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क्या काले कपड़े पहनकर कोर्ट की अवमानना कर रही है कांग्रेस ? सांसदी जाने के लिए राहुल गांधी खुद जिम्मेदार

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देश नियम, कानून और संविधान से चलता है। जहां संसद इसमें समय-समय पर एक स्थापित प्रक्रिया के तहत संशोधन और बदलाव करती रहती है, वहीं इसे लागू करने की जिम्मेदारी कार्यपालिका और न्यायपालिका पर है। लेकिन कांग्रेस नेहरू-गांधी परिवार को इन तीनों संवैधानिक संस्थाओं से ऊपर समझती है। कांग्रेस चाहती है कि न्यायपालिका, कार्यपालिका और संसद फैसला करने से पहले नियम, कानून और संविधान का पालन नहीं कर गांधी परिवार के रूतबे और प्रभाव को ध्यान में रखें। इसलिए कांग्रेस को गांधी पारिवार के खिलाफ कोई भी फैसला उनके शान के खिलाफ लगता है। मोदी सरनेम मामले में भी ऐसा ही हुआ है। राहुल गांधी को सजा सुनाने में सूरत कोर्ट ने कानून का पालन किया। कानून के तहत ही राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म हुई और उन्हें सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस दिया गया। इसमें मोदी सरकार की कोई भूमिका नहीं है, फिर भी कांग्रेस नेता काले कपड़े पहनकर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या कांग्रेस के नेता काले कपड़े पहनकर कानून और कोर्ट की अवमानना कर रहे हैं ?

कांग्रेस ने संसद की गरिमा और मर्यादा का किया हनन

दरअसल मंगलवार (28 मार्च, 2023) को लोकसभा में कांग्रेस का जो रूप देखने मिला, वो काफी हैरान करने वाला था। कांग्रेस के सांसदों ने सदन को युद्ध का मैदान बना दिया और सदन की गरिमा को तार-तार करने की पूरी कोशिश की। भारी हंगामा के बीच कांग्रेस के कुछ सांसदों ने कागज फाड़कर आसन की ओर फेंके। यहां तक कि सदन की मर्यादा का हनन करते हुए आसन के सामने काला कपड़ा रखने का प्रयास किया। कांग्रेस सांसदों का रौद्र रूप देखकर लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने के एक मिनट के अंदर ही 2 बजे के लिए स्थगित कर दी गई। इसी तरह का नजारा राज्यसभा में भी देखने को मिला। सदन की कार्यवाही शुरू होने के करीब दस मिनट बाद ही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। इसके बाद दो बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही फिर हंगामा शुरू हो गया। एक मिनट से भी कम समय में कार्यवाही स्थगित कर दी गई। काले कपड़े पहने कुछ विपक्षी सदस्यों ने सदन के वेल में विरोध किया। इस दौरान कांग्रेस के सांसद टी एन प्रतापन ने एक काला दुपट्टा संसद में उछाल दिया। कांग्रेस सांसदों के हंगामे की वजह से आज प्रश्नकाल फिर नहीं हो पाया।

सड़क से सदन तक कानून और कोर्ट का उड़ाया मजाक

सोमवार को भी कांग्रेस के सांसदों ने सड़क से सदन तक काले कपड़े पहनकर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में कांग्रेस को अन्य विपक्षी दलों का भी साथ मिला। सोनिया गांधी के साथ ही कांग्रेस के तमाम सांसद काले कपड़े पहनकर संसद पहुंचे। लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस के सांसदों ने सदन में हंगामा किया। विपक्षी नेताओं ने संसद परिसर में धरना दिया और विजय चौक तक मार्च निकाला। महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरने में कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस के कई सांसदों के अलावा विपक्षी दल डीएमके के टीआर बालू, आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन और कुछ अन्य नेता शामिल हुए। ये सभी नेता काले कपड़े पहने हुए थे। इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक बैठक की, जिसमें कांग्रेस के सांसद समेत तृणमूल कांग्रेस के दो सांसद ने भी भाग लिया।

विक्टिम कार्ड खेल कर संविधान और लोकतंत्र का माखौल उड़ा रही कांग्रेस

राहुल गांधी कांग्रेस के लिए संविधान से ऊपर हो सकते हैं, लेकिन वो एक आम सांसद है, जिस पर देश का कानून लागू होता है। उन्हें कानून का उल्लंघन करने पर संसद के नियम के तहत सजा दी गई है। लेकिन कांग्रेस संसद को बाधित कर एक सजायाफ्ता के लिए जनता के हितों पर कुठाराघात कर रही है। लोकतंत्र के लिए घड़ियाली आंसू बहाने वाली कांग्रेस खुद लोकतंत्र का गला घोंट रही है। कांग्रेस के पास सूरत कोर्ट के फैसले के बाद अपील करने का अधिकार था। लेकिन कांग्रेस कोर्ट में अपील की जगह काले कपड़े पहनकर प्रदर्शन कर रही है। कांग्रेस के सांसद विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिक की खुली अवहेलना कर रहे हैं। क्योंकि कांग्रेस राहुल गांधी संसद सदस्यता खत्म होने पर विक्टिम कार्ड खेलकर राजनीतिक लाभ लेना चाहती है। इससे पता चलता है कि कांग्रेस को देश के कानून, कोर्ट और लोकतंत्र में भरोसा नहीं है। 

राहुल गांधी को अपनी नासमझी और अहंकार की मिली सजा

राहुल गांधी खुद इस हालात के लिए जिम्मेदार है। बेलगाम बयान, झूठे आरोप, नासमझी और अहंकार ने उन्हें कानून की नजर में दोषी करार दिया है। गौरतलब है कि राहुल गांधी की नासमझी ने अपनी ही सरकार को शर्मसार किया था। सितबंर 2013 में मनमोहन सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को राहुल गांधी ने फाड़कर अपने ही पैर पर कुलहाड़ी मारी थी। उन्हें उस समय पता नहीं था कि आगे चलकर उनकी यह गलती उन पर ही भारी पड़ने वाली है। यूपीए सरकार ने एक अध्यादेश पारित किया था। इसका मकसद उसी साल जुलाई महीने में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित एक आदेश को निष्क्रिय करना था, जिसमें अदालत ने कहा था कि दोषी पाए जाने और सजा की घोषणा होते ही सांसदों और विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी जाएगी। राहुल गांधी के दबाव में आकर तत्कालीन मनमोहन सरकार ने अक्टूबर में अध्यादेश वापस ले लिया था। इस कानून का पहला शिकार लालू प्रसाद यादव हुए। इसके बाद बीजेपी के साथ ही अन्य दलों के विधायक और सांसद भी इस कानून के शिकार हुए। लेकिन राहुल गांधी और कांग्रेस अपनी गलती का ठीकरा प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार फोड़ रहे है। 

अपने काले कारनामे काले कपड़े में छिपाती आ रही है कांग्रेस

यह पहला मौका नहीं है, जब कांग्रेस के नेताओं ने काले कपड़े पहनकर कानून और कोर्ट की अवमानना की हो। इससे पहले 05 अगस्त, 2022 को भी काले कपड़े पहनकर अपने अंदर की कुंठा को प्रदर्शित करने की कोशिश की थी। नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की संभावित गिरफ्तारी से डरे कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता काले कपड़े पहन कर सड़क पर प्रदर्शन करते नजर आए। उन्होंने अपनी बाजू पर काली पट्टी बांध रखी थी। इसको लेकर सोशल मीडिया पर सवाल उठाए जा रहे थे कि क्या यह संयोग है या कांग्रेस का कोई नया प्रयोग है ? एक ट्विटर यूजर ने सवाल किया था, “क्या यह महज़ संयोग है या कांग्रेस का तुष्टिकरण परवान चढ़ चुका है ? 5 अगस्त मतलब..कश्मीर में धारा-370 ख़त्म होने,तीन-तलाक समाप्त करने और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास की वर्षगांठ पर ‘काले कपड़े’ पहनकर महंगाई प्रदर्शन करना संयोग मात्र है ? या 5 अगस्त को काला दिन ?

राम मंदिर के भूमि पूजन और धारा 370 के खात्मे के दिन कांग्रेसियों ने पहने काले कपड़े

आपको याद ही होगा कि भारत के लिए 05 अगस्त का दिन काफी महत्वपूर्ण है। जहां 5 अगस्त, 2019 को मोदी सरकार ने करीब 70 साल से देश के लिए कलंक बने संविधान के अनुच्छेद-370 को मिटा दिया, वहीं 05 अगस्त, 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन किया था। लेकिन यह देश विरोधी और हिन्दू विरोधी ताकतों तथा सेक्युलर गैंग को पसंद नहीं आया था। वे आज भी दिल से इसे स्वीकार नहीं कर पाए हैं। इसलिए उनका दर्द विभिन्न रूपों में छलकता रहता है। पांच अगस्त के दिन ही इसकी झलक देशभर में कांग्रेस के काले कपड़ों में प्रदर्शन के दौरान देखने को मिली। राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा ने भी काले कपड़ों में पूरी ‘नौटंकी’ की।

प्रियंका गांधी ने महिला पुलिसकर्मी के साथ की हाथापाई 

इस दौरान कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर बड़ी तेज़ी से वायरल हुई। जिसमें वो महिला पुलिसकर्मी के साथ बदसलूकी करती नजर आ रही है। प्रियंका गांधी ने ड्यूटी पर तैनात महिला पुलिसकर्मी का पहले हाथ पकड़ा फिर जोर से मरोड़ा और इसे लेकर बीजेपी प्रियंका गांधी वाड्रा पर हमलावार नज़र आई। बीजेपी नेता अमित मालवीय ने इस तस्वीर को साझा करते हुए ट्वीट किया कि ड्यूटी पर तैनात महिला पुलिसकर्मी के साथ प्रियंका वाड्रा ने मारपीट की। उसका हाथ पकड़ा और मरोड़ा। फिर वे शिकायत करते हैं कि पुलिस हाथापाई कर रही है, जबकि ठीक इसके विपरीत है। गांधी परिवार ने अपने समर्थकों के साथ काले कपड़ों में संसद से सड़क तक जो हंगामा किया वह बेअसर ही रहा। मीडिया के लिए भी कमोबेश यह एक सियासी नौटंकी ही थी, जो नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय के कसते शिकंजे से उपजा था। 


“कितना ही काला जादू कर लें, जनता का भरोसा नहीं जीत सकते”

कांग्रेस के इस काले प्रदर्शन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ठीक ही कहा था कि चाहे कितना ही काला जादू कर लें, जनता का भरोसा नहीं जीत सकते हैं। पानीपत में इथेनॉल प्लांट के लोकार्पण के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि आजादी के अमृत महोत्सव में जब देश तिरंगे के रंग में रंगा हुआ है, तब कुछ ऐसा भी हुआ है, जिसकी तरफ मैं देश का ध्यान दिलाना चाहता हूं। अभी हमने गत पांच अगस्त, 2022 को देखा कि कैसे कुछ लोगों ने काले जादू को फैलाने का प्रयास किया गया। ये लोग सोचते हैं कि काले कपड़े पहनकर, उनकी निराशा-हताशा का काल समाप्त हो जाएगा। लेकिन उन्हें पता नहीं है कि वो कितनी ही झाड़-फूंक कर लें, कितना ही काला जादू कर लें, अंधविश्वास कर लें, जनता का विश्वास अब उन पर दोबारा कभी नहीं बन पाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस काले जादू के फेर में, आजादी के अमृत महोत्सव का अपमान ना करें, तिरंगे का अपमान ना करें।काले जादू के फेर में रहने वाले लोगों की मानसिकता समझना भी जरूरी- पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने पानीपत में कहा था कि काले जादू के फेर में रहने वाले ऐसे लोगों की मानसिकता देश को भी समझना जरूरी है। जैसे कोई मरीज, अपनी लंबी बीमारी के इलाज से थक जाता है, निराश हो जाता है, अच्छे डॉक्टर से सलाह लेने के बावजूद जब उसे लाभ नहीं होता, तो वो अंधविश्वास की तरफ बढ़ने लगता है। वो झाड़-फूंक कराने लगता है, टोने-टोटके पर, काले जादू पर विश्वास करने लगता है। ऐसे ही हमारे देश में भी कुछ लोग हैं जो नकारात्मकता के भंवर में फंसे हुए हैं, निराशा में डूबे हुए हैं। सरकार के खिलाफ झूठ पर झूठ बोलने के बाद भी जनता जनार्दन ऐसे लोगों पर भरोसा करने को तैयार नहीं हैं। ऐसी हताशा में ये लोग भी अब काले जादू की तरफ मुड़ते नजर आ रहे हैं।

हताश विपक्ष का काला जादू pic.twitter.com/hR7TaGbGTh

— Social Tamasha (@SocialTamasha) August 10, 2022

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