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पीएम मोदी ने अन्नदाता से मांगी माफी: मुलायम राज में बर्बर ‘रामपुर तिराहा कांड’, जब पुलिस फायरिंग में गई थी 6 बेगुनाहों की जान, महिलाओं की आबरू तक नहीं बची

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कृषि कानूनों की वापसी का पीएम मोदी का फैसला सिख समुदाय के हित में है, पंजाब के हित में है और सबसे बड़ी बात ये है कि ये देश के हित में है। ये बीजेपी नहीं कभी पीएम मोदी के विरोधी रहे लोग भी कह रहे हैं। पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कृषि कानूनों की वापसी पर पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा है कि लोकतंत्र में लोगों की इच्छा सुनने से बड़ा कुछ नहीं होता और ऐसा करने वाले नेता से बड़ा कोई लोकतांत्रिक नहीं होता। सोशल मीडिया पर भी इस बात की चर्चा हो रही है कि कृषि कानूनों को वापस कर पीएम मोदी ने, देश के अन्नदाता के लिए संवेदनशीलता का परीचय दिया है। ऐसे वक्त में कुछ ऐसी घटनाएं याद आती हैं, जब महज सत्ता के गुरूर में मोदी विरोधी पार्टियों के बड़े नेताओं ने बर्बरता की सारी हदें पार कर दी थीं। 

मुलायम राज में मुजफ्फरनगर में बर्बर रामपुर तिराहा कांड

रात के अंधेरे में हैवानियत का ऐसा खेल जिसे याद कर पीड़ित आज भी सहम जाते हैं, करीब 200 बसों को रोक कर मुलायम सिंह यादव की सरकार ने पुलिसिया खौफ का जो खेला था, उसकी मिसाल कम ही मिलती है। मुलायम सरकार के इशारे पर तब की पुलिस ने बेगुनाहों को गोलियों से छलनी कर दिया था। चीख पुकार और दहशत के बीच महिलाओं की आबरू तार-तार की गई, एक ओर लोग पुलिस की गोली से छलनी लोग पड़े थे, तो दूसरी ओर महिलाओं के साथ गंदा खेल खेला जा रहा था। रामपुर तिराहे का मंजर दिल दहलाने वाला था। 

यूपी में मुलायम राज में हुई उस घटना को याद कर लोग आज भी सहम जाते हैं। 27 वर्ष पहले महात्मा गांधी जी की जयंती 2 अक्टूबर पर उत्तराखंड राज्य आंदोलन को कुचलने के लिए मुलायम सिंह सरकार और केंद्र की नरसिम्हा राव सरकार ने मुजफ्फरनगर में जो बर्बर ज़ुल्म ढाये, वह भारतीय लोकतंत्र में काले अध्याय के रूप में दर्ज़ है।   

मुलायम सरकार ने बेगुनाहों पर चलवाई गोलियां-6 लोगों की हुई थी फायरिंग में मौत

उत्तराखंड से अपने परिवारवालों से विदा लेकर बसों में सवाल लोग दिल्ली के लिए रवाना हुए थे। जहां उत्तराखंड की मांग को लेकर प्रदर्शन होना था, लेकिन इन बसों में सवाल लोगों को तब इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि उस वक्त यूपी में शासन कर रही मुलायम सरकार ने कुछ और ही ठान रखा था। जैसे ही बसें मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे पर पहुंची कोहराम मच गया। 2 अक्टूबर 1994 की रात बसों को रोक दिया गया, उसके बाद गांधी जयंती के दिन, अपने ही देश के बेगुनाह लोगों के साथ हुआ हैवानियत का खेल। 

बेगुनाहों के खून से रंग गया मुजफ्फरनगर का रामपुर तिराहा 

उस रोज मुजफ्फरनगर का रामपुर तिराहा बेगुनाहों के खून के खून से रंग गया था, पीएसी और पुलिस की गरजती गोलियों और पटकती लाठियों से लहूलुहान निहत्थे आंदोलनकारी कराह रहे थे। उनकी सुनने वाला कोई नहीं था। मुलायम सिंह की पुलिस ने बेकसूरों पर जम कर कहर मचाया, पुलिस की फायरिंग में 6 लोगों को जान गंवानी पड़ी। तब यूपी में शासन कर रही मुलायम सरकार की हैवानियत की इन दास्तां को याद कर आज भी लोगों की रूक कांप जाती है।

बेगुनाहों पर गोली बरसानी वाली मुलायम सरकार की असहिष्णुता की हद देखिए…

  • उत्तराखंड में बसों में सवार लोग दिल्ली जा रहे थे
  • यूपी में इन लोगों का कोई कार्यक्रम नहीं था
  • समाजवादी पार्टी की सरकार को ये सहन नहीं हुआ 
  • दूसरों को सीख देने वाली पार्टी की संवेदनशीलता मर गई
  • मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे को छावनी में बदल दिया गया
  • बसों में सवार बेगुनाह लोगों की लाठी-डंडों से पिटाई की गई
  • पुलिस ने 6 लोगों को गोलियों से भून दिया

रामपुर तिराहे पर मुलायम सिंह यादव की पुलिस के हाथों मारे गए लोग उत्तराखंड के गरीब किसान थे। इस बर्बर कांड में महिलाओं के साथ बेशर्मी किसानों के प्रति किस प्रकार की संवेदना का प्रमाण थी, महज मुलायम सरकार की जिद की वजह से बेगुनाहों पर गोलियां बरसाई गई। अगर सत्ता का गुरूर ना होता, तो इस शर्मनाक घटना को टाला जा सकता था।

2 अक्टूबर 1994 की काली रात का दर्द

उत्तराखंड के लोग 2 अक्चूबर 1994 की उस काली रात के दर्द को याद कर आज भी सहम जाते हैं। उस रात बेगुनाहों पर पुलिस के एक्शन के बाद सड़क पर लाशें बिछीं थी, घायल हुए लोग इधऱ-उधर पड़े थे। उत्तराखंड के लोगों के दिलो दिमाग से उस भयानक रात की याद आज भी ताजा है। इसे याद कर उत्तराखंड के आंदोलनकारी आज भी दर्द से भर जाते हैं। आंदोलनकारी 26 साल बाद भी इस जख्म को नहीं भर पाए हैं। एक अक्टूबर की वह रात और दो अक्टूबर की सुबह दमन, बल प्रयोग और अमानवीय हदों को पार करने वाली तस्वीरों ने देश को शर्मसार कर दिया था। तब की मुलायम सरकार ने सत्ता के गुरूर में दमन और निरंकुशता का ऐसा वीभत्स दृश्य पेश किया था जो कभी भूलने वाला नहीं है। 

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