प्राचीन काल में भारत को सोने की चिड़िया इसलिए कहा जाता था क्योंकि भारत में काफी धन सम्पदा मौजूद थी। 1600 ईस्वी के आसपास भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 1305 अमेरिकी डॉलर थी जो कि उस समय अमेरिका, जापान, चीन और ब्रिटेन से भी अधिक थी। भारत की इस संपत्ति पर ही विदेशी आक्रान्ताओं की बुरी नजर थी जिसे लूटने के लिए उन्होंने भारत पर आक्रमण किया। विदेशी आक्रान्ता और अंग्रेज इस देश की अपार संपत्ति लूटकर ले गए। 1000 वर्षों के मुगल और अन्य आक्रमणकारियों के शासन के बाद भी, विश्व की जीडीपी में भारत की अर्थव्यवस्था का योगदान 25 प्रतिशत के बराबर था। इसके बाद अंग्रेजों ने भारत पर कब्ज़ा किया लेकिन जब अंग्रेज देश छोड़कर गए तो भारत का विश्व अर्थव्यवस्था में योगदान मात्र 2 से 3 प्रतिशत रह गया था। लेकिन आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। पीएम मोदी के विजन से भारत एक बार फिर अपना पुरातन गौरव हासिल कर रहा है और सोने की चिड़िया बनने की ओर अग्रसर है। रिजर्व बैंक ने बीते कुछ वर्षों में ताबड़तोड़ सोना खरीदा है। अप्रैल 2020 से सितंबर 2022 के बीच RBI ने 132.34 टन सोना खरीदा। देश में साल दर साल सोने के रिजर्व में शानदार बढ़ोतरी हुई है और यह 800 टन के करीब पहुंच गया है।
भारत का गोल्ड रिजर्व 800 टन के करीब पहुंचा
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गोल्ड रिजर्व में शानदार बढ़ोतरी दर्ज की गई है और यह वित्त वर्ष 2023-24 में के अंत तक 32.22 टन बढ़ चुका है। इस इजाफे के बाद मार्च 2023 तक भारत के पास कुल 794.64 टन सोना का भंडार हो गया है। इसमें 56.32 टन का गोल्ड डिपॉजिट भी शामिल है। वहीं पिछले साल मार्च 2022 तक आरबीआई के पास कुल 760.42 टन सोना था जिसमें 11.08 टन गोल्ड डिपॉजिट शामिल था। ऐसे में साल दर साल सोने की रिजर्व में 4.5 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
गोल्ड रिजर्व का 437 टन सोना विदेश में, 301 टन देश में
रिजर्व बैंक ने जानकारी दी है कि यह रिपोर्ट छमाही के आधार यानी अक्टूबर 2022 से मार्च 2023 के बीच की है। आरबीआई की फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व के मुताबिक मार्च 2023 तक रिजर्व बैंक के पास कुल 794.64 टन सोना मौजूद था। इसमें से 437.22 टन सोना विदेश में यानी बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स में सुरक्षित रखा गया है। वहीं 301.10 टन सोना देश में है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) की रिपोर्ट के अनुसार आरबीआई के गोल्ड रिजर्व में जनवरी से मार्च 2023 के बीच 7 टन का इजाफा हुआ है।
विदेश में इसलिए रखा जाता है सोना
रिजर्व बैंक के विदेश में सोना रखने के पीछे दो बड़े कारण हैं। पहला तो ये है कि इतनी बड़ी मात्रा में सोना खरीदकर उसे देश में लाना आसान नहीं होता। इसके परिवहन और सुरक्षा पर काफी ज्यादा खर्चा आता है। इसके अलावा अगर किसी वित्तीय संकट में इस सोने को गिरवी रखने की नौबत आई तो दोबारा इसे विदेश भेजने में काफी खर्च और सुरक्षा तामझाम करना होगा। जैसा कि 1990-91 में हुआ था जब बैलेंस ऑफ पेमेंट क्राइसिस के दौरान भारत को 67 टन सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड और यूनियन बैंक ऑफ स्विटजरलैंड के पास गिरवी रखना पड़ा था।
RBI दुनिया के 5 सबसे बड़े गोल्ड खरीदारों में शुमार
देश का सेंट्रल बैंक यानी रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया दुनिया के 5 सबसे बड़े गोल्ड खरीदारों में शुमार हो गया है। RBI ने ये खरीदारी जनवरी-मार्च 2023 में की है। इन 3 महीनों में RBI ने करीब 10 टन गोल्ड खरीदा है। इसकी वजह है कि सेंट्रल बैंक्स ने वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच अपने भंडारों का डायवर्सिफिकेशन शुरू कर दिया है।
रिजर्व बैंक ने 2022 में दुनिया के देशों के मुकाबले सबसे ज्यादा सोना खरीदा
रिजर्व बैंक की ओर से साल 2022 में जारी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत के पास करीब 754 टन सोने का भंडार है। इसमें से ज्यादातर खरीद बीते 5 साल में हुई है। आपको जानकर हैरानी होगी कि रिजर्व बैंक ने सिर्फ अप्रैल 2022 से सितंबर 2022 के बीच ही 132.34 टन सोना खरीद डाला। इस तरह 2022 में आरबीआई दुनिया में सबसे ज्यादा सोना खरीदने वाला केंद्रीय बैंक बन गया। इससे पहले यानी 2021 में वह तीसरे पायदान पर रहा था। 2020 में भी सिर्फ 41.68 टन सोना खरीदा था।
भारत सर्वाधिक गोल्ड रिजर्व वाले देशों की सूची में 9वें स्थान पर
भारत सर्वाधिक गोल्ड रिजर्व वाले 10 देशों की सूची में 9वें स्थान पर पहुंच गया है। आरबीआई ने पिछले 2 वर्षों में ही करीब 100 टन सोना खरीदा है। इससे एक बात तो साफ है कि सोने की वैल्यू केवल आम आदमी ही नहीं बल्कि देश के केंद्रीय बैंक की नजर में भी बहुत है। सोना किसी भी खराब आर्थिक परिस्थिति से निपटने में बहुत मददगार साबित होता है। यही कारण है आरबीआई धड़ल्ले से सोने की खरीद कर रहा है।
अमेरिका के पास है सोने का सबसे बड़ा भंडार
अगर दुनिया में सोने के कुल भंडार की बात की जाए तो सबसे ज्यादा सोना अमेरिका के पास है। अमेरिका ने दुनियाभर के देशों के पास रखे कुल सोने का करीब 75 फीसदी सिर्फ अपने पास सुरक्षित रखा है। एक आंकड़े के मुताबिक अमेरिका के पास 8,133 टन सोना है, जबकि दूसरे पायदान पर मौजूद जर्मनी के पास 3,359 टन सोना है। चीन इस मामले में 1,948 टन सोने के साथ 6वें पायदान पर आता है।
RBI ने 5 से 6 सालों के बीच गोल्ड रिजर्व लगातार बढ़ाया
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 5 से 6 सालों के बीच अपने गोल्ड रिजर्व लगातार बढ़ाया है। सोना को भारी मात्रा में खरीदने का सबसे बड़ा कारण है कि वह अपने फॉरेन रिजर्व को बढ़ा सके और डॉलर के मुकाबले अपने देश के करेंसी में स्थिरता ला सके।
विदेशी मुद्रा भंडार में 7.81 फीसदी की बढ़त
इस रिपोर्ट के अनुसार भारत के सोने के भंडार में बढ़ोतरी के बाद से देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भी तगड़ा मुनाफा दर्ज किया है। देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गोल्ड एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। गोल्ड की मात्रा में बढ़ोतरी के बाद सितंबर 2022 से मार्च 2023 के बीच विदेशी मुद्रा (USD) में कुल 7.81 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है। सितंबर 2022 से मार्च 2023 के बीच छमाही के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 532.66 बिलियन डॉलर से बढ़कर 578.45 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है।
अनिश्चितता के बीच सुरक्षा के लिए रखा जाता है गोल्ड रिजर्व
RBI सहित ज्यादातर देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा सोना खरीदने की मुख्य वजह महंगाई से निपटने की रणनीति है। महंगाई बढ़ने पर करंसी की वैल्यू घटती है, जबकि सोने की बढ़ती है। इसके अलावा अनिश्चितता के बीच सुरक्षा के लिए भी गोल्ड रिजर्व रखा जाता है।
भारत ने 705 टन सोने का आयात किया
भारत ने 2021 में 1,050 टन सोने का आयात किया, 2022 में उसने 705 टन सोने का आयात किया था। दूसरी ओर, चांदी के आयात ने 2022 में सब को चौंका दिया, जो कि 9,500 टन था। उच्च कीमतों के बीच, सोने की खरीदारी में बाजार में कुछ मजबूती है। घरेलू मोर्चे पर, गोल्ड ईटीएफ में प्रमुख फंड हाउसों के कुल एयूएम के साथ 17,000 करोड़ रुपये से ऊपर जाने के साथ अच्छा ट्रैक्शन देखा गया है। मांग में वृद्धि का एक कारण आरबीआई की सोने की खरीदारी है जो लगातार बढ़ रही है। पिछले 10 वर्षों से सेंट्रल बैंक बड़ा खरीदार रहा है। यानि मोदी सरकार में सबसे ज्यादा सोना खरीदा गया है।
भारत का प्राचीन वैभव गौरवशाली रहा है। देश प्राचीन काल से सोना और हीरा के साथ ही कीमती धातुओं से संपन्न था और व्यापार का अग्रणी केंद्र था। इस पर एक नजर-
वैश्विक व्यापार का केंद्र था प्राचीन भारत
प्राचीन भारत वैश्विक व्यापार का केंद्र था। प्राचीन काल में भारत, खाद्य पदार्थों, कपास, रत्न, हीरे इत्यादि के निर्यात में विश्व में सबसे आगे था। भारत उस समय विश्व का सबसे बड़ा विनिर्माण केंद्र था। कुछ लोग मानते हैं कि भारत प्राचीन काल में केवल मसालों के निर्यात में आगे था, उनकी जानकारी के लिए यह बताना जरूरी है कि भारत मसालों के अलावा कई अन्य उत्पादों के निर्यात में भी अग्रणी देश था।
भारत से निर्यात की जाने वाली प्रमुख वस्तुएं
प्राचीन भारत से निर्यात की जाने वाली प्रमुख वस्तुएं इस प्रकार थी- कपास, चावल, गेहूं, चीनी के साथ ही मसालों में मुख्य रूप से हल्दी, काली मिर्च, दालचीनी, जटामांसी इत्यादि निर्यात किए जाते थे। इसके अलावा आलू, नील, तिल का तेल, हीरे, नीलमणि आदि के साथ-साथ पशु उत्पाद, रेशम, चर्मपत्र, शराब और धातु उत्पाद जैसे ज्वेलरी, चांदी के बने पदार्थ आदि निर्यात किए जाते थे।
विश्व की जीडीपी में भारतीय अर्थव्यवस्था का योगदान 25 प्रतिशत था
1000 वर्षों के मुगल व अन्य आक्रमणकारियों के शासन के बाद भी, विश्व की जीडीपी में भारत की अर्थव्यवस्था का योगदान 25 प्रतिशत के बराबर था। इसी समय में अंग्रेजों ने भारत पर कब्ज़ा किया था लेकिन जब अंग्रेज भारत को छोड़कर गए तो भारत का विश्व अर्थव्यवस्था में योगदान मात्र 2 से 3 प्रतिशत रह गया था, लेकिन पीएम मोदी के विजन आज एक फिर अपना पुराना वैभव हासिल कर रहा है और भारत विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।
मुगलों के शासन से पहले दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी
मुगलों के शासन शुरू करने से पहले, भारत पहली सदी से 1000 ईस्वी तक दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। जब मुगलों ने 1526-1793 के बीच भारत पर शासन किया, इस समय भारत की आय (17.5 मिलियन पाउंड), ग्रेट ब्रिटेन की आय से अधिक थी। वर्ष 1600 AD में भारत की प्रति व्यक्ति GDP 1305 डॉलर थी जबकि इसी समय ब्रिटेन की प्रति व्यक्ति GDP 1137 डॉलर, अमेरिका की प्रति व्यक्ति GDP 897 डॉलर और चीन की प्रति व्यक्ति GDP 940 डॉलर थी। इतिहास बताता है कि मीर जाफर ने 1757 में ईस्ट इंडिया कंपनी को 3.9 मिलियन पाउंड का भुगतान किया था। यह तथ्य भारत की सम्पन्नता को दर्शाने के लिए बड़ा सबूत है।
भारत सिक्का बनाने वाले पहले देशों में शामिल
600 B.C के आस-पास महाजनपदों ने चांदी के सिक्के के साथ सिक्का प्रणाली शुरू की थी। ग्रीक के साथ-साथ पैसे पर आधारित व्यापार को अपनाने वाले पहले देशों में भारत का स्थान अग्रणी था। लगभग 350 ईसा पूर्व, चाणक्य ने भारत में मौर्य साम्राज्य के लिए आर्थिक संरचना की नींव डाली थी।
मयूर सिंहासन में लगे धन से बन सकते थे दो ताजमहल
भारत को सोने की चिड़िया कहने के पीछे जो एक सबसे बड़ा कारण हुआ करता था, वो मयूर सिंहासन था। इस सिंहासन की अपनी एक अलग ही पहचान हुआ करती थी। कहा जाता था कि इस सिंहासन को बनाने के लिए जितना धन लगाया गया था, उतने धन में दो ताजमहल का निर्माण किया जा सकता था। लेकिन साल 1739 में फ़ारसी शासक नादिर शाह ने एक युद्ध जीतकर इस सिंहासन को हासिल कर लिया था।
मयूर सिंहासन में लगा था 1000 किलो सोना
प्रसिद्ध मयूर सिंहासन मुगल सम्राट शाहजहां के लिए बनाया गया था। इतिहाकारों के अनुसार, मयूर सिंहासन को बनाने के लिए करीब एक हजार किलो सोने और बेशकीमती पत्थरों का प्रयोग किया गया था। मयूर सिंहासन की कीमत उसमें लगे कोहिनूर हीरे के कारण बहुत बढ़ गयी थी। आज के ज़माने में मयूर सिंहासन की अनुमानित कीमत 450 करोड़ रुपये से अधिक होती है। इतना कीमती होने के कारण ही नादिर शाह इसे लूटकर ले गया था।
गोलकुंडा खदान का कोहिनूर हीरा ब्रिटेन ले गया
कोहिनूर हीरे का बजन 21.6 ग्राम है और बाजार में इसकी वर्तमान कीमत 1 अरब डॉलर के लगभग आंकी जाती है। यह हीरा गोलकुंडा की खदान से मिला था और दक्षिण भारत के काकतीय राजवंश को इसका प्राथमिक हकदार माना जाता है। आजकल यह ब्रिटेन के महारानी के मुकुट की शोभा बढ़ा रहा है।
महमूद ग़जनी ने 120 ग्राम के 4 लाख सोने के सिक्के लूटे
महमूद गजनी का सोमनाथ के मंदिर पर हमला करने के पीछे दो सबसे बड़े उद्येश्य थे, एक इस्लाम का प्रचार करना और दूसरा भारत से धन की लूट करना। महमूद गजनी ने नवम्बर 1001 में पेशावर के युद्ध में जयपाल (964 से 1001 तक हिंदू शाही राजवंश के शासक थे) को हराया था। गजनी ने इस युद्ध में किले से 4 लाख सोने के सिक्के लूटे और एक सिक्के का वजन 120 ग्राम था। इसके अलावा उसने राजा के लड़कों और राजा जयपाल को छोड़ने के लिए भी 4.5 लाख सोने के सिक्के लिए थे। इस प्रकार उसने आज के समय के हिसाब से लगभग 1 अरब डॉलर की लूट सिर्फ राजा जयपाल के यहां की थी। जबकि इस समय भारत में जयपाल जैसे बहुत से धनी राजा थे।
भारत में अभी भी 22,000 टन सोना लोगों के पास
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने कुछ समय पहले एक आकलन में कहा था कि भारत में अभी भी 22,000 टन सोना लोगों के पास है जिसमें लगभग 3,000-4,000 टन सोना भारत के मंदिरों में अभी भी है। एक अनुमान के मुताबिक भारत के 13 मंदिरों के पास भारत के सभी अरबपतियों से भी ज्यादा धन है। यदि मंदिर के आंकड़ों के हिसाब से देखा जाये तो भारत कल भी सोने की चिड़िया था और आज भी है।
स्वर्ण के सिक्के, कुषाण सभ्यता में सामने आए
भारत के कुछ सबसे पुराने स्वर्ण के सिक्के, कुषाण सभ्यता में सामने आए थे। यह भारत के किसी राजा द्वारा जारी प्रथम स्वर्ण सिक्का माना जाता है; इसे 127 ईसवी में कुषाण राजा कनिष्क-1 द्वारा जारी किया गया था। यह उन कुछ विशेष सिक्कों में से हैं जिन्हे ग्रीक भाषा में और बाद में बैक्टरियन भाषा में जारी किया गया था जो कि एक ईरानी भाषा थी और उस दौरान केन्द्रीय एशिया के क्षेत्र बैक्टरिया (वर्तमान उज़्बेकिस्तान, अफगानिस्तान और तज़ाकिस्तान) में बोला जाता था।
पीएम मोदी के नेतृत्व में फिर से सोने की चिड़िया बनेगा भारत
इनसे पता चलता है कि प्राचीन भारत में अकूत संपत्ति थी जिसके कारण यहां पर विदेशी आक्रमणकारियों के हमले होते रहे थे। लेकिन आजादी के बाद कांग्रेस के शासन में देखा जाए तो भारत की स्थिति विकसित देशों की तुलना में निश्चित रूप से ख़राब ही होती रही। लेकिन अब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत पूरे विश्व में बहुत तेजी से अपनी सफलता के झंडे गाड़ रहा है और वह समय बहुत जल्द आएगा जब लोग इस देश को फिर सोने की चिड़िया के नाम से बुलाएंगे।