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MODI@72: पीएम और सीएम के रूप में नरेन्द्र मोदी की 20 ऐतिहासिक उपलब्धियां….मोदी के विजन ने देश को हर क्षेत्र में नई दिशा दी, जानिए कैसे बने विश्व के अग्रणी और बेहद लोकप्रिय नेता

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को गुजरात और केंद्र की सरकार के अगुआ के रूप में संवैधानिक पद की जिम्मेदारी संभालते हुए दो दशक से ज्यादा हो गए। मोदी सफलता के शिखर पर हैं और नित नए रिकॉर्ड बनाते जा रहे हैं। आज पूरी दुनिया में नरेन्द्र मोदी का अलग मुकाम है। मोदी के नेतृत्व में ऐतिहासिक और अतुलनीय फैसलों से भारत की विजयगाथा देश ही नहीं, दुनियाभर के सामने गुंजायमान हो रही है। विश्वपटल पर भारत की विजय-पताका पूरे वेग के साथ फहर रही है। वैसे तो नरेन्द्र मोदी को सीएम और पीएम के रूप में कई कामयाबियां हासिल हुई हैं, लेकिन यहां दो दशक की 20 उन उपलब्धियां के बारे में बताएंगे, जिन्होंने इतिहास ही रच डाला। इनमें से कुछ फैसले और उपलब्धियां तो सदियों के संघर्ष के बाद मोदी राज में ही हासिल हो पाईं। जो राष्ट्र, समाज और सबके विकास और उम्मीदों को लगातार नई ऊर्जा दे रहीं हैं। जो दुनिया से सामने मजबूत, शक्तिशाली और दृढ़प्रतिज्ञ नए भारत की शानदार छवि बना रही हैं।

लगातार 8 साल स्वतंत्र भारत में पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने मोदी, देशवासियों का दिल जीता
पिछले दो दशक में नरेन्द्र मोदी पहले 13 साल गुजरात के सीएम रहे और अब 2014 से देश के प्रधानमंत्री पद को सुशोभित कर रहे हैं। बतौर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री मोदी के नाम कई उपलब्धियां है। स्वतंत्र भारत में वे पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री हैं, जो लगातार 8 वर्षों से सत्ता पर आसीन हैं। भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर नरेन्द्र मोदी ने आमजन को संतुष्ट करने में जबर्दस्त सफलता पाई है। वो चाहे चुनावी वादों को समयसीमा के अंदर प्रभावी तरीके से पूरा करने की बात हो या फिर कोविड-19 महामारी जैसी अप्रत्याशित आपदा से निपटने की, मोदी के फैसलों ने देश और देशवासियों के प्रति उनकी निष्ठा की भावना और मजबूत कर दी।

आत्मनिर्भर भारत अभियान की लॉन्चिंग, महामारी से प्रभावित वंचित तबके के करोड़ों लोगों को मुफ्त अनाज मुहैया कराने से लेकर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन को उसी की भाषा में जवाब देने और श्रम एवं कृषि क्षेत्र के लंबित सुधारों को अंजाम तक पहुंचाने तक, मोदी ने कई कड़े और बड़े कदम उठाए। 17 सिंतबर को पीएम मोदी का जन्मदिन है। आइये इस मौके पर सीएम से लेकर पीएम तक, गुजरात मॉडल से लेकर न्यू इंडिया बनाने तक के उनके 20 ऐतिहासिक कदमों पर नजर डालते हैं…1: काले धन और टैरर फंडिंग पर नकेल कसने के लिए नोटबंदी लागू की
मोदी सरकार ने कालाधन, आतंकवाद, जाली नोट और टैरर फंडिंग के खिलाफ बड़े हथियार के रूप में नोटबंदी लागू की। प्रधानमंत्री मोदी ने खुद टीवी पर आकर बताया कि आज रात से 500 और 1000 रुपए के नोट बेकार हो जाएंगे। जनता को इन नोटों को बैंकों में जमा करने की पूरी छूट मिली। सरकार ने पूरा जोर डिजिटल करेंसी बढ़ाने और डिजिटल इकोनॉमी बनाने पर दिया। नोटबंदी के ऐतिहासिक फैसले से डिजिटल ट्रांजेक्शन में इजाफा हुआ। 2016-17 में 1013 करोड़ रुपये का डिजिटल ट्रांजेक्शन हुआ था। 2017-18 में ये बढ़कर 2,070.39 करोड़ और 2018-19 में 3133.58 करोड़ रुपये का डिजिटल ट्रांजेक्शन हुआ। अब 2021-22 में 7422 करोड़ रुपये का डिजिटल ट्रांजेक्शन हुआ है, जो पिछले साल से 33 प्रतिशत अधिक है। इससे आतंकवाद, नक्सलवाद और जाली नोट के खिलाफ भी बड़ी सफलता मिली है।

2: सर्जिकल और एयर स्ट्राइक कर पहली बार दुश्मन को घर में घुसकर मारा
पीएम मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत का आतंकवाद से निपटने को लेकर नजरिया एकदम बदल गया। आजादी के बाद पहले 28 सितंबर 2016 को सर्जिकल स्ट्राइक और फिर 26 फरवरी 2019 को एयर-स्ट्राइक के वक्त भारत ने दुश्मन की सीमा में घुसकर उसे सबक सिखाया। आजादी के बाद भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान ही भारत ने अंतरराष्ट्रीय सीमा लांघी थी। सर्जिकल स्ट्राइक और फिर एयरस्ट्राइक के वक्त पहली बार ऐसा हुआ जब युद्ध की स्थिति नहीं होते हुए भी आतंकी घटनाओं का जवाब देने के लिए भारत ने अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार जाकर आतंकियों को सबक सिखाया। इससे भारत की आंतकवाद के खिलाफ लड़ने को लेकर छवि मजबूत हुई। पूरी दुनिया ने  महसूस किया गया कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत अब अपने दुश्मनों को कहीं भी जाकर खत्म कर सकता है। यही वजह रही की भारत की जनता 2019 में मोदी सरकार को और ज्यादा ताकत के साथ सत्ता में लेकर आई।3: जम्मू-कश्मीर से धारा 370 का खात्मा, दो केंद्र शासित प्रदेश बने
पीएम मोदी सरकार के कार्यकाल में एक और ऐतिहासिक फैसला हुआ, जिसने कांग्रेस सरकार द्वारा की गई गलतियों का खात्मा किया। मोदी सरकार ने प्रशासनिक संकल्प से जम्मू-कश्मीर से संविधान की धारा 370 हटा दी। इससे राज्य को मिले विशेषाधिकार खत्म हो गए। जम्मू-कश्मीर दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बंट गया। दरअसल, 1948 में जम्मू-कश्मीर के राजा हरि सिंह ने भारत में विलय से पहले विशेषाधिकार की शर्त रखी थी और तत्कालीन सरकार ने इसे मान भी लिया। इससे जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा होने के बाद भी अलग ही रहा। राज्य का अपना अलग संविधान बना। वहां भारत में लागू कुछ ही कानून लागू होते थे। बच्चों को शिक्षा का अधिकार (RTE) तक नहीं मिला था। कश्मीर में सिर्फ कश्मीरी ही जमीन खरीद सकते थे। भाजपा भी लंबे समय से धारा 370 खत्म करने की मांग कर रही थी। मोदी सरकार के इस फैसले के बाद बड़ा बदलाव यह हुआ कि अब वहां केंद्र के सभी कानून लागू होते हैं। इससे जम्मू-कश्मीर औपचारिक तौर पर भारत का हिस्सा बना। भारत के सभी कानून जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में लागू हुए। मनरेगा, शिक्षा के अधिकार को भी लागू किया गया। सबसे खास बात यह कि धारा 370 खत्म होने के बाद जम्मू-कश्मीर में पुलिस पर पत्थरबाजी और आंतकवाद की घटनाओं में जबरदस्त कमी आई है। कश्मीर में अमन और शांति बहाली से कश्मीर घाटी फिर से पर्यटकों से गुलजार होने लगी है।4: तीन तलाक के खिलाफ कानून पारित, हज सब्सिडी भी खत्म की
पीएम मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के हक में ऐतिहासिक फैसला लिया। सरकार ने कानून बनाकर मुस्लिम महिलाओं से तीन बार तलाक कहकर संबंध खत्म करने की प्रथा को गैरकानूनी बना दिया। ऐसा करने वालों के लिए तीन साल की सजा का प्रावधान किया गया। मुस्लिम महिलाओं के लिए गुजारा भत्ते/मुआवजे की व्यवस्था भी की। मोदी सरकार ने फरवरी 2018 में अध्यादेश जारी किया। यह बिल की शक्ल में संसद में पेश हुआ और तमाम विरोधों के बाद दोनों सदनों से दिसंबर 2018 में यह पारित हो गया।  राष्ट्रपति के साइन होने के बाद मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक कानून बना और इसे 19 सितंबर 2018 से लागू माना गया। इस कानून के लागू होने के बाद तीन तलाक के केस घटकर बमुश्किल 5% ही रह गए हैं। इसके अलावा मोदी सरकार ने हज के लिए दी जाने वाली वाली सब्सिडी भी इसी साल से खत्म कर दी। यानी 2018 के बाद से हज पर जाने वालों को पूरा खर्च खुद ही वहन शुरू हो गया। कई मुस्लिम संगठन हज सब्सिडी को खत्म कराना चाहते थे।5: एक देश, एक टैक्स पर जीएसटी लागू, अब जीएसटी कलेक्शन में लगातार वृद्धि
मोदी सरकार द्वारा जीएसटी लागू करने से पहले हर राज्य अपने अलग-अलग टैक्स वसूलता था। आधा टैक्स केंद्र सरकार को जाता है और आधा राज्यों को। वसूली केंद्र सरकार करती है। बाद में राज्यों को पैसा लौटाती है। वर्ष 2000 में वाजपेयी सरकार ने पूरे देश में एक टैक्स लागू करने के बारे में सोचा। विधेयक बनाने के लिए कमेटी भी बनाई। पर राज्यों को डर था कि उन्हें जितना रेवेन्यू मिल रहा है, उतना नहीं मिलेगा। इस वजह से मामला अटका रहा। मार्च 2011 में मनमोहन सिंह की सरकार ने इसको लागू करने की कोशिश की, लेकिन वह तो फेल ही हो गई। 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार नई सोच के साथ कुछ जरूरी बदलावों के बाद संविधान संशोधन विधेयक लेकर आई। अगस्त 2016 में यह विधेयक संसद ने पास किया। 12 अप्रैल 2017 को जीएसटी से जुड़े चार विधेयकों को संसद से पारित होने के बाद राष्ट्रपति की सहमति मिली। यह 4 कानून हैं- सेंट्रल GST बिल, इंटिग्रेटेड GST बिल, GST (राज्यों को कम्पेंसेशन) बिल और यूनियन टेरेटरी GST बिल। तब जाकर 1 जुलाई 2017 की आधी रात से नई व्यवस्था पूरे देश में लागू हुई। मोदी सरकार द्वारा जीएसटी लागू करने से टैक्स की विसंगति दूर हुई। अब पूरे देश में हर सामान पर एक-सा टैक्स लगता है। जीएसटी कलेक्शन में लगातार वृद्धि हो रही है।6: प्रवासियों के लिए नागरिकता संशोधन कानून (सीसीए) लागू किया
पीएम मोदी सरकार ने बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम (हिन्दू, बौद्ध, जैन, सिख, पारसी और इसाई) प्रवासियों को नागरिकता देने के लिए नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीसीए) लागू किया। पहले इन लोगों को भारत की नागरिकता पाने के लिए भारत में 11 साल रहना होता था। नागरिकता संशोधन बिल के बाद ये अवधि 11 साल से घटकर 6 साल हो गई। वैसे यह बिल मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में (जनवरी 2019 में) लोकसभा से पारित कर दिया गया था। राज्यसभा में पास होने से पहले ही 16वीं लोकसभा का कार्यकाल समाप्त हो गया। लोकसभा भंग होने के साथ ही यह बिल भी रद्द हो गया। 17वीं लोकसभा के गठन के बाद मोदी सरकार ने नए सिरे से इस बिल को पेश किया। 10 दिसंबर 2019 को ये बिल लोकसभा और 11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा में पास हो गया। राष्ट्रपति से हस्ताक्षर के बाद 10 जनवरी 2020 को इसे लागू कर दिया गया। इस बिल के लागू होने से कई सालों से अवैध रूप से भारत में रह रहे लोगों को भारतीय नागरिकता पाने की राह आसान हुई।7: सदियों के संघर्ष के बाद भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन करने के ऐतिहासिक अवसर पर कहा कि सदियों का इंतजार आज समाप्त हुआ है। आज पूरा भारत राममय है। पूरा देश रोमांचित है, हर मन दीपमय है। आज पूरा भारत भावुक भी है। करोड़ों लोगों को ये विश्वास ही नहीं हो रहा कि वो अपने जीते-जी इस पावन दिन को देख पा रहे हैं। राम मंदिर के इस भूमिपूजन तक पहुंचने में ढेरों कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। भाजपा के लिए हमेशा से ही राम मंदिर निर्माण सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। दरअसल, 1528 में अयोध्या में एक ऐसे स्थल पर मस्जिद का निर्माण हुआ, जहां भगवान राम का जन्मस्थान है। मुगल शासक बाबर की शह पर ही उसके सेनापति मीर बाकी ने राम मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाई थी। सदियों के संघर्ष के बाद बीजेपी नेताओं की अगुवाई में 6 दिसंबर 1992 अयोध्या पहुंचे हजारों कारसेवकों ने बाबरी ढांचा गिरा दिया। इसकी जगह इसी दिन शाम को अस्थायी मंदिर बनाकर पूजा-अर्चना शुरू कर दी। केंद्र की तत्कालीन नरसिंह राव सरकार ने कल्याण सिंह सहित अन्य राज्यों की भाजपा सरकारों को भी बरखास्त कर दिया। कोर्ट में लंबी चली पैरवी के बाद 9 नवंबर 2019 को सर्वोच्च न्यायालय ने संबंधित स्थल को श्रीराम जन्मभूमि माना और 2.77 एकड़ भूमि रामलला के स्वामित्व की मानी। 5 फरवरी 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की घोषणा की। इसके बाद भव्य मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त 2020 को भूमिपूजन किया।

8: वैश्विक कोरोना महामारी के लिए वैक्सीन बनाकर 200 करोड़ डोज का आंकड़ा पार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रणनीति, विजन और अनथक प्रयासों के चलते भारत ने इस दिन 200 करोड़ वैक्सीनेशन के जादुई आंकड़े को रिकार्ड समय में पार कर लिया। इसके साथ ही सरकार ने करोड़ों देशवासियों को वैश्विक महामारी से बचाव के लिए सुरक्षा कवच मुहैया कराया। कोरोना के शुरुआत में जब हमारे पास वैक्सीन ही नहीं थी, तब यह लक्ष्य बेहद दुरूह नजर आता था। लेकिन महामारी के बीच में ही पीएम मोदी की देशभक्ति, दूरदृष्टि और अटल इरादों ने 135 करोड़ भारतीयों में कोरोना के खिलाफ लड़ाई का विश्वास भर दिया। भारत ने न सिर्फ अपने देशवासियों को बचाया, बल्कि विश्व के 98 देशों में 200 मिलियन डोज की आपूर्ति भी की। इसके लिए भारत को विश्वभर से बधाइयां मिलीं। तेजी से चले वैक्सीनेशन अभियान का फायदा यह रहा कि तीसरी लहर ने भारत में कहर नहीं बरपाया, जबकि दूसके कई देश इसकी चपेट में आए।9: हिंदुत्व और राष्ट्रवाद को बढ़ावा, केदारनाथ से काशी तक भव्य-दिव्य मंदिर
भारतीय जनता पार्टी शुरू से ही हिंदुत्व और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने की फिलॉसफी से चलती है। राम मंदिर ही नहीं, बीजेपी ने काशी से लेकर केदारनाथ तक, सोमनाथ से लेकर मथुरा तक के मंदिरों को न सिर्फ मुद्दा बनाया, बल्कि उनको भव्यता और दिव्यता भी प्रदान की। जनता के लिए तीर्थाटन योजना भी सबसे पहले भाजपा की ही राज्य सरकारों ने शुरू की। बीजेपी ने गाय और गोवंश का मुद्दा भी प्राथमिकता से लिया। केंद्र से लेकर अलग-अलग राज्यों में बीजेपी की सरकार बनने पर गोहत्या रोकने की कोशिश की गई है। अटल सरकार ने गो पशु आयोग बनाया। गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने गोहत्या पर पूरी तरह से रोक लगा दी। 26 मई 2017 को मोदी सरकार ने पशु बाजारों में हत्या के लिए मवेशियों की बिक्री और खरीद पर रोक लगा दी थी।

10: फार्मा सेक्टर ने दमदार निर्यात से भारत को दुनिया का सबसे सस्ता दवाखाना बनाया
भारत के फार्मा सेक्टर ने निर्यात के मोर्चे पर दमदार प्रदर्शन किया है। अगर कहा जाए कि भारत दुनिया का सस्ता दवाखाना बनने जा रहा है तो यह कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। यह सब हो रहा है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से जिन्होंने देश की सत्ता संभालने के बाद कहा था…”मैं देश नहीं झुकने दूंगा।” पीएम मोदी ने 2014 में देश सत्ता संभालने के बाद हर सेक्टर के विकास पर जोर दिया है और यही वजह है कि फार्मा सेक्टर ने पिछले आठ साल में निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की है। पिछले 8 वर्षों में इसमें करीब 10 बिलियन अमरीकी डॉलर की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसमें खास बात यह है कि कोरोना काल में विभिन्न बाधाओं के बावजूद भारतीय फार्मा कंपनियों ने बेहतर प्रदर्शन किया है। भारतीय औषध उद्योग को वैश्विक बाजार में अग्रणी भूमिका निभाने हेतु समर्थ बनाना और आम उपभोग के लिए अच्छी गुणवत्ताओं वाले औषध उत्पादों का उचित मूल्यों पर देश के अंदर प्रचुर उपलब्धता सुनिश्चित करना केंद्र सरकार का अहम लक्ष्य है जिसे पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास जारी हैं।

11: सेहतमंद भारत की ओर कदम, अब पैसे की कमी से गरीब का नहीं रुकता इलाज

आयुष्मान भारत योजना के तहत मार्च 2022 तक 17.90 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड मुहैया कराए जा चुके हैं। 3.28 करोड़ के अधिक लोग उपचार की सुविधा ले चुके हैं। इस योजना से करीब 27300 निजी एवं सरकारी अस्पताल जुड़े हुए हैं। साथ ही इस योजना के तहत 141 ऐसे मेडिकल प्रोसीजर्स शामिल किए गए हैं, जो सिर्फ महिलाओं के लिए हैं। अक्टूबर 2019 से सितंबर 2021 तक इस योजना का लाभ पाने वालों में 46.7 प्रतिशत महिलाएं हैं। पीएम जय-आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत 23 सितंबर 2018 से हुई। इसके तहत 10 करोड़ 74 लाख परिवारों के 50 करोड़ के अधिक लोगों को पांच लाख रुपये-सालाना मुफ्त इलाज की सुविधा दी गई है। मुफ्त इलाज में गंभीर बीमारियां भी शामिल हैं।12: गुलामी की निशानी को मिटाकर राजपथ को बनाया कर्तव्य पथ, नेताजी की प्रतिमा का अनावरण
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले की प्राचीर से दिए अपने संबोधन में पीएम मोदी ने आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर ‘पंच प्राणों का विजन रखा है। इन पंच प्राणों में विकास के बड़े लक्ष्यों का संकल्प है, कर्तव्यों की प्रेरणा है। इसमें गुलामी की मानसिकता के त्याग का आवाहन है, अपनी विरासत पर गर्व का बोध है। गुलामी के प्रतीक राजपथ का अस्तित्व समाप्त करके कर्तव्य पथ की पीएम मोदी ने शुरुआत की। इसके साथ ही जॉर्ज पंचम की मूर्ति हटाकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया। पीएम मोदी ने कहा कि गुलामी की मानसिकता के परित्याग का पहला उदाहरण नहीं है। ये मन और मानस की आजादी का लक्ष्य हासिल करने तक, निरंतर चलने वाली संकल्प यात्रा है। इसी दिशा में गुलामी की निशानियों को मिटाकर अंडमान के द्वीपों को नेताजी बोस से जोड़कर भारतीय नाम दिए गए।13: मोदी के सीएम रहते गुजरात ने देश के औसत से भी ज्यादा तरक्की की
गुजरात की बात करें तो साल 2000 से लेकर 2012 तक राज्य में 3 हजार रूरल रोड प्रोजेक्ट्स पूरी की गईं। वहीं 2004-05 से 2013-14 के बीच बिजली प्रत्येक इंसान की खपत के लिए 41 फीसदी ज्यादा उपलब्ध थी। नरेन्द्र मोदी के सीएम रहते गुजरात के आर्थिक तरक्की का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल 2000 से 2010 के बीच सर्विसेज और गुड्स के वैल्यू की वजह से जीएसडीपी 9.8 फीसदी हो गई। जबकि इस दौरान देश का आंकड़ा 7.7 फीसदी ही था। ज़ाहिर है देश के औसत आंकड़े से गुजरात कहीं आगे निकला। इसलिए राज्य के संतुलित विकास की चर्चा देश ही नहीं, दुनियाभर में होने लगी।14: मोदी ने वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल इन्वेस्टर्स सम्मेलन कराकर दुनिया का ध्यान खींचा
नरेन्द्र मोदी ने साल 2003 में वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल इन्वेस्टर्स सम्मेलन करा पूरी दुनिया का ध्यान खींचा। वाइब्रेंट गुजरात के जरिए नरेन्द्र मोदी ‘ब्रांड गुजरात’ बनाने में सफल साबित हुए। साल 2003 में 76 एमओयू के जरिए 66 हजार से बढ़कर साल 2011 में 8,380 एमओयू में परिवर्तित हुआ। ज़ाहिर है साल 2011 में इन्वेस्टर्स के बीच भरोसा बढ़ाने में कामयाब रहे मोदी 21 लाख करोड़ के विनिवेश के लिए उद्योगपतियों को राजी कर चुके थे। इन्वेस्टर्स गुजरात में बिजेनस फ्रेंडली एनवायर्नमेंट की वजह से आकर्षित हो रहे थे, जहां बेहतरीन इंफ्रस्ट्रक्चर की वजह से विनिनेश बढ़ाने में सहूलियत हो रही थी।

15: बंगाल में नैनो के लिए ममता के विरोधी आंदोलन को मोदी ने गुजरात के लिए अवसर में बदला
तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी ने फोर्ड, सुजूकी और टाटा जैसी कंपनियों के लिए जटिल नौकरशाही की प्रक्रिया को बेहद आसान कर दिया और उद्योगपतियों की नजरों में बिजनेस फ्रेंडली प्रशासक के रूप में पहचाने जाने लगे। देश ही नहीं दुनिया में मोदी के शासन की धूम मची जब चंद दिनों में टाटा जैसे उद्योगपति को नैनो की फैक्ट्री लगाने के लिए पूरी तरह उन्होंने तैयार कर लिया। साल 2008 में बंगाल में नैनो के विरोध के लिए ममता आंदोलन कर रही थीं, लेकिन नरेन्द्र मोदी ने इसे गुजरात के लिए अवसर में तब्दील किया। जिसकी चर्चा दूर-दूर तक होने लगी। यही वजह बना कि गुजरात में होने वाला व्राइब्रेंट गुजरात समिट विनिवेश का शानदार माध्यम बना। इस कारण गुजरात उद्योगपतियों को अपनी ओर आकर्षित करने लगा।

16: मोदी राज की बेहतरीन आर्थिक नीतियों को दुनिया ने ‘मोदीनॉमिक्स’ नाम दिया
साल 2005-06 में गुजरात में रिकॉर्ड ग्रोथ रेट दर्ज हुई थी जो 15 प्रतिशत के करीब थी। इस दौरान तीन बेहतरीन ग्रोथ रेट वाले राज्यों पर ध्यान दें तो महाराष्ट्र का ग्रोथ रेट 10.75 प्रतिशत, तमिलानडु का 10.27 प्रतिशत और बिहार का 11.42 प्रतिशत था। कहा जाता है कि बिहार का ग्रोथ बेहद निचले स्तर पर था, इसलिए 11.42 प्रतिशत का ग्रोथ स्वाभाविक था। जबकि महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्य लंबे समय से विकसित राज्यों में गिने जाते रहे हैं। लेकिन मोदी अपनी नीतियों से गुजरात की ग्रोथ 15 प्रतिशत तक ले गए। मोदी राज में अपनाए गए बेहतरीन आर्थिक नीति को दुनिया ‘मोदीनॉमिक्स’ के नाम से पुकारने लगी।

17: बेहतरीन कृषि नीति से फूड डेफसिट राज्य से गुजरात फूड सरप्लस स्टेट बना 
नरेन्द्र मोदी का जोर कृषि के बढ़ावे पर भी उतना ही था, जितना अन्य इंडस्ट्री सहित दूसरे सेक्टर पर। कृषि को उन्नत बनाने में बीटी कॉटन (जेनेटिकली मॉडिफाइड) को अपनाने पर जोर सहित, लघु सिंचाई,चेक डैम्स और 10 हजार छोटे कृषि मशीन कृषि की पैदावार बढ़ाने में बेहद कारगर साबित हुए। खाद्य पदार्थों की पैदावार में साल 2000 की तुलना में 100 फीसदी बढ़ गई। वहीं कपास के पैदावार में 200 फीसदी का इज़ाफा हुआ। बेहतरीन कृषि नीति की वजह से साल 2000 से 2010 तक गुजरात फूड डेफसिट से फूड सरप्लस राज्य बन पाने में कामयाब हुआ। राज्य में गेहूं की पैदावार 8 मिलियन टन से बढ़कर 40 मिलियन टन तक पहुंच गई, जबकि कपास की उपज पूरे देश के 40 फीसदी आंकड़े को पार कर चुकी थी।

18: मोदी राज में पावर जनरेशन में शानदार बढ़त, पावर सरप्लस राज्य बनाने में कामयाबी
बिजली की खपत और पैदावार किसी राज्य की समृद्धि का सूचकांक होती है। मोदी के विजन के चलते दस सालों में पावर जनरेशन और डिस्ट्रीब्यूशन में गुजरात में शानदार बढ़त देखी गई। राज्य में साल 2003-04 में 9 हजार मेगावाट से बढ़कर 2013 में 23 हजार 887 मेगावाट तक पहुंच जाना बिजली की पैदावार और खपत विकास की कहानी बखूबी बयां करती है। इस दौरान मोदी सरकार ने ट्रांसमिशन लॉस पर ध्यान देकर उसको 35 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी कर दिया और गुजरात को पावर सरप्लस राज्य बनाने में कामयाबी हासिल की।19: गांव से शहर तक बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर, बिजली-पानी जैसी समस्याओं से छुटकारा
गुजरात में सीएम मोदी का ध्यान आधारभूत संरचना को मजबूत करने पर भी था। इसलिए शहर से लेकर गांव तक की सड़कों को मजबूत करना मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में था। सड़कों के तीन हजार रूरल प्रोजेक्ट्स इस कड़ी में पूरे किए गए जो सरकार की प्राथमिकताओं का बेहतरीन उदाहरण बने। गुजरात पावर सरप्लस स्टेट बन चुका था और बेहतरीन रोड इंफ्रास्ट्रक्चर की वजह से एक पोर्ट से दूसरे पोर्ट पर जाना एक दिन के भीतर आसानी से संभव था। तत्कालीन मोदी सरकार ने गुजरात में अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने को लेकर भी कई प्रयास किए जिनमें अहमदाबाद और गांधीनगर, सूरत और भरूच को डिवेलप करना शामिल था। इतना ही नहीं लोकल बॉडी के मजबूत फाइनेंशियल स्टेटस की वजह से शहरी आधारभूत संरचना बेहतर होती गई और गुजरात लगातार विकास के रास्ते पर आगे बढ़ता रहा।

20: मोदी विजन…नारीशक्ति की राज्य और राष्ट्र के उत्थान में अग्रणी भूमिका 
एक शासक और व्यक्तित्व के तौर पर नरेन्द्र मोदी का हमेशा से विजन रहा है कि नारीशक्ति राज्य और राष्ट्र के उत्थान में अग्रणी भूमिका निभा सकती है। सीएम से लेकर पीएम बनने तक उन्होंने न सिर्फ महिलाओं के उत्थान पर जोर दिया, बल्कि उनके लिए कई बेहद सफल योजनाएं भी लेकर आए। साल 2004-2005 में महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर मोदी सरकार ने बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कन्या केलवणी योजना सहित शाला प्रवेशोत्सव अभियान चलाया, जिसमें अधिकारियों और मंत्रियों को गांवों तक भेजकर ज़मीन पर उतारने का सफल प्रयास किया। मोदी सरकार ने बेटी बचाओ अभियान के लिए लिंग अनुपात पर विशेष जोर दिया। इतना ही नहीं हर स्कूल में शौचालय की व्यवस्था सुनिश्चित की ताकि लड़कियों की शिक्षा में आने वाली दिक्कतों को दूर किया जा सके। विकास के तमाम आयाम को छूने और उसे सफल बनाकर राज्य को विकास के पथ पर आगे बढ़ाने में कामयाब मोदी गुजरात को विकास का पर्याय बनाने में पूरी तरह कामयाब रहे। इसलिए पिछले दो दशकों से गुजरात देश के लिए नजीर और विकास का पर्याय बन चुका है।

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