कॉमेडी के नाम पर क्या किसी भी कॉमेडियन को किसी गणमान्य के अपमान की आजादी दी जा सकती है? कॉमेडी के नाम पर क्या किसी को अपना खतरनाक एजेंडा चलाने की अनुमति मिल सकती है? कॉमेडी के नाम पर क्या किसी मसखरे को किसी भावनाओ को ठेस पहुंचाने की इजाजत दी जा सकती है? और कॉमेडी के नाम पर किसी लेफ्ट लिबरल गैंग के स्लीपर सैल को राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों की स्वतंत्रता दी जा सकती है? निसंदेह इन सारे सवालों पर आपका जवाब होगा- बिल्कुल नहीं! कॉमेडियन कुणाल कामरा एक-दो नहीं उपरोक्त सारी गतिविधियों में संलिप्त है और इसके एक नहीं अनेक उदाहरण हैं। अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कामरा ने पहले भी कई करतब किए हैं, जिनसे वह विवादों में और सुर्खियों में आया है। लेकिन इस बार कामरा का दावं उल्टा पड़ा है। कामरा ने अपनी एक तुकबंदीनुमा कविता में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को ‘गद्दार’ करार दिया है। लेकिन इसका करारा जवाब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फणनवीस ने दिया है। इससे साफ हो गया है कि अब कामरा को कॉमेडी की आड़ में राजनीतिक रोटियाँ नहीं सेंकने दी जाएंगी। भले ही लेफ्ट-लिबरल गैंग उसकी कितनी ही हिमायत में क्यों ना उतर आए।
डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे को कामरा ने कविता में कहा गद्दार
दरअसल, स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने एक प्रोगाम में महाराष्ट्र की कथित पॉलिटिकल सिचुएशन पर तंज करते हुए एक व्यंग्यात्मक कविता सुनाई। इस कविता में उन्होंने ‘गद्दार’ शब्द का इस्तेमाल किया। इस शब्द के साथ कामरा ने डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे पर कटाक्ष किया। वीडियो वायरल होते ही शिवसेना (शिंदे गुट) के नेताओं और समर्थकों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई। इस कविता के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद शिवसेना कार्यकर्ताओं ने मुंबई के खार इलाके में ‘द यूनिकॉन्टिनेंटल’ होटल में तोड़फोड़ की। यहीं पर स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा के शो की शूटिंग की गई थी। इसके बाद विवाद बढ़ा और कामरा के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई है। तोड़फोड़ करने वाले कुछ शिवसैनिकों के खिलाफ भी एफआईआर हुई है, लेकिन उन्हें कुछ ही घंटों में जमानत मिल गई।
यह कोई पहली बार नहीं है, जबकि कॉमेडियन कुणाल कामरा विवादों में आए हों। इससे पहले भी उल्टी-सीधी हरकतों और कॉमेडी के चलते उनको परेशानी का सामना करना पड़ा है। पहले एक नजर कामरा के पिछले कुछ विवादों पर डालते हैं…
PM मोदी के वीडियो को किया मॉर्फ
मई 2020 में कुणाल कामरा ने प्रधानमंत्री मोदी के एक कार्यक्रम का मॉर्फ्ड वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया। यह वीडियो पीएम मोदी की जर्मनी यात्रा का था, जिसमें एक बच्चा गाना गा रहा था। कामरा ने इसमें बदलाव करते हुए गीत को ‘पीपली लाइव’ फिल्म के गाने से बदल दिया। इसके लिए कामरा की खूब थू-थू हुई। इसके बाद, बच्चे के पिता और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के दबाव में आखिरकार कामरा को वीडियो को डिलीट करना पड़ा।
इंडिगो ने छह माह का प्रतिबंध लगाया
साल 2020 में ही कुणाल कामरा और पत्रकार अर्नब गोस्वामी के बीच एक घटना घटी, जो खूब चर्चित हुई। इंडिगो की फ्लाइट में दोनों की मुलाकात हुई, और कामरा ने गोस्वामी की पत्रकारिता पर सवाल उठाए। इसके बाद, कामरा ने इसका वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर साझा किया, जो वायरल हो गया। इसके कारण इंडिगो ने कामरा पर छह महीने का प्रतिबंध लगा दिया, और यह प्रतिबंध अन्य एयरलाइंस तक फैल गया।
कामरा की SC पर अपमानजनक टिप्पणी
कुणाल कामरा ने सुप्रीम कोर्ट पर एक विवादास्पद टिप्पणी की थी, जिसे ब्राह्मण-बनिया से संबंधित बताया गया। इस टिप्पणी के बाद उनके खिलाफ अवमानना याचिका भी दायर की गई थी। कामरा ने यह टिप्पणी अपने शो “बी लाइक” में की थी, और इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी मिडिल फिंगर वाली फोटो भी शेयर की थी। इस पर अटॉर्नी जनरल ने इसे अपमानजनक और अश्लील मानते हुए अवमानना कार्यवाही की सहमति दी थी। यह विवाद तब हुआ था जब सुप्रीम कोर्ट ने अर्नब गोस्वामी को जमानत दी थी।सलमान खान पर चुटकुले
कुछ समय पहले कुणाल कामरा ने अपने स्टैंड-अप शो में सलमान खान पर मजाक उड़ाया। उन्होंने अभिनेता के काले हिरण शिकार मामले और 2002 के हिट-एंड-रन केस का जिक्र किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सलमान खान इस पर नाराज हैं और कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं। हालांकि, कामरा बचने की गलियां तलाश रहा है।
ओला इलेक्ट्रिक के भाविश अग्रवाल से बहस
कामरा और ओला इलेक्ट्रिक के CEO भाविश अग्रवाल के बीच सोशल मीडिया पर कई बार बहस हो चुकी है। एक बार भाविश ने ओला गीगाफैक्ट्री की फोटो पोस्ट की थी, जिसके जवाब में कामरा ने ओला स्कूटरों की एक फोटो शेयर की, जो सर्विस सेंटर पर खड़ी थीं। उन्होंने कंपनी की सर्विस की स्थिति पर सवाल उठाया। इस पर भाविश ने कामरा को चुनौती दी, कहा कि यदि कामरा इतना चिंतित हैं, तो वह आकर मदद करें या फिर चुप रहें। यह बहस काफी चर्चा में रही।
नाथूराम गोडसे पर वीएचपी को चिट्ठी
साल 2022 में, जब विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल ने गुरुग्राम में कुणाल कामरा के शो को रद्द कराने के लिए विरोध किया, तो उन्होंने VHP को खुला पत्र लिखा था। उन्होंने संगठन से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नाथूराम गोडसे की निंदा करने को कहा और चुनौती दी कि अगर वे ‘गोडसे मुर्दाबाद’ कहें।
Who is Kunal Kamra?
Most youngsters in this country think that he is just a comedian.
This small thread explains the agenda behind the latest controversy and reveals Kunal Kamra’s real identity.
Thread 👇 pic.twitter.com/Jj7hVtwVsu
— Vijay Patel (@vijaygajera) March 24, 2025
कुणाल कामरा लेफ्ट लिबरल गैंग का ही मोहरा मात्र
आखिर क्या वजह है कि कॉमेडियन कुणाल कामरा अक्सर विवादों को न्यौता देते हैं। आखिर क्यो वह बेवजह लोगों अपमानित करने के लिए पंगा लेता है? दरअसल वास्तविकता यह है कि कुणाल कामरा लेफ्ट लिबरल गैंग का ही मोहरा है। उसकी दोस्ती दिल्ली दंगों के मास्टरमाइंड उमर खालिद से लेकर कट्टर कट्टरपंथियों तक से है। वो एक बहुत शक्तिशाली इकोसिस्टम का हिस्सा है, जो बहुत करीब से काम करता है। कुणाल कामरा को आप योगेंद्र यादव, हर्ष मंदर, रवीश कुमार और अन्य सभी मार्क्सवादी को नदीम खान के साथ मिलकर काम करते हुए देख सकते हैं। इसे और अधिक समझने के लिए इस थ्रेड पर एक नजर डालना काफी होगा…
2. In his latest political propaganda video, he shows a photo of Radical Islamist and Delhi riots mastermind Umar Khalid at the end of the video.
But why? He is just a comedian, right?
Let me tell you the real reason. pic.twitter.com/L1KNna5com— Vijay Patel (@vijaygajera) March 24, 2025
2. कुणाल कामरा ने अपने नवीनतम राजनीतिक प्रचार वीडियो के अंत में कट्टरपंथी इस्लामवादी और दिल्ली दंगों के मास्टरमाइंड उमर खालिद की एक तस्वीर दिखाई है। लेकिन क्यों? वह सिर्फ एक कॉमेडियन है। तब उसका उमर खालिद के क्या कनेक्शन हो सकता है। इसकी असली वजह आपको इसी थ्रेड में पता चल जाएगी।
3. In reality, Kunal Kamra is an extremely close friend of Radical Islamist Umar Khalid.
He repeatedly supports his Jihadi friend. pic.twitter.com/CfgK9uhDH2— Vijay Patel (@vijaygajera) March 24, 2025
3. असलियत में, कुणाल कामरा कट्टरपंथी इस्लामवादी उमर खालिद का बेहद करीबी दोस्त है। वह बार-बार अपने जिहादी दोस्त का समर्थन करता है।
4. Now meet Nadeem Khan of the Radical outfit Jamat E Islami Hind.
Nadeem is also a close friend and partner of Delhi riots accused mastermind Umar Khalid and Khalid Saifi.
They were working as a team during the anti CAA protest. pic.twitter.com/L94kvu467a
— Vijay Patel (@vijaygajera) March 24, 2025
4. अब कट्टरपंथी संगठन जमात ए इस्लामी हिंद के नदीम खान से मिलिए। नदीम दिल्ली दंगों के आरोपी मास्टरमाइंड उमर खालिद और खालिद सैफी का भी करीबी दोस्त और साथी है। वे सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान एक टीम के रूप में काम कर रहे थे।
5. Nadeem Khan and his outfit use their propaganda power to save These Delhi Riots masterminds.
Comedian radicals like Kunal Kamra can be seen with them in closed conferences to support Radicals. pic.twitter.com/HO0FJFfmxX
— Vijay Patel (@vijaygajera) March 24, 2025
5. नदीम खान और उसका संगठन दिल्ली दंगों के मास्टरमाइंड को बचाने के लिए अपनी प्रचार शक्ति का इस्तेमाल करते हैं। कुणाल कामरा जैसे कॉमेडियन कट्टरपंथी इस्लामवादियों का समर्थन करने के लिए बंद और सम्मेलनों में उनके साथ अक्सर देखे जाते हैं।
6. Nadeem Khan and Kunal Kamra are also extremely close friends of Mohamed Zubair and Pratik Sinha, so he has been active in this planned propaganda since yesterday. pic.twitter.com/ru4YLly67N
— Vijay Patel (@vijaygajera) March 24, 2025
6. नदीम खान और कुणाल कामरा, मोहम्मद जुबैर और प्रतीक सिन्हा के भी बेहद करीबी दोस्त भी हैं, इसलिए वह आजकल इस सुनियोजित प्रचार में सक्रिय हैं।
7. A few days ago, @UnSubtleDesi Di reported from the court that Umar Khalid was using Altnews, The Wire, Swara Bhaskar, and others for propaganda. pic.twitter.com/k78f5hCyeW
— Vijay Patel (@vijaygajera) March 24, 2025
7. कुछ दिन पहले, @UnSubtleDesi ने अदालत को जानकारी दी कि उमर खालिद प्रचार के लिए Altnews, The Wire, स्वरा भास्कर और अन्य का इस्तेमाल कर रहा था। इन अन्य लोगों में कामरा भी शामिल है।
रेडिकल कॉमेडियन कुणाल कामरा के पक्ष में लेफ्ट इकोसिस्टम
इतना ही नहीं, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद को भी दिल्ली दंगों के पीछे मास्टरमाइंड बताया गया। यह एक बहुत शक्तिशाली इकोसिस्टम है जो बहुत करीब से काम करता है। आप योगेंद्र यादव, हर्ष मंदर, रवीश कुमार और अन्य सभी मार्क्सवादी को नदीम खान के साथ मिलकर काम करते हुए देख सकते हैं। अब देखिए कि सोशल मीडिया पर रेडिकल कॉमेडियन कुणाल कामरा का समर्थन कौन कर रहा है। आप पाएंगे कि यह पूरा इकोसिस्टम उनके समर्थन में है। इसलिए नहीं कि वे परस्पर समर्थन करते हैं, बल्कि इसलिए कि वे एक योजनाबद्ध टूलकिट के रूप में काम करते हैं।रेडियो जॉकी को रोकने वाली जया बच्चन मांग रहीं ‘फ्रीडम ऑफ़ स्पीच’
कुणाल कामरा की कविता और डिप्टी सीएम को गद्दार कहे जाने की चहुंओर आलोचना हो रही है। लेकिन कुछ मुठ्ठीभर लोग इस गैंग के भी हैं, जिन्हें गद्दार कविता और कुणाल कामरा की इस धृष्टता में ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ नजर आ रही है। कुणाल कामरा के समर्थन में वह लोग तक उतर आए हैं, जो कुछ सालों पहले तक सांसदों-विधायकों की मिमिक्री करने वालों का मुँह सिलने की वकालत करते थे। सपा की राज्यसभा सांसद जया बच्चन भी कुणाल कामरा के समर्थन में उतरी हैं। जया बच्चन ने पूछा है कि ‘फ्रीडम ऑफ़ स्पीच’ कहाँ है। आखिर ऐसे बोलने पर पाबंदी लगाई जाएगी तो मीडिया का क्या हाल होगा। वैसे तो भारतीय लिबरल ‘बोलने की आजादी’ जैसे शब्द का जाप दिन में 100 बार करते हैं लेकिन जया बच्चन के मुँह यह बात शोभा नहीं देती है। ऐसा इसलिए है क्यों कि यही श्रीमती बच्चन बोलने की आजादी को खत्म करने की वकालत कर रही थीं। वर्ष 2014 में जया बच्चन कह रहीं थी कि रेडियो जॉकी को सांसद-विधायकों की नक़ल करने से रोका जाए। उन्होंने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से इस पर रोक लगाने को कहा था। यानी तब बैन और अब ‘आजादी’ मांग रही हैं।कंगना रनौत के दफ्तर तोड़ा तो कामरा-राउत ने किया मजाक
लेफ्ट लिबरल गैंग का सबसे ज्यादा दोगलापन तो कुणाल कामरा का ही विक्टिम कार्ड खेलना होगा। इसी महायुति सरकार ने अभिनेत्री कंगना रनौत के दफ्तर पर बुलडोजर चलाया था। यह सब ‘अतिक्रमण’ के नाम पर की गई थी। आज जो कामरा आजादी का रोना रो रहे हैं, तब उन्होंने ही संजय राउत के साथ बुलडोजर के खिलौने मेज पर रख कर पॉडकास्ट किया था और अट्टाहास किया था। उन्होंने इस एक्शन को पूरा समर्थन दिया था। अब अगर उनके खिलाफ शिवसैनिक गुस्सा दिखा रहे हैं, तो वह विक्टिम क्यों बन रहे हैं। वास्तविकता में इस गैंग को ना किसी को अभिव्यक्ति की आजादी की पड़ी है, ना किसी को कलाकारों की रचनात्मकता की। बात है कि हम बोले तो ठीक और तुम बोलो तो गलत वाली। यह सिलेक्टिव अप्रोच हमेशा ही यह गैंग अपनाता आया है। इसके लिए लोकतंत्र तभी मरता है, जब इस गैंग का कोई कुछ उल्टा सीधा बोल कर कानून के शिकंजे में आया हो। जब बात दूसरे खेमे की हो तब ‘ऐसा नहीं बोलना चाहिए’ और ‘कानून अपना काम करेगा’ जैसी बातें होती हैं।
तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी की बात पर सूंघ गया था सांप
हाल ही में तेलंगाना में 2 महिला पत्रकारों पर सीएम रेवंत रेड्डी ने चाबुक चलाया था। उनके खिलाफ टिप्पणी पर रेड्डी ने कहा था, “यह मत सोचिए कि मैं चुप हूँ, क्योंकि मैं मुख्यमंत्री हूँ। मैं आपको नंगा कर दूंगा और आपको पीटूँगा। ऐसे लाखों लोग हैं, जो मेरे आह्वान पर आपको पीटने के लिए सड़कों पर उतर आएँगे। लेकिन, मैं अपने पद के कारण सहनशील बना हुआ हूँ।” एक कॉमेडियन के पीछे हाथ बाँध कर खड़ी इस जमात में से एक आदमी भी तब रेवंत रेड्डी के खिलाफ नहीं बोला था। ना ही उसने संविधान की चिंता जताई। जब मसखरे कामरा ने एकनाथ शिंदे पर अशोभनीय टिप्पणी की और उस पर कानूनी कार्रवाई होने लगी, तो संविधान तुरंत खत्म होने लगा। यही इस जमात का चाल और चरित्र है।