आत्मनिर्भर भारत के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वोकल फॉर लोकल का महज नारा ही नहीं दिया है। बल्कि की सरकार इस दिशा में लगातार प्रयास कर रही है। मोदी सरकार की कोशिश है कि देश के दूर दराज के इलाकों में भरपूर मात्रा में पाए जाने वाले उत्पादों को दुनिया के बड़े बाजार में आसानी से ले जाया जा सके।
वोकल फॉर लोकल की दिशा में सफल हो रही मोदी सरकार की कोशिशें
पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सरकार की कोशिशों से 6 नए जीआई उत्पादों की पहुंच विदेशी बाजारों तक होने वाली है। जीआई टैग लगे ये 6 उत्पाद दुनियाभर में काशी के साथ भारत की शान बनेंगे । इसके पहले वाराणसी के 12 जीआई उत्पाद दुनिया के बाजारों में परचम लहरा रहे थे, लेकिन 6 और उत्पादों को जीआई टैग मिलने से उत्पादों की कुल संख्या 18 हो गई है। जानकारों का कहना है कि इससे हर साल कारोबार में 22 हजार करोड़ रूपए का इजाफा होगा और इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्क्ष रूप से हजारों रोजगार को सृजन होगा।
GI TAG से दूर दराज इलाकों में बढ़ेगी लोगों की कमाई
पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और Health और Wellness को लेकर लोगों की सोच में तेज बदलाव की वजह से दुनिया भर में ऐसे उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है जो केमिकल फ्री और जिनमें किसी भी तरह की कोई मिलावट ना हो। भारत दुनिया की इस जरूरत को पूरा करने के लिए बेहद सक्षम है। यही वजह है कि मोदी सरकार जीआई टैग वाले उत्पादों के एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने की कोशिश में है । ताकि दूर दराज के इलाकों में रह रहे लोगों की कमाई बढ़े, विकास की यात्रा में पीछे छूट रहे इन इलाकों में तरक्की की एक नई लहर पैदा हो।
GI TAG वाले उत्पादों की दुनियाभर में मांग
जीआई टैगिंग की भारत सरकार की निरंतर कोशिशों की वजह से ही दुनिया के विशाल बाजार में जीआई टैगिंग वाले भारतीय उत्पादों की साख तेजी से जम रही है। वाराणसी के जिन 6 प्रोडक्ट्स को जीआई टैगिंग के लिए चुना गया है उनमें शामिल हैं ।
- चुनार रेडक्ले ग्लेज पाटरी– गंगा की मिट्टी से तैयार होने वाले बर्तन
- जरी-जरदोजी एवं हैंड इंब्रायडरी – रेशम एवं जरी से बने कपड़े
- हैंड ब्लाक प्रिंटिंग क्राफ्ट –लकड़ी-पीतल के ब्लाक से छपाई
- वूड कार्विंग क्राफ्ट – लकड़ी पर सजावटी कारीगरी
- मिर्जापुर के पीतल बर्तन- पीतल के बने बर्तन
- मऊ की साड़ी : सूती साड़ी बनाने का कारोबार
मोदी सरकार की कोशिशों से खुल रहे रोजगाए के नए रास्ते
जीआइ टैग यानी ज्योग्राफिकल इंडिकेशन टैग के आधार पर भारत के किसी भी क्षेत्र में पाई जाने वाली विशिष्ट वस्तु पर कानूनी अधिकार उसी राज्य को दिया जाता है। कई उत्पाद ऐसे होते हैं, जो देश के कई प्रदेशों में पाए जाते हैं। ऐसे में एक उत्पाद के लिए कई राज्यों को जीआई टैग मिल सकता है।
भारत के बासमती चावल की दुनियाभर में मांग है। यह सात राज्यों में पाया जाता है, इसके लिए सभी राज्यों को जीआई टैग मिला है। उसी तरह फुलकारी के लिए पंजाब के साथ ही हरियाणा और राजस्थान को भी जीआई टैग दिया गया है। यानि अगर एक समान या उत्पाद एक से अधिक राज्य में होते हैं तो उन्हें संयुक्त रूप से जीआई टैग मिल सकता है।
वोकल फॉर लोकल और देश के दूर दराज के इलाकों में पाए जाने वाले स्थानीय उत्पादों को दुनिया के कोने-कोने पहुंचाने के लिए जीआई टैग बेहद अहम है। देश में सबसे पहले दार्जिलिंग की चाय को जीआई टैग मिला, उसके बाद से बेहद खास माने जाने वाले उत्पादों को जीआई टैग मिलने का सिलसिला जारी है। भारत में अब करीब 325 से ज्यादा उत्पादों को जीआई टैग चुका है ।
मध्य प्रदेश के बालाघाट में होने वाले चिन्नौर चावल को हाल ही में जीआई टैग मिल गया है। इससे इश इलाके में चिन्नौर चालव का उत्पादन करने वाले किसानों को भी काफी फायदा पहुंचेगा । जीआई टैगिंग से दुनिया के बाजार में चिन्नौर चावल की मांग बढ़ेगी और इस चावल की खास खुशबू से दुनिया का कोना-कोना महक उठेगा। इसके अलावा महोबा पान को भी जीआई टैग मिला है । भारत में पान की खेती कई राज्यों में होती है। लेकिन इनमें महोबा का पान बिल्कुल अलग खासियतों से लैस है।
मणिपुर के हाथी मिर्च और तामेंगलोंग संतरे को जीआई टैग प्रदान किया गया है। इससे मणिपुर में किसानों की कमाई तेजी से बढ़ेगी।
जानें कैसे और कहां से मिलता है GI TAG
वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्री प्रमोशन एंड इंटर्नल ट्रेड की ओर से जीआई टैग दिया जाता है। किसी उत्पाद के लिए जीआई टैग हासिल करने के लिए चेन्नई के जीआई डेटाबेस में अप्लाई करना पड़ता है। ये इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट के अधीन है। एक बार जीआई टैग का अधिकार मिल जाने के बाद 10 वर्षों तक जीआई टैग मान्य होते हैं। इसके बाद उन्हें फिर रिन्यू कराना पड़ता है।
भारत के जीआई टैग वाले उत्पाद
- कश्मीर की पश्मीना
- चंदेरी की साड़ी
- नागपुर का संतरा
- छत्तीसगढ़ का जीराफूल
- ओडिशा की कंधमाल
- गोरखपुर में टेराकोटा के उत्पाद
- कश्मीरी का केसर,
- कांजीवरम की साड़ी
- मलिहाबादी आम
- महाबलेश्वर-स्ट्रॉबेरी
- जयपुर -ब्लू पोटरी
- बनारसी साड़ी
- तिरुपति के लड्डू
- मध्य प्रदेश के झाबुआ के कड़कनाथ मुर्गा
- कांगड़ा की पेंटिंग
- नागपुर का संतरा
- कश्मीर की पाश्मीना
- हिमाचल का काला जीरा
- ओडिशा की कंधमाल हल्दी
- कतरनी चावल
- मगही पान
- बीकानेरी भुजिया
- बनारस की साड़ी
- रतलामी सेव
- बंगाल का रसगुल्ला
- भागलपुर का जर्दालु आम