्रीय हितों पर अपने राजनीतिक हितों को प्राथमिकता देने की अपनी पुरानी आदत से बाहर नहीं निकल पा रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद जयराम रमेश ने एक लंबी पोस्ट लिखकर प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोला। अपने पोस्ट में रमेश ने लिखा, “मोदी सरकार कह रही है कि ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है, ऐसे में पाकिस्तानी सेना प्रमुख का अमेरिकी सेना दिवस में बतौर अतिथि शामिल होना निश्चित रूप से गंभीर चिंता का विषय है। इस फेक न्यूज को लेकर कांग्रेस और जयराम को मुंह की खानी पड़ी।

 

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