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PM MODi की नई शिक्षा नीति विकसित भारत बनाने में हो रही मददगार, अहम बदलाव के बाद अब 23 भाषाओं में होंगी स्कूल की किताबें, कोर्स में ऑडियो-वीडियो मैटेरियल भी

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भारत को पीएम मोदी के विजन के अनुरूप विकसित राष्ट्र बनाने में आज की युवा पीढ़ी और भावी भविष्य की बेहद अहम भूमिका है। इसी दूरदर्शी सोच को ध्यान में रखने हुए मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति लागू की। इसके बेहद प्रभावी परिणाम भी सामने आने लगे हैं। इस शिक्षा नीति ने अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्म की और अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करके भी युवा डॉक्टर-इंजीनियर तक बन रहे हैं। मोदी सरकार अब शिक्षा को कौशल विकास से जोड़कर और रोजगारपरक बनाने जा रही है। नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षण सत्र 2024-25 से कक्षा 3 से लेकर 12वीं तक की पाठ्य सामग्री में अहम बदलाव होने जा रहे हैं। 10 में से कम से कम 6 कक्षाओं की किताबें 23 भाषा में मिलेंगी। इनमें कक्षा 3, 4, 5, 6, 9, 11 शामिल हैं। इन्हें एनसीईआरटी की नई किताबें मिलेंगी। कक्षा 6 से आगे के बच्चों को कौशल विषय भी पढ़ना होगा। इनकी किताबें कौशल विकास मंत्रालय की मदद से तैयार हो रही हैं।किताबों के साथ ऑडियो-वीडियो मैटेरियल, एनीमेशन व ग्राफिक्स भी
नई शिक्षा नीति के तहत एनसीईआरटी ने जुलाई में नीपा के चांसलर एमसी पंत की अध्यक्षता में 19 सदस्यीय नेशनल सिलेबस एंड टीचिंग लर्निंग मटेरियल कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी ने नवीन पाठ्य सामिग्री को लेकर गहन विचार-मंथन कीया है। इस बार हर कक्षा के लिए पाठ्य सामग्री का पैकेज बन रहा है, जिसमें किताबों के साथ ऑडियो-वीडियो मैटेरियल, एनीमेशन व ग्राफिक्स भी होंगे। इन दिनों सभी कक्षाओं के सभी विषयों के सिलेबस के लिए देशभर से चुने शिक्षक व विशेषज्ञों की कार्यशाला हो रही है। हर विषय की टीम को सिलेबस व पाठ्य सामग्री के लिए दिसंबर से फरवरी तक अलग-अलग डेडलाइन दी गई हैं।

अंग्रेजी के अलावा 8वीं अनुसूची में शामिल भाषाओं में कोर्स
ऐसा पहली बार होगा कि भाषा विषयों को छोड़कर अन्य सभी किताबें अंग्रेजी के अलावा आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में प्रकाशित होंगी। देश में फिलहाल 1986 की शिक्षा नीति के तहत 2005 के नेशनल कॅरिकुलम फ्रेमवर्क के हिसाब से तैयार पुस्तकें चलन में हैं, जिसकी आखिरी कुछ किताबें 2008 तक आ पाई थीं। इसीलिए इस बार पंजाब सेंट्रल यूनिवर्सिटी के चांसलर प्रो. जगबीर सिंह की अध्यक्षता में सिलेबस व पुस्तकें बनाने के कामकाज पर नजर बनाए रखने के लिए एक 13 सदस्यीय नेशनल ओवरसाइट कमेटी भी बनाई गई है।वाद्य यंत्रों के लोकप्रिय नामों पर रखे जाएंगे किताबों के टाइटल
एनसीईआरटी ने फाउंडेशनल लेवल की पांच कक्षाओं- ‘बाल वाटिका-1, 2 व 3 और कक्षा-1 व 2’ के लिए जादुई पिटारा के रूप में पाठ्यसामग्री और किताबें फरवरी – जुलाई में जारी कर दी थीं। फाउंडेशनल लेवल की किताबों के शीर्षक में सारंगी, मृदंग व शहनाई जैसे शब्दों का प्रयोग पसंद किया गया, इसलिए किताबों के टाइटिल में भी भारतीय संस्कृति के लोकप्रिय शब्द व प्रतीकों के नाम इस्तेमाल होंगे।। एनसीईआरटी अधिकारी के मुताबिक, नई शिक्षा नीति में सबसे मुश्किल काम करिकुलम तय करना था, जो हो चुका है। इस कॅरिकुलम तय करने की प्रक्रिया को इतने व्यापक रूप से किया गया। रिफरेंस मैटेरियल जुटाया गया कि अब सिलेबस तैयार तय होने के बाद एक तरह से विषय व अध्याय वार कंपाइलेशन और रिराइटिंग का काम ही बचेगा।

देश में पहली बार मध्यप्रदेश में हिन्दी में एमबीबीएस कोर्स की शुरुआत
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए पीएम मोदी ने छात्रों की मातृभाषा में पढ़ाई पर ज्यादा जोर दिया है। मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने इस दिशा में कदम भी बढ़ा दिए हैं। देश में पहली बार मध्य प्रदेश में हिन्दी में एमबीबीएस कोर्स की शुरुआत हो गई है। इसके साथ ही मध्य प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य बन गया है जहां एमबीबीएस की पढ़ाई अब हिन्दी में भी होगी। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने इसका शुभारंभ करते हुए कहा कि भारत के शिक्षा क्षेत्र के लिए आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। इतिहास के पन्नों में यह दिन सुनहरे अक्षरों में अंकित होगा। यह गर्व की बात की हिंदी के साथ-साथ स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई पर फोकस मोदी सरकार ने किया है।

विकसित भारत बनाना भी है नई शिक्षा नीति का उद्देश्य 
New Education Policy जानने के साथ-साथ हमें उसके उद्देश्य जानने चाहिए। New Education Policy in Hindi में नई शिक्षा नीति के उद्देश्य इस प्रकार हैंः
• बच्चों को भारतीय संस्कृति से जोड़ना।
• बच्चों को अनुशासन सिखाना और सशक्तिकरण करना।
• एजुकेशन को फ्लेक्सिबल बनाना व इवैलुएशन पर जोर देना।
• ओपन एजुकेशन सिस्टम में इन्वेस्ट करना।
• बच्चों की सोच को क्रिएटिव करना।।
• गुणवत्तापूर्ण एजुकेशन को विकसित करने पर जोर।
• रिसर्च और इनोवेटिव वर्क पर ज्यादा ध्यान देना।
• एक साथ कई लैंग्वेज पर फोकस रखना।
• बच्चों के कौशल विकास पर फोकस करना।
• एजुकेशन पॉलिसी को पारदर्शी बनाना।
• अपनी भाषा में पढ़ाई का विकल्प देना।

कई विशेषताओं और खूबियों से लैस है मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति

  • इस नीति की विशेषता है कि स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा के साथ कृषि शिक्षा, कानूनी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसी व्यावसायिक शिक्षाओं को इसके दायरे में लाया गया है।
  • अब कला, संगीत, शिल्प, खेल, योग, सामुदायिक सेवा जैसे सभी विषयों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। अब इन्हें सहायक पाठ्यक्रम या अतिरिक्त पाठ्यक्रम नहीं कहा जाएगा।
  • शिक्षा प्रणाली में बदलाव करते हुए उच्च गुणवत्ता और व्यापक शिक्षा तक सबकी पहुँच सुनिश्चित की गई है। इसके जरिए भारत का निरंतर विकास सुनिश्चित होगा साथ ही वैश्विक मंचों पर – आर्थिक विकास, सामाजिक विकास, समानता और पर्यावरण की देख – रेख, वैज्ञानिक उन्नति और सांस्कृतिक संरक्षण के नेतृत्व का समर्थन करेगा।
  • अब 4 साल का डिग्री प्रोग्राम फिर M.A. और उसके बाद बिना M.Phil के सीधा PhD कर सकते हैं। मल्टिपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम में पहले साल के बाद सर्टिफिकेट, दूसरे साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल बाद डिग्री दी जाएगी।
  • सरकार ने लक्ष्य निर्धारित किया है कि GDP का 6% शिक्षा में लगाया जाए जो अभी 4.43% है। इसमें बढ़ोतरी करके शिक्षा का क्षेत्र बढ़ाया जाएगा।

  •  प्राथमिक स्तर पर शिक्षा में बहुभाषिकता को प्राथमिकता के साथ शामिल करने और ऐसे भाषा शिक्षकों की उपलब्धता को महत्व दिया दिया गया है जो बच्चों के घर की भाषा समझते हों। यह समस्या राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न राज्यों में दिखाई देती है। पहली से पाँचवी तक जहाँ तक संभव हो मातृभाषा का इस्तेमाल शिक्षण के माध्यम के रूप में हो रहा है। जहाँ घर और स्कूल की भाषा अलग-अलग है, वहां दो भाषाओं के इस्तेमाल का सुझाव दिया गया है।
  • पहली व दूसरी कक्षा में भाषा व गणित पर काम करने पर जोर देने की बात नई शिक्षा नीति में है। इसके साथ ही चौथी व पांचवीं के बच्चों के साथ लेखन कौशल पर काम करने पर भी ध्यान देने की बात कही गई है। भाषा सप्ताह, गणित सप्ताह व भाषा मेला व गणित मेला जैसे आयोजन भी इस नीति में हैं।
  •  इसमें पुस्तकालयों को जीवंत बनाने व गतिविधियों को कराने पर ध्यान देने की बात कही गई है। इसमें कहानी सुनाने, रंगमंच, समूह में पठन, लेखन व बच्चों के बनाये चित्रों व लिखी हुई सामग्री का डिसप्ले करने पर ध्यान देने की बात कही गई है।
  •  लड़कियों की शिक्षा जारी रहे इसके लिए उनको भावनात्मक रूप से सुरक्षित वातावरण देने का संकल्प है। कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय का विस्तार 12वीं तक करने का सुझाव नई शिक्षा नीति में है।
  •  शिक्षकों के सपोर्ट के लिए तकनीक के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने की बात भी नई शिक्षा नीति में है। इसके लिए कंप्यूटर, लैपटॉप व फोन इत्यादि के जरिए विभिन्न ऐप का इस्तेमाल करके शिक्षण को रोचक बनाया गया है।

  •  U.S. की NSF (नेशनल साइंस फाउंडेशन) की तर्ज पर शिक्षा नीति में NRF (नेशनल रिसर्च फाउंडेशन) का प्रावधान किया गया है। इसमें न केवल साइंस बल्कि सोशल साइंस भी शामिल होगा। ये बड़े प्रोजेक्ट्स की फाइनेंसिंग करेगा। ये शिक्षा के साथ रिसर्च में हमें आगे आने में मदद करेगा।
  •  अर्ली चाइल्डहुड केयर एवं एजुकेशन के लिए कैरिकुलम एनसीईआरटी द्वारा तैयार होगा। इसे 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए विकसित किया जाएगा।
  •  नया कौशल (जैसे कोडिंग) शुरु किया जाएगा। एक्सट्रा कैरिकुलर एक्टिविटीज को मेन कैरिकुलम में शामिल किया गया है।
  • गिफ्टेड चिल्ड्रेन एवं गर्ल चाइल्ड के लिए विशेष प्रावधान किया गया है। कक्षा 6 के बाद से ही वोकेशनल में जोड़ा गया है।
  • नई नेशनल क्यूरिकुलम फ्रेमवर्क तैयार किया जाएगा जिसमें ईसीई, स्कूल, टीचर्स और एडल्ट एजुकेशन को जोड़ा जाएगा। बोर्ड एग्जाम को भाग में बांटा जाएगा। 
  • बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में लाइफ स्किल्स को जोड़ा गया है। जिससे बच्चों में लाइफ स्किल्स का भी विकास हो सकेगा। अभी रिपोर्ट कार्ड में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। 

 

 

 

  •  वर्ष 2030 को हर बच्चे के लिए शिक्षा सुनिश्चित की जाएगी विद्यालयी शिक्षा के निकलने के बाद हर बच्चे के पास लाइफ स्किल होगी। जिससे वो जिस क्षेत्र में काम शुरू करना चाहेगा कर सकेगा।
  •  नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी द्वारा उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम का ऑफर दिया जाएगा। यह संस्थान के लिए अनिवार्य नहीं होगा।
  •  पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान पद्धतियों को शामिल करने, ‘राष्ट्रीय शिक्षा आयोग’ का गठन करने और प्राइवेट स्कूलों को मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने से रोकने का भी नई शिक्षा नीति में प्रावधान है। 
  • देश में उच्च शिक्षा के लिए एक ही नियामक होगा, इसमें अप्रूवल और वित्त के लिए अलग-अलग वर्टिकल होंगे। वो नियामक ‘ऑनलाइन सेल्फ डिसक्लोजर बेस्ड ट्रांसपेरेंट सिस्टम’ पर काम करेगा।
  •  नई शिक्षा नीति के तहत स्कूल में 5वीं तक शिक्षा मातृभाषा या फिर क्षेत्रीय भाषा में दी जाएगी। छठी कक्षा से बिजनेस इंटर्नशिप स्टार्ट कर दी जाएगी। सभी स्कूल डिजिटल इक्विटी किए जाएंगे। वर्चुअल लैब डेवलप की जाएंगी।
  • न्यू एजुकेशन पॉलिसी में कोई भी सब्जेक्ट चुन सकते हैं और स्टूडेंट्स फिजिक्स के साथ अकाउंट या फिर आर्ट्स का भी सब्जेक्ट पढ़ सकते हैं। स्टूडेंट्स को छठी कक्षा से कोडिंग सिखाना भी शामिल है।

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