पिछले साल दिसंबर की बात है भारत के कर्नाटक राज्य में मुस्लिम छात्राओं को यूनिफार्म में कालेज आने को कहा गया और हिजाब पहनकर कालेज में प्रवेश पर रोक लगा दिया गया था। ऐसा इसलिए किया गया था ताकि कालेज में पढ़ने वाली छात्राएं एकसमान दिखें। लेकिन उस वक्त कट्टरपंथी ताकतों एवं वामपंथियों ने इसे एक बड़ा मुद्दा बना दिया। कट्टरपंथी मुस्लिम छात्राओं ने जहां इस फैसले के खिलाफ धरना दिया प्रदर्शन किया और अभिव्यक्ति की आजादी की दुहाई दी वहीं अदालत का दरवाजा भी खटखटाया। हालांकि अदालत से उन्हें कोई राहत नहीं मिली। वहीं इस्लामिक देश ईरान में मुस्लिम महिलाओं ने पितृसत्तात्मक सोच से उपजे हिजाब से आजादी के लिए सड़कों पर उतरकर न केवल आवाज बुलंद की है बल्कि हिजाब को गलियों में फेंक दिया। अब सवाल यह उठता है कि जब मुस्लिम बहुल देश में महिलाएं हिजाब से मुक्ति चाहती हैं तो भारत जैसे विविधता वाले देश में महिलाएं हिजाब पहनने के लिए इतनी कट्टर क्यों हैं।
Some mentally ill mullas are saying .@miakhalifa is not muslim. #SofiaAnsari is Indian muslims and don't wear #hijab.She don't care banned organizations like #PFI. Saudi Arabia banned Hijab. #LoveJihad is policy of PFI #BanPFI We are with #No2Hijab movement of Muslim women . https://t.co/7o6Xioi60B
— Nandini Das (@DasNandini97) July 14, 2022
सोशल मीडिया पर नंदिनी दास ने कहा है कि कुछ मानसिक रूप से बीमार मुल्ला कह रहे हैं कि मिया खलीफ़ा मुस्लिम नहीं है। सोफिया अंसारी भारतीय मुसलमान हैं और हिजाब नहीं पहनती हैं। उन्हें पीएफआई जैसे प्रतिबंधित संगठनों की परवाह नहीं है। सऊदी अरब ने हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया। LoveJihad PFI की नीति है। BanPFI हम मुस्लिम महिलाओं के No2Hijab आंदोलन के साथ हैं। नंदिनी ने साथ ही कहा कि मिया खलीफा और राणा अय्यूब ने हिजाब नहीं पहना है, फिर तथाकथित भारतीय मुस्लिम विद्वान शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध के खिलाफ आवाज क्यों उठाते हैं। ईरान में महिलाएं हिजाब के खिलाफ मार्च कर रही हैं, हिजाब के खिलाफ आंदोलन का हर जगह स्वागत है।
एक अन्य सोशल मीडिया यूजर धूलेंद्र रायका ने कहा कि ईरान में #No2Hijab चल रहा है और भारत में वामपंथी, इस्लामवादी #HijabisOurRight चला रहे थे। प्रियंका शर्मा ने लिखा है कि मोहतरमा राणा अय्यूब कुछ कहना नहीं है क्या। अविज राज सिंह ने कहा कि तथाकथित बुद्धिजीवी मुल्ला मौलवी महिलाओं पर आरोप लगा रहे हैं कि वे समाज को भड़का रहे हैं #ShameOnyou.
#WalkingUnveiled #No2Hijab
Islamic imperialism is enemy of women…Amplify ur voice against it.
More power to Iranian sisters, breaking shackles of Islamic Patriarchy?@RanaAyyub @khanumarfa won't u support this feminist campaign?@ShefVaidya @jkd18 @RubikaLiyaquat @shaziailmi https://t.co/a7S4DRdaMv— Neha देश_के_लिए (@neha_unny) July 14, 2022
#No2Hijab #WalkingUnveiled https://t.co/IexeO3bztV
— Neha देश_के_लिए (@neha_unny) July 14, 2022
ट्विटर पर एक अन्य यूजर अजय ने लिखा, इस्लामी देश ईरान की महिलाएं हिजाब से स्वतंत्रता चाहती हैं जबकि भारत में धर्मांतरित मुसलमान हर क्षेत्र में हिजाब चाहते हैं।
#hijab
The Original Muslims And Islamic Country Iran's Women Want Freedom From Hijab
While Converted Muslims In India Want Hijaab In Every Sector pic.twitter.com/nqTFcnN3E1— Ajay (@Ajay29845309) July 13, 2022
कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं के अड़ियल रवैए से यह विवाद बढ़ा और बढ़ता ही गया। अब सवाल यही है कि दुनिया के एक हिस्से में महिलाएं इसे बोझ समझती हैं और इससे आजादी चाहती हैं तो फिर भारत में मुस्लिम महिलाएं हिजाब के समर्थन में क्यों खड़ी हैं। क्या इसके पीछे कोई सोची समझी चाल है। क्या इसके पीछे धर्म के नाम पर रोटी सेंकने वाले लोग हैं जिन्हें दुकान बंद होने का डर है।
कर्नाटक हाइकोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा है कि क्लासरूम में हिजाब पहनने की अनुमति देने से “मुसलमान महिलाओं की मुक्ति में बाधा पैदा होगी” और ऐसा करना संविधान की ‘सकारात्मक सेकुलरिज्म’ की भावना के भी प्रतिकूल होगा।
हिजाब से सुरक्षा का एहसास
एक तरफ ईरान की मुस्लिम महिलाएं हिजाब को बंधन समझती हैं और इससे आजादी चाहती हैं वहीं भारत में हिजाब के समर्थन में अजीब तर्क दिया जाता है कि इसे पहनने से सुरक्षा का एहसास होता है। इस तरह तो भारत में जो महिलाएं हिजाब नहीं पहनती हैं उन्हें असुरक्षित महसूस करना चाहिए? यह तर्क न केवल असंगत प्रतीत होता है बल्कि इसके पीछे कट्टर मानसिकता का बोध कराता है।
हिजाब पहनने वाली बीए प्रथम वर्ष की एक छात्रा ने डीडब्ल्यूडॉटकॉम से कहा था, “उन्हें हिजाब से सुरक्षा का एहसास होता है और यह उनकी निजी पसंद है। हिजाब पहनने के लिए मुझे किसी ने नहीं कहा है ना ही मेरे माता-पिता ने ऐसा करने के लिए कहा है। मैंने खुद ही हिजाब पहनना चुना है।” जब उनसे पूछा गया कि उन्हें किस तरह से सुरक्षा का एहसास होता है तो उन्होंने कहा, “जब मैं शहर में हिजाब पहनकर जाती हूं तो मुझे कोई नहीं देखता है.”
ईरान में हिजाब के खिलाफ महिलाएं
इस्लामिक देश ईरान में हिजाब का जबरदस्त विरोध हो रहा है। ईरानी महिलाएं हिजाब के विरोध में सड़कों पर हैं। यही नहीं वे पब्लिक में अपना नकाब हटाकर उसका वीडियो भी बना रही हैं। ये महिलाएं हिजाब हटाने के वीडियो पोस्ट कर इस्लामिक रिपब्लिक के सख्त हिजाब नियमों का विरोध कर रही हैं।
हिजाब एवं शुद्धता दिवस का विरोध
ईरानी कानून के मुताबिक महिलाओं को सार्वजनिक तौर अपने बाल ढंकना अनिवार्य है। वैसे तो हिजाब को लेकर यहां अक्सर प्रदर्शन होते रहते हैं लेकिन 12 जुलाई को बड़ी संख्या में ईरानी महिलाओं ने देश भर में हिजाब विरोधी अभियान में भाग लिया। ईरान के अधिकारियों ने 12 जुलाई (मंगलवार) को ‘हिजाब एवं शुद्धता दिवस’ के रूप में घोषित किया था। इसी के विरोध में महिलाएं सड़कों पर उतरीं।
Tomorrow Iranian women will shake the clerical regime by removing their hijab and taking to the streets across Iran to say #No2Hijab. This is called Women Revolution.
In iran #WalkingUnveiled is a crime.
Iranian men will also join us.#حجاب_بی_حجاب pic.twitter.com/pu3uUA1teM— Masih Alinejad ?️ (@AlinejadMasih) July 12, 2022
हिजाब को गलियों में फेंक रही हैं ईरानी महिलाएं
सोशल मीडिया पर शेयर किए गए वीडियो में महिलाओं के अलावा पुरुष भी ईरान के कानून के खिलाफ अपना विरोध व्यक्त कर रहे हैं। कुछ वीडियो में महिलाओं को स्कार्फ और शॉल को सड़कों पर फेंकते हुए देखा जा सकता है। महिलाएं बिना हिजाब के पब्लिक ट्रांसपोर्ट और दुकानों में दिखाई दे रही हैं। वे खुले बालों में पब्लिक में घूम रही हैं।
Iran's IRGC is holding a "Hijab and Chastity" ceremony in Tehran today as Iranian women plan to stage acts of civil disobedience. The event included this performance that @MargaretAtwood would certainly find interesting. #حجاب_بی_حجاب #حجاب_اجبارى https://t.co/sKePeuZnIp pic.twitter.com/QErQj2VXv1
— Khosro Kalbasi (@KhosroKalbasi) July 12, 2022
सरकार ने हिजाब में महिलाओं को पेश किया
ईरान की सरकार ने हिजाब के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन को देखते हुए सरकारी टेलीविजन से ‘हिजाब और शुद्धता’ समारोह का एक वीडियो प्रसारित किया। इसमें 13 महिलाओं को हरे रंग के हिजाब और लंबे सफेद वस्त्र पहने हुए दिखाया गया था। वे महिलाएं कुरान की आयतें पढ़कर नृत्य कर रही थीं। सोशल मीडिया पर इस वीडियो का जमकर मजाक उड़ाया गया।
As we promised!
We remove our hijabs and I hope everyone joins us.
Forcing women to wear hijab is not part of Iranian’s culture. It is the culture of Taliban, ISIS and Islamic Republic. Enough is enough.
#No2Hijab
pic.twitter.com/nXwiW3LqI5— Masih Alinejad ?️ (@AlinejadMasih) July 12, 2022
ईरान में 1979 से अनिवार्य हुआ था हिजाब
ईरान में 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद 9 वर्ष से अधिक उम्र की ईरानी महिलाओं और लड़कियों के लिए सार्वजनिक रूप से हिजाब अनिवार्य है। कई ईरानी महिलाओं ने वर्षों से शासन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की है और सरकारी आदेश के खिलाफ अपने मन के कपड़े पहनने पर जोर दिया है। ईरान में हिजाब पहनने से इनकार करने पर महिलाओं को जेल या फिर भारी जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।
कई देशों जैसे फ्रांस में 18 साल की लड़कियों के सार्वजनिक जगहों पर हिजाब पहनने पर पांबदी है। इसके अलावा बेल्जियम, नीदरलैंड्स और चीन में भी हिजाब पहनने पर रोक है। भारत में कुल आबादी का लगभग 14 फ़ीसद मुसलमान हैं और यहां सार्वजनिक तौर पर हिजाब या बुर्का पहनने पर कोई रोक नहीं है।