मोदी सरकार ने किसान आंदोलन को लेकर भड़काऊ ट्वीट्स करने वालों के खिलाफ कड़ा रूख अख्तियार किया है। सरकार ने 1,178 खातों को ब्लॉक करने के लिए माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर को एक और नोटिस भेजा है। सरकार को शक है कि ये अकाउंट्स खालिस्तान समर्थकों के हैं या फिर इन्हें पाकिस्तान से शह मिली है। ट्विटर पहले से ही किसान आंदोलन को लेकर अपने ‘दुरुपयोग’ को लेकर कटघरे में है। इससे भारत में ट्विटर के कारोबार पर संकट मंडराने लगा है।
मोदी सरकार ने ट्विटर से पहले 257 हैंडल्स को ब्लॉक करने की मांग की थी। यह 1178 अकांउट्स उससे अलग हैं। सूत्रों के मुताबिक, आईटी ऐक्ट की धारा 69ए के तहत दिए गए निर्देशों का ट्विटर ने अबतक पालन नहीं किया है। आईटी मिनिस्ट्री की तरफ से ताजा डिमांड गृह मंत्रालय और सुरक्षा एजेंसियों की एडवायजरी के बाद की गई है।
सूत्रों के मुताबिक जिन अकाउंट्स को ब्लॉक करने का ऑर्डर दिया गया है, वे खालिस्तान से हमदर्दी रखने वालों के हैं या जिन्हें पाकिस्तान से शह मिली हुई है और विदेशी धरती से ऑपरेट किए जा रहे हैं। इनमें से कई अकाउंट्स ऑटोमेटेड बॉट्स हैं जिनका इस्तेमाल किसान आंदोलन को लेकर गलत जानकरी फैलाने और भड़काऊ कंटेंट शेयर करने के लिए हो रहा था।
मोदी सरकार ने पहले ही सख्त चेतावनी दिया था कि अगर आदेश नहीं माने जाते है, तो उसके अधिकारियों को सात साल तक की जेल हो सकती है और कंपनी पर जुर्माना लगाया जा सकता है। मोदी सरकार और ट्विटर के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। इस बीच, ट्विटर इंडिया और साउथ एशिया की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर महिमा कौल ने इस्तीफा दे दिया है।
सरकार ने 257 अकांउट्स की जो पहली लिस्ट भेजी थी, उनको ब्लॉक करने के कुछ देर बाद ही ट्विटर ने अनब्लॉक कर दिया था। इसके बाद रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व वाली आईटी मिनिस्ट्री ने विस्तृत नोट भेजकर कंपनी से आदेश मानने को कहा था। सूत्रों के मुताबिक, 1 फरवरी को भेजे गए नोटिस में मंत्रालय ने कहा था, “ट्विटर एक इंटरमिडियरी है और सरकार का आदेश मानने को बाध्य है। इससे इनकार पर दंडात्मक कार्रवाई होगी।”