राजस्थान के बारां जिले में दो नाबालिग दलित बहनों के साथ सामूहिक दुष्कर्म मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का काफी असंवेदनशील बयान सामने आये हैं। उन्होंने मामले में सफाई देते हुए आरोपियों का बचाव किया है। अशोक गहलोत के बयान से लगता है कि क्या एक मुख्यमंत्री इतना संवेदनहीन कैसे हो सकता है?
हाथरस में हुई घटना बेहद निंदनीय है, उसकी जितनी निंदा की जाए उतनी कम है लेकिन दुर्भाग्य से राजस्थान के बारां में हुई घटना को हाथरस की घटना से कम्पेयर किया जा रहा है
1/— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) October 1, 2020
जबकि बारां में बालिकाओं ने स्वयं मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए 164 के बयानों में अपने साथ ज्यादती नहीं होने एवं स्वयं की मर्जी से लड़कों के साथ घूमने जाने की बात कही। बालिकाओं का मेडिकल भी करवाया गया एवं अनुसन्धान में सामने आया कि लड़के भी नाबालिग हैं, जांच आगे भी जारी रहेगी।
2/— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) October 1, 2020
बारां जिले के छबड़ा निवासी दोनों दलित बहनों का गांव के ही चार युवकों ने गत 18 सितंबर को उस समय अपहरण किया, जब वे खेत जा रही थी। 18 से 21 सितंबर तक आरोपी युवक दोनों नाबालिग लड़कियों को कोटा, जयपुर और अजमेर तक ले गए। जहां दोनों के साथ गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया गया। दैनिक भास्कर के अनुसार आरोपियों ने नाबालिग लड़कियों को पुलिस के सामने कुछ बोलने पर जान से मारने की धमकी भी दी। इस दौरान लड़कों के पकड़े जाने के बावजूद उन्हें छोड़ दिया गया। वहीं, लड़कियों को सखी केंद्र भेजा गया।
आजतक के अनुसार दोनों बहनों का आरोप है कि उन्हें सखी केंद्र में भी धमकाया गया था। पीडित लड़कियों के पिता का कहना है कि उनकी बेटियों के साथ गलत हुआ है, लेकिन पुलिस ने आरोपियों को छोड़ दिया।
बारां जिले की एक लड़की सिर्फ 13 साल की है, जबकि दूसरी की उम्र सिर्फ 15 साल है। तीन दिन तक इनके साथ सामूहिक बलात्कार हुआ। आरोपियों ने पकड़े जाने से पहले इन्हें जान से मारने की धमकी दी। परिवारवालों का आरोप है कि पुलिस ने आरोपियों पर कार्रवाई नहीं की और उन्हें छोड़ दिया।
जागरण के अनुसार नाबालिगों के पिता का आरोप है कि पहले तो पुलिस ने दस दिन तक दोनों बेटियों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज नहीं की और फिर आरोपित खुद घर छोड़ गए। दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज करने के बाद खानापूर्ति की जा रही है।