प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज 24 फरवरी को नई दिल्ली के भारत मंडपम में सहकारिता क्षेत्र की कई परियोजनाओं सहित ‘ई-पैक्स से अन्न भंडारण तक’ कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज भारत मंडपम ‘विकसित भारत’ की अमृत यात्रा में एक और बड़ी उपलब्धि का साक्षी बन रहा है। सहकार से समृद्धि का जो संकल्प देश ने लिया है, उसे साकार करने की दिशा में आज हम और आगे बढ़ रहे हैं। आज हमने अपने किसानों के लिए दुनिया की सबसे बड़ी स्टोरेज स्कीम या भंडारण स्कीम शुरू की है। इसके तहत देश के कोने-कोने में हजारों वेयर-हाउसेस बनाए जाएंगे, हजारों गोदाम बनाए जाएंगे। आज 18 हजार पैक्स के कंप्यूटराइजेशन का बड़ा काम भी पूरा हुआ है। ये सभी काम देश में कृषि इनफ्रास्ट्रक्चर को नया विस्तार देंगे, कृषि को आधुनिक टेक्नालजी से जोड़ेंगे।
#Watch | BharatMandapam | आज हमने अपने किसानों के लिए दुनिया की सबसे बड़ी स्टोरेज स्कीम या भण्डारण स्कीम शुरू की है इसके तहत देश के कोने कोने में हज़ारों गोदाम बनाएं जायेंगे आज 18000 PACS के कम्प्यूटराइजेशन का बड़ा काम भी पूरा हुआ है। – @narendramodi @AmitShah @MinOfCooperatn pic.twitter.com/w43wj2t6dq
— SansadTV (@sansad_tv) February 24, 2024
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘सहकारिता केवल एक व्यवस्था नहीं है। सहकारिता एक भावना है, सहकारिता एक स्पिरिट है। सहकार की ये स्पिरिट कई बार व्यवस्थाओं और संसाधनों की सीमाओं से परे आश्चर्यजनक परिणाम देती है। सहकार, जीवनयापन से जुड़ी एक सामान्य व्यवस्था को बड़ी औद्योगिक क्षमता में बदल सकता है। ये देश की अर्थव्यवस्था के, खासकर ग्रामीण और कृषि से जुड़ी अर्थव्यवस्था के कायाकल्प का एक प्रमाणिक तरीका है।’
सहकारिता केवल एक व्यवस्था नहीं है।
सहकारिता एक भावना है, एक स्पिरिट है।
FPOs के माध्यम से आज गाँव के छोटे किसान भी उद्यमी बन रहे हैं।मा॰ प्रधानमंत्री श्री @narendramodi#सहकार_मित्र_मोदी pic.twitter.com/RNYUo63VPd
— Lallu Singh (@LalluSinghBJP) February 24, 2024
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘सहकारिता की ताकत क्या होती है, गुजरात में मुख्यमंत्री के रूप में मैंने इस ताकत को अनुभव किया है। गुजरात में अमूल की सफलता की गाथा आज पूरी दुनिया जानती है। हम सब दुनिया भर के बाजार में पहुंच चुके लिज्जत पापड़ के बारे में भी जानते हैं। इन सभी आंदोलनों को मुख्य रूप से देश की महिलाओं ने ही लीड किया है। आज देश में भी डेयरी और कृषि में सहकार से किसान जुड़े हैं, उनमें करोड़ों की संख्या में महिलाएं ही हैं। महिलाओं के इसी सामर्थ्य को देखते हुए सरकार ने भी सहकार से जुड़ी नीतियों में उन्हें प्राथमिकता दी है। आप जानते हैं कि हाल में ही मल्टी स्टेट कोआपरेटिव सोसायटी ऐक्ट में सुधार लाया गया है। इसके तहत मल्टी स्टेट कोआपरेटिव सोसायटी के बोर्ड में महिला डायरेक्टर्स का होना अनिवार्य कर दिया गया है। ‘
आज देश में भी डेयरी और कृषि में सहकार से किसान जुड़े हैं, उनमें करोड़ों की संख्या में महिलाएं ही हैं।
महिलाओं के इसी सामर्थ्य को देखते हुए सरकार ने भी सहकार से जुड़ी नीतियों में उन्हें प्राथमिकता दी है: पीएम @narendramodi जी pic.twitter.com/iH3whiWCCr
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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘विकसित भारत के लिए भारत की कृषि व्यवस्थाओं का आधुनिकीकरण भी उतना ही जरूरी है। हम कृषि क्षेत्र में नई व्यवस्थाएं बनाने के साथ ही पैक्स जैसी सहकारी संस्थाओं को नई भूमिकाओं के लिए तैयार कर रहे हैं। ये समितियां अब प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र का भी काम कर रही हैं। इनके द्वारा हजारों प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र भी संचालित हो रहे हैं। हमने सहकारी समितियों को पेट्रोल और डीजल के रिटेल आउटलेट में भी बदला है। कई समितियों पर एलपीजी सिलिंडर भी मिलने लगे हैं। कई गांवों में पैक्स पानी समितियों की भूमिका भी निभा रही हैं। यानी, पैक्स की, ऋण समितियों की उपयोगिता भी बढ़ रही है, उनकी आय के साधन भी बढ़ रहे हैं। यही नहीं, सहकारी समितियां अब कॉमन सर्विस सेंटर के तौर पर गाँवों में सैकड़ों सरकारी सुविधाएं भी दे रही हैं। अब कम्प्यूटर के जरिए ये समितियां टेक्नालजी और डिजिटल इंडिया से जुड़े अवसरों को और बड़े स्तर पर किसानों तक पहुंचाएंगी। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी बनेंगे।’
उन्होंने कहा, ‘गांव की आय बढ़ाने में सहकारिता का बहुत बड़ा योगदान हो सकता है। हमने तो डेयरी सेक्टर में एक स्पष्ट बदलाव होते हुए देखा है। अभी पिछले तीन दिन से मैं कहीं न कहीं सहकारी क्षेत्र कार्यक्रम में ही रहता हूं। पहले गया अहमदाबाद में अमूल के 50 साल हुए थे। फिर कल बनारस में था काशी में वहां बनारस डेयरी का उद्धघाटन किया था। बनारस का अनुभव है कि वहां डेयरी सहकारिता के आने से बहनों की पशुपालकों की आय एक दम तेजी से बढ़ रही है।’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘पैक्स को, सहकारी समितियों को एक दूसरे से सीखना भी होगा। बहुत सी सहकारी संस्थाए इनोवेटिव काम करती हैं। कई इनिशिएटिव लेती हैं। देश के कई इलाकों में इसका पता नहीं होता है। क्या हम बेस्ट प्रेक्टिसिस को शेयर करने के लिए कोई कॉमन पोर्टल बना सकते हैं। और सब लोग अपने नए-नए अनुभव, नए-नए तरीके उस पर अपलोड करत जाएं। इन बेस्ट प्रेक्टिसिस को आगे कैसे बढ़ाया जाए इसके लिए ऑनलाइन ट्रेनिंग की व्यवस्था हो, कोई मॉड्यूल बने।’