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केजरीवाल की नई शराब नीति से सरकार को हुआ भारी घाटा, कारोबारियों का मुनाफा 1000 प्रतिशत बढ़ा

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दिल्ली सरकार की पुरानी शराब नीति की तुलना में 2021-22 में मनीष सिसोदिया द्वारा लाई गई नई नीति के तहत शराब विक्रेताओं को रिटेल मार्जिन में 989% की वृद्धि हो गई। यानी नई शराब नीति लाए जाने के बाद शराब कारोबारी लगभग एक हजार प्रतिशत का मुनाफा कमा रहे थे। वहीं सरकार को नई नीति से राजस्व का घाटा हो रहा था। एक उदाहरण से समझिए नई पुरानी शराब नीति में फर्क। RK ब्रांड की शराब की 750 ml बोतल पर कारोबारी पुरानी नीति के तहत 33.35 रुपए कमा रहे थे। वहीं, नई नीति के तहत इसी बोतल पर कारोबारी 363.27 रुपए कमा रहे थे। यानी हर बोतल पर 330 रुपए ज्यादा। अब नई नीति से सरकार को कैसे घाटा हुआ यह देखिए। पुरानी नीति के तहत सरकार को 530 रुपए की एक बोतल पर 223.89 रुपए मिलते थे। नई नीति के तहत एक्साइज ड्यूटी होलसेल प्राइज का सिर्फ 1% कर दी गई। यानी ग्राहकों को 560 रुपए में मिलने वाली बोलत पर पुरानी नीति में सरकार को जहां 223.89 रुपए मिलते थे वहीं नई नीति में एक्साइज ड्यूटी होलसेल प्राइज का सिर्फ 1% कर देने से सरकार को सिर्फ 1.88 पैसा एक्साइज ड्यूटी मिली। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि दिल्ली में कितना बड़ा शराब घोटाला हुआ है।

नई और पुरानी शराब नीति में फर्क इस टेबल के जरिये समझिएः

पुरानी शराब नीति

750ML थोक कीमत ₹166.73
एक्साइज ड्यूटी ₹223.88
VAT ₹106.00
रिटेलर कमीसन ₹ 33.39
एमआरपी ₹530.00

नई शराब नीति (लागू मार्च 2022)

750ML थोक कीमत ₹188.41
एक्साइज ड्यूटी ₹ 1.88
VAT 1% ₹ 1.90
रिटेलर मार्जिन ₹ 363.27
अतिरिक्त एक्साइज ₹ 4.54
एमआरपी ₹560.00

इस प्रकार पुरानी शराब नीति में एक बोतल पर सरकार की कमाई 329.89 रुपए थी जो नई शराब नीति में मात्र 8.32 रुपए रह गई। यानी नई नीति से प्रति बोतल सरकार को ₹321.57 का घाटा हुआ। पुरानी नीति में रिटेलर का कमीशन 33.39 था जबकि नई नीति में रिटेलर का कमीशन 363.27 हो गया अर्थात प्रति बोतल ₹330.12 का रिटेलर को फायदा को पहुंचा। इससे स्पष्ट होता है कि प्रति बोतल सरकार को जितना नुकसान होता है लगभग उतना ही बल्कि उससे भी थोड़ा ज्यादा रिटेलर को फायदा पहुंचता है। अब कोई भी आसानी से समझ सकता है कि सिसोदिया और केजरीवाल की चतुराई से तैयार की गई नई नीति से मैन्युफेक्टरर्स/ रिटेलर्स को कितना बड़ा फायदा पंहुचाया गया। अब ये फायदा मैन्युफैक्चरर को कैसे पंहुचे तो नई नीति में मैन्युफैक्चरर्स को रिटेल में भी शॉप खोलने की अनुमति दे दी गई (जो कि नियमानुसार गलत थी)।

पुरानी नीति में शराब की बिक्री प्रतिमाह 132 लाख लीटर थी जो नई नीति में 245 लाख लीटर हो गई

पुरानी नीति में जहां शराब की बिक्री प्रतिमाह 132 लाख लीटर थी तो नई शराब नीति में प्रतिमाह शराब की बिक्री 245 लाख लीटर हो गई। इस बिक्री को बढ़ाने के लिए बाकायदा पीने बाले की उम्र घटाकर 18 साल और समय बढाकर रात्रि 3 बजे तक कर दिया गया। ड्राई डे 31 से कम करके सिर्फ़ 3 दिन कर दिए। जिससे शराब की खपत कम से कम 8-10 % और बढ़ गई।

नई शराब नीति के जरिये की गई मनी लॉन्ड्रिंग

नई शराब नीति के जरिये मनी लॉन्ड्रिंग भी की गई। कई बड़े शराब करोबारियों ने अपनी दुकानों पर एक के साथ एक फ्री बोतल का आफर दिया। यानी शराब की किसी एक बोतल की कीमत 500 रुपए है तो लोगों को 500 रुपये में एक बोतल के साथ एक फ्री दिया गया। अब सरकार की नजर में तो एक बोतल बिका लेकिन कारोबारी ने दो बोतल के दाम यानी 1000 रुपए बैंक में जमा किए। यहां सवाल यह उठता है कि जब जनता से 500 रुपए लिए गए तो 1000 रुपए कैसे बैंक में जमा कराए गए। यानी यहां काला धन को सफेद किया गया। जांच एजेंसियां इस पहलू से भी मामले में जांच कर रही हैं। इन्हीं गोरखधंधे की वजह से दिल्ली में शराब की बिक्री करने वाले कई छोटे वेंडर्स दुकानें बंद कर चुके हैं। उनका आरोप है कि बड़े कारोबारी अपने यहां भारी छूट देते रहे हैं और ऐसे में उनके लिए कारोबार कर पाना लगभग नामुमकिन हो गया है।

अब इन बातों से यह साफ हो जाता है कि नई शराब नीति कितना बड़ा घोटाला है और केजरीवाल गैंग में इस नीति की आड़ में कितनी कमाई की होगी। यह वजह है दिल्ली के मुख्य सचिव ने उपराज्यपाल को पत्र लिखकर इसमें हो रही गड़बड़ी की तरफ ध्यान दिलाया और जांच की बात कही। अब इस मामले की जांच कर रही एजेंसियों को शक है कि सिसोदिया और केजरीवाल ने अगर शराब कारोबारियों को इतना लाभ पहुंचाया तो आम आदमी पार्टी के नेताओं को रिश्वत के तौर पर पैसे मिल रहे होंगे। बीजेपी इसीलिए लगातार आरोप लगा रही है कि यह हजारों करोड़ रुपये का घोटाला है।

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