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विकसित देशों से भारत की बेहतर स्थिति, कोरोना के प्रभाव को सीमित करने में मिली सफलता

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भारत की आबादी 130 करोड़ से भी अधिक है, लेकिन यहां कोरोना का संक्रमण बहुत ही कम फैला है, जबकि यूरोपीय देशों में कम आबादी और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं होने के बावजूद संक्रमण ने तबाही मचा दी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भी दावा किया है कि यूरोपीय देशों के मुकाबले भारत की स्थिति काफी बेहतर है। इस दावे में कितनी सच्चाई है, इसका आकलन यूरोपीय देशों और भारत में कोरोना के संक्रमण के मामलों और उससे हुई मौतों के आंकड़ों से लगाया जा सकता है।

इटली और स्पेन में कोरोना से सबसे अधिक मौतें
पिछले कुछ हफ्तों से यूरोप इस संकट का केंद्र बना हुआ है, लेकिन ऐसे संकेत मिले हैं कि यह महामारी वहां चरम पर पहुंच सकती है। पिछले 24 घंटे के दौरान स्पेन में 950 और ब्रिटेन में 569 लोगों की मौतें हुई हैं। अकेले इटली और स्पेन में ही पूरी दुनिया में मरने वाले लोगों की आधी संख्या है।

इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन भी पॉजिटिव पाए गए 
यूरोपीय देशों की हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन के साथ-साथ प्रिंस चार्ल्स तक कोरोना पॉजिटिव पाए गए। हालांकि प्रिंस चार्ल्‍स अब स्‍वस्‍थ हो गए हैं। इंग्लैंड के
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि आने वाले हफ्तों में एक दिन में 1 लाख लोगों की जांच करने का लक्ष्य है। खुद कोविड-19 की चपेट में आए जॉनसन की बड़े पैमाने पर जांच न कराने के लिए आलोचना की गई।

अमेरिका में बीते 24 घंटों में ही 1,169 लोगों की मौतें
दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका में गुरुवार को बीते 24 घंटों में ही 1,169 लोगों की मौत हो गई। जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक यह अपने आप में एक रेकॉर्ड है। इससे पहले इटली में 27 मार्च को 969 लोगों की मौत हो गई थी। वॉइट हाउस के विशेषज्ञों का कहना है कि इस बीमारी से 1 लाख से 2.40 लाख अमेरिकी जान गंवा सकते हैं।

सही साबित हुआ हर्षवर्धन का दावा 
अब अगर भारत की बात करें तो यहां पिछले कुछ दिनों से कोविड-19 मरीजों की तादाद में तेजी जरूर आई है, लेकिन हकीकत है कि नए 60% मामलों का लिंक एक घटना से है और वह है निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात का धार्मिक कार्यक्रम ‘जोड़।’ देश में अगर 2088 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई तो 156 मरीज ठीक होकर घर भी लौट गए। हालांकि, बीमारी से एक मौत भी दुखद है, लेकिन इस भयावह महामारी से भारत में सिर्फ 56 मौतें हुई हैं। भारत में कोविड-19 के कारण मरने वालों की तादाद अब तक दहाई अंकों में ही सीमित है। इससे स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन का दावा सही साबित हुआ है। भारत सच में यूरोपीय देशों से बेहतर स्थिति में है।

आइए जानते हैं भारत की इस सफलता के पीछे किन कारकों ने अहम भूमिका निभाई है…

प्रधानमंत्री मोदी की सजगता, तत्परता और अथक प्रयास
24 दिसंबर को देश को संबंधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने माना था कि यूरोप के विकसित देशों की तुलना में भारत में स्वास्थ्य सुविधाएं और संसाधनों की कमी है। इसके बावजूद उन्होंने कहा कि कोरोना से लड़ना है और उसे परास्त करना है। इस समय कदम-कदम पर संयम बरतने की जरूरत है। ये धैर्य और अनुशासन से ही संभव हो सकता है। केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के साथ समाज के अन्य संगठन, सिविल सोसायटी के लोग, गरीबों को मुसीबत कम हो, इसके लिए निरंतर जुटे हुए हैं। गरीबों की मदद के लिए अनेकों लोग साथ आ रहे हैं। इस नई महामारी से मुकाबला करने के लिए देश की स्वास्थ्य सुविधाओं को तैयार करने का काम केंद्र सरकार लगातार कर रही है।

मोदी सरकार ने लिए जनता कर्फ्यू, लॉकडाउन जैसे बड़े फैसले
विश्व स्वास्थ्य संगठन, भारत के बड़े चिकित्सा और अनुसंधान संस्थानों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह और सुझाव पर कार्य करते हुए मोदी सरकार ने निरंतर फैसले लिए हैं। इसमें सोशल डिस्टेंसिंग, जनता कर्फ्यू, लॉकडाउन के बाद 5 अप्रैल को रात नौ बजे नौ मिनट के लिए लाइट बंद कर मोमबत्ती-दीया जलाने के फैसले शामिल हैं।

अमेरिका से पहले भारत ने शुरू की एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग
भारत ने अमेरिका से पहले ही विदेश से लौटने वाले यात्रियों की जांच शुरू कर दी थी। भारत में 22 जनवरी के करीब ही कोरोना वायरस को लेकर एयरपोर्ट पर जांच शुरू हो गई थी, लेकिन अमेरिका ने 25 जनवरी के बाद ये कदम उठाया। बता दें कि अमेरिकी मीडिया ने इस बात पर जोर भी डाला था कि कोरोना के कुछ मामले मिलने के बावजूद वहां की सरकार ने एयरपोर्ट पर इसकी जांच शुरू नहीं की है।

रेस्क्यू ऑपरेशन के मामले में भी भारत टॉप पर
भारत ने रेक्यू ऑपरेशन के मामले में सबसे अधिक उड़ानें भरी हैं। चीन, ईरान, इटली आदि देशों से हजारों भारतीयों को निकाल कर देश वापस लाया गया है। कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित देश चीन से 645 भारतीयों को वतन वापस लाया गया। ईरान से 500 से ज्यादा इटली से 218 भारतीयों को लाया गया। इनके अलावा जापान, रोम और अन्य देशों में फंसे भारतीयों को भी वहां से निकाला गया।

भारतीयों ही नहीं, विदेशियों को बचाने में भी अव्वल
जहां अमेरिका जैसा सुपर पावर सिर्फ अपने ही नागरिकों को वापस लाने तक सीमित रहा, वहीं भारत ने अपने नागरिकों के साथ-साथ 10 से भी अधिक दूसरे देशों के नागरिकों को भी कोरोना प्रभावित देशों से निकाला। इनमें मालदीव, म्यामांर, बांग्लादेश, चीन, अमेरिका, मैडागास्कर, नेपाल, दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका जैसे देश शामिल हैं। यहां तक कि भारत ने पाकिस्तान को भी मदद की पेशकश की। यह अलग बात है कि पाकिस्तान ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और वुहान में फंसे पाकिस्तानी छात्र अपनी सरकार को कोसते रहे।

समय से कर ली आइसोलेशन कैंप की व्यवस्था
भारत ने शुरुआत से ही आइसोलेशन कैंप की व्यवस्था कर दी थी, ताकि विदेश से निकाले गए लोगों और अन्य कोरोना संक्रमित लोगों को आइसोलेशन में रखा जा सके। अब तक किसी भी प्रभावित शख्स ने सरकार पर उंगली नहीं उठाई है। इतना ही नहीं, किसी ऑथेंटिक ऑर्गनाइजेशन ने भी भारत सरकार की तैयारियों पर कोई नेगेटिव प्रतिक्रिया नहीं दी है।

भारत ने विकसित देश इटली से भी अच्छा काम किया 
इस समय इटली जैसा छोटा और विकसित देश कोरोना का नया वुहान बन गया है, लेकिन 130 करोड़ से अधिक की आबादी वाले देश भारत में कोरोना वायरस नियंत्रण में है। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि भारत ने बिल्कुल सही समय पर कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एयरपोर्ट पर जांच शुरू कर दी थी, जबकि इटली ने लापरवाही बरती।

दुनिया में बड़ी-बड़ी हस्तियों को कोरोना, भारत में सतर्कता से सब सुरक्षित
दुनिया की कई बड़ी हस्तियों में कोरोना का संक्रमण हो गया। जिनमें ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के अलावा स्वास्थ्य मंत्री मैट हैकॉक भी शामिल है। यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को भी जांच करवानी पड़ी जो नेगेटिव रही। वहीं, भारत में अतिरिक्त सतर्कता के कारण अब तक ऐसा कुछ नहीं हुआ। सरकार ने कोरोना वायरस के खौफ को दबाने के बजाय लोगों को उससे निपटने के तरीके बताए। नेताओं ने बड़े समारोह या भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाना बंद कर दिया और लोगों से भी ऐसा ही करने की गुहार लगाई। खुद पीएम मोदी ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया। होली मिलन समारोह में नहीं गए। यही वजह है कि दुनिया में कई बड़ी हस्तियों को कोरोना हो रहा है, खुद ट्रंप ने जांच करवाई है, लेकिन भारत में अभी तक ऐसी स्थिति नहीं है।

सैंपल टेस्टिंग और लैब की मजबूत व्यवस्था
भारत में अब तक करीब 70 हजार सैंपल के टेस्ट हो चुके हैं और लगभग 35 हजार लोगों को कम्युनिटी सर्विलांस पर रखा गया है। आईसीएमआर के वैज्ञानिक गंगा खेड़कर ने कहा है कि अभी हमारे पास 1 लाख किट उपलब्ध हैं और 2 लाख अतिरिक्त किट का ऑर्डर दे दिया गया है। उनके मुताबिक अभी भारत रोजाना करीब 10 हजार टेस्ट करने की क्षमता रखता है। 123 प्रयोगशालाएं काम कर रही है। 49 निजी लैब्स को जांच की अनुमति दी गई है। 

दक्षेस देशों से साझी रणनीति बनाने का आह्वान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दक्षेस देशों के साथ मिलकर कोरोना वायरस से लड़ने की पहल की। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सार्क देशों के नेताओं से संवाद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि आपस में एकजुट होकर हम दुनिया के सामने एक उत्‍कृष्‍ट उदाहरण पेश कर सकते हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने दक्षेस कोरोना आपात कोष बनाने की घोषणा की। प्रधानमंत्री मोदी के इस पहल को सार्क देशों का व्यापक समर्थन मिल रहा है।

 

 

 

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