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अमेरिका की एफबीआई के दोहरे खेल की खुल रही पोल, पन्नू जैसे खालिस्तानी आतंकियों को बचाने के लिए कनाडा को बनाया मोहरा

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पाकिस्तान, कनाडा और ब्रिटेन में एक के बाद एक भारत विरोधी आतंकी मारे जा रहे हैं। इसी बीच भारत के मोस्टवांटेड आतंकी हाफिज सईद का बेटा भी अगवा हो चुका है। इससे आतंकियों और उनके संरक्षकों में खलबली मची हुई है। वो काफी दहशत में हैं। पाकिस्तान और दूसरे देशों के पैसे पर पल रहे आतंकियों को हर पल अपनी मौत का डर सता रहा है। ऐसे में उनके संरक्षक देशों ने उन्हें बचाने और भारत को बदनाम करने के लिए गहरी साजिश रची है। अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए और एफबीआई ने गुरपतवंत सिंह पन्नू जैसे खालिस्तानी आतंकियों को बचाने के लिए कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को अपना मोहरा बनाया है। लेकिन सीआईए और एफबीआई की दोहरी चाल अब उल्टी पड़ गई है। जहां अमेरिका की साजिश की पोल खुल रही है, वहीं जस्टिन ट्रूडो के सुर भी बदलने लगे हैं। भारत ने सख्त और सधी हुई कूटनीति से कनाडा और अमेरिका को अपनी ताकत का एहसास कर दिया है।

भारत के बढ़ते दबाव से कनाडा के पीएम के बदलते सुर

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वैश्विक प्रभाव और भारत के दमदार कूटनीतिक प्रयास ने कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो को अपना सुर बदलने के लिए मजबूर कर दिया है। वह अपने ही बुने जाल में उलझते हुए नजर आ रहे हैं। इसलिए ट्रूडो अब भारत के साथ मजबूत और घनिष्ठ संबंध की वकालत करने लगे हैं। बार-बार भारत से जांच में सहयोग की बात करने वाले ट्रूडो अब कह रहे हैं कि आरोपों के बावजूद वह भारत के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं। गुरुवार को मॉन्ट्रियल में एक प्रेस ब्रीफिंग में जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि भारत एक बढ़ती आर्थिक शक्ति और महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक खिलाड़ी है। हमने पिछले साल अपनी इंडो-पैसिफिक रणनीति में भी यही बताया है। हम भारत के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने को लेकर बहुत गंभीर हैं। पिछले दस दिनों में जस्टिन ट्रूडो के बयान में लगातार बदलाव आ रहा है। यह इस बात का प्रमाण है कि कनाडा के पास अपने आरोपों को साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है और भारत लगातार सबूत देने की मांग कर दबाव बना रहा है।

जस्टिन ट्रूडो ने खोली अमेरिका के दोहरे खेल की पोल

प्रेस ब्रीफिंग के दौरान जस्टिन ट्रूडो ने अपने एक बयान से पूरी साजिश से पर्दा हटा दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका से भरोसा मिला है कि विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन वाशिंगटन में अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर के साथ मीटिंग में निज्जर हत्या का मामला उठाएंगे। इससे पहले सीटीवी न्यूज की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि कनाडा ने भारत पर जो आरोप लगाया है, वह एक प्रमुख सहयोगी द्वारा प्रदान की गई खुफिया जानकारी पर आधारित है। जबकि कनाडा ने अपने सहयोगी के बारे में नहीं बताया, जिससे उसे गुप्त सूचना मिली है। इससे पता चलता है कि जस्टिन ट्रूडो अमेरिकी खुफिया एजेंसियों से मिली गुप्त सूचना पर आरोप लगा रहे हैं और पूरी तरह अमेरिका के इशारों पर नाच रहे हैं। 

कनाडा और भारत के बीच दोहरा खेल खेल रहा अमेरिका

भारत-कनाडा विवाद में अमेरिका दोहरे खेल खेल रहा है। इस आशंका को बल इस बात से मिल रहा है कि अमेरिका, कनाडा के आरोपों को खारिज करने की जगह मध्यम मार्ग पर चल रहा है। वह ना तो अपने पड़ोसी देश को नाराज करना चाहता है और ना ही भारत जैसे स्ट्रेटजिक पार्टनर को अपने से दूर करना चाहता है। भारत-कनाडा विवाद पर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि हम उन आरोपों को लेकर चिंतित हैं जो कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने लगाए हैं। हम इस बारे में कनाडा के साथ निकट संपर्क में हैं। साथ ही, हमने भारत सरकार के साथ बातचीत की है और उनसे जांच में कनाडा के साथ काम करने का आग्रह किया है। मुझे कल विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर के साथ बैठक का अवसर मिला जिस दौरान मैंने फिर से यह दोहराया कि जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। हमें उम्मीद है कि कनाडा और भारत इस मामले को सुलझाने के लिए मिलकर काम करेंगे।

अगर कोई जानकारी है तो हमें बताओ – एस जयशंकर

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के बाद भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने फिर दोहराया कि कनाडा अगर सबूत पेश करता है तो भारत उस दिशा में प्रयास करेगा। उन्होंने सवाल किया कि बिना सबूत देखे इस दिशा में आगे कैसे बढ़ा जा सकता है? वाशिंगटन डीसी में भारत-कनाडा विवाद और अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ बातचीत पर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा, “मेरी समझ यह है कि कनाडा के द्वारा इस्तेमाल किया गया शब्द ‘आरोप’ है। मैंने पहले ही इसका जवाब दे दिया है। मैंने हमेशा कहा है कि अगर कोई जानकारी है तो हमें बताओ। ऐसा नहीं है कि किसी चीज को देखने के लिए हमारे दरवाजे बंद हैं। अगर किसी चीज को हमें दिखाने की आवश्यकता है, तो हम उसे देखने के लिए तैयार हैं। लेकिन फिर हम कहीं न कहीं उम्मीद करते हैं कि वास्तव में देखने के लिए भी कुछ हो।”

फ्रीडम ऑफ स्पीच पर किसी की सीख नहीं चाहिए- एस जयशंकर

वॉशिंगटन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि भारत को अभिव्यक्ति की आजादी पर किसी और से सीखने की जरूरत नहीं है। अभिव्यक्ति की आजादी को इस हद तक बढ़ावा नहीं दिया जा सकता कि वो हिंसा भड़काने के लिए इस्तेमाल होने लगे। ये बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जयशंकर ने कहा- हमारे मिशन्स पर स्मोक बॉम्ब फेंके जाते हैं। डिप्लोमैट्स को धमकाया जाता है और उनके खिलाफ जगह-जगह पोस्टर लगाए जाते हैं। क्या ये आम बात है? अभी ये भारत के खिलाफ हुआ है, अगर ये किसी और देश के खिलाफ किया गया होता, तब भी क्या इस मामले को इतना ही सामान्य समझा जाता? कनाडा में जो कुछ भी हुआ वो कोई छोटी या आम बात नहीं है। अगर किसी के पास कोई ठोस जानकारी है तो आप उसे साझा करें। हम इस पर बात करने के लिए तैयार हैं।


‘फाइव आइज’ एजेंटों ने रची साजिश,एफबीआई ने पन्नू को दी सुरक्षा

दरअसल भारत और कनाडा के बीच टकराव के पीछे खुफिया गठबंधन ‘फाइव आइज’ की अहम भूमिका है। इस गठबंधन में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन और अमेरिका की खुफिया एजेंसियां शामिल हैं। कनाडा में ब्रिटिश कोलंबिया में एक सिख मंदिर के बाहर इस साल जून में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद अमेरिका के एफबीआई एजेंटों ने इस गर्मी में कैलिफोर्निया में कई सिख लोगों से मुलाकात की थी और उन्हें खतरे की चेतवानी दी थी। यह चेतावनी भारत विरोधी कुछ आतंकियों के मारे जाने के आधार पर दी गई थी। आशंका व्यक्त की गई थी कि खालिस्तानी गतिविधियों में शामिल लोगों की हत्या हो सकती है। इस आशंका के आधार पर एफबीआई एजेंटों ने निज्जर की हत्या के मामले में भारत के शामिल होने की थ्योरी बनाई और कनाडा के प्रधानमंत्री को आरोप लगाने के लिए प्रेरित किया। लेकिन जस्टिन ट्रूडो आरोप लगाकर खुद फंस गए हैं। कनाडा की सरकार अभी तक ना तो निज्जर के हत्यारों को गिरफ्तार कर सकी है और ना ही भारत को कोई सबूत सौंपी है। लेकिन एफबीआई के एजेंट अमेरिका में रह रहे गुरपतवंत सिंह पन्नू जैसे आतंकियों को सुरक्षा देकर भारत के खिलाफ जहर उगलने की खुली छूट दे रहे हैं।

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