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मुगल काल की तरह हिंदू विरोधी कांग्रेस सरकार कर्नाटक में मंदिरों से वसूलेगी जजिया कर, मंदिर ट्रस्ट में गैर हिंदू को शामिल करने का षडयंत्र

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कांग्रेस पार्टी कितनी हिंदू विरोधी है इसे देश ने कांग्रेस के 60 साल से अधिक के शासनकाल में झेला है। आज जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के विरासत स्थलों को नई ऊंचाई दे रहे हैं वैसे वक्त में भी कांग्रेस के हिंदू विरोधी काम आए दिन दिखते रहते हैं। अब कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने एक और हिंदू विरोधी काम किया है। कर्नाटक सरकार ने 21 फरवरी को विधानसभा में हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक (Karnataka Hindu Religious Institutions and Charitable Endowments Bill 2024) पारित किया। इसके मुताबिक, जिन मंदिरों का राजस्व एक करोड़ रुपये से ज्यादा है, सरकार उनकी आय का 10 प्रतिशत टैक्स लेगी और मंदिर ट्रस्ट में गैर हिंदू भी शामिल हो सकेंगे। यानि जिस तरह मुगल काल में मुगल आक्रमणकारी हिंदुओं से जजिया वसूलते थे कांग्रेस भी उसी तरह हिंदुओं से जजिया टैक्स वसूल रही है। ऐसे में हिंदुओं को जागरूक होने की जरूरत है और कांग्रेस को भारतीय राजनीति से सदा के लिए अलविदा कहने की जरूरत है।

मंदिरों से मिले 450 करोड़, मुस्लिम और ईसाई को दिए 330 करोड़ 
कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार कितनी हिंदू विरोधी है उसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि 16 फरवरी, 2024 को राज्य का बजट पेश किया। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए राजस्व घाटे का बजट पेश करने के बावजूद सीएम सिद्धारमैया ने खुलकर अल्पसंख्यकों के धार्मिक कार्यों के लिए पैसा लुटाया। 3.71 लाख रुपये के इस बजट में वक्फ संपत्तियों के लिए 100 करोड़ रुपये और भव्य हज हाउस के लिए 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। इसी तरह ईसाई समुदाय के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। यानि कांग्रेस सरकार ने अपने बजट में मुस्लिम और ईसाई समुदाय के लिए 330 करोड़ रुपये का प्रावधान किया। जबकि कर्नाटक के करीब 400 मंदिरों से हिंदू भक्तों द्वारा दिया जाने वाला सालाना औसतन दान 450 करोड़ रुपये सरकार के खजाने में जाता है। यानि हिंदुओं के 450 करोड़ में से 330 करोड़ रुपये मुस्लिम और ईसाई समुदाय को दे दिए गए।

मंदिरों की दानराशि का दुरुपयोग आस्था के साथ धोखा
कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष विजयेंद्र येदियुरप्पा ने ने कहा कि ‘ये सरकार मंदिरों की एक करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई पर 10 प्रतिशत टैक्स लगाएगी, ये और कुछ नहीं गरीबी है। श्रद्धालुओं द्वारा दिया जाने वाला चंदा मंदिरों के पुनर्निर्माण और श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं बढ़ाने और समाज कल्याण में इस्तेमाल होना चाहिए, लेकिन अगर ये किसी अन्य उद्देश्य से आवंटित किया जाता है तो ये लोगों की आस्था के साथ धोखा होगा।’ येदियुरप्पा ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि सरकार सिर्फ हिंदू मंदिरों को ही क्यों निशाना बना रही है। विधेयक के अनुसार, जिन मंदिरों का राजस्व एक करोड़ रुपये से ज्यादा है, उन पर 10 फीसदी टैक्स लगेगा। वहीं जिन मंदिरों का राजस्व 10 लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक है, उन पर 5 प्रतिशत टैक्स लगेगा।

हिंदू मंदिरों का अध्यक्ष मुस्लिम-ईसाई को बनाने का षडयंत्र
एक तरफ जहां भाजपा की सरकार मंदिरों का कायाकल्प करने का काम निरंतर कर रही है, वहीं कांग्रेस की कर्नाटक सरकार मंदिरों पर टैक्स लगाने का धर्म विरोधी निर्णय ले रही है। टीपू शैतान के नक्शेकदम पर कर्नाटक में कांग्रेस सरकार जजिया टैक्स लगा रही है और हिंदू मंदिरों का अध्यक्ष मुस्लिम व ईसाई बनाने का षड्यंत्र रच रही है। दिलचस्प बात यह है कि कर्नाटक सरकार ने केवल मंदिरों पर ही यह नियम लागू किया है, चर्च और मस्जिदों पर नहीं। इससे इनकी मंशा समझी जा सकती है।

कांग्रेस पार्टी हिंदुओं के साथ गद्दारी पर उतरीः स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती
अखिल भारतीय संत समिति ने कर्नाटक सरकार द्वारा मंदिरों पर कर लगाए जाने को कांग्रेस का ‘जजिया कर’ करार दिया है और इसकी कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि यह संविधान का उल्लंघन और हिंदुओं के धर्म स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है। समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि कर्नाटक सरकार ने मंदिरों के ऊपर एक करोड़ से कम की राशि की आय पर 5 प्रतिशत और एक करोड़ से ऊपर की राशि पर 10 प्रतिशत कर लगाए जाने का विधेयक विधानसभा में पारित कर दिया है। उन्होंने इसे जजिया कर करार देते हुए कहा कि यह देश का पहला मामला है जहां धर्म के आधार पर टैक्स लगाने की शुरूआत की गई है। स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि कांग्रेस पार्टी हिंदुओं के साथ गद्दारी पर उतर आई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी पूरे देश में मोहब्बत की दुकान खोलते हुए घूम रहे हैं, लेकिन कर्नाटक में उनकी पार्टी हिंदुओं के खिलाफ विधेयक पारित कर रही है।

कांग्रेस को हिंदी से नफरत, उर्दू से प्रेम
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को हिंदी से नफरत है लेकिन उर्दू से बहुत प्यार है। कर्नाटक सरकार ने ऑर्डर निकाला था कि सभी बोर्ड कन्नड़ में होंगे और इंग्लिश की भी इजाजत दिया था लेकिन शर्त यह थी की इंग्लिश के साथ कन्नड़ भी होगा। लेकिन भटकल नगर पालिका का बोर्ड उर्दू में लिखवा दिया गया था क्योंकि भटकल मुस्लिम बहुल एरिया था। फिर लोगों ने कर्नाटक सरकार के ही आदेश को मुद्दा बनाकर आंदोलन किया तब जाकर कर्नाटक सरकार ने बड़े दुखी मन से भटकल नगर पालिका में लगे उर्दू को हटाया।

इस्लाम नहीं कबूल करने पर 68 स्कूल को बम से उड़ाने की धमकी
कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार में मुस्लिम जिहादी किस तरह का आतंक मचा रहे हैं उसे इस बात से समझा जा सकता है कि 68 स्कूल के बच्चों को इस्लाम कबूल करने के लिए धमकाया गया। इस्लाम नहीं कबूल करने पर स्कूल को बम से उड़ाने की धमकी दी गई। बेंगलुरु में 1 दिसंबर 2023 को 68 निजी विद्यालयों को एक ई-मेल मिला जिसमें उनके परिसर में बम होने का दावा किया गया। ई-मेल मिलने के बाद स्कूल के कर्मचारी और छात्रों के अभिभावक घबरा गए। इसके बाद छात्रों और कर्मचारियों को स्कूल परिसरों से तुरंत बाहर निकाल लिया गया।

मंदिरों की व्यवस्था हिन्दू समाज के हाथ में क्यों नहीं
यदि मस्जिदों की व्यवस्था मुसलमानों के हाथ में है और चर्च की व्यवस्था ईसाई समाज के हाथ में है, तो मठों और मंदिरों की व्यवस्था हिन्दू समाज के हाथ में क्यों नहीं, उनपर सरकारी नियंत्रण क्यों होना चाहिए?

मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त होना चाहिए
जाने-माने कानूनविदों का मानना है कि मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त होना चाहिए और इनका प्रबंधन धर्माचार्यों की अनुमति से तय व्यवस्था से हो। सरकार मंदिरों के प्रशासन को नियमित कर सकती है लेकिन उसे मंदिरों पर कब्जा कर लेने का कोई हक नहीं है। देश के पूर्व न्यायधीशों व अधिवक्ताओं ने मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण को अवैध करार दिया।

मंदिर प्रशासन की स्वतंत्र व्यवस्था हो
सरकारी नियंत्रण इसलिए भी ठीक नहीं है क्योंकि सरकार में प्रशासन से लेकर राजनेता तक सभी लोग बदलते रहते हैं। कई बार गैर हिंदू या नास्तिक भी प्रभावी पद पर आ सकते हैं। ऐसे में मंदिरों का संचालन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। मंदिर में आने वाले चढ़ावे व संपत्तियों का दुरुपयोग हो रहा है और मंदिर से इतर गतिविधियों में इस्तेमाल हो रहा है। धर्माचार्यों की अनुमति से सरकार मंदिरों के प्रशासन को नियमित करने की स्वतंत्र व्यवस्था विकसित करे।

समाज कल्याण के दान करते हैं हिंदू
हिंदू कितना भी आर्थिक रूप से कमजोर हो, लेकिन फिर भी अपनी जिस देवस्थान में आस्था रखता है वहां कुछ न कुछ भेंट चढ़ाता ही है ताकि उन पैसों का सहीं इस्तेमाल होगा और सत्कर्म में लगेगा जिससे उसका और उसके परिवार का कल्याण होगा। लगभग सभी हिंदू मंदिरों या आश्रमों में जाकर यह मानकर दान करते हैं कि उनके दान के पैसे से धर्म, राष्ट्र और समाज के उत्थान के लिये कार्य होंगे। लेकिन दुख की बात है कि आज इन पैसों का दुरुपयोग हो रहा है। इसके प्रति हिंदुओं को जागरूक होने की जरूरत है।

पीएम मोदी कर रहे मंदिरों का विकास
एक तरफ कांग्रेस की सरकार मंदिरों पर टैक्स लगा रही है तो वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार खोई हुई सांस्कृतिक विरासत को फिर से हासिल करने और उनके संरक्षण की दिशा में उल्लेखनीय कर रही है। मजबूत भारत के संकल्प को साकार करने के लिए पीएम मोदी चौतरफा विकास पर ध्यान दे रहे हैं। देश की आर्थिक प्रगति के लिए पर्यटन के महत्व को समझते हुए वे धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थलों के साथ ही विरासत स्थलों के विकास पर खासा जोर दे रहे हैं। धार्मिक स्थलों के विकास से आई तरक्की काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से भी समझी जा सकती है जहां अब तक 12 करोड़ लोग पहुंच चुके हैं। देश में हिन्दू, बौद्ध, जैन, सिख, और सूफीवाद की तरह कई धर्मों का संगम है। वहीं उनके तीर्थस्थल भी हैं, ऐसे में घरेलू पर्यटन का विकास काफी हद तक तीर्थयात्रा पर्यटन पर निर्भर करता है, जोकि धार्मिक भावनाओं के द्वारा प्रेरित है। ऐसे में पीएम मोदी तीर्थयात्रा पर्यटन के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार पर जोर दे रहे हैं। सालों से यह स्थल बुनियादी सुविधाओं की कमी का सामना कर रहे थे। अब पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार इन स्थलों का पुरोद्धार कर रही है। लोग यहां धार्मिक भावनाओं की वजह से जाते रहे हैं। लेकिन अब जब सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है तो यहां पर्यटन बढ़ने के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी बढ़ रहे हैं।  

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