एक बार फिर सिंगूर सुर्खियों में है। पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में सिंगूर वही जगह है, जहाँ टाटा मोटर्स ने अपनी महत्वाकांक्षी नैनो परियोजना का संयंत्र लगाने का फ़ैसला किया था। लेकिन तृणमूल कांग्रेस और खासकर ममता बनर्जी की इंडस्ट्री विरोधी विजन के कारण टाटा को आखिरकार यहां से इस परियोजना को समेटना पड़ा था। बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कॉन्ग्रेस तोलाबाजी, अवैध वसूली और कमीशनखोरी के कारण लगातार उद्योग धंधे राज्य से बाहर जा रहे हैं। अब देश में बिस्किट बनाने वाली प्रमुख कंपनी ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता स्थित अपनी 77 वर्ष पुरानी फैक्ट्री को बंद करने का निर्णय लिया है। कंपनी को राज्य सरकार की नीतियां रास नहीं आ रही हैं। पश्चिम बंगाल से टाटा नैनो को हटाकर सत्ता पर काबिज होने वाली ममता बनर्जी का प्रदेश बिजनेस के लिहाज से अनुकूल नजर नहीं आता।टाटा मोटर्स की तरह ब्रिटानिया ने भी पश्चिम बंगाल से कारोबार समेटा
टाटा के बहुचर्चित नैनो कार प्लांट के खिलाफ मूवमेंट करके ममता बनर्जी खुद को सुर्खियों में आ गई थीं, लेकिन इससे राज्य को बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा। प्रदेश को करोड़ों के निवेश से हाथ धोना पड़ा, बल्कि बड़े रोजगार के अवसर भी छिने। वर्ष 2006, में बंगाल की वामपंथी सरकार ने सिंगूर और हुगली में लगभग 1,000 एकड़ जमीन अधिग्रहित की थी। इसके बाद, इसने राज्य में रोजगार बढ़ाने के लिए यह जमीन टाटा मोटर्स को दे दी थी। टाटा मोटर्स यहां नैनो कार का प्लांट लगाना चाहती थी। तब बंगाल में विपक्ष की नेता और तृणमूल कॉन्ग्रेस मुखिया ममता बनर्जी ने नैनो कार प्लांट लगाने का विरोध किया। टाटा मोटर्स के शोरूम पर तक हमले हुए थे। परिणामस्वरूप, टाटा मोटर्स को सिंगूर प्लांट को स्थगित करना पड़ा था। बंगाल में हुए इस हंगामे के बाद टाटा मोटर्स को गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेन्द्र मोदी ने अपने राज्य में प्लांट लगाने के लिए आमंत्रित किया। टाटा मोटर्स ने गुजरात में इस प्लांट का 2010 में उद्घाटन किया। टाटा नैनो के साणंद प्लांट का उद्घाटन गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी और टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा ने किया था।कोलकाता में 1947 में शुरू हुई थी बिस्कुट की मशहूर कंपनी ब्रिटानिया
अब नई खबर यह आई है कि बिस्कुट बनाने के लिए मशहूर कंपनी ब्रिटानिया ने बंगाल में अपनी एक ऐतिहासिक फैक्टरी बंद करने का फैसला लिया है। यह कोलकाता में 1947 में खुली थी और प्रदेश की शान थी। कोलकाता के तारातला में बनी इस फैक्टरी में डेढ़-दौ सौ कर्मचारी काम भी कर रहे थे। ब्रिटानिया के ये बिस्किट अपने डायजेस्टिव-फ्रेंडली फॉर्मूलेशन के लिए विशेष रूप से लोकप्रिय थे। मतलब लोग मानते थे कि ये बिस्किट आसानी से हजम हो जाते हैं। इसके विज्ञापन का जिंगल था- दादू खाए, नाती खाए… ब्रिटानिया थिन एरोरूट बिस्कुट। संदेश यही था कि ब्रिटानिया के इस बिस्कुट को हर उम्र के लोग पसंद करते हैं। मगर अब बंगाल की इस फैक्ट्री के बिस्कुट का स्वाद न तो दादू और न ही नाती चख पाएंगे।
टीएमसी सरकार की नीतियों और मनमानी मुनाफा कमाने में बनी चुनौतियां
ब्रिटानिया कंपनी के प्रबंधकों की ओर से कोलकाता की फैक्ट्री को बंद करने के इस निर्णय के संबंध में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को सूचित किया है। ब्रिटानिया ने हाल ही में स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी में बताया है कि कोलकाता के तारातला स्थित फैक्ट्री के स्थायी कर्मचारियों को कम्पनी द्वारा स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दी जा रही है। तारातला फैक्ट्री, मुंबई के बाद ब्रिटानिया की भारत में दूसरी सबसे पुरानी फैक्ट्री है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ब्रिटानिया प्रबंधन ने कम्पनी के संविदा कर्मचारियों के साथ VRS को लेकर चर्चा भी शुरू कर दी है। तारातला फैक्ट्री के बंद होने का असर करीब डेढ़ सौ कर्मचारियों पर पड़ने की उम्मीद है। ब्रिटानिया का यह निर्णय ऐसे समय में सामने आया है, जब राज्य की टीएमसी सरकार की नीतियों और मनमानी के चलते कम्पनी लागत के मुकाबले मुनाफा निकालने की चुनौतियों से जूझने लगी थी।
Today’s shutdown of Britannia Industries’ factory starkly epitomizes the descent of Bengal—a region once renowned for its cultural richness and intellectual prowess—into profound disarray.
The Britannia factory, once a beacon of industrial vitality in Bengal, suffered… pic.twitter.com/K8HCxUlrZG
— Amit Malviya (@amitmalviya) June 24, 2024
पहले CPM ने बर्बाद किया और फिर TMC ने इसके ताबूत में आखिरी कील ठोंकी
ब्रिटानिया ने 2018 में इस फैक्ट्री के 11 एकड़ के प्लॉट के लिए लीज को रिन्यू किया था। यह लीज 2048 तक वैध है। हालांकि, ब्रिटानिया ने अब इस फैक्ट्री में उत्पादन जारी रखना लागत के अनुरूप नहीं पाया है। तब फैक्ट्री को बंद नहीं किया गया था। इस बीच, ब्रिटानिया के निकलने पर राज्य की विपक्षी पार्टी भाजपा ने भी हमला बोला है। भाजपा आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने कहा है कि बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कॉन्ग्रेस ‘तोलाबाजी’ (अवैध वसूली या कमीशन लेना) और ‘यूनियनबाजी’ में लगी हुई है, जिसके कारण लगातार उद्योग धंधे राज्य से बाहर जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले CPM ने इसे बर्बाद किया और फिर TMC ने इसके ताबूत में आखिरी कील ठोंक दी।
Make bombs and baby-jihad, not cars and biscuits.
After the landmark Tata Nano fiasco, the iconic #Britannia factory is shutting down in West Bengal.
Disaster after economic disaster. My state’s spiral into doom fills me with shame, anger, and sadness. pic.twitter.com/MoRAyGMPBq— Abhijit Majumder (@abhijitmajumder) June 24, 2024
कंपनी की योजना तो एक और प्लांट की थी, पर सरकार का रवैया आड़े आया
वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर भी ब्रिटानिया फैक्ट्री के बंद होने को कई यूजर्स ने राज्य में कुछ साल पहले टाटा के बाहर जाने जैसा बताया है। भारत में खाने पीने का सामान बनाने वाली बड़ी कम्पनियों में से एक ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज बंगाल को अपना तीसरा सबसे बड़ा बाजार मानती है, बंगाल कम्पनी के लिए ₹900 करोड़ से अधिक का व्यापार देता है। ब्रिटानिया कोलकाता के अलावा बिहार, ओडिशा, असम और उत्तर प्रदेश में अपने प्लांट चलाती है। ब्रिटानिया ने 2016 में बंगाल में दूसरी इकाई की योजना पर राज्य सरकार से बातचीत चालू की थी। ब्रिटानिया की योजना थी कि वह 2018 तक इससे उत्पादन चालू कर देगी, लेकिन राज्य की ममता बनर्जी की टालमटोल और कमीशनखोरी की नीति के चलते कई जगह जमीन की तलाश करने के बावजूद, योजना साकार नहीं ही सकी। वहीं दूसरी तरफ कंपनी ने 2018 में अपने असम प्लांट का उद्घाटन भी कर दिया दिसम्बर 2023 में बिहार में भी एक फैक्ट्री लगा भी दी।तब गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी ने साणंद में नैनो का प्लांट लगवाया
यहां काबिले जिक्र है कि ममता बनर्जी की टीएमसी सरकार के व्यापार विरोधी रवैये के कारण पश्चिम बंगाल से बाहर निकलने वाली ब्रिटानिया कोई पहली कंपनी नहीं है। इससे पहले टाटा मोटर्स ने भी सिंगूर में टाटा नैनो प्लांट को लेकर विवादों के चलते राज्य छोड़ दिया था। नैनो के साथ क्या हुआ था? यह जानने के लिए आपको थोड़ा टाइम ट्रैवल करके पीछे जाना होगा और 2006 में झांकना होगा। मई महीने की 18 तारीख को टाटा ग्रुप के चीफ रतन टाटा ने पश्चिम बंगाल के तत्कालीन सीएम बुद्धदेव भट्टाचार्य के साथ एक बैठक के बाद घोषणा की कई कि टाटा मोटर्स वहां छोटी कार बनाने का प्रोजेक्ट स्थापित करेगी। इस घोषणा के बाद प्लांट के लिए एक हजार एकड़ जमीन की खरीद प्रक्रिया शुरू भी हो गई, लेकिन तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ने इसका विरोध किया। हुगली जिला प्रशासन ने 3 बार सर्वदलीय बैठक बुलाई। इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रही ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने बैठकों का बहिष्कार किया। 30 नवंबर 2006 को ममता बनर्जी सिंगूर जा रही थीं, लेकिन पुलिस ने रोका तो हंगामा हो गया। प्रदेश की विधानसभा में भी खूब बवाल हुआ, तोड़फोड़ तक हुई। टाटा मोटर्स के शोरूम पर तक हमले हुए थे। परिणामस्वरूप, टाटा मोटर्स को सिंगूर प्लांट को स्थगित करना पड़ा था, टाटा मोटर्स तब तक सिंगूर संयंत्र में करीब एक हजार करोड़ से अधिक का निवेश कर चुकी थी। लेकिन बंगाल में हुए इस हंगामे के बाद टाटा मोटर्स ने गुजरात के साणंद में अपना प्लांट स्थापित किया। टाटा मोटर्स ने गुजरात में इस प्लांट का 2010 में उद्घाटन किया था। टाटा नैनो के साणंद प्लांट का उद्घाटन गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी और टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा ने किया था।