प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक ग्रह से दूसरे ग्रह पर लंबी छलांग लगा रहा है। एक बार फिर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इतिहास रच दिया है। शनिवार (06 जनवरी, 2024) को भारत का पहला सौर्य मिशन ‘आदित्य एल 1’ सूर्य के करीब अपने लक्ष्य पर पहुंच गया और खुद को अंतिम कक्षा में स्थापित कर लिया। चांद पर सफल लैंडिंग के बाद अब सूर्य के करीब पहुंच कर इसरो के वैज्ञानिकों ने अपनी क्षमता का लोहा पूरी दुनिया को मनवा दिया। इसरो की इस सफलता पर प्रधानमंत्री मोदी ने बधाई दी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’पर पोस्ट कर कहा, “भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की। भारत की पहली सौर वेधशाला ‘आदित्य एल-1’ अपने लक्ष्य तक पहुंच गई। यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे। मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में देश के साथ शामिल हूं।
India creates yet another landmark. India’s first solar observatory Aditya-L1 reaches it’s destination. It is a testament to the relentless dedication of our scientists in realising among the most complex and intricate space missions. I join the nation in applauding this…
— Narendra Modi (@narendramodi) January 6, 2024
दरअसल आदित्य एल-1 को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के ‘लैग्रेंज प्वाइंट-1′(एल-1) के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया गया है। अब इसे हेलो ऑर्बिट में पहुंचना है, जो एल-1 की ऐसी कक्षा है, जहां सैटेलाइट और स्पेसक्राफ्ट स्थिर रहते हुए काम कर सकते हैं। अगर यह यान इस ऑर्बिट में नहीं पहुंचा तो यह लगातार सूर्य की ओर यात्रा करेगा और फिर उसमें समा जाएगा। इसरो के एक वैज्ञानिक के मुताबिक हेलो ऑर्बिट सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के घूमने के साथ घूमेगा।
आदित्य एल-1 दो वर्ष तक सूर्य का अध्ययन करेगा और महत्वपूर्ण आंकड़े जुटाएगा। इन आंकड़ों को वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय को भी शेयर किया जा सकेगा। इससे सूर्य के विकिरण,कणों और चुंबकीय क्षेत्रों के संबंध में जानकारी हासिल की जा सकती है। अंतरिक्ष यान में एक कोरोनाग्राफ है, जो वैज्ञानिकों को सूर्य की सतह के बहुत करीब देखने और नासा व यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के सौर और हेलिओस्फेरिक वेधशाला(एसओएचओ) मिशन के डाटा को पूरक डाटा मुहैया कराएगा।
गौरतलब है कि भारत के इस पहले सूर्य अध्ययन अभियान को इसरो ने 2 सितंबर, 2023 को श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी सी-57 से लॉन्च किया था। आदित्य एल-1 में प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों कोरोना का निरीक्षण करने के लिए सात पेलोड हैं। लॉन्च होने के बाद आदित्य एल-1 का सुप्रा थर्मल एंड एनर्जेटिक पार्टिकल स्पेक्ट्रोमीटर (STEPS) उपकरण, जो आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX) पेलोड का एक हिस्सा है, उसने वैज्ञानिक डेटा इकट्ठा करना शुरू कर दिया था।