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केजरीवाल के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा- दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों के लिए बाहरी लोग जिम्मेदार

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पिछले सप्ताह की शुरुआत में दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से घटकर एक हजार से नीचे आ गए थे, किंतु पिछले तीन-चार दिन में नये मामलों में फिर उछाल देखा गया है। केजरीवाल सरकार की लापरवाही की वजह से अब एक दिन में एक हजार से अधिक मामले सामने आ रहे हैं। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने इसकी जिम्मेदारी लेने के बजाय बाहरी लोगों पर इसका दोष मढ़ना शुरू कर दिया है। 

सत्येंद्र जैन ने दो-टूक कहा, “कुछ रिपोर्ट्स हैं कि दिल्‍ली में कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं। इसकी वजह ये है कि दिल्‍ली से बाहर के बहुत सारे लोग यहां आकर टेस्‍ट करा रहे हैं। इसके चलते यहां पर पॉजिटिव केस की संख्‍या बढ़ रही है। नहीं तो, दिल्‍ली में कोविड-19 मामलों का ट्रेंड घट रहा है।”

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से शनिवार को जारी आंकडों के अनुसार पिछले 24 घंटों में 1404 नए मामलों से कुल संक्रमितों की संख्या 1,45,427 पर पहुंच गई। वहीं 24 घंटे में 16 मरीजों की मौत हो गई। अब तक कोरोना से मरने वालों की संख्‍या बढ़कर 4,098 हो गई है। दिल्ली में इस वक्त कोरोना वायरस के 10,729 ऐक्टिव केस हैं। दिल्ली में अब निषिद्ध क्षेत्रों की संख्या 472 है।

सात अगस्त को 1192 नए मामले सामने आए थे। इस दौरान 1130 मरीजों के स्वस्थ होने से कोरोना को मात देने वालों का कुल आंकड़ा एक लाख 29 हजार 362 हो गया। दिल्ली की रिकवरी दर गत दिवस 89.84 की तुलना में मामूली घटकर 89.75 प्रतिशत पर आ गई। इससे पहले चार अगस्त को केवल 674 नए मामले सामने आये थे जबकि तीन अगस्त को भी एक हजार से कम 805 ही थे। 

दिल्ली में कोरोना की गंभीर स्थिति को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कोरोना महामारी के प्रसार को रोकने के लिए दिल्ली में मोर्चा संभाला। दिल्ली में जुलाई की शुरुआत से ही कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों में काफी गिरावट देखी गई थी। कथित तौर पर, 18 जून से RT-PCR और रैपिड एंटीजेन टेस्ट में उछाल आया है। 24 जून से 2 जुलाई के बीच सक्रिय मामलों में 23.8% से 11.39% की कमी आई है। 27 जून से 3 जुलाई के बीच नए मामलों की संख्या 3000 के आंकड़ों को पार नहीं कर पाई।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के कमान संभालने से पहले अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि 80 हजार बेड सिर्फ दिल्लीवालों के लिए चाहिए। जब बाहर के लोगों का भी इलाज होगा तो कुल डेढ़ लाख बेड चाहिए होंगे। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के हॉस्पिटलों में कोरोना काल से पहले तक 50 प्रतिशत बाहर के लोग इलाज करवाते रहे हैं।

केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के अस्पतालों में बाहरियों के इलाज पर रोक लगा दी थी। लेकिन बाद में उप-राज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली सरकार के आदेश को पलट दिया था। उप-राज्यपाल ने कहा कि इससे समानता, जीवन जीने के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा था। इसमें स्वास्थ्य का अधिकार भी शामिल है।

दिल्ली सरकार द्वारा पूर्व में भी इसी तरह के निर्देश जारी हुए थे। तब निवास के आधार पर मरीजों को स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने में भेदभाव करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार का आदेश निरस्त कर दिया था। उन्होंने कहा कि यह राज्य की जिम्मेदारी है कि वह संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार अस्पतालों में आने वाले सभी मरीजों को उचित स्वास्थ्य सेवा प्रदान करे।

 

 

 

 

 

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