प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजनरी नेतृत्व में भारत दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है। आज देश में ऐसा कोई सेक्टर नहीं है जो तरक्की की नई बुलंदी न छू रहा हो। देश की आजादी के बाद कांग्रेस ने कई ऐसे क्षेत्र को उपेक्षित छोड़ दिया जिससे देश समग्र विकास से वंचित रहा। इन्हीं में से एक म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट निर्माण उद्योग था। जो सेक्टर कल तक उपेक्षित था, पीएम मोदी की प्रेरणा से अब भारत उन क्षेत्रों में भी बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। आज वैसी चीजों का भी निर्यात बढ़ा है जो पहले एक सपना समझा जाता था। वह चाहे पूर्वोत्तर राज्यों से कृषि उत्पादों का निर्यात हो, खिलौना निर्यात हो, खादी का निर्यात हो, कालीन का निर्यात हो और म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट का निर्यात हो। आज से कुछ साल पहले तक भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों के निर्यात पर कभी चर्चा भी नहीं होती थी क्योंकि निर्यात नगण्य था। पीएम मोदी के 9 साल के कार्यकाल में हर उस सेक्टर की सुध ली गई है जिसमें भारत अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकता है। यही वजह है कि भारतीय वाद्ययंत्रों का निर्यात तेज गति से बढ़ रही है और दुनिया भारतीय धुन की दीवानी हो रही है।
वाद्ययंत्रों का निर्यात करीब 4 गुना बढ़कर 370 करोड़ रुपये
भारतीय वाद्ययंत्रों (म्यूजिकल इंट्रूमेंट्स) का निर्यात वित्त वर्ष 2013-14 में 93 करोड़ रुपये हुआ था जबकि वित्त वर्ष 2022-23 में यह करीब चार गुना (3.98) बढ़कर 370 करोड़ रुपये हो गया। इन आंकड़ों से आप कल्पना कर सकते हैं कि जहां आजादी के 65 वर्षों बाद 2013 तक 93 करोड़ निर्यात हुआ वहीं पीएम मोदी के नेतृत्व में पिछले 9 साल में यह बढ़कर 370 करोड़ रुपये हो गया।
भारतीय म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट 173 से अधिक देशों में निर्यात
आज भारतीय म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट 173 से अधिक देशों में निर्यात किए जाते हैं। सबसे बड़े खरीदार देशों में अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, जापान और यूके जैसे विकसित देश शामिल हैं। इससे पता चलता है कि भारतीय संस्कृति और संगीत का क्रेज दुनियाभर में बढ़ रहा है। सबसे ज्यादा निर्यात वाले वाद्य यंत्रों में डमरू, तबला, हारमोनियम, ढोलक, मंजीरा जैसे वाद्य यंत्र शामिल हैं।
पीएम मोदी ने कहा था- हम भारतीय, हर चीज में तलाश लेते हैं संगीत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 27 नवंबर, 2022 को ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 95वें संस्करण में कहा था कि वेदों में सामवेद को तो हमारे विविध संगीतों का स्त्रोत कहा गया है। मां सरस्वती की वीणा हो, भगवान श्रीकृष्ण की बांसुरी हो, या फिर भोलेनाथ का डमरू, हमारे देवी-देवता भी संगीत से अलग नहीं है। हम भारतीय, हर चीज में संगीत तलाश ही लेते हैं। चाहे वह नदी की कलकल हो, बारिश की बूंदें हों, पक्षियों का कलरव हो या फिर हवा का गूंजता स्वर, हमारी सभ्यता में संगीत हर तरफ समाया हुआ है। यह संगीत न सिर्फ शरीर को सुकून देता है, बल्कि, मन को भी आनंदित करता है। संगीत हमारे समाज को भी जोड़ता है। यदि भांगड़ा और लावणी में जोश और आनन्द का भाव है, तो रविन्द्र संगीत, हमारी आत्मा को आह्लादित कर देता है। देशभर के आदिवासियों की अलग-अलग तरह की संगीत परम्पराएं हैं। ये हमें आपस में मिलजुल कर और प्रकृति के साथ रहने की प्रेरणा देती है।
देश की सांस्कृतिक परंपराओं का अभिन्न अंग हैं वाद्य यंत्र
प्राचीन भारतीय मूर्तियों और चित्रों में उन वाद्य यंत्रों का उपयोग दर्शाया गया है जिन्हें हम आज देखते हैं। चमड़ा, लकड़ी, धातु और मिट्टी के बर्तन जैसी चीज़ों सहित कई विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन प्रक्रिया में उपयोग के कारण वाद्य यंत्रों को बनाने में महान कौशल की आवश्यकता होती है और संगीत और ध्वनिक सिद्धांतों की भी। भारतीय शास्त्रीय संगीत की दो प्रमुख परंपराएं हैं – हिंदुस्तानी और कर्णाटक। साथ ही, लोक, जनजातीय, इत्यादि जैसी और कई अन्य परंपराएं भी हैं। प्राचीन काल से, इन परंपराओं के भारतीय संगीतकारों ने, अपनी शैली के अनुरूप, पारंपरिक और देशज वाद्य यंत्रों का विकास किया और उन्हें बजाया। इसलिए, भारत के वाद्य यंत्रों की एक समृद्ध विरासत है और ये इस देश की सांस्कृतिक परंपराओं का अभिन्न अंग हैं।
भरत मुनि के वाद्य यंत्र समूह को यूरोप ने 12वीं सदी में अपनाया
भरत मुनि के नाट्य शास्त्र में वाद्य यंत्रों को चार समूहों में एकत्रित किया गया है। अवनद्ध वाद्य ( ताल वाद्य), घन वाद्य (ठोस वाद्य) , सुषिर वाद्य (वायु वाद्य) और तत वाद्य (तार वाले वाद्य)। भारत के वाद्य यंत्रों का भरत मुनि द्वारा दिया गया यह प्राचीन वर्गीकरण 12वीं सदी में यूरोप में अपनाया गया और यूरोप के वाद्य यंत्रों के वर्गीकरण में उपयोग किया गया। बाद में चार वर्गों को यूनानी नाम दिए गए – तत वाद्य के लिए कोरडोफ़ोन्स, अवनद्ध वाद्य के लिए मेमब्रानोफ़ोन्स, सुषिर वाद्य के लिए एरोफ़ोन्स और घन वाद्यों के लिए ऑटोफ़ोन्स। इस प्रकार पाश्चात्य वर्गीकरण प्रणाली प्राचीन भारतीय नाट्य शास्त्र पर आधारित है।
मोदी सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए हर सेक्टर को मजबूत करने पर जोर दे रही है। यही वजह है कि आज हर सेक्टर में निर्यात बढ़ रहा है। निर्यात के आंकड़ों पर एक नजर-
निर्यात का बना नया रिकॉर्ड, 2022-23 में 13.9 प्रतिशत बढ़ा
पीएम मोदी के विजन से तमाम वैश्विक चुनौतियों के बावजूद वस्तु व सेवा निर्यात ने वित्त वर्ष 2022-23 में फिर से नया रिकॉर्ड बनाया है। वित्त वर्ष 2021-22 में भी वस्तु व सेवा दोनों ही निर्यात ने रिकॉर्ड बनाए थे। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 में वस्तु व सेवा का कुल निर्यात 770.18 अरब डॉलर का रहा, जो वित्त वर्ष 2021-22 में वस्तु व सेवा के कुल निर्यात से 13.9 फीसद अधिक है। वित्त वर्ष 2021-22 में वस्तु व सेवा का कुल निर्यात 676.53 अरब डॉलर का था।
2021-22 के मुकाबले 93.65 अरब डॉलर का अधिक रहा निर्यात
आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 में वस्तु व सेवा का कुल आयात 892.18 अरब डॉलर का रहा, जो 21-22 के मुकाबले 132 अरब डॉलर अधिक है। इस प्रकार वित्त वर्ष 2022-23 में कुल व्यापार घाटा 122 अरब डॉलर का रहा, जबकि पूर्व के वित्त वर्ष में व्यापार घाटा 83.53 अरब डॉलर का था।
वित्त वर्ष 21-22 में सेवा निर्यात 254.53 अरब डॉलर का था
मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 22-23 में वस्तु का निर्यात 447.46 अरब डॉलर का रहा जो पूर्व के वित्त वर्ष में किए गए 422 अरब डॉलर के वस्तु निर्यात से 6.03 फीसदी अधिक है। वित्त वर्ष 2022-23 में सेवा निर्यात 26.79 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 322.72 अरब डॉलर का रहा, जबकि वित्त वर्ष 21-22 में सेवा निर्यात 254.53 अरब डॉलर का था।
कालीन निर्यात 11 हजार करोड़ रुपये तक पहुंचा
भारत का कालीन उद्योग प्राचीन काल से प्रख्यात रहा है लेकिन कांग्रेस की सरकार ने इसे बढ़ावा देने के लिए ध्यान नहीं दिया। वर्ष 2014 में केंद्र की सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर सेक्टर पर ध्यान दिया और इसकी वजह से आज कालीन निर्यात नए रिकार्ड बना रही है इससे जुड़ा उद्योग भी फल-फूल रहा है। वित्त वर्ष 2013-14 के अप्रैल-दिसंबर अवधि में कालीन निर्यात 7,127 करोड़ रुपये थी। वहीं 2022-23 में इसी अवधि में डेढ़ गुना से ज्यादा बढ़कर 11,274 करोड़ रुपये हो गया। यह पीएम मोदी के विजन से ही संभव हो पाया कि कालीन निर्यात पिछले नौ साल में दोगुना के करीब पहुंचने वाला है।
खिलौना निर्यात छह गुना बढ़कर 1,017 करोड़ रुपये पहुंचा
2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र की सत्ता में आने के बाद भारत के विकास की तस्वीर बदल दी। बंद पड़े खाद कारखानों से लेकर कई उद्योगों एवं फैक्टरी को फिर से शुरू किया गया। इन्हीं उद्योगों में एक था खिलौना उद्योग जिसे कांग्रेस ने मरने के लिए अपने हाल पर छोड़ दिया था। लेकिन पीएम मोदी के विजन से खिलौना उद्योग सफलता के नए कीर्तिमान रच रहा है। वित्त वर्ष 2022-23 की अप्रैल-दिसंबर अवधि के दौरान देश का खिलौनों का निर्यात छह गुना बढ़कर 1,017 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। जबकि इसी अवधि में 2013 में यह 167 करोड़ रुपये था। वर्ष 2021-22 में निर्यात 2,601 करोड़ रुपये रहा था।
खिलौना आयात 67 प्रतिशत कम हुआ, देश का पैसा विदेश जाने से बचा
पीएम मोदी के विजन से देश में उत्पादन बढ़ने से केवल निर्यात ही नहीं बढ़ रहा है बल्कि आयात भी घट रहा है। जहां निर्यात बढ़ने से देश में पैसा आ रहा है वहीं आयात घटने से देश का पैसा विदेश जाने से बच रहा है। इसका ताजा उदाहरण है खिलौना उद्योग। इस उद्योग ने 2014-15 में 322.55 मिलियन डॉलर (करीब 26 अरब रुपये) के खिलौने आयात किए थे। वहीं 2021-22 में खिलौना आयात घटकर 109.72 मिलियन डॉलर (करीब 8 अरब रुपये) रह गया है।
दवाओं का निर्यात एक लाख करोड़ रुपये से ऊपर पहुंचा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ‘विश्व की फार्मेसी’ बनने की ओर अग्रसर है। अप्रैल-दिसंबर 2022 में दवाओं एवं फार्मास्युटिकल उत्पादों का निर्यात 2013 की इसी अवधि की तुलना में लगभग 2.4 गुना बढ़ गया। अप्रैल-दिसंबर 2013-14 में भारत से दवाओं का निर्यात जहां 49,200 करोड़ रुपये का था वहीं अप्रैल-दिसंबर 2022-23 में यह बढ़कर 1,17,740 करोड़ रुपये हो गया। विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारत से दवा का निर्यात वित्त वर्ष 2023 में 27 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर को छू सकता है। फार्मास्युटिकल्स एक्सपोर्ट्स प्रमोशन काउंसिल (Pharmexcil) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह अब तक का सबसे अधिक मूल्यांकन वाला निर्यात होगा।
मेड इन इंडिया का कमाल, 2.5 अरब डॉलर से अधिक के आईफोन का एक्सपोर्ट
पहले भारत में चीन में निर्मित सस्ते स्मार्ट फोन की बड़ी मांग थी, लेकिन अब भारत में बने आईफोन की मांग पूरी दुनिया में बढ़ गई हैं। एप्पल ने 2022-23 के पहले नौ महीने यानी पिछले साल अप्रैल-दिसंबर माह में भारत से 2.5 बिलियन डॉलर से अधिक के आईफोन का एक्सपोर्ट किया, जो पूरे वित्त वर्ष 2021-22 (FY22) में किए गए निर्यात का लगभग दोगुना है। तेजी से बढ़ती संख्या इस बात की ओर इशारा करती है कि कैसे एप्पल अपने उत्पादन को चीन के बाहर स्थानांतरित कर रही है। इस क्षेत्र के जानकारों मुताबिक भारत में आईफोन बनाने वाले फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी समूह और विस्ट्रॉन कॉर्प ने साल 2022-23 के पहले नौ महीने में एक-एक अरब डॉलर से ज्यादा के एप्पल के साजो-सामानों का निर्यात किया है। एप्पल के लिए प्रोडक्शन करने वाली एक और कंपनी पेगाट्रॉन कॉर्प भी इस महीने के अंत तक करीब 50 करोड़ डॉलर के Gadgets निर्यात करने वाली है।
रक्षा निर्यात 10 गुना बढ़कर 16,000 करोड़ रुपये पहुंचा
सरकार की तरफ से निरंतर नीतिगत पहलों और रक्षा उद्योग के अभूतपूर्व योगदान के माध्यम से भारत ने वित्त वर्ष 2022-23 में रक्षा निर्यात में अहम उपलब्धि हासिल की है। इस वित्त वर्ष में निर्यात अपने लगभग 16,000 करोड़ रुपये के अभी तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में लगभग 3,000 करोड़ रुपये ज्यादा है। यह 2016-17 के बाद से 10 गुना से ज्यादा बढ़ गया है। भारत फिलहाल 85 से ज्यादा देशों को निर्यात कर रहा है। भारतीय उद्योग ने वर्तमान में रक्षा उत्पादों का निर्यात करने वाली 100 कंपनियों के साथ डिजाइन और विकास की अपनी क्षमता दुनिया को दिखाई है। बढ़ता रक्षा निर्यात और एयरो इंडिया 2023 में 104 देशों की भागीदारी भारत की बढ़ती रक्षा निर्माण क्षमताओं का प्रमाण है।
आठ साल पहले तक रक्षा उत्पाद का आयातक था भारत
लगभग आठ साल पहले तक एक आयातक के तौर पर पहचाना जाने वाला भारत, आज ड्रोनियर-228, 155 एमएम एडवांस्ड टोड आर्टिनरी गन्स (एटीएजी), ब्रह्मोस मिसाइल, आकाश मिसाइल सिस्टम्स, रडार, सिमुलेटर, माइन प्रोटेक्टेड व्हीकल्स, आर्मर्ड व्हीकल्स, पिनाका रॉकेट और लॉन्चर, एम्युनिशन, थर्मल इमेजर, बॉडी आर्मर, सिस्टम, लाइन रिप्लेसिएबिल यूनिट्स और एवियॉनिक्स और स्मॉल आर्म्स के भाग और घटकों जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स का निर्यात करता है। दुनिया में एलसीए-तेजस, लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर, एयरक्राफ्ट कैरियर, एमआरओ गतिवधियों की मांग बढ़ रही है।
रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 5-6 वर्षों में कई नीतिगत पहल
रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने पिछले 5-6 वर्षों के दौरान कई नीतिगत पहल की हैं और सुधार किए हैं। पूरी तरह से ऑनलाइन निर्यात की व्यवस्था के साथ देरी को कम करने और कारोबारी सुगमता के साथ निर्यात प्रक्रियाओं को सरल और उद्योग के अनुकूल बना दिया गया है। सरकार ने प्रौद्योगिकी, बड़े प्लेटफॉर्म्स और और उपकरणों के अंगों और घटकों के निर्यात एवं हस्तांतरण के लिए तीन ओपन जनरल एक्सपोर्ट लाइसेंग (ओजीईएल) अधिसूचित किए हैं। ओजीईएल एक बार में दिया जाने वाला निर्यात लाइसेंस है, जो ओजीईएल की वैधता के दौरान निर्यात अधिकार की मांग किए बिना ओजीईएल में उल्लिखित विशिष्ट वस्तुओं में से निर्दिष्ट वस्तुओं के निर्यात करने की अनुमति देता है।
अनाज के निर्यात में 53.78 प्रतिशत की बढ़ोतरी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में जहां अनाजों का भरपूर उत्पादन हो रहा है, वहीं भारत को निर्यात के मोर्चे पर लगातार सफलता मिल रही है। कृषि व खाद्य वस्तुओं के निर्यात में लगातार तेज बढ़ोतरी देखी जा रही है। चावल के अलावा विभिन्न प्रकार के अनाज के निर्यात में तो नवंबर 2022 में 53.78 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर माह में चाय, चावल, विभिन्न अनाज, तंबाकू, ऑयल मिल्स, तिलहन, फल व सब्जी, विभिन्न प्रकार के तैयार अनाज व प्रोसेस्ड आइटम के निर्यात में पिछले साल नवंबर के मुकाबले दहाई अंक में बढ़ोतरी रही। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चाय 27.03 प्रतिशत, चावल 19.16 प्रतिशत, ऑयल मिल्स 17.55 प्रतिशत, तिलहन 38.83 प्रतिशत, फल व सब्जी 25.01 प्रतिशत, प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के एक्सपोर्ट करने में 22.75 प्रतिशत की ग्रोथ हुई है। निर्यातकों के मुताबिक आगामी वर्ष को संयुक्त राष्ट्र ने मिलेट्स वर्ष घोषित किया है और इससे मोटे अनाज के निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा।
40 हजार करोड़ रुपये से अधिक के मोबाइल फोन का निर्यात
नीति आयोग के अनुसार चालू वर्ष के दौरान नवंबर 2022 तक, मोबाइल फोन का निर्यात 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक का हो चुका है। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान हुए निर्यात के दोगुने से भी अधिक है। मोबाइल फोन का उत्पादन जो 2014-15 में लगभग छह करोड़ का था वह 2021-22 में बढ़कर लगभग 31 करोड़ हो गया। जिस रफ्तार से मोबाइल फोन का निर्यात हो रहा है, उससे यह उम्मीद की जा रही है कि पूरे वित्त वर्ष 2022 के आंकड़े को दिसंबर की शुरुआत में ही पार कर लिया जाएगा और वित्तीय वर्ष 2023 को यह 8.5-9 बिलियन डॉलर की सीमा को भी पार कर लेगा। वहीं भारत ने वित्त वर्ष 2022 में 5.8 बिलियन डॉलर के मोबाइल फोन का निर्यात किया है।
मोबाइल आयात पर निर्भरता लगभग 5 प्रतिशत हुआ
उद्योग निकाय इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के मुताबिक, जैसे-जैसे निर्यात बढ़ रहा है, भारत ने वित्त वर्ष 2022 में मोबाइल आयात पर निर्भरता को भी लगभग 5 प्रतिशत तक कम कर दिया है, जो 2014-15 में 78 प्रतिशत के उच्च स्तर पर था। वहीं अब भारत का लक्ष्य 2025-26 तक 60 बिलियन डॉलर के सेल फोन का निर्यात करना है। शुरुआत में भारत से मुख्य तौर पर साउथ एशिया, अफ्रीका, मिडिल ईस्ट और ईस्टर्न यूरोप के देशों को मोबाइल फोन निर्यात किया जाता था। लेकिन अब कंपनियों का ध्यान यूरोप और एशिया के कॉम्पिटिटिव मार्केट पर है। पहले मोबाइल फोन निर्यात के मामले में काफी पीछे हुआ करता था। वर्ष 2016-17 में देश से केवल 1 प्रतिशत से अधिक ही मोबाइल फोन उत्पादन का निर्यात हुआ करता था, लेकिन आईसीईए के आंकड़ों के अनुसार यह प्रतिशत 2021-22 में बढ़कर लगभग 16 प्रतिशत तक पहुंच गया। वहीं ऐसी संभावनाएं जतायी जा रही हैं कि साल 2022-2023 में उत्पादन का लगभग 22 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा।
पीएम मोदी के विजन से फलों का निर्यात तीन गुना बढ़ा
भारत विश्वभर में आम, केला, आलू तथा प्याज जैसे फलों और सब्जियों का प्रमुख उत्पादक है। सब्जियों की बात करें तो अदरक और भिंडी के उत्पादन में भारत पहले स्थान पर है। आलू, प्याज, फूलगोभी, बैगन तथा पत्ता गोभी आदि के उत्पादन में विश्व में दूसरा स्थान रखता है। लेकिन जब बात निर्यात या वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी की आती है तो इसमें भारत बहुत पीछे रह गया। वर्ष 2014 में देश की बागडोर संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समूचे भारत के विकास पर जोर दिया और उन्होंने हर उस सेक्टर की पहचान की जिसमें भारत बेहतर कर सकता है। पिछले आठ साल में भारतीय फल पपीता और खरबूजे के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2013-2014 के अप्रैल-सितंबर में इन दोनों फलों का निर्यात जहां 21 करोड़ रुपये का होता था वहीं अब अप्रैल-सितंबर वर्ष 2022-2023 में यह तीन गुना बढ़कर 63 करोड़ रुपये का हो गया है।
आदिवासी हैंडीक्राफ्ट ने विदेशों में की 12 करोड़ डॉलर से अधिक की कमाई
देश के निर्यात में हैंडीक्राफ्ट का हिस्सा बढ़ता जा रहा है। हैंडीक्राफ्ट का करीब 30 फीसदी की दर से निर्यात बढ़ रहा है। हाल ही के आंकड़ों के मुताबिक आदिवासी हस्तशिल्प ने विदेशी बाजारों में 12 करोड़ डॉलर से अधिक की कमाई की है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में बताया कि भारत अब सबसे बड़े हस्तशिल्प निर्यातक देशों में से एक है, जिसमें आदिवासी हस्तशिल्प विदेशी बाजारों में 120 मिलियन डॉलर से अधिक की कमाई करते हैं। आज दुनिया के 90 से अधिक देश भारत के हस्तशिल्प उत्पादों को खरीदते हैं।
चीनी निर्यात करीब 7 गुना बढ़कर 46 हजार करोड़ रुपये पहुंचा
चीनी का निर्यात अप्रैल-फरवरी 2013-14 में 7188 करोड़ रुपये था जबकि अप्रैल-फरवरी 2022-23 में यह करीब 7 गुना बढ़कर 46289 करोड़ रुपये हो गया। चालू विपणन वर्ष 2022-23 के फरवरी तक चीनी उत्पादन 24.7 मिलियन टन पर पहुंच गया है। सरकार ने इस साल 6 लाख टन (6 मिलियन टन) चीनी के निर्यात की अनुमति दी है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है और शीर्ष निर्यातकों में से एक है।
ब्रांडेड कपड़े का निर्यात साढ़े तीन गुना बढ़कर 4200 करोड़ रुपये
पीएम मोदी के सत्ता में आने से पहले अप्रैल-फरवरी 2013-2014 में ब्रांडेड कपड़े का निर्यात 1337 करोड़ रुपये का हुआ था। वहीं अप्रैल-फरवरी 2022-2023 में यह करीब साढ़े तीन गुना बढ़कर 4266 करोड़ रुपये हो गया है। नौ साल में ही साढ़े तीन गुना की वृद्धि सरकार द्वारा शुरू की गई कई योजनाओं की वजह से ही संभव हो पाया है।
दुनिया को भा रहा भारत के दही व पनीर का स्वाद, निर्यात 5 गुना बढ़ा
भारत के दही व पनीर के निर्यात के बारे में पहले बात भी नहीं की जाती थी लेकिन पीएम मोदी के नेतृत्व में इस सेक्टर का निर्यात भी लगातार बढ़ रहा है और इसका स्वाद दुनिया को पसंद आ रहा है। अप्रैल-दिसंबर 2013 में जहां दही-पनीर का निर्यात करीब 54 करोड़ रुपये का था वहीं अप्रैल-दिसंबर 2022 में यह पांच गुना से ज्यादा बढ़कर 276 करोड़ रुपये हो गया।
दुनिया भारतीय चॉकलेट से कर रही मुंह मीठा, निर्यात दोगुना बढ़ा
देश में दूध और कोको की पैदावार बढ़ने से देश के चॉकलेट उद्योग को पंख लग रहे हैं। पूरी दुनिया में जहां चॉकलेट इंडस्ट्री में ठहराव आ चुका है वहीं भारत में 13 प्रतिशत की दर से चॉकलेट उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। अप्रैल-दिसंबर 2013 में भारतीय चॉकलेट का निर्यात जहां 304 करोड़ रुपये था वहीं अप्रैल-दिसंबर 2022 में यह दोगुना से ज्यादा बढ़कर 677 करोड़ रुपये हो गया। ट्रेड प्रमोशन काउंसिल आफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार साल 2025 में भारत में कोको उत्पादन दोगुना होने के साथ 30 हजार टन होने की उम्मीद है। ऐसे में भारत के चाकलेट उद्योग को बड़ी मात्रा में कच्चे माल के रूप में चाकलेट मिलेगा और भारत चाकलेट के प्रमुख निर्यातक देशों में शामिल हो जाएगा।
देसी मकई की दीवानी हुई दुनिया, निर्यात 1.5 गुना बढ़ा
दुनिया के कुछ प्रमुख मक्का उत्पादक देशों में इस साल उत्पादन घटा है। उत्पादन में गिरावट के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में मक्का की किल्लत है। नतीजतन, कीमत में अच्छी वृद्धि हुई है, और इसका लाभ किसानों को मिल रहा है। अप्रैल-दिसंबर 2013 में जहां 4274 करोड़ रुपये के मक्के का निर्यात किया गया था वहीं अप्रैल-दिसंबर 2022 में यह डेढ़ गुना बढ़कर 6507 करोड़ रुपये हो गया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में मक्का की मांग में भारी इजाफा हुआ है। इससे भारत से मक्का का निर्यात भी बढ़ा है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक 2022-23 में मक्का के निर्यात में 1.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। कृषि मंत्रालय ने जानकारी दी है कि इस साल 6 हजार 507 करोड़ रुपये के मक्के का निर्यात किया गया है।
भारत का स्टील निर्यात दोगुना बढ़कर 80 हजार करोड़ रुपये
भारत अब दुनिया के इंफ्रास्ट्रक्चर में भी योगदान कर रहा है। आयरन और स्टील निर्यात अप्रैल-दिसंबर 2013 में जहां 41,142 करोड़ रुपये था वहीं अप्रैल-दिसंबर 2022 में भारत का स्टील निर्यात दोगुना बढ़कर 79,623 करोड़ रुपये हो गया। भारत ने जनवरी-नवंबर 2022 की अवधि में 11.34 करोड़ टन कच्चे इस्पात का उत्पादन किया, जो सालाना आधार पर 10 प्रतिशत अधिक है। सरकार का लक्ष्य कच्चे इस्पात की उत्पादन क्षमता को 15 करोड़ टन के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 30 करोड़ टन करने तक पहुंचाना है।
लद्दाख से 35 एमटी ताजा खुबानी का निर्यात किया गया
लद्दाख से कृषि और खाद्य उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय निर्यात को बढ़ावा देने वाली अपनी संस्था एपीडा के माध्यम से ‘लद्दाख एप्रिकोट’ यानी लद्दाख खुबानी ब्रांड के तहत लद्दाख से निर्यात बढ़ाने के लिए खुबानी मूल्य श्रृंखला के हितधारकों को सहायता देने की प्रक्रिया में है। खुबानी लद्दाख के महत्वपूर्ण फलों में से एक है और स्थानीय स्तर पर ‘चुली’ के नाम से जानी जाती है। एपीडा ने वर्ष 2021 के दौरान केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख से ताजा खुबानी फलों के निर्यात की पहचान की थी और खुबानी सीजन 2021 के अंत में परीक्षण के तहत इसकी दुबई को आपूर्ति की गई थी। इसके अनूठे स्वाद और सुगंध के कारण उत्पाद की स्वीकार्यता के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्पाद की खासी मांग थी। एपीडा ने 14 जून, 2022 को लेह में एक अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता बैठक का भी आयोजन किया था, जो खुबानी की खेती का सीजन शुरू होने से ठीक पहले हुई थी। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख से खुबानी और अन्य कृषि उत्पादों के उत्पादकों और आपूर्तिकर्ताओं के साथ संवाद के लिए भारत, अमेरिका, बांग्लादेश, ओमान, दुबई, मॉरिशस आदि देशों के 30 से ज्यादा खरीदार एकजुट हुए थे। इसके परिणामस्वरूप 2022 सीजन के दौरान पहली बार लद्दाख से 35 एमटी ताजी खुबानी का विभिन्न देशों को निर्यात किया गया। परीक्षण के तहत 2022 सीजन के दौरान सिंगापुर, मॉरिशस, वियतनाम जैसे देशों को भी शिपमेंट भेजी गई। 15,789 टन के कुल उत्पादन के साथ लद्दाख देश का सबसे बड़ा खुबानी उत्पादक है जो कुल उत्पादन का लगभग 62 प्रतिशत है। इस क्षेत्र में लगभग 1,999 टन सूखी खुबानी का उत्पादन किया, जिससे यह देश में सूखी खुबानी का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है। लद्दाख में खुबानी की खेती का कुल क्षेत्रफल 2,303 हेक्टेयर है।
बासमती चावल के एक्सपोर्ट में 39 फीसद की बढ़ोतरी
भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश बन चुका है। ऐसे में सबसे ज्यादा बासमती चावल का निर्यात होता है। आंकड़ों पर नजर डालें तो शिपिंग प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने चालू वित्त वर्ष के दौरान 2873 मिलियन टन सुगंधित बासमती चावल का निर्यात किया है। पिछले साल की तुलना में बासमती चावल का निर्यात 39 प्रतिशत बढ़ा है। वित्त वर्ष 2021-22 में अप्रैल से नवंबर के दौरान 2063 मिलियन टन बासमती चावल का निर्यात किया गया था। उसके बाद वर्ष 2022 में अप्रैल से नवंबर के दौरान 2873 मिलियन टन सुगंधित बासमती चावल का निर्यात किया गया है।
भारत के चावल का निर्यात अमेरिका, यूरोप और सऊदी अरब देशों में
भारत का गन्ना, गेहूं और मोटा अनाज विदेशों में खूब सूर्खियां बटोरता नजर आता है लेकिन अब इसमें बासमती चावल भी शामिल हो चुका है। अपने स्वाद, सुगंध और लंबे दाने की वजह से विदेशों में भी अब इसकी मांग बढ़ती जा रही है। जिस वजह से भारत दुनिया के सबसे बड़े चावल एक्सपोर्टर के रूप में उभरता नजर आ रहा है। यहां का बासमती चावल कई देशों में भेजा जा रहा है। भारत के बासमती चावल का निर्यात अमेरिका, यूरोप और सऊदी अरब जैसे देशों में किया जाता है। वहीं गैर बासमती चावल की बात करें तो इसका एक्सपोर्ट अफ्रीकी देशों में ज्यादा किया जाता है। लगभग दो-तिहाई बासमती चावल ईरान, सऊदी अरब, इराक, संयुक्त अरब अमीरात और यमन को निर्यात किया जाता है।
मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों का निर्यात 10.29 प्रतिशत बढ़ा
मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों के निर्यात में 10.29 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। अकेले पोल्ट्री निर्यात में 83 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। इन रिकॉर्ड निर्यातों से देश को 57 मिलियन अमरीकी डॉलर का लाभ हुआ है। डेयरी उत्पादों की बात करें तो यहां भी 58 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जहां अप्रैल-सितंबर 2021-22 में क्षेत्र से 216 मिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई हुई थी वहीं अप्रैल-सितंबर 2022-23 में यह कमाई 342 मिलियन अमेरिकी डॉलर रही।
कृषि उत्पादों के निर्यात में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी
कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 की समान अवधि के मुकाबले चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 के 6 महीनों के दौरान 25% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान 11,056 मिलियन डॉलर के कृषि एवं प्रशंसक खाद्य उत्पाद निर्यात किए गए थे जबकि इस वर्ष 13,771 मिलीयन डॉलर दर्ज किया गया है। निर्यात किए गए उत्पादों में फल, सब्जियां और अनाज मुख्य रूप से शामिल है।
148 करोड़ डॉलर के गेहूं का निर्यात
देश के गेहूं निर्यात में जबरदस्त उछाल आया है। अप्रैल से सितंबर 2022 के दौरान देश से कुल 148 करोड़ डॉलर का गेहूं एक्सपोर्ट किया गया, जो पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही के मुकाबले दोगुने से भी ज्यादा है। अप्रैल से सितंबर 2021 के दौरान देश से कुल 63 करोड़ रुपये के गेहूं का निर्यात किया गया था।
मसाला निर्यात में 22 फीसदी वृद्धि, बढ़कर 42,860 टन हुआ
नवंबर 2022 में भारत से मसाला निर्यात बढ़कर 42,860 टन हो गया। मसाला बोर्ड की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार नवंबर में निर्यात 0.56 प्रतिशत बढ़कर 42,860 टन रहा। पिछले वर्ष इसी महीने में 42,620 टन मसालों का निर्यात हुआ था। इस दौरान मसाला निर्यात 22 प्रतिशत बढ़कर 62,162.78 करोड़ रुपये का रहा, जो पिछले वर्ष नवंबर में 50,969.37 करोड़ रुपये का था। नवंबर में भारत ने 25,000 टन मिर्च का निर्यात किया जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 19,500 टन का हुआ था। मसाला बोर्ड के बयान के अनुसार अप्रैल-नवंबर 2010 के दौरान 4,320.8 करोड़ रुपये के 3.6 लाख टन मसालों का निर्यात किया गया। अप्रैल-नवंबर 2009 में 3,770.1 करोड़ रुपये मूल्य के 3,41,950 टन मसालों का निर्यात हुआ था। यह मात्रा में 6 प्रतिशत और मूल्य के हिसाब से 15 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। बोर्ड ने कहा कि चालू वित्तवर्ष में 4,65,000 टन/5,100 करोड़ रुपये के मसाला निर्यात कर लक्ष्य रखा गया है।
रत्न और आभूषण निर्यात 2.48 प्रतिशत बढ़ा
वित्त वर्ष 2022-23 के लिए, कुल रत्न और आभूषण निर्यात 2.48 प्रतिशत बढ़कर पिछले वर्ष इसी अवधि के लिए 293193.19 करोड़ रुपये की तुलना में 300462.52 करोड़ रुपये हो गया है। रत्न और आभूषण उद्योग पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि उद्योग के उत्पादों के डिजाइन, सौंदर्य और परंपरा एवं इनमें आधुनिकता का मिश्रण भारतीयता के भाव को दर्शाता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि रत्न और आभूषण उद्योग देश के युवाओं के लिए लाखों रोजगार और अवसर सृजित करते हुए अपनी विकास गाथा जारी रखेगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार में हम यह सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं कि व्यापार करने में आसानी हो ताकि इस क्षेत्र से जुड़े सभी उद्योग सत्यनिष्ठा और कुशलता से व्यवसाय करना जारी रखें।
दुनिया के सबसे बड़े आभूषण पार्कों में से एक नवी मुंबई में बन रहा
रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के अध्यक्ष विपुल शाह ने कहा कि सरकार की ओर से मुंबई में एसईईपीजेड के साथ व्यापक सामान्य सुविधा केन्द्र (सीएफसी) में 100 करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस केंद्र का उद्घाटन इस वर्ष सितंबर में करने की योजना है। इसका संचालन और कार्यान्वयन परिषद द्वारा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जीजेईपीसी ने पहले ही नवी मुंबई में दुनिया के सबसे बड़े आभूषण पार्कों में से एक का निर्माण प्रारंभ कर दिया है। यह केंद्र तुर्की अथवा इटली की तरह ही आभूषणों के भारतीय निर्यात को इन्हीं के अनुरूप बदलना चाहता है।