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केजरीवाल सरकार की कोयला पॉलिटिक्स की खुली पोल: ‘देश में ना कोयला संकट था, ना ही है और ना होगा’

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देश में ना तो किसी शहर की बिजली गुल है, ना ही देश की राजधानी दिल्ली में बिजली को लेकर हाहाकार मचा है और ना ही बिजली कि कि किल्लत को लेकर देश का आम आदमी सड़कों पर है। लेकिन आम आदमी पार्टी जैसे मोदी विरोधी दल देश भर में बिजली संकट का हौवा खड़ा करने में जुटे हैं । सरकार के बार-बार भरोसा देने और ये कहने के बाद भी कि ना तो देश में ना कभी बिजली संकट था, ना ही होगा। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल सहित कई मोदी विरोधी दल काल्पनिक संकट पर हल्ला मचा रहे हैं। 

‘ना तो देश में कोयले की कमी है ना होगी’

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर.के.सिंह दिल्ली की सरकार को इस बात का भरोसा दे चुके है कि दिल्ली में जितनी बिजली की आवश्यकता है, उतनी बिजली की आपूर्ति हो रही है और होती रहेगी। गैस की कमी को लेकर भी केंद्रीय मंत्री आरके सिंह इस बात को दोहरा चुके हैं कि न पहले गैस की कमी थी, न भविष्य में होगी। बिजली को लेकर विरोधी दलों के हंगामें के बीच आर.के.सिंह ने साफ किया था कि कोयले का चार दिन से ज्यादा का औसतन स्टॉक है। हर दिन स्टॉक आता है, जितनी खपत हो रही है, उतना कोयला पॉवर प्लांट्स को मिल रहा है। लेकिन सरकार की सफाई के बाद भी जानबूझ कर देश में बिजली संकट को मुद्दा बनाने की कोशिश हो रही है। 

कोयले पर केजरीवाल सरकार की राजनीति

दिल्ली सरकार कोयले की कमी को लेकर किस तरह राजनीति कर रही है उसकी एक बानगी देखिए, दिल्ली देश के लिए एक रोल मॉडल राज्य है यहां मौजूद पॉवर प्लांट कोयले के बदले गैस से चलते हैं, दिल्ली में एक भी थर्मल पॉवर प्लांट कोल बेस्ड नहीं है। लेकिन कोयले की कमी का सबसे ज्यादा रोना दिल्ली सरकार मचा रही है। यहां तक की उन्होंने पीएम मोदी की इस मामले को लेकर चिट्ठी तक लिख डाली। बिजली संकट के नाम पर ड्रामेबाजी की खबर जैसे ही देश के आम लोगों तक पहुंची, सोशल मीडिया पर लोगों ने केजरीवाल सरकार का मजाक बनाना शुरू कर दिया।

हरिशंकर ढकोलिया नाम के यूजर ने भी बिजली को लेकर हो रही राजनीति पर जम कर अपनी भड़ास निकाली। 

देखते ही देखते सोशल मीडिया पर लोगों ने दिल्ली में तथाकथित बिजली संकट को लेकर केजरीवाल सरकार की पोल खोलनी शुरू कर दी।

केजरीवाल की कोयला पॉलिटिक्स की लोग खोल रहे पोल

दिल्ली में एक भी कोयला आधारित बिजली संयत्र नहीं है, लेकिन केजरीवाल सरकार बिजली संयत्रों को कोयले की सप्लाई को लेकर हंगामा मचा रही है । हलांकि सोशल मीडिया पर हो रही खिंचाई के बाद दिल्ली के डिप्टी सीएम को सरकार के बचाव में उतरना पड़ा और सफाई देने पड़ी की केन्द्र सरकार से दिल्ली को बिजली सप्लाई करने वाली बाहर की कंपनियों को कोयला देने का अनुरोध किया था। हैरानी की बात ये भी है कि ये वही केजरीवाल सरकार है जो दिल्ली में बिना कोयले के बिजली उत्पादन के मोदी सरकार की कोशिशों पर अपनी सरकार की पीठ थपथपा चुकी है। 

मोदी विरोधियों की राजनीति पर उठ रहे सवाल

कोयले की किल्लत के नाम पर राजनीति करने वाले मोदी विरोधियों से सवाल ये भी है कि 

  • देश में कोयले का संकट नहीं है तो बिजली संकट पर हल्ला क्यों ?
  • क्या महज राजनीति के लिए बिजली संकट को मुद्दा बनाया जा रहा ?
  • कई राज्यों में फ्री बिजली के एलान पर विरोधी दल चुप क्यों है ?
  • कांग्रेस शासित राज्यों में बिजली संकट पर मोदी विरोधी चुप्पी क्यों ?

देश की ऊर्जा जरूरतों के लिए मोदी सरकार के प्रयास

देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए मोदी सरकार लगातार कोशिशें कर रही है। इसके लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं । 

  • ऊर्जा के क्षेत्र में विदेशी निवेश लाने की कोशिश हो रही है। 
  • मोदी सरकार का जोर नवीकरणीय ऊर्जा पर है
  • कोयले के बदले गैस से चलने वाले पावर प्लांट लगाए जा रहे हैं 
  • ऊर्जा के ज्यादा उत्पादन के साथ बिजली बचाने पर भी जोर है
  • ‘ग्राम उजाला’ से गावों में LED बल्बों के इस्तेमाल पर जोर है

इसके अलावा उपभोक्ताओं में उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए भी मोदी सरकार लगातार कदम उठा रही है। 

इस वर्ष मानसून की वापसी में देरी से कोयला उत्पादन प्रभावित हुआ है। देश में कोयले की बढ़ती मांग को देखते हुए मोदी सरकार थर्मल पावर प्लांट्स को निर्बाध रूप से कोयले की सप्लाई के लिए कृत संकल्प है। ये मोदी सरकार के प्रयासों का ही नतीजा है कि

  • इस साल देश में कोयले का रिकार्ड उत्‍पादन हो रहा है
  • इस वित्त वर्ष में 70 करोड़ टन से ज्यादा कोयला उत्पादन का अनुमान
  • देश में कोयले की कोई कमी नहीं है
  • देश के कोयले का प्रर्याप्त भंडार मौजूद है
  • सितंबर माह में कोयला उत्पादन और आपूर्ति उच्चतम स्तर पर
  • देश में बिजली का उत्‍पादन भी काफी बढ़ा है
  • अर्थव्‍यवस्‍था में आई तेजी की वजह से बिजली की मांग बढ़ी है
  • देश में प्रति दिन की बिजली मांग 4 अरब यूनिट को पार कर चुकी है
  • 70 प्रतिशत तक बिजली कोयला आधारित संयंत्रों से पूरी की जा रही
  • मोदी सरकार कोयला खनन नीतियों में सुधार की कर रही कोशिश
  • तकनीकों में सुधार कर उत्पादन बढ़ाने की हो रही कोशिश
  • पिछले साल भारत ने 7 करोड़ टन कोयले का आयात किया
  • इस पर 58 लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा खर्च हुई

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