प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के तहत केंद्रीय मंजूरी और निगरानी समिति की 53 वीं बैठक में 56,368 मकानों के निर्माण को मंजूरी दी गई। केन्द्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि वर्ष 2022 तक एक करोड़ 12 लाख घरों की कुल मांग में से लगभग एक करोड़ 11 लाख घरों की अब तक मंजूरी दी गई है। उन्होंने बताया कि 73.10 लाख घरों के नींव का काम पूरा हो गया है और 42.70 लाख मकान लाभार्थियों को सौंपे गए हैं। कोरोना महामारी के दौरान केंद्रीय मंजूरी और निगरानी समिति की यह तीसरी बैठक थी। आवास और शहरी विकास मंत्रालय ने 2022 तक देश में सभी लाभार्थियों को पक्के मकान बनाकर देने का लक्ष्य रखा है।
56,368 more houses sanctioned under @PMAYUrban in the 53rd CSMC Meeting today.
Out of the total validated demand of 1.12 cr under the different verticals of PM @narendramodi Ji’s visionary mission to provide #HousingForAll by 2022 nearly 1.11 cr homes are now sanctioned.
— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) February 22, 2021
The mission continues to spread hope & happiness.
73.10 lakh houses have now been grounded.
Work is progressing on schedule.42.70 lakh houses have been handed over to the beneficiaries.
— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) February 22, 2021
समय से पहले पूरा होगा एक करोड़ घर निर्माण का लक्ष्य
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साल 2022 तक देश के हर परिवार को घर देने का वादा किया है। 2022 तक सभी के लिए मकान सुनिश्चित करने के लक्ष्य को लेकर 25 जून, 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) शुरू की गई थी। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत सन 2022 तक एक करोड़ घर के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन जिस तेजी से काम चल रहा है उससे यह लक्ष्य समय सीमा से पहले ही हासिल कर लिया जाएगा।
सभी को घर उपलब्ध कराने के मिशन लक्ष्य समय से आगे
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत वर्ष 2022 तक सभी को घर उपलब्ध कराने के मिशन लक्ष्य समय और निर्धारित लक्ष्य से आगे हैं। इसके तहत 1.1 करोड़ से भी अधिक घरों के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है। योजना के तहत 41 लाख से अधिक मकान बनाए जा चुके हैं और 70 लाख से अधिक मकानों का निर्माण विभिन्न चरणों में है। इन घरों के निर्माण में नई प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक कदम
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक उपाय के रूप में घरों को महिला के नाम पर या संयुक्त स्वामित्व में उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) की क्रेडिट से जुड़ी सब्सिडी योजना के तहत 18 लाख प्रतिवर्ष तक की आय के मध्यम आय वर्ग के परिवारों को पहली बार घरों के लिए धनराशि उपलब्ध कराई जा रही है। घर के कारपेट एरिया को बढ़ाकर 200 वर्गमीटर कर दिया गया है। 2005-2019 के दौरान सीएलएसएस के तहत 6.32 लाख से अधिक लोगों ने इससे लाभ उठाया है।
आधारभूत सुविधाओं पर जोर
योजना में वैश्विक जलापूर्ति, सीवरेज ढांचे में सुधार, बच्चों का विकास, दिव्यांगों के अनुकूल हरे पार्कों और खुली जगह, पानी की निकासी और गैर-मोटर चालित शहरी यातायात में सुधार पर जोर दिया गया है। 77,640 करोड़ रुपये लागत की राज्य योजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है। इसमें से 39,011 करोड़ रुपये जल आपूर्ति परियोजनाओं, 32,456 करोड़ रुपये सीवरेज और सेप्टिक टैंकों, 2,969 करोड़ रुपये स्टॉर्म जल निकासी के लिए, 1,436 करोड़ रुपये गैर-मोटरीकृत शहरी परिवहन के लिए तथा 1,768 करोड़ रुपये हरे स्थानों और पार्कों के लिए मंजूर किए गए हैं। इन पहलों से 22 करोड़ से अधिक शहरी आबादी को लाभ पहुंचा है।
हर घर जल की सुविधा
जल संकट से जल सुरक्षा की ओर बढ़ने के लिए 33,900 करोड़ रुपये लागत की 1,132 परियोजनाओं को लागू किया जा रहा है। हर घर में स्वच्छ पानी के लिए नल कनेक्शन उपलब्ध कराए जाएंगे। मिशन के अंत तक सभी परिवारों को जल की आपूर्ति सुलभ होगी। अपशिष्ट जल को रिसाइकिल और पुनर्उपयोग के लिए सीवरेज एवं सेप्टी टैंक प्रबंधन परियोजनाओं पर काम चल रहा है। स्वस्थ जीवन शैली के लिए हरी-भरी जगह जुटाने के लिए पार्कों का विकास किया जा रहा है। इन पार्कों में महिलाओं, बच्चों और दिव्यांगजनों की अनुकूल सुविधाएं जुटाई गई हैं।
अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी और सूचना प्रौद्योगिकी के जरिए निगरानी
बेहतर गुणवत्ता के आवासों के तेजी से निर्माण के लिए लाभार्थियों के खातों में प्रत्यक्ष हस्तांतरण के जरिए आईटी-डीबीटी के जरिए सहायता राशि मुहैया कराई गई है। अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी और सूचना प्रौद्योगिकी के जरिए घरों के निर्माण की पूरी प्रक्रिया की निगरानी की जा रही है। लाभार्थियों के मकानों के निर्माण कार्य के विभिन्न चरणों पर नजर रखी जा रही है। राज्यों ने निर्माण सामग्री को रियायती दामों पर उपलब्ध कराने के लिए कई कदम उठाए हैं, ताकि आवासों का निर्माण कार्य और उसकी गुणवत्ता प्रभावित न हों। कुछ राज्यों में इस योजना के तहत कलस्टर और कॉलोनियां भी बनाई गई हैं, जिससे आमतौर पर भूमिहीन लाभार्थी लाभांवित होंगे। इन आवासों का निर्माण दिल्ली के यूएनडीपी-आईआईटी ने किया है और संबंधित राज्यों के लाभार्थियों को यह सुविधा दी गई है कि वे अपनी पसंद के अनुरूप आवासों का डिजाइन चुन सकें।
सस्ते मकान क्षेत्र में जबरदस्त तेजी
प्रधानमंत्री आवास योजना पीपीपी मोड के आधार पर चल रही है। ऐसा अनुमान है कि इस कारण सस्ते आवासीय क्षेत्र में जबरदस्त तेजी आने वाली है। कई हाउसिंग कंपनियों के अनुसार ग्राहकों का जबरदस्त आकर्षण दिख रहा है। पीएमएवाई के तहत केंद्र सरकार ने मध्यम आयवर्ग के लोगों के लिए दो नई योजनाएं शुरू की। इन योजनाओं के तहत 9 लाख रुपये तक के आवास ऋण पर ब्याज में 4 फीसदी और 12 लाख रुपये के आवास ऋण पर ब्याज में 3 फीसदी छूट दी गई है।
गुणवत्तापूर्ण मकानों के लिए राजमिस्त्री प्रशिक्षण कार्यक्रम
इतना ही नहीं, गुणवत्तापूर्ण आवास के निर्माण के लिए प्रशिक्षित राजमिस्त्री की आवश्यकता होती है। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण राजमिस्त्री प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया। ग्रामीण राजमिस्त्री प्रशिक्षण कार्यक्रम 11 राज्यों में शुरू किए गए हैं। इसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी गुणवत्ता वाले आवासों का निर्माण संभव होगा। साथ ही देश में कुशल कारिगरों की संख्या बढ़ेगी। प्रशिक्षित राजमिस्त्रियों को रोजगार के अच्छे अवसर मिलेंगे।
मकानों के 168 प्रकार के डिजाइन
जो भी मकान बने, वह गरीब को सक्षम और सशक्त बनाने के लिए हो, इसको ध्यान में रखते हुए यूएनडीपी-आईआईटी दिल्ली ने आवासों के विभिन्न डिजाइन तैयार किए हैं। 15 राज्यों के लिए स्थानीय जलवायु और स्थानीय निर्माण सामग्री को ध्यान में रखते हुए बने। इसके लिए इस योजना के तहत 168 प्रकार के डिजाइन को सरकार ने मंजूरी दी है। इन डिजाइनों में से कोई भी डिजाइन प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थी चुन सकते हैं और मकान बनवा सकते हैं। इन आवास डिजाइनों को केन्द्रीय आवास शोध संस्थान, रुडकी ने भी मंजूरी दी है। इन आवास डिजाइनों में लागत कम आती है तथा ये आपदा प्रतिरोधी भी हैं।
पीएमएवाई के तहत बनने वाले प्रत्येक पक्के घर में शौचालय, गैस कनेक्शन, बिजली आपूर्ति, पेयजल आपूर्ति आदि सुविधाओं से ग्रामीण भारत की तस्वीर बहुत तेजी से बदल रही है।