Home नरेंद्र मोदी विशेष किसानों पर मेहरबान मोदी सरकार, पिछले एक दशक में एमएसपी पर गेहूं,...

किसानों पर मेहरबान मोदी सरकार, पिछले एक दशक में एमएसपी पर गेहूं, दलहन और तिलहन की खरीद पर हुए 18.39 लाख करोड रुपये खर्च, कई योजनाओं से बढ़ी आय

SHARE

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अन्नदाताओं को सिर्फ देश के चार स्तंभों और सबसे बड़ी जातियों में से एक ही नहीं मानते, बल्कि उनके कल्याण में भी निरंतर जुटे हुए हैं। पिछले एक दशक में किसानों के हित में जितने फैसले लिए गए हैं, वैसा आजादी के बाद पहली की सरकारों में कभी नहीं हुआ। किसानों का जीवन स्तर और बेहतर बनाने के लिए मोदी सरकार के पिछले 10 साल के कार्यकाल में कृषि क्षेत्र में बैंक कर्ज में तेजी से वृद्धि हुई है। पिछले एक दशक में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं, दलहन और तिलहन की खरीद पर हुए 18.39 लाख करोड रुपये खर्च किए हैं। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि समेत कई योजनाओं से किसानों की आय में इजाफा हो रहा है। हाल ही में मोदी सरकार ने गन्ना खरीद की दरें भी बढ़ाकर 340 रुपये प्रति क्विंटल कर दी हैं।एक दशक में किसानों से एमएसपी पर खरीद पर खर्च का बना रिकॉर्ड
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर के मीडिया को बताया कि केंद्र सरकार ने पिछले 10 साल के दौरान किसानों से एमएसपी पर धान, गेहूं, दलहन और तिलहन की खरीद पर 18.39 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इससे पहले एक दशक में एमएसपी पर खरीद में इतनी धनराशि कभी खर्च नहीं की गई है। हकीकत यही है कि किसानों के कल्याण के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने जितनी प्रतिबद्धता दिखाई है, उनके हित और आय बढ़ाने के लिए जितनी योजनाएं लाई है। इससे पहले आजादी के बाद बनी किसी भी सरकार ने किसानों का इतना भला नहीं किया है। कृषि मंत्रालय की जानकारी के मुताबिक कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण 2023-24 (31 जनवरी, 2024 तक) में 20.39 लाख करोड़ रूपये दिया गया है। यह कर्ज 12.68 करोड़ खातों को दिया गया। यह कर्ज किसानों की अल्पकालिक कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए दिया गया है। पिछले साल 31 मार्च तक 73,470,282 सक्रिय किसान क्रेडिट कार्ड खाते थे।

बजट में तय 20 लाख करोड़ रुपये के कृषि ऋण का लक्ष्य हुआ पार
बैंकों ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 की अप्रेल-जनवरी अवधि के दौरान कर्ज के रूप में 20.39 लाख करोड़ रुपए का वितरण किया है, जबकि पूरे 2013-14 में किसानों को 7.3 लाख करोड़ रुपए का कर्ज दिया गया था। सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में कृषि ऋण लक्ष्य 20 लाख करोड़ रुपए निर्धारित किया था। बैंक पहले ही लक्ष्य पार कर चुके हैं और इस वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 22 लाख करोड़ रुपए को पार कर सकता है। कृषि मंत्रालय ने किसानों को सालाना सात प्रतिशत के कम ब्याज पर कृषि ऋण उपलब्ध कराने के लिए तीन लाख रुपए तक के अल्पकालिक फसल कर्ज को लेकर ब्याज छूट योजना लागू की हुई है। योजना के तहत बैंकों को उनके संसाधनों के उपयोग पर प्रतिवर्ष दो प्रतिशत की ब्याज छूट दी जाती है। ऋण का समय पर भुगतान करने पर किसानों को 3% प्रोत्साहन दिया जाता है।

आइए जानते हैं अन्नदाताओं की आय बढ़ाने, उनका जीवन आसान और बेहतर बनाने के लिए मोदी सरकार ने कितने अभिनव प्रयोग किए हैं और उनके लिए कितनी योजनाएं लाई है…1. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 2.8 लाख करोड़ वितरित
मोदी सरकार ने यूं तो एक दशक में किसानों के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन इस सरकार की एक ही योजना ने छोटे और गरीब किसानों की तकदीर बदल दी। इस योजना का नाम है पीएम किसान सम्मान निधि योजना। मोदी सरकार की इस योजना का लाभ डायरेक्ट किसानों को मिलता है और बिचौलिए चाह कर भी उनका हक नहीं मार पाते हैं। इस योजना में किसानों को हर साल 6000 रुपये मिलते हैं। दरअसल, पीएम किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत केंद्र की मोदी सरकार की ओर से की गई है, जो किसानों को सालाना 6 हजार रुपये देती है। इस योजना के तहत देश का कोई भी किसान आवेदन कर सकता है। इस योजना के तहत 6000 की राशि तीन किस्त में दी जाती है, जो 4 महीने के अंतराल पर दी जाती है। इस योजना में अब किसानों को किसी के भरोसे नहीं बैठना पड़ता है। मोदी सरकार ने यह योजना 2019 में शुरू की थी। पीएम किसान निधि के तहत 2.8 लाख करोड़ से अधिक की सम्मान निधि वितरित की जा चुकी है।2. 22 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में ऐतिहासिक वृद्धि
भारत सरकार कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों, राज्य सरकारों और संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के विचारों के आधार पर 22 अनिवार्य कृषि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करती है। आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जबकि किसी सरकार ने लागत मूल्य पर कम से कम 50 प्रतिशत रिटर्न की गारंटी सुनिश्चित करते हुए 22 फसलों की एमएसपी में ऐतिहासिक वृद्धि की है। इसके मुताबिक, सभी अनिवार्य फसलों, खरीफ, रबी और अन्य वाणिज्यिक फसलों के लिए एमएसपी को कृषि वर्ष 2018-19 से अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत के रिटर्न के साथ बढ़ाया गया है। पिछले 10 वर्षों में किसानों को धान और गेहूं की फसल के लिए एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के रूप में लगभग 18 लाख करोड़ रुपये मिले हैं। यह 2014 से पहले के 10 वर्षों की तुलना में 2.5 गुना अधिक है। पिछले दशक में तिलहन और दलहन उत्पादक किसानों को एमएसपी के रूप में सवा लाख करोड़ रुपये से ज्यादा मिले हैं।3. किसानों को वित्तीय सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
इस योजना की शुरुआत साल 2016 में शुरू की गई थी। इस योजना का उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं, कीटों और बीमारियों के कारण फसल के नुकसान के खिलाफ किसानों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है। पीएमएफबीवाई के तहत, किसानों को मामूली प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है, जिस पर सरकार द्वारा काफी सब्सिडी दी जाती है। प्रीमियम दरें फसल के प्रकार और जिस क्षेत्र में उगाई जाती हैं, उसके आधार पर तय की जाती हैं। केंद्र और राज्य सरकारें गैर-सब्सिडी वाली फसलों के लिए 50:50 के अनुपात में प्रीमियम सब्सिडी साझा करती हैं, जबकि सब्सिडी वाली फसलों के लिए, केंद्र सरकार उच्च सब्सिडी हिस्सेदारी प्रदान करती है। इस योजना की शुरुआत मोदी सरकार ने किसानों की समृद्धि के साथ-साथ आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर अच्छी फसल के लिए की। उचित समय पर लिए गए बीमा से किसान बिन मौसम वर्षा और जलभराव जैसे कारणों से होने वाले आर्थिक नुकसान की स्थिति में अपना बचाव कर सकते हैं।4. e-NAM (इलेक्ट्रॉनिक – राष्ट्रीय कृषि बाजार) से कृषि व्यापार में क्रांति
2016 में लॉन्च किया गया, e-NAM एक इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल है जो पूरे भारत में कृषि बाजारों को एकीकृत करता है. यह किसानों को अपनी उपज ऑनलाइन बेचने, प्रतिस्पर्धी कीमतों की खोज करने और देश भर के खरीदारों से जुड़ने में सक्षम बनाता है. इस डिजिटल प्लेटफॉर्म ने कृषि व्यापार में क्रांति ला दी है, बिचौलियों को खत्म कर दिया है, पारदर्शिता सुनिश्चित की है और किसानों को उचित बाजार पहुंच प्रदान की है. eNAM ने 1389 मंडियों को रजिस्टर्ड किया है, और 1.8 करोड़ किसानों को 3 लाख करोड़ रुपये की ट्रेडिंग मात्रा के साथ सेवाएं प्रदान कर रहा है। अब तक 8,000 से ज्यादा किसान उत्पादक संगठन बनाए जा चुके हैं।

5. प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र यानि एक छत के नीचे कई सुविधा
अगस्त 2022 के दौरान शुरू की गई उर्वरक विभाग की एक पहल है। एक ही छत के नीचे उचित मूल्य पर उर्वरक, बीज, कीटनाशक जैसे गुणवत्तापूर्ण कृषि इनपुट प्रदान करते हैं। यह मृदा परीक्षण सेवाएं भी प्रदान करता है और किसानों को उनकी कृषि प्रथाओं और उपज में सुधार के लिए सलाहकार सेवाएं प्रदान करता है। अब तक सरकार 1.75 लाख से अधिक प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र स्थापित कर चुकी है।

6. सॉइड हेल्थ कार्ड योजना में 23.50 करोड़ से ज्यादा कार्ड वितरित
साल 2015 में मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई योजना देश के सभी किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करने में राज्य सरकारों की सहायता के लिए शुरू की गई। मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को उनकी मिट्टी में पोषक तत्वों की स्थिति के बारे में तथ्यपरक पूरी जानकारी देते हैं। साथ ही मिट्टी के स्वास्थ्य और उसकी उर्वरता में सुधार के लिए पोषक तत्वों की उचित खुराक का सुझाव भी देते हैं। इससे किसानों की उत्पादकता में वृद्धि हुई है। अब तक देश के करोड़ों किसानों को यह कार्ड वितरित किया जा चुका है। 2014-15 से, देश भर में कुल 8272 सॉइल परीक्षण प्रयोगशालाएँ स्थापित की गई हैं। अब तक किसानों को 23.50 करोड़ से ज्यादा मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किये जा चुके हैं।

7. लागत कम करने के लिए नीम कोटेड यूरिया उर्वरक योजना
नीम कोटेड यूरिया मोदी सरकार लोक-लुभावन बातों के बजाए हकीकत में किसानों के कल्याण में जुटी हुई है। यही वजह है कि फसल में उर्वरकों की लागत को कम करने के लिए मोदी सरकार यह योजना लाई। यूरिया के उपयोग को कम करने, फसल के लिए नाइट्रोजन की उपलब्धता बढ़ाने के साथ-साथ उर्वरक की लागत को कम करने के लिए मोदी सरकार ने इस योजना की शुरुआत की। नीम कोटेड यूरिया उर्वरक के रिलीज को धीमा कर देता है और इसे फसल को प्रभावी तरीके से उपलब्ध कराता है। नीम कोटिंग करने से यूरिया की खपत 10 परसेंट तक कम हो गई है।

8. परंपरागत कृषि विकास योजना से जैविक खेती को बढ़ावा
देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना लागू की गई है। इसे 2015 में लॉन्च किया गया। इससे मिट्टी के स्वास्थ्य और कार्बनिक पदार्थ की मात्रा में सुधार हुआ है और किसान की शुद्ध आय में बढ़ोत्तरी भी हुई है। इस योजना के अंतर्गत खेती का क्लस्टर बनाकर जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाता है। इस योजना में किसानों को लाभार्थी बनाया जाता है।

9. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जल प्रबंधन का व्यापक कार्यक्रम
साल 2015 में 1 जुलाई को हर खेत को पानी के नारे के साथ प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की शुरुआत की गई। इस योजना का उद्देश्य पानी की बर्बादी को कम करने और पानी के उपयोग में सुधार करना है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) सिंचाई और जल प्रबंधन के लिए जरूरी संसाधन प्रदान करने का एक व्यापक कार्यक्रम है। इसमें सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) और प्रति बूंद अधिक फसल (पीडीएमसी) घटक जैसी अलग-अलग योजनाएं शामिल हैं। इस योजना का उद्देश्य जल उपयोग दक्षता में सुधार करना और सिंचाई कवरेज को बढ़ावा देना है। यह योजना ना केवल सिंचाई के लिए स्त्रोत बनाने पर ध्यान केंद्रित करती है, बल्कि पानी बचाने और सुरक्षित सिंचाई के माध्यम से सूक्ष्म स्तर पर फसलों को पानी उपलब्ध कराने पर जोर देती है।

10. वित्तीय जरूरतों को पूरी करती किसान क्रेडिट कार्ड योजना
किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना भारत में एक सरकारी पहल है जिसका उद्देश्य किसानों को कृषि और संबंधित गतिविधियों के लिए लोन सुविधाएं प्रदान करके वित्तीय सहायता प्रदान करना है। यह योजना देश भर के विभिन्न सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंकों द्वारा संचालित किया जाता है। किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत, पात्र किसानों को एक क्रेडिट कार्ड जारी किया जाता है, जो विभिन्न कृषि जरूरतों जैसे कि बीज, उर्वरक, कीटनाशक, मशीनरी खरीदने और अन्य खर्चों को कवर करने के लिए लोन और क्रेडिट की मदद ले सकते हैं। केसीसी पर क्रेडिट सीमा किसान की भूमि जोत और की जाने वाली फसलों या गतिविधियों के आधार पर निर्धारित की जाती है।

11. पशुधन बीमा योजना से बीमारियों और आपदाओं में सुरक्षा
पशुधन बीमा योजना भारत में सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना है। जिसका उद्देश्य पशुपालकों और किसानों को प्राकृतिक आपदाओं, बीमारियों या दुर्घटनाओं के कारण अपने मूल्यवान पशुओं के नुकसान के खिलाफ वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है। यह योजना पशुधन पालन को बढ़ावा देने और पशुपालन में लगे किसानों की आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद करती है। यह योजना आम तौर पर पशुधन की विभिन्न श्रेणियों को कवर करती है, जिनमें मवेशी, भैंस, भेड़, बकरी, सूअर और बहुत कुछ शामिल हैं। यह दुर्घटनाओं, बीमारियों या प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाली मृत्यु जोखिमों से सुरक्षा प्रदान करता है।12. प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना बढ़ा रही है रोजगार के अवसर
एक व्यापक योजना है जिसमें मेगा फूड पार्क, एकीकृत कोल्ड चेन और मूल्य संवर्धन अवसंरचना, खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता आश्वासन अवसंरचना इत्यादि जैसी मंत्रालय की चल रही योजनाएं शामिल हैं। सम्पदा का अर्थ यहां ‘कृषि-समुद्री प्रसंस्करण और विकास योजना’ है। कृषि-प्रसंस्करण क्लस्टरों की प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना से 38 लाख किसानों को लाभ हुआ है और 10 लाख रोजगार पैदा हुए हैं। सरकार एकत्रीकरण, आधुनिक भंडारण, कुशल आपूर्ति श्रृंखला, प्राथमिक और माध्यमिक प्रसंस्करण और विपणन और ब्रांडिंग सहित फसल कटाई के बाद की गतिविधियों में निजी और सार्वजनिक निवेश को बढ़ावा दे रही है।13. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना से 40 मिलियन किसानों को लाभ
2015 में शुरू की गई, पीएमकेवीवाई का उद्देश्य किसानों और ग्रामीण युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना है। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) द्वारा कार्यान्वित, इस योजना ने 40 मिलियन से अधिक किसानों और ग्रामीण युवाओं को आवश्यक कृषि कौशल से लैस करके, उत्पादकता में सुधार और रोजगार के अवसर पैदा करके उन्हें सशक्त बनाया है।

14. प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना बदल रही मछुआरों का जीवन
रुपये के अनुमानित निवेश पर भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र के सतत और जिम्मेदार विकास के माध्यम से नीली क्रांति लाने की एक योजना है। मछुआरों के कल्याण सहित मत्स्य पालन क्षेत्र के समग्र विकास के लिए केंद्र सरकार ने 20050 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जिससे मछुआरे के जीवन में बड़ा सुधार आया है।

15. डेयरी विकास और पशुपालन के लिए योजनाएं
भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है लेकिन दुधारू पशुओं की उत्पादकता कम है। किसानों के लिए आय का दूसरा साधन पशुधन ही है। इसे देखते हुए मोदी सरकार पशुपालन के लिए कई योजनाएं लाई है। ताकि पशुओं के साथ-साथ किसानों का भी कल्याण हो सके। डेयरी विकास और पशुपालन का यह कार्यक्रम राष्ट्रीय गोकुल मिशन, राष्ट्रीय पशुधन मिशन और डेयरी प्रसंस्करण और पशुपालन जैसी योजनाओं को सशक्त करने के लिए बनाया गया है।

16. नकदी फसलों के लिए विशेष व्यवस्था से व्यापार बढ़ा
परंपरागत खेती के साथ-साथ नकदी फसलों के जरिए किसानों को समृद्ध करने के लिए सरकार ने विशेष व्यवस्था मोदी सरकार ने की है। राष्ट्रीय कृषि बाजार और ग्रामीण कृषि बाजार के जरिए बांस, पान के पत्ते, नारियल, स्वीट कॉर्न जैसी फैसलों का व्यापार 3.19 लाख करोड़ तक पहुंचा। बुनियादी ढांचा विकास के लिए एक लाख करोड़ का कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड स्थापित किया गया।

17. वन ड्रॉप मोर क्रॉप से बन रही सिंचाई की उज्ज्वल तस्वीर
मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान फसल बीमा योजना के तहत कवर एरिया में रिकार्ड बढ़ोत्तरी हुई। खासतौर पर वन ड्रॉप मोर क्रॉप कार्यक्रम की बड़ी चर्चा हुई। इस कार्यक्रम के तहत राज्यों को 18726.61 रुपये आवंटित किए गए। 5000 करोड़ का सूक्ष्म सिंचाई कोष स्थापित किया गया। 78.47 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली में शामिल किया गया।

18. स्टार्ट अप के साथ महिलाओं को ड्रोन देने की योजना
बीते चार साल में नॉलेज पार्टनर्स और एग्री बिजनेस इनक्यूबेटर्स द्वारा 1,524 स्टार्ट अप का चयन किया गया। इन्हें 106.25 करोड़ रुपये जारी किए गए और 5 नॉलेज पार्टनर्स के साथ 24 कृषि व्यवसाय इनक्यूबेटरों को मंजूरी दी गई। खेती में ड्रोन के प्रयोग को एतिहासिक बढ़ावा मिला। महिला स्वयं सहायता समूहों को अगले दो साल में ड्रोन उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया।

19. तकनीक को दिया बढ़ावा और किसान रेल की शुरुआत
कृषि क्षेत्र में तकनीक को बढ़ावा देने के लिए कृषि यंत्रीकरण एवं फसल अवशेष प्रबंधन को 6405.55 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है। किसानों को सब्सिडी पर 15,23,650 मशीनें और उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं। किसानों को किराए पर कृषि उपकरण देने की व्यवस्था की गई। इसके अलावा कृषि उत्पादों को खराब होने से बचाने और बेहतर कीमत दिलाने के लिए किसान रेल की शुरुआत की गई। परिवहन भाड़े में किसानों को 45 फीसदी सब्सिडी दी गई। अन्न श्री की उपज को प्रोत्साहित करने के लिए भी सरकार ने कई योजनाएं और कार्यक्रम बनाए।

20. पीएम किसान मानधन योजना से वृद्धावस्था में मिली सामाजिक सुरक्षा
पीएम किसान मानधन योजना के तहत मोदी सरकार ने वृद्धावस्था में किसानों के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित कराई है। इसका लाभ 18 से 40 वर्ष की उम्र के किसानों को मिल रहा है। इसमें उम्र के हिसाब से हर महीने 55 से 200 रुपये का अंशदान करने पर 60 वर्ष की उम्र के बाद 3,000 रुपये मासिक या 36000 रुपये वार्षिक पेंशन मिलने का प्रावधान है। यदि किसी किसान की मृत्यु हो जाती है, तो योजना के तहत किसान के पति/पत्नी पेंशन का 50% पाने के हकदार होंगे। पारिवारिक पेंशन पति-पत्नी दोनों पर लागू होता है। एक अन्य योजना पीएम किसान सम्मान निधि के तहत सरकार किसानों को प्रति वर्ष 2,000 रुपये की 3 किस्त में 6,000 रुपये देती है। अगर पेंशन स्कीम पीएम किसान मानधन में भाग लेते हैं, तो रजिस्टर करना आसान होगा। किसान आंदोलन का उद्देश्य, मास्टरमाइंड और राजनीतिक फायदे…
बड़ा सवाल यही है कि आखिरकार आजादी के बाद किसी सरकार ने किसानों की इतनी सुध ली है। इसके बावजूद वे आंदोलन पर बार-बार उतारू क्यों हो रहे हैं? इन आंदोलनों के लिए उन्हें आर्थिक मदद कहां से मिल रही है? आंदोलन के पीछे के असली में मास्टरमाइंड कौन हैं? क्या ये आंदोलन विशुद्ध मोदी विरोधी राजनीति से प्रेरित हैं? पिछले किसान आंदोलन की पड़ताल करें तो पाएंगे कि तब नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ जारी किसान आंदोलन कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे मुल्कों में बसे कुछ प्रवासी भारतीय, जिनमें ज्यादातर सिख थे, ने किसानों के पक्ष में रैलियां कीं। ये वही देश हैं, जहां खालिस्तान समर्थक अपनी जड़ें जमाने में लगे हैं और खालिस्तानी आतंक को हवा देने में लगे हैं। उनका छिपा एजेंडा किसानों का कल्याण नहीं, बल्कि अपने नापाक मंसूबों को पूरा करने के खाद-पानी तैयार करना है। उन्हें पता है कि मोदी सरकार के रहते वे कभी भी अपनी कोशिशों में कामयाब नहीं हो सकते। इसलिए गाहे-बगाहे सरकार के खिलाफ आंदोलनों की आग को भड़काने का काम करते रहते हैं।यूपीए ने किसानों के साथ धोखा किया, अब आप उनको भड़का रही है
किसानों को लेकर जहां तक एनडीए और यूपीए सरकार की तुलना की बात है तो यूपीए के दौरान तो सीएजी की रिपोर्ट में ही खुलासा हो गया था कि मनमोहन सिंह सरकार में 2008 की किसानों की कर्ज माफी योजना में कितना बड़ा गड़बड़ घोटाला हुआ था। सीएजी के मुताबिक जो किसान कर्ज माफी के हकदार थे, उनमें से काफी तो योजना से महरूम ही रह गए और कांग्रेस और उनके अफसरों ने ऐसे लोगों को लाभ दे दिया जो कर्ज माफी योजना के हकदार ही नहीं थे। सीएजी ने ही जांच के दौरान 20 हजार से ज्यादा मामलों में धांधली पाई। इसी प्रकार कई कांग्रेसी राज्य सरकारों की कर्ज माफी की घोषणा के बावजूद अन्नदाता कर्ज के बोझ तले दबे रहे। 

Leave a Reply