प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 12 अक्टूबर को अपनी संपत्तियों का ब्योरा दिया, जिससे पता चलता है कि वे पैसों के निवेश और प्रबंधन के मामले में आम लोगों की तरह है। जून 2020 तक के आंकड़ों के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी 2.85 करोड़ रुपये के मालिक हैं, जिसमें चल और अचल संपत्तियां दोनों शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी को प्रति माह 2 लाख रुपये सैलरी मिलती है, उसमें से ज्यादातर की बचत करते हैं।
30 जून तक प्रधानमंत्री मोदी के पास कुल 1,75,63,618 रुपये की चल संपत्ति थी। उनके पास 30 जून को 31,450 रुपये कैश मौजूद था। पिछले साल के मुकाबले उनकी चल संपत्ति 26.26 प्रतिशत यानि 36.53 लाख रुपये बढ़ी है। इस बढ़त के पीछे उनके वेतन से हुई बचत और फिक्स्ड डिपॉजिट से मिले ब्याज का दोबारा निवेश मुख्य कारण हैं।
आइए अब देखते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पैसों का निवेश कहां-कहां किया है-
1. प्रधानमंत्री मोदी के बचत खाते में 3.38 लाख रुपये हैं।
2. कैश के नाम पर 30 जून को उनके पास 31,450 रुपये मौजूद थे
3. प्रधानमंत्री मोदी ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की गांधीनगर शाखा में फिक्स्ड डिपॉजिट कराया हुआ है।
4. इस FD की वैल्यू पिछले साल के 1,27,81,574 रुपये से बढ़कर अब 1,60,28,039 रुपये हो चुकी है। यानि सिर्फ FD से ही उनको 32.46 लाख रुपये का ब्याज मिला है।
5. प्रधानमंत्री मोदी इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड्स में भी निवेश करते हैं, जनवरी 2012 में उन्होंने 20 हजार रुपये का इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड खरीदा था, जो मैच्योर नहीं हुआ है।
6. प्रधानमंत्री मोदी ने नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट्स (NSC) में निवेश किया हैं। उनके पास 8,43,124 रुपये के NSC हैं।
7. इनके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने लाइफ इंश्योरेंस भी कराया हुआ है, बीमा का प्रीमियम हर साल 1,50,957 रुपये जाता है।
प्रधानमंत्री मोदी की अचल संपत्तियों में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है। ताजा डीटेल्स के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर गांधीनगर में एक मकान है जिसकी कीमत 1.1 करोड़ रुपये है। इस परिवार का मालिकाना हक प्रधानमंत्री मोदी और उनके परिवार को है। प्रधानमंत्री मोदी पर किसी तरह की कोई देनदारी नहीं है, न ही वह कोई कार रखते हैं। उनके पास सोने की चार अगूंठियां हैं।
बता दें कि केंद्रीय मंत्रियों के अपनी संपत्तियों का ब्योरा देने की व्यवस्था 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में शुरू हुई थी। सांसदों को भी अपने परिवार की आय का ब्योरा हर साल देना होता है। लोकपाल और लोकायुक्त ऐक्ट, 2013 के बाद से सभी सरकारी नौकरों को उनकी सालाना आय की जानकारी सार्वजनिक करना अनिवार्य है।