प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत हर चुनौती को चुनौती दे रहा है और उससे निपटने में कामयाब भी हो रहा है। मोदी सरकार के पिछले सात सालों में परिवार नियोजन और स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए क्रांतिकारी सुधारों के उत्साहजनक परिणाम देखाई दे रहे हैं। पिछले सत्तर साल से देश के लिए चुनौती बने जनसंख्या विस्फोट पर भी नियंत्रण करने में सफलता मिली है। पहली बार देश में प्रजनन दर 2 पर आ गई है और देश की आबादी स्थिर हो गई है। बुधवार (24 नवंबर, 2021) को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी नवीनतम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-5) के अनुसार देश की कुल प्रजनन दर (टीएफआर) या एक महिला द्वारा अपने जीवनकाल में बच्चों को जन्म देने की औसत संख्या 2.2 से घटकर 2 हो गई है, जो कि 2.1 की प्रजनन दर की प्रतिस्थापन दर (संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या प्रभाग द्वारा अनुमानित) से कम है।
पिछले 5 वर्षों में गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल की दर राष्ट्रीय स्तर पर 54 से बढ़कर 67 प्रतिशत पहुंच गई है। गौरतलब है कि भारत लंबे समय से आबादी नियंत्रण पर काम कर रहा है। लेकिन गर्भ निरोधकों और परिवार नियोजन सेवाओं तक बेहतर पहुंच के लिए मिशन परिवार विकास 2016 में मोदी सरकार में शुरू किया गया था। सभी स्तरों पर गर्भनिरोधक विधियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बिहार, उत्तर प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और झारखंड के उच्च प्रजनन क्षमता वाले 146 जिलों पर विशेष ध्यान दिया गया। इसका नतीजा है कि इन राज्यों के कुल प्रजनन दर में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है, जिसने भारत की समग्र दर को प्रतिस्थापन स्तर से कम करने में मदद की है।
पहली बार पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या अधिक
सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक देश में पुरुषों के मुकाबले अब महिलाओं की संख्या ज्यादा हो गई है। देश में अब 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएं हैं। इन आंकड़ों से ये साफ है कि अब महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। जबकि इससे पहले हालात कुछ अलग थे। 1990 के दौर में हर 1000 पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या महज 927 थी। साल 2005-06 में हुए तीसरे NHFS सर्वे में ये 1000-1000 के साथ बराबर हो गया। इसके बाद 2015-16 में चौथे सर्वे में इन आंकड़ों में फिर से गिरावट आ गई। 1000 पुरुषों के मुकाबले 991 महिलाएं थीं। लेकिन पहली बार अब महिलाओं के अनुपात ने पुरुषों को पीछे छोड़ दिया है।
बैंक खाताधारक महिलाओं की संख्या में 25% की बढ़ोतरी
सर्वे के आंकड़ों से पता चलता है कि मोदी सरकार के वित्तीय समावेशन का प्रयास काफी सफल रहा है। आज देश में 78.6 प्रतिशत महिलाएं अपना बैंक खाता ऑपरेट करती हैं। 2015-16 में यह आंकड़ा 53 प्रतिशत ही था। वहीं 43.3 प्रतिशत महिलाओं के नाम पर कोई न कोई प्रॉपर्टी है, जबकि 2015-16 में यह आंकड़ा 38.4 प्रतिशत ही था। माहवारी के दौरान सुरक्षित सैनिटेशन उपाय अपनाने वाली महिलाएं 57.6 प्रतिशत से बढ़कर 77.3 प्रतिशत हो गई हैं।