चीन में महामारी बनकर फैला घातक कोरोना वायरस अब दुनिया के लिए संकट बनकर उभरा है। भारत के कई नागरिक भी चीन में फंस गए हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चीन में फंसे भारतीयों के लिए देवदूत बनकर सामने आए हैं। पीएम मोदी ने चीन में फंसे भारतीयों को राहत देते हुए, उनकी सकुशल वापसी सुनिश्चित की है। एयर इंडिया के दूसरे विशेष विमान से 323 भारतीयों के साथ-साथ मालदीव के सात नागरिकों को भी भारत लाया गया। अब तक 647 लोगों को चीन से बाहर निकाला जा चुका है।
मालदीव ने पीएम मोदी का जताया आभार
मालदीव के नागरिकों को भी वुहान से भारत लाए जाने पर मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने ट्वीट कर पीएम मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर का आभार जताया। इसके अलावा मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने कहा कि ‘वुहान (चीन) में फंसे मालदीव के 7 नागरिक एअर इंडिया की विशेष उड़ान पर दिल्ली पहुंचे। उन्हें दिल्ली में ही इलाज के लिए एक निश्चित अवधि तक रखा जाएगा। इसके लिए पीएम नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर का आभार प्रकट करता हूं।’
My thanks and gratitude to PM @narendramodi, EM @DrSJaishankar and the Government of India for expeditiously evacuating the 7 Maldivians residing in Wuhan, China. This gesture is a fine example of the outstanding friendship and camaraderie between our two countries. https://t.co/2kdWLmYqft
— Ibrahim Mohamed Solih (@ibusolih) February 2, 2020
पहले बैच में आए 324 लोग
इससे पहले चीन के वुहान शहर से निकाले गए 324 भारतीयों का पहला बैच शनिवार को एयर इंडिया के जंबो बी 747 विमान से दिल्ली पहुंचा। उन्हें सेना और आईटीबीपी के आइसोलेशन सेंटर में रखा गया है। यहां 14 दिनों तक सभी लोगों को डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा।
आईटीबीपी के विशेष केंद्र में रखा गया
विमान 211 छात्र, 110 नौकरी पेशा और तीन नाबालिगों को लेकर सुबह 7.30 बजे दिल्ली पहुंचा। इसमें से 104 लोगों को दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के छावला इलाके में आईटीबीपी के विशेष सुविधा केंद्र में रखा गया है। आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक कुमार पांडेय ने बताया कि यहां आए कुल 324 लोगों में से 88 महिलाएं, 10 पुरुष और छह बच्चे शामिल हैं।
मोदी सरकार ने हेल्पलाइन नंबर जारी किया
कई देशों में कोरोना के लक्षण वाले केस सामने आ रहे हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है, लिहाजा मोदी सरकार एहतियात बरत रही है। मोदी सरकार ने कोरोना वायरस को लेकर एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। कोरोना वायरस को लेकर जानकारी के लिए कोई भी नागरिक दिए गए नंबर पर कॉल कर सकता है। सामाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक कोरोना से निपटने के लिए कैबिनेट सचिव राजीव गाबा की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई। इसमें कोरोना से निपटने के लिए हर संभव प्रयासों पर चर्चा की गई।
इन नंबरों पर मांग सकते हैं मदद
इससे पहले चीन में फंसे भारतीय छात्रों की मदद के लिए तीसरी हॉट लाइन शुरू की गई थी, जिसका नंबर +8618610952903 है। कोरोना वायरस के वुहान में तेजी से फैलने के बाद वहां फंसे भारतीय छात्रों की मदद के लिए पहले ही दो हॉट लाइन शुरू की गई थी। ये दोनों हॉट लाइन क्रमश: 8618612083629 और 8618612083617 है। भारतीय एंबेसी चीन सरकार के साथ लगातार संपर्क में है ताकि वुहान में फंसे भारतीय छात्रों को कोई परेशानी नहीं हो। साथ ही उन फंसे भारतीयों को चीन से निकालने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं।
मोदी सरकार अलर्ट
इसके पहले सरकार ने दिल्ली समेत देश के सात हवाई अड्डों पर थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था की ताकि अगर चीन या हांगकांग से लौटे किसी शख़्स में संक्रमण के असर दिखते हैं तो उसकी तुरंत जांच कराई जा सके।
भारत सरकार की एडवाइजरी
मोदी सरकार ने चीन से लौट रहे लोगों के लिए ट्रेवल एडवाइजरी जारी की है। एडवाइजरी के मुताबिक चीन से लौटने पर 14 दिनों तक-
- घर में अलग थलग रहें।
- अलग कमरे में रहें।
- केवल परिवार से सम्पर्क में रहे।
- बाहर आने जाने वालों से सम्पर्क न करें।
मरने वालों की संख्या बढ़कर 304
चीन में फैले घातक कोरोना वायरस संक्रमण के कारण मरने वालों की संख्या बढ़कर 304 हो गई है और इससे 14,380 लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग (एनएचसी) के अनुसार सभी लोगों की मौत हुबेई प्रांत में हुई है। आयोग ने बताया कि शनिवार को इस संक्रमण के 4,562 नए संदिग्ध मामले सामने आए। 315 मरीज गंभीर रूप से बीमार हो गए और 85 लोगों को स्वास्थ्य सुधार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। आयोग ने बताया कि कुल 2,110 मरीजों की हालत गंभीर बनी हुई है और कुल 19,544 लोगों के इस वायरस से संक्रमित होने का संदेह है।
प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार कई देशों में इसी तरह के अभियान चलाकर विपत्ति में फंसे लोगों की मदद कर चुकी है। डालते हैं एक नजर-
मोदी सरकार ने कराई सऊदी अरब में फंसे लोगों की वतन वापसी
पूरी दुनिया में जहां कहीं भी भारतीय मुसीबत में होती है, मोदी सरकार प्राथमिकता के आधार पर उनकी मदद करती है। 19 जून, 2019 को ही मोदी सरकार ने सऊदी अरब में फंसे भारतीयों की सकुशल वतन वापसी कराई। दरअसर सऊदी अरब में दो कंपनियों की आपसी लड़ाई में सैंकड़ों भारतीय वहां फंस गए थे। मोदी सरकार की पहल पर 1200 भारतीय वतन वापस लाए गए। इनमें 500 के लगभग पंजाबी थे। वतन लौटे पंजाबियों ने वापसी के लिए प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया।
जालंधर में वापस लौटे रूप लाल, करमजीत सिंह, सुरिदरजीत सिंह, कुलविंदर सिंह ने बताया कि पांच महीने तक कंपनी ने उन्हें बंधक बनाए रखा। वीजा न होने के कारण वापसी का कोई रास्ता नहीं था। पांच महीने तक वेतन नहीं मिला। जिस कंपनी में काम करने गए थे वह दो कपनियों की साझेदारी थी। कंपनियों में विवाद का असर हजारों कर्मचारियों पर पड़ा। कुछ लोग तो दूसरी कंपनियों में शिफ्ट हो गए उन्हें तो काम मिल गया लेकिन जो शिफ्ट नहीं हो पाए वह पांच महीने तक नारकीय जीवन जीते रहे। बाद में इन लोगों ने भारत में मौजूद नेताओं की मदद से पीएमओ में संपर्क किया और मोदी सरकार की पहल के बाद उनकी पतन वापसी संभव हो पाई।
तूफान प्रभावित मोजाम्बिक में राहत अभियान
आज दुनिया में कहीं भी कोई आपदा आने पर भारत से मदद की उम्मीद की जाती है। भारत ने खतरनाक चक्रवाती तूफान का सामना कर रहे मोजांबिक में 192 से ज्यादा लोगों को बचाया। तूफान प्रभावित अफ्रीकी देश मोजाम्बिक में नौसेना के जवानों ने देवदूत बनकर वहां के लोगों की मदद की। इसके अलावा 1,381 लोगों का मेडिकल कैंपों में इलाज किया गया।
विदेश मंत्रालय के अनुसार इडाई तूफान ने मोजाम्बिक, जिंबाब्वे और मलावी में भारी तबाही मचाई। मोजाम्बिक के अनुरोध पर भारत ने तत्काल नौसेना के तीन जहाजों को मदद के लिए रवाना किया। आईएनएस सुजाता, आसीजीएस सारथी और आईएनएस शार्दुल ने तत्काल तूफान प्रभावित देश में लोगों को मानवीय सहायता मुहैया कराई। नौसेना का एक और जहाज आईएनएस मगर को राहत सामग्री लेकर मोजाम्बिक रवाना किया गया।
इंडोनेशिया में ऑपरेशन समुद्र मैत्री
पिछले साल अक्तूबर, 2019 में इंडोनेशिया में आए भूकंप और सुनामी के कारण भारी तबाही हुई है। प्रधानमंत्री मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विदोदो के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद भारत ने वहां ऑपरेशन ‘समुद्र मैत्री’ शुरू किया। भारत ने वहां भूकंप और सुनामी पीड़ितों की सहायता के लिए दो विमान और नौसेना के तीन पोत भेजें।इन विमानों में सी-130 जे और सी-17 शामिल था। सी-130 जे विमान से तंबुओं और उपकरणों के साथ एक मेडिकल टीम भेजी गई। सी-17 विमान से तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए दवाएं, जेनरेटर, तंबू और पानी आदि सामग्री भेजी गई।
भारत से भेजे गए हैवी फ्लडपंप से निकाला गया था गुफा का पानी
थाईलैंड में थैल लुआंग गुफा में अंडर-16 फुटबाल टीम के 12 बच्चे और कोच के फंसने के बाद पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया। दुनिया में अब तक के सबसे जोखिम भरे राहत और बचाव अभियान में ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, अमेरिका समेत तमाम देशों ने अपने विशेषज्ञ भेजे, पर इनसे कोई बात नहीं बनी तो थाईलैंड की सरकार ने भारत की मोदी सरकार से मदद की गुहार की। मोदी सरकार ने बगैर समय गंवाए भारतीय इंजीनियरों को मदद करने का निर्देश दिया। भारत सरकार के आदेश पर केबीएस का हैवी फ्लडपंप महाराष्ट्र के सांगली जिले स्थित किर्लोस्कर समूह की कंपनी से भेजा गया। भारत से हैवी कैबीएस फ्लडपंप थाईलैंड पहुंचने के बाद, गुफा में पानी का स्तर कम किया गया। पानी का स्तर कम होने के बाद ही गोताखोरों का काम आसान हुआ और तीन दिनों के कठिन ऑपरेशन के बाद सभी बच्चों और उनके कोच को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।
यमन संकट के दौरान विश्व ने माना भारत का लोहा
जुलाई 2015 में यमन गृहयुद्ध की चपेट में था और सुलगते यमन में पांच हजार से ज्यादा भारतीय फंसे हुए थे। बम गोलों और गोलियों के बीच हिंसाग्रस्त देश से भारतीयों को सुरक्षित निकालना मुश्किल लग रहा था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कुशल नेतृत्व और विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह के सम्यक प्रबंधन और अगुआई ने कमाल कर दिया। भारतीय नौसेना, वायुसेना और विदेश मंत्रालय के बेहतर समन्वय से भारत के करीब पांच हजार नागरिकों को सुरक्षित निकाला गया वहीं 25 देशों के 232 नागरिकों की भी जान बचाने में भारत को कामयाबी मिली। इस सफलता ने विश्वमंच पर भारत का लोहा मानने के लिए सबको मजबूर कर दिया।
मालदीव के लोगों की प्यास बुझाई
दिसंबर 2014 में मालदीव का वाटर प्लांट जल गया और पूरे देश में पीने के पानी की किल्लत हो गई। वहां त्राहिमाम मच गया और आपातकाल की घोषणा कर दी गई। तब भारत ने पड़ोसी का फर्ज अदा किया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने त्वरित फैसला लिया। मालदीव को पानी भेजने का निर्णय कर लिया गया और इंडियन एयर फोर्स के 5 विमान और नेवी शिप के जरिये पानी पहुंचाया जाने लगा।
नेपाल भूकंप में राहत का अद्भुत उदाहरण
27 अप्रैल, 2015 को नेपाल की धरती में हलचल हुई और आठ हजार से ज्यादा जानें एक साथ काल के गाल में समा गईं। जान के साथ अरबों रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ सो अलग। हलचल नेपाल में हुई लेकिन दर्द भारत को हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई और नेपाल के लिए भारत की मदद के द्वार खोल दिए। नेपाल में जिस तेजी से मदद पहुंचाई गई वो अद्भुत था। भारतीय आपदा प्रबंधन की टीम ने हजारों जानें बचाईं। सबसे खास रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय का नेपाल सरकार से बेहतरीन समन्वय रहा। प्रधानमंत्री मोदी की इस पहल की पूरे विश्व ने सराहना की।
सऊदी अरब में फंसे हजारों भारतीयों को निकाला
सऊदी अरब में गलत हाथों में जाकर फंसे करीब 20 हजार भारतीय तीन महीने के भीतर अपने वतन वापस लौट पाए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयास से सऊदी अरब सरकार ने भारतीयों को 90 दिन के लिए ‘राजमाफी’ दी है। ‘राजमाफी’ के तहत 20 हजार से ज्यादा लोगों ने भारत लौटने के लिए अर्जी दाखिल की थी।
श्रीलंका में रह रहे भारतीय मूल के लोगों के लिए बनाए घर
भारत ने श्रीलंका के चाय बागान में काम कर रहे भारतीय मूल के लोगों के लिए बनाए गए 404 घर उनको सौंप दिए। इसपर करीब 350 मिलियन अमेरीकी डॉलर की लागत आई। भारत द्वारा किसी भी देश में यह सबसे बड़ी घर परियोजना था। श्रीलंका में रहने वाले भारतीय मूल के तमिल अधिकतर चाय और रबड़ बागानों में काम करते हैं और उनके पास उचित घरों का अभाव है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने हमेशा से शांत, सुरक्षित और समृद्ध श्रीलंका का सपना देखा है जहां सब की प्रगति और विकास की आंकक्षाएं पूरी हों। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत अपनी नेबरहुड फर्स्ट नीति में श्रीलंका को एक विशेष स्थान पर बनाए रखेगा। उन्होंने यह भी कहा कि उम्मीद है कि अतिरिक्त 10000 घरों का निर्माण जल्द से जल्द पूरा कर लिया जाएगा। 60,000 घरों में से अब तक 47,000 के करीब पूरे हो चुके हैं।