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वामपंथी और लिबरल मीडिया गैंग ने असम में हिन्दू युवक को मुस्लिम बताकर फिर फैलायी मॉबलिंचिंग की अफवाह, घटना को दिया सांप्रदायिक रंग

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वामपंथी और लिबरल मीडिया गैंग को अफवाह फैलाने में महारत हासिल है। झूठी खबरें शेयर कर हिन्दुओं और बीजेपी सरकारों को बदनाम करना ही इनकी पत्रकारिता का एकमात्र मिशन है। सशोल मीडिया प्लेटफॉर्म तो इनके काम को और आसान कर दिया है। इसके माध्यम में ये अपने नापाक मंसूबों को बड़ी आसानी और तेजी से पूरा करते हैं। अब सोशल मीडिया पर असम के तीनसुकिया जिले की एक घटना वायरल हो रही है, जहां एक व्यक्ति को जानवरों की चोरी के शक में भीड़ ने पीटा, जिसके बाद उसकी मौत हो गई।  फिर क्या था, इस गैंग को हिन्दुओं को बदनाम करने का एक और मौका मिल गया। 

ऑस्ट्रेलियाई लेखक सीजे वर्लमैन ने ‘द वायर’ खबर को शेयर करते हुए लिखा कि एक 28 साल के मुस्लिम व्यक्ति की ‘हिंदुत्व भीड़’ ने हत्या कर दी, वो भी गायों की चोरी का झूठा आरोप लगा कर। इसी तरह कुछ अन्य लोगों ने भी ऐसी ही खबर चलाई। इसके आधार पर ‘मुस्लिमों पर अत्याचार’ और ‘हिंदुत्व मॉब की क्रूरता’ वाला नैरेटिव फैलाया गया।

सीजे वर्लमैन ने जिस मुस्लिम युवक की पीट-पीटकर हत्या की बात कही थी, दरअसल मृतक युवक हिन्दू धर्म से था। लेकिन लिबरलगैंग ने इस घटना को हिन्दुओं के खिलाफ ही इस्तेमाल कर दिया। ‘द वायर’ ने तिनसुकिया के पुलिस अधीक्षक देबोजीत देओरी के हवाले से बताया कि पीड़ित की पहचान सरत मोरान (34) के रूप में की गई है, जो कोरदोईगुड़ी गांव के रहने वाले था। 

ये घटना शनिवार यानि 12 जून, 2021 को बाघजन पुलिस थानांतर्गत स्थित कोरजोंगा गाँव में घटित हुई थी। गाँव में दो लोगों की संदिग्ध गतिविधियों से ग्रामीणों में शक पैदा हुआ, जिसके बाद उन्होंने इन दोनों की खोज शुरू कर दी। ग्रामीणों ने दोनों को खदेड़ कर उनमें से एक को पकड़ लिया और उसकी पिटाई की। पुलिस को इस घटना की सूचना सुबह करीब साढ़े चार बजे मिली। पुलिस इसके बाद उस व्यक्ति को डूमडूमा सरकारी अस्पताल ले गई, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। मृतक कोर्दोईगूरी गांव का रहने वाला था।

तीनसुकिया के एसपी देबोजीत देओरी ने बताया कि ये चोरी के आरोप में लोगों के शक का नतीजा है। मृतक के शरीर पर कटे के कई निशान पाए गए। इस मामले में FIR दर्ज कर ली गई है। पीड़ित अपने एक दोस्त के यहां रात में रुका हुआ था। रात में ही उसे पकड़ लिया गया और रात भर बांध कर एक कमरे में रखा गया। भीड़ ने उसे प्रताड़ित भी किया था। पुलिस ने घटना के सिलसिले में 12 लोगों को हिरासत में लिया है। इस घटना में कोई भी सांप्रदायिक एंगल नहीं है, फिर भी सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई। 

 

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