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आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और कदम: भारतीय सेना को मिली नए स्वदेशी सुसाइडल ड्रोन की सौगात, सेना के लिए ब्रम्हास्त्र बनेगा नागास्त्र

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सेना को आत्मनिर्भर बनाने और वोकल फॉर लोकल की नीतियों का एक और सुखद परिणाम सामने आया है। दुश्मन के घर में घुसकर आत्मघाती हमला करने के लिए भारतीय सेना के पास एक नया शक्तिशाली ड्रोन आ गया है। स्वदेश में ही निर्मित इस शक्तिशाली ड्रोन का नाम नागास्त्र रखा गया है। इस ड्रोन में पैराशूट रिकवरी मैकेनिज्म है और इसके साथ ही इसमें कई सारी खासियत भी हैं। पीएम मोदी का ‘आत्मनिर्भर भारत’ का नारा अब रक्षा के क्षेत्र में भी तेजी से साकार हो रहा है। नागपुर की सोलर इंडस्ट्रीज के द्वारा विकसित किया गया पहला स्वदेशी लोइटर म्यूनिशन नागास्त्र-1 भारतीय सेना में शामिल होने के लिए तैयार है। लोइटर म्यूनिशन को आसान भाषा में सुसाइड ड्रोन या आत्मघाती ड्रोन भी कह सकते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेना ने सोलर इंडस्ट्रीज की सब्सिडियरी कंपनी इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड यानी कि EEL को 480 ऐसे ड्रोन का ऑर्डर दिया था, जिनमें से 120 नागास्त्र-1 ड्रोन सेना के गोला-बारूद डिपो को सौंप दिए गए हैं।

200 मीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर दुश्मन को नहीं आएगा नजर
भारतीय सेना लगातार अपने बेड़े को मजबूत कर रही है। विशेष प्रकार का मानव रहित नागास्त्र ड्रोन से भारतीय सेना की ताकत कई गुना बढ़ने वाली है। यह मानव रहित हवाई यान (यूएवी) भारतीय सेना के लिए किसी ब्रह्मास्त्र से कम नहीं होगा। बता दें कि नागास्त्र-1, ‘कामिकेज़ मोड’ में 2 मीटर की सटीकता के साथ सटीक हमला करके दुश्मन के किसी भी ठिकाने को बर्बाद कर सकता है। 9 किलोग्राम वजन वाला यह ब्रह्मास्त्र 30 मिनट मिनट तक उड़ान भर सकता है और इसकी मैन-इन-लूप रेंज 15 किमी और ऑटोनॉमस मोड रेंज 30 किमी है। इस मैन-पोर्टेबल फिक्स्ड-विंग इलेक्ट्रिक यूएवी में इलेक्ट्रिक प्रपल्सन सिस्टम लगा है जिसकी वजह से 200 मीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर यह दुश्मन देशों के रडार में नहीं आ पाता। नागास्त्र दिन और रात में निगरानी करने वाले कैमरों के अलावा 1 किलोग्राम के खतरनाक बारूदी वॉरहेड से लैस है।

पहले ही हो चुका है लद्दाख की नुब्रा घाटी में सफल परीक्षण
नागपुर की एक कंपनी ने भारत में तैयार पहला स्वदेशी लोइटर म्यूनिशन यानी नागास्त्र-1 सेना को सौंप दिया है। इसी के साथ अपना कोई नुकसान किए बिना दुश्मनों को खत्म करना सेना के लिए काफी आसान हो जाएगा। यह पाकिस्तान व चीन जैसे देशों के बीहड़ इलाकों में भी दुश्मन की सेना का बड़ी आसानी के साथ सफाया करेगा। सेना को सौंपने से पहले ड्रोनों की जांच की गई। पिछली साल इस हथियार का चीन सीमा के पास लद्दाख की नुब्रा घाटी में सफल परीक्षण हुआ था। यानी भविष्य में सर्जिकल स्ट्राइक करने की जरुरत नहीं पड़ेगी। सीमा इस पार से ड्रोन उड़ेगा, वह दुश्मन के घर में घुसकर आत्मघाती हमला कर सकेगा।सेना के आर्मी एम्यूनिशन डिपो को 120 लोइटर म्यूनिशन सौंपे
रक्षा अधिकारी ने बताया कि नागपुर की सोलर इंडस्ट्रीज ने ड्रोन को तैयार किया है। उसके बाद कंपनी ने सेना के आर्मी एम्यूनिशन डिपो को 120 लोइटर म्यूनिशन सौंपे गए। भारतीय सेना ने सोलर इंडस्ट्रीज इकोनॉमिक्स एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड (EEL) को आपातकालीन खरीद शक्तियों के तहत करीब 480 नागास्त्र का ठेका दिया था। यह सोलर इंडस्ट्रीज नागपुर की अनुषंगी इकोनॉमिक्स एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड के सहयोग से बनाया गया है। सेना को सौंपने से पहले ड्रोनों की जांच की गई। उसके बाद कंपनी ने सेना के आर्मी एम्यूनिशन डिपो को 120 लोइटर म्यूनिशन सौंपे।पहले ‘प्रचंड’ और ‘तेजस’ के तेज ने बढ़ाई भारतीय सेनाओं की ताकत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक ओर आत्मनिर्भर और विकसित भारत बनाने के लिए अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर नित-नए रिकॉर्ड बना रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर सामरिक क्षेत्र में उनके विजन और सेना को दिये जा रहे हौसले से सरहदें और ज्यादा सुरक्षित हो रही हैं। वरना एक दशक पहले यूपीए सरकार की पॉलिसी पैरालिसिस ने देश को बहुत नुकसान पहुंचाया था। तब आलम यह था कि सालों तक सैन्य क्षेत्र के सौदे और रक्षा समझौते ही ताक पर रख दिए गए थे। सेना के आधुनिकीकरण की बात तो दूर, सेना के इस्तेमाल के लिए खरीददारी भी भारी पड़ती नजर आती थी। जब से पीएम मोदी ने सत्ता संभाली है, तो साफ कर दिया है कि अब एक मजबूत रक्षा कवच रहेगा और एक मजबूत सेना आत्मविश्वास से भरे भारत का प्रतीक होगी। पीएम मोदी न सिर्फ सेना के आधुनिकीकरण के लिए बल्कि सुधारों पर भी फोकस कर रहे हैं। आज भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना है, जिसके पास अति आधुनिक हथियार हैं। चीन और पाकिस्तान से सटे मोर्चों पर दोहरी सामरिक चुनौती के मद्देनजर रक्षा अधिग्रहण परिषद ने भारतीय सशस्त्र सेनाओं की ताकत बढ़ाने के लिए 2.23 लाख करोड़ रुपए की रक्षा खरीद को मंजूरी दी है। इसमें से 2.20 लाख करोड़ रुपए की खरीद स्वदेशी कंपनियों से होगी।

सेना को अत्याधुनिक बनाने को कई तरह के साजो-सामान की खरीद को मंजूरी
थल सेना के तोपखाना में अब सेवा अवधि पूरी कर चुकी इंडियन फील्ड गन (आइएफजी) की जगह टोव्ड गन सिस्टम लेगा। परिषद की बैठक में टीडीएस के खरीद प्रस्तावों का अनुमोदन किया गया। इसके अलावा 155 मिमी आर्टिलरी गन में उपयोग के लिए 155 मिमी नबलेस प्रोजेक्टाइल को मंजूरी दी गई। यह प्रोजेक्टाइल की मारक क्षमता और सुरक्षा बढ़ाएगा। टी-90 टैंकों के लिए स्वचालित लक्ष्य ट्रैकर और डिजिटल बेसाल्टिक कंप्यूटर तथा टैंक व बख्तरबंद गाडियों पर दुश्मन का वार बेअसर करने के लिए एंटी-टैंक युद्ध सामग्री, एरिया डेनियल म्यूनिशन (एडीएम) टाइप-2 और टाइप-3 की खरीद को भी मंजूरी दी गई है।सैन्य क्षेत्र में यह स्वदेशी निर्माताओं को मिलने वाला अब तक का सबसे बड़ा ऑर्डर
दोहरी सामरिक चुनौती के मद्देनजर रक्षा अधिग्रहण परिषद ने भारतीय सशस्त्र सेनाओं की ताकत बढ़ाने के लिए 2.23 लाख करोड़ रुपए की रक्षा खरीद को मंजूरी दी है। यह अब तक स्वदेशी निर्माताओं को मिलने वाला सबसे बड़ा ऑर्डर होगा। परिषद ने नौसेना की ताकत बढ़ाने के लिए लड़ाकू पोत के हल्के प्लेटफॉर्म से सतह पर मार करने वाली मध्यम रेंज की एंटी शिप मिसाइल (एमआरएएसएचएम) की खरीद के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी। एमआरएएसएचएम नौसेना के जहाजों पर प्राथमिक आक्रामक हथियार होगा। परिषद में मिली रक्षा उत्पादों की एओएन के बाद अब निर्माताओं के साथ कीमत निर्धारण के लिए नेगोशिएशन किया जाएगा। अंतिम कीमत निर्धारित हो जाने के बाद प्रस्ताव अंतिम निर्णय के लिए रक्षा मामलों की कैबिनेट समिति के समक्ष रखें जाएंगे। वहां से मंजूरी के बाद खरीद प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।

मोदी सरकार ने चीन से लगी 4000 किमी लंबी सीमा पर इंफ्रास्ट्रकचर पर दिया जोर
इससे पहले पीएम मोदी के दिशा निर्देशन में भारत में निर्मित जंगी जहाजों और पनडुब्बियों ने नेवी की मारक क्षमता को और बढाया। सेना के पास अब भारत में बने टैंक, मिसाइल और हैंड ग्रेनेड हैं जो आत्मनिर्भर भारत के नारे को चार चांद लगा रहे हैं। सुरक्षा के लिए साजो-सामान का इंतजाम करने के साथ साथ मोदी सरकार ने चीन से लगी 4000 किमी लंबी सीमा पर इंफ्रास्ट्रकचर पर जोर दिया और सभी सीमाओं पर सड़क से लेकर रेल, वायुमार्ग के रास्ते जल्दी से जल्दी पहुंचने का रास्ता भी बनाने पर जोर दिया। इसके शानदार नतीजे देश के सामने हैं। अब अगर चीन आंखें तरेरता है तो भारत की सेना उनकी आंखों में आंखे डाल कर बात करती है तो दूसरी तरफ पाकिस्तान की बोलती बंद है। आलम ये है कि पहले जहां सीमा पार से हुई गोलीबारी का जवाब देने के लिए दिल्ली से पूछना पड़ता था, अब सीमा पर मौजूद कमांडर को खुद ही निर्णय लेने का अधिकार मिल गया है। इससे आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी के साथ ही सरहदें और सुरक्षित हुई हैं। 

दुनिया को भरोसा दिलाने के लिए पीएम मोदी ने भरी थी स्वदेशी तेजस में उड़ान!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 नवंबर को बेंगलुरु में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमटेड (HAL) की फैसिलिटी के दौरे पर गए थे। यहां उन्होंने तेजस के मैन्यूफैक्चरिंग फैसिलिटी और अन्य सुविधाओं की समीक्षा की। इस दौरान पीएम मोदी ने एक को-पायलट की भूमिका निभाते हुए मेड-इन-इंडिया फाइटर जेट तेजस में उड़ान भरी। तेजस भारत की आत्मनिर्भरता की झलक है। तेजस भारत द्वारा विकसित किया जा रहा एक हल्का व कई तरह की भूमिकाओं वाला जेट लड़ाकू विमान है। यह HAL द्वारा विकसित एक सीट और एक जेट इंजन वाला, अनेक भूमिकाओं को निभाने में सक्षम एक हल्का युद्धक विमान है। इस विमान ने दुनिया को भारतीय टेक्नोलॉजी की खूबियों से परिचित कराया है। यही वजह है कि दुनिया के बड़े-बड़े देश इसमें दिलचस्पी दिखा रहे हैं। पीएम मोदी ने तेजस में उड़ान इसलिए भरी जिससे कि दुनिया के देशों में तेजस प्रति विश्वास बहाल हो सके और दुनिया के देश इसे खरीदने के लिए आगे आएं। पीएम मोदी के उड़ान भरने से यह साबित हो गया कि तेजस सुरक्षित फाइटर जेट है। लेकिन नकारात्मकता में जीने वाली कांग्रेस को पीएम मोदी की फोटो देखकर मिर्ची लग गई और उसने इस पर भी तंज कसते हुए इसे चुनावी फोटो सेशन करार दिया। पीएम मोदी रक्षा में आत्मनिर्भरता को महत्व दे रहे हैं और फाइटर जेट पर उड़ान भरने वाले भारत के पहले पीएम बन गए हैं लेकिन कांग्रेस इसे पचा नहीं पा रही है।

आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में विश्व में किसी से कम नहींः पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 नवंबर, 2023 को तेजस में उड़ान भरने के बाद कहा कि हमारी मेहनत और लगन के कारण हम आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में विश्व में किसी से कम नहीं हैं। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय वायुसेना, DRDO और HAL के साथ ही समस्त भारतवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं दी।

पीएम मोदी की तस्वीरें देख जल-भुन गई थी कांग्रेस
पीएम मोदी की तेजस में उड़ान भरने की तस्वीरें सामने आते ही कांग्रेस और लेफ्ट लिबरल गैंग को मिर्ची लग गई। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इन तस्वीरों पर तंज कसते हुए इसे चुनावी फोटो सेशन बताया। उन्होंने तेजस की सफलता का श्रेय लेने की भी कोशिश की। उन्होंने कहा कि तेजस को 2011 में यूपीए काल में मंजूरी मिली थी. सोशल मीडिया पर उन्होंने कहा, ”तेजस हमारी स्वदेशी वैज्ञानिक और तकनीकी ताकत व क्षमता की एक और मिसाल है, जो दशकों के मजबूत संकल्प का नतीजा है।” जब तक पीएम मोदी ने तेजस में बैठकर उड़ान नहीं भरी तब तक जयराम रमेश को तेजस के बारे में कुछ पता नहीं था,कोई ट्वीट नहीं किया। जैसे ही मोदी को तेजस में देखा तो जयराम के दिमाग की बत्ती जल उठी और लिख दी तेजस की पूरी कहानी।

पीएम मोदी का रक्षा उत्पादों के स्वदेशी उत्पादन पर जोर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रक्षा उत्पादों के स्वदेशी उत्पादन पर जोर दे रहे हैं और उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला है कि कैसे उनकी सरकार ने भारत में उनके विनिर्माण और उनके निर्यात को बढ़ावा दिया है। कई देशों ने हल्के लड़ाकू विमान तेजस को खरीदने में रुचि दिखाई है और अमेरिकी रक्षा दिग्गज जीई एयरोस्पेस ने प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान Mk-II-तेजस के लिए संयुक्त रूप से इंजन बनाने के लिए एचएएल के साथ एक समझौता किया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अप्रैल में कहा था कि वित्त वर्ष 2022-2023 में भारत का रक्षा निर्यात 15,920 करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा था कि यह देश के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।

 

 

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