प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आज भारत के डिजिटल भुगतान का दायरा अभूतपूर्व वृद्धि के साथ पूरी दुनिया में अग्रणी बन चुका है। पिछले छह वित्त वर्ष 2019-20 से 2024-25 तक देश में 65,000 करोड़ से अधिक डिजिटल लेनदेन हुए हैं, जिनकी कुल राशि 12,000 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है। इस डिजिटल भुगतान की लहर ने विशेष रूप से वंचित एवं ग्रामीण समुदायों के वित्तीय लेनदेन में क्रांतिकारी बदलाव किए हैं।
मोदी सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक-आरबीआई, नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया-एनपीसीआई, फिनटेक कंपनियों, बैंकों और राज्य सरकारों के साथ मिलकर डिजिटल भुगतान की पहुंच बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। खास तौर पर टियर-2 और टियर-3 शहरों के साथ पूर्वोत्तर राज्यों तथा जम्मू और कश्मीर जैसी पिछड़ी और संवेदनशील क्षेत्रों में डिजिटल भुगतान के इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूती करने के लिए 2021 में आरबीआई ने पेमेंट्स इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड- पीआईडीएफ की स्थापना की। अब तक इस फंड के माध्यम से लगभग 4.77 करोड़ डिजिटल टच पॉइंट देशभर में तैनात किए जा चुके हैं। ये टच पॉइंट डिजिटल भुगतान की सुविधाओं को छोटे से छोटे गांव, कस्बा, सरकारी दफ्तर और व्यापारी केंद्रों तक पहुंचाने में सहायक हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक ने डिजिटल भुगतान की प्रगति को मापने के लिए डिजिटल भुगतान सूचकांक (RBI-DPI) विकसित किया है, जो हर छह महीने में प्रकाशित होता है। इसका आधार मार्च 2018 है, जब यह 100 था। सितंबर 2024 तक यह सूचकांक 465.33 तक पहुंच चुका था और मार्च 2025 तक 493.22 पर पहुंच गया, जो देश भर में डिजिटल भुगतान के अपनाने, बुनियादी ढांचे और प्रदर्शन में निरंतर बढ़ोत्तरी को दर्शाता है। यह संकेत है कि भारत का डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र तेजी से सशक्त हो रहा है।
यूपीआई जैसे डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म ने छोटे व्यवसायों, एमएसएमई, ग्रामीण और वंचित वर्गों के लिए वित्तीय सेवाओं तक पहुंच आसान कर दी है। यूपीआई की मदद से लाखों छोटे विक्रेता डिजिटल भुगतान स्वीकार कर पा रहे हैं, जिससे नकद लेनदेन की निर्भरता कम हो रही है। इसके अलावा, छोटे व्यापारियों के लिए कम-मूल्य के भीम-यूपीआई लेनदेन को बढ़ावा देना, टीआरईडीएस (Trade Receivables Discounting System) के माध्यम से छूट देने की व्यवस्था और डेबिट कार्ड लेनदेन के लिए व्यापारी छूट दर को युक्तिसंगत बनाना जैसे कदम डिजिटल भुगतान को अधिक सुलभ और लाभकारी बना रहे हैं।
पीआईडीएफ के अंतर्गत टियर-3 से लेकर टियर-6 नगरों, पूर्वोत्तर राज्यों और जम्मू-कश्मीर में डिजिटल भुगतान स्वीकृति के इन्फ्रास्ट्रक्चर का व्यापक विकास किया गया है। इससे गांव और छोटे शहरों में भी डिजिटल भुगतान को अपनाने के रास्ते खुले हैं। डिजिटल टच पॉइंट्स के बढ़ते नेटवर्क ने इन इलाकों में भी आर्थिक लेनदेन की प्रक्रिया को सरल और तेज कर दिया है।
यूपीआई भारत में डिजिटल भुगतान का सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला माध्यम बना हुआ है। जून 2025 तक यूपीआई पर प्रतिदिन औसतन 613 मिलियन लेनदेन दर्ज किए गए हैं, जो इसकी बढ़ती लोकप्रियता और निर्बाध सुविधा का प्रमाण हैं। इसने देश को नकद मुक्त अर्थव्यवस्था की ओर एक कदम और पास पहुंचाया है। वित्त वर्ष 2024-25 में खुदरा डिजिटल भुगतान में लगभग 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे साफ होता है कि डिजिटल भुगतान तेजी से भारतीय अर्थव्यवस्था और रोजमर्रा की जिंदगी में अभिन्न हिस्सा बनता जा रहा है।
सरकार और आरबीआई विभिन्न योजनाओं और फंडों के जरिए डिजिटल भुगतान को और सुलभ बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। इन प्रयासों में शामिल हैं:
-टियर-2, टियर-3 शहरों व दूरदराज़ क्षेत्रों में डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास।
-MSMEs और छोटे व्यापारियों के लिए डिजिटल भुगतान अपनाने हेतु प्रोत्साहन योजनाएं।
-यूपीआई और भीम जैसे प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से लेनदेन को आसान बनाना।
-व्यापार प्राप्य छूट (TRDES) प्रणाली को बढ़ावा देना।
-डिजिटल भुगतान शुल्क (MDR) को युक्तिसंगत बनाकर व्यापारियों का बोझ कम करना।
ये पहलें न केवल डिजिटल भुगतान के दायरे को बढ़ा रही हैं, बल्कि आर्थिक समावेशन को भी बढ़ावा दे रही हैं।
डिजिटल भुगतान की इस तेजी के साथ भारत ने खुद को एक अग्रणी डिजिटल इकोनॉमी के रूप में स्थापित कर लिया है। डिजिटल रुपया और अंतरराष्ट्रीय डिजिटल भुगतान नेटवर्क के विकास से वित्तीय लेनदेन अधिक पारदर्शी, सुरक्षित और त्वरित होंगे। यूपीआई जैसे प्लेटफॉर्म्स को और देश-विदेश में विस्तार देने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे भारत एक ग्लोबल डिजिटल पेमेंट हब बन सके। भारत का डिजिटल भुगतान सशक्तिकरण ने न केवल आर्थिक लेनदेन को सरल बनाया है, बल्कि गरीब और पिछड़े वर्गों को भी वित्तीय दुनिया का हिस्सा बनाया है। यह डिजिटल इंडिया की सफलता की कहानी है, जो रोजाना करोड़ों नागरिकों की जिंदगी में सुधार लाकर भारत के आर्थिक विकास में योगदान दे रही है।