जिस तरह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आवश्यकता से चार गुना अधिक ऑक्सीजन मांगकर मोदी सरकार और कोर्ट को गुमराह किया था, उसी तरह आज कोयला संकट को लेकर अफवाह फैला रहे हैं। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने रविवार (10 अक्टूबर, 2021) को प्रेस कांफ्रेंस कर ये दावा किया कि देश में बिजली का कोई संकट नहीं है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि दिल्ली में बिजली संकट नहीं होगा, सरकार के पास कोयला का भरपूर स्टॉक है। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि जितनी बिजली की जरूरत है, उतनी पैदा हो रही है, हमारे अधिकारी कोयले के स्टॉक की निगरानी कर रहे हैं। ऊर्जा मंत्री ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर ही भ्रम फैलाने का आरोप लगाया।
केजरीवाल ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर किया गुमराह
उधर 9 अक्टूबर को मुख्यमंत्री केजरीवाल ने भी प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर इस मामले में दखल देने की अपील की थी। दिल्ली सरकार के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन की ओर से दावा किया गया है कि मौजूदा वक्त में राजधानी में कोयले की बहुत ज्यादा कमी है। उन्होंने दावा किया है कि ज्यादातर प्लांट में दो-तीन दिन का ही स्टॉक बचा है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के ट्विटर हैंडल से 13 अक्टूबर, 2019 में घोषणा की गई थी कि दिल्ली में कोयले के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। बताया कि दिल्ली पहला मॉड्यूलर राज्य है जिसमें कोई कोयला आधारित बिजली संयंत्र नहीं है।
Check This ‘Lie’ & ‘Hypocrisy’ ? pic.twitter.com/EY2TEl4Fcw
— Avinash Srivastava ?? (@go4avinash) October 10, 2021
बिजली संकट को लेकर इतना हाय-तौबा क्यों ?
अब सवाल उठ रहे हैं कि जब दिल्ली में कोयला आधारित कोई संयंत्र नहीं है, तो केजरीवाल और उनके उर्जा मंत्री बिजली संकट को लेकर इतना हाय-तौबा क्यों मचा रहे हैं ? सत्येंद्र जैन के मुताबिक दिल्ली में तीन हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट हैं जो गैस पर चलते हैं। बिजली के लिए दिल्ली केंद्र पर निर्भर है, इसलिए पावर परचेज एग्रीमेंट के तहत दिल्ली NTPC के प्लांट से बिजली खरीदती है जो दूसरे राज्यों में है। इसलिए हम प्लांट्स में कोयले की आपूर्ति के बाधित होने पर सवाल उठा रहे हैं। लेकिन सत्येंद्र जैन के सवाल पर सवाल उठ रहे हैं कि जब दिल्ली दूसरे राज्यों में स्थित NTPC के प्लांट पर निर्भर है तो क्यों वे राजधानी में कोयले की बहुत ज्यादा कमी की बात कर भ्रम फैला रहे हैं ?
झूठ बोलकर केजरीवाल ने मांग ली जरूरत से चार गुना ऑक्सीजन
जब केंद्र सरकार भरोसा दिला रही है कि दिल्ली को बिजली की कोई कमी नहीं होगी। इसके बावजूद केजरीवाल कोयल पर उसी तरह काली सियासत कर रहे हैं, जिस तरह कोरोना की दूसरी लहर के दौरान उन्होंने झूठ बोलकर जरूरत से चार गुना ऑक्सीजन मांग ली थी। सुप्रीम कोर्ट की ऑडिट टीम की रिपोर्ट में कहा गया था, “भारी गड़बड़ी पकड़ी गई है। बेड कपैसिटी के आधार पर तय फॉर्मूले के मुताबिक दिल्ली को 289 मिट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत थी, लेकिन दिल्ली सरकार ने 1,140 मिट्रिक टन ऑक्सीजन की खपत का दावा किया था जो जरूरत से करीब चार गुना है।”
दिल्ली की वजह से 12 राज्यों को हुआ ऑक्सीजन संकट
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित समिति ने सुप्रीम कोर्ट को हैरान कर देने वाली बात बताई कि दिल्ली सरकार को जरूरत से ज्यादा ऑक्सिजन आपूर्ति के कारण 12 राज्यों को ऑक्सीजन संकट का सामना करना पड़ा। समिति की इस रिपोर्ट के बाद राजनीतिक महकमें में खलबली मच गई। उधर, सोशल मीडिया ट्विटर पर भी लोग केजरीवाल सरकार से कड़े सवाल पूछने लगे। रेल मंत्री पीयुष गोयल ने भी कहा कि पूरे भारत में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित करने के लिए जिम्मेदारी तय की जाएगी।
SC oxygen audit team finds Delhi Govt inflated oxygen need by 4 times during peak & affected supply to 12 high caseload states.
Hope accountability is fixed for disrupting oxygen supply across India.https://t.co/KA0lQZhMiE— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) June 25, 2021
केजरीवाल की झूठ की वजह से उत्पन्न हो सकता था राष्ट्रीय संकट
उस समय पेट्रोलियम एंड ऑक्सीजन सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन (PESO) ने सुप्रीम कोर्ट की गठित टीम को बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के पास जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन था जिसने दूसरे राज्यों को लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई प्रभावित की। उसने कहा कि अगर दिल्ली की मांग पूरी की जाती रही होती, तो राष्ट्रीय स्तर पर ऑक्सीजन संकट पैदा हो जाता।
सिसोदिया को दूसरों को नसीहत देने से पहले खुद सीखने की जरूरत
दिल्ली की जिस सरकार को अपनी जरूरत का अंदाजा नहीं है। जो अपनी झूठी दलीलों से दूसरे राज्यों के लोगों के जीवन को संकट में डाल दिया आज उस सरकार के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ऐसे व्यक्ति को सलाह दे रहा है, जो बीस सालों से शासन कर रहा है और देश और दुनिया में अपने शासन के अद्वितीय कौशल के लिए मिसाल बना हुआ है। सीसोदिया उस कुएं के मेढ़क के समान है, जो यह सोचता है कि दिल्ली ही पूरा भारत है। ऐसी दिल्ली जहां तीन सरकारों के बीच जिम्मेदारियां बंटी हुई हैं। दिल्ली सरकार के पास सीमित काम और जिम्मेदारियां हैं, फिर भी दिल्ली सरकार अपने वादे पूरे करने में नाकाम रही है।