प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की सत्ता को संभालने के बाद हर क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ नीति को बढ़ावा दिया है। सरकार ने कई ऐसे कदम उठाए हैं, जिससे रक्षा क्षेत्र में भारत की ताकत लगातार बढ़ती जा रही है। जल, थल और नभ तीनों में भारत की मारक क्षमता के साथ-साथ निगरानी क्षमता भी बढ़ी है। केरल के कोच्चि स्थित फर्म ने पानी के भीतर काम करने में सक्षम देश के पहले रोबोटिक ड्रोन का विकास किया है, जो पानी के भीतर जहाजों और अन्य संरचनाओं का समय पर वीडियो भेज सकता है।
पानी के भीतर काम करने वाला देश का पहला ड्रोन विकसित
प्रधानमंत्री मोदी ने दूसरे क्षेत्रों के साथ ही रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में भी स्वदेशी को बढ़ावा दिया और विदेशी कंपनियों के बजाय स्वदेशी कंपनियों को तरजीह देने के निर्देश दिए। जिसका प्रभाव अब दिखाई देने लगा है। केरल के कोच्चि स्थित फर्म ने रिमोट कंट्रोल की मदद से नियंत्रित किया जाने वाला एक ड्रोन विकसित किया है, जिसे ‘आईरोवटुना’ नाम दिया गया है। इसका व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए उत्पादन किया जा रहा है। कंपनी ने अपना पहला रोबोट डीआरडीओ के नेवल फिजिकल ओसियनोग्राफी लेबोरेटरी (एनपीओएल) को सौंपा है।
पानी में 150 मीटर की गहराई तक काम करने में सक्षम
आईरोवटुना ड्रोन परियोजना को केरल स्टार्ट अप मिशन की विभिन्न योजनाओं के तहत मदद दी गई है। यह ड्रोन पानी के भीतर 150 फीट तक सटीकता से काम करता है। इससे समुद्र में बिछाए गए केबल की जांच आदि करने में मदद मिलेगी, क्योंकि गोताखोरों के द्वारा निरीक्षण करने में अधिक खर्च आता है।
‘मेक इन इंडिया’ से बनी ‘करंज’ पनडुब्बी
मेक इन इंडिया के तहत हाल ही में स्कॉर्पीन श्रेणी की तीसरी पनडुब्बी आईएनएस ‘करंज’ नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया। ‘करंज’ एक स्वदेशी पनडुब्बी है, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत तैयार की गई है। करंज पनडुब्बी कई आधुनिक फीचर्स से लैस है और दुश्मनों को चकमा देकर सटीक निशाना लगा सकती है। इस पनडुब्बी को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसे किसी भी तरह की जंग में संचालित किया जा सकता है। यह पनडुब्बी हर तरह के वॉरफेयर, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर और इंटेलिजेंस को इकट्ठा करने जैसे कामों को भी बखूबी अंजाम दे सकती है। कंरज पनडुब्बी 67.5 मीटर लंबी, 12.3 मीटर ऊंची, 1565 टन वजनी है।
पीएम मोदी ने लांच की थी आईएनएस ‘कलवरी’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत में बनी स्कॉर्पीन श्रेणी की पहली पनडुब्बी आईएनएस कलवरी को पिछले 14 दिसंबर, 2017 को लांच किया था। वेस्टर्न नेवी कमांड में आयोजित एक कार्यक्रम में पीएम मोदी की मौजूदगी में इस पनडुब्बी को नौसेना में कमीशंड किया गया था। इस पनडुब्बी ने केवल नौसेना की ताकत को अलग तरीके से परिभाषित किया, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के लिए भी इसे एक मील का पत्थर माना गया। कलवरी पनडुब्बी को फ्रांस की एक कंपनी ने डिजाइन किया था, तो वहीं मेक इन इंडिया के तहत इसे मुंबई के मझगांव डॉकयॉर्ड में तैयार किया गया।
P-75 प्रोजेक्ट के तहत बन रही हैं पनडुब्बी
P-75 प्रोजेक्ट के तहत मुंबई के मझगांव डॉक लीमिटेड में बनी कलवरी क्लास की पहली पनडुब्बी आईएनएस कलावरी है। कलवरी क्लास की 6 पनडुब्बी मुंबई के मझगांव डॉक में एक साथ बन रही हैं और मेक इन इंडिया के तहत इस प्रोजेक्ट को पूरा किया जा रहा है।
सेना के जवान अब पहनेंगे स्वदेशी बुलेट प्रूफ जैकेट
केंद्र सरकार ने हाल ही में सेना की जरूरतों को देखते हुए 1.86 लाख स्वदेशी बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदने के लिए अनुबंध किया है। सेना के लिए कारगर बुलेट प्रूफ जैकेटों की जरूरत को युद्ध क्षेत्र के लिए सफलतापूर्वक आवश्यक परीक्षण करने के बाद पूरा किया गया है। ‘भारत में बनाओ, भारत में बना खरीदो’ के रूप में इस मामले को रखा गया है। स्वदेशी बुलेट प्रूफ जैकेटें अत्याधुनिक हैं, जिनमें रक्षा का अतिरिक्त स्तर और कवरेज क्षेत्र है। श्रम-दक्षता की दृष्टि से डिजाइन की गई बुलेट प्रूफ जैकेटों में मॉड्यूलर कलपुर्जे हैं, जो लम्बी दूरी की गश्त से लेकर अधिक जोखिम वाले स्थानों में कार्य कर रहे सैनिकों को संरक्षण और लचीलापन प्रदान करते हैं। नई जैकेटें सैनिकों को युद्ध में पूरी सुरक्षा प्रदान करेंगी।
मेक इन इंडिया के तहत क्लाश्निकोव राइफल
मेक इन इंडिया के तहत अब दुनिया के सबसे घातक हथियारों में से एक क्लाश्निकोव राइफल एके 103 भारत में बनाए जाएंगे। असास्ट राइफॉल्स एके 47 दुनिया की सबसे कामयाब राइफल है। भारत और रूसी हथियार निर्माता कंपनी क्लाश्निकोव मिलकर एके 47 का उन्नत संस्करण एके 103 राइफल बनाएंगे। सेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इसे भारत में बनाया जाएगा। इसे भारत से निर्यात भी किया जा सकता है।
रक्षा क्षेत्र में स्टार्टअप शुरू करने पर जोर
अगस्त 2018 में बेंगलुरु में डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज का आयोजन किया गया था, जिसमें मोदी सरकार ने लेजर हथियारों और 4G लैन (लोकल एरिया नेटवर्क) जैसी 11 तकनीकी चुनौतियों को स्टार्टअप शुरू करनेवाले उद्यमियों के सामने रखा । इन चुनौतियों में ज्यादातर ऐसी हैं, जो सुरक्षा बलों से जुड़ी हैं। सरकार ने देश में स्टार्टअप को शुरू करने और उसे आगे बढ़ाने में सहयोग देने वाली केंद्र सरकार की नीति की घोषणा करते हुए उद्यमियों को रक्षा क्षेत्र में निवेश करने और इसमें हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया।
नीतिगत पहल और निवेश
रक्षा मंत्रालय आज जो स्वदेशी को बढ़ावा देकर करोड़ों रुपये की बचत कर रहा है, उसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपनाई गई नीतियां जिम्मेदार हैं। रक्षा उत्पादों का स्वदेश में निर्माण के लिए मोदी सरकार ने 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी दी हुई है। इसमें से 49 प्रतिशत तक की FDI को सीधे मंजूरी का प्रावधान है, जबकि 49 प्रतिशत से अधिक के FDI के लिए सरकार से अलग से मंजूरी लेनी पड़ती है।