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देशभर में पीएम केयर्स फंड से 1183 पीएसए ऑक्सीजन प्‍लांट चालू, 1,877 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का होगा उत्पादन, फंड पर सवाल उठाने वालों को मिला करारा जवाब

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मोदी सरकार पीएम केयर्स फंड का इस्तेमाल स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाने और लोगों के कल्याण के लिए कर रही है। इसके तहत मोदी सरकार ने देशभर में ‘पीएम केयर्स फंड’ द्वारा वित्त पोषित किए जा रहे 1,224 प्रेशर स्विंग एडजॉर्पशन (पीएसए) ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों में से 1,183 को चालू करने में सफलता हासिल की है। इससे देश के दूर-दराज के इलाकों में भी आसानी से ऑक्सीजन उपलब्ध होगी और किसी को ऑक्सीजन संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसके साथ ही मोदी सरकार ने 6 महीने के भीतर इन संयंत्रों को स्थापित और चालू कर पीएम केयर्स फंड के इस्तेमाल को लेकर सवाल उठाने वालों को करारा जवाब दिया है।

केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय में सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने बुधवार 13 अक्टूबर, 2021 को कहा कि गुजरात, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, गोवा और ओडिशा सहित 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अपना शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लिया है। उन्होंने कहा कि शुरू हो चुके 1,183 संयंत्रों में 1,877 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उत्पादन की क्षमता है।

सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा कि बाकी 41 संयंत्रों को इस महीने के अंत तक शुरू किया जाएगा। राज्यों में सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में पीएम केयर्स फंड के तहत स्थापित किए जा रहे कुल 1,224 पीएसए ऑक्सीजन संयंत्रों से 1,929 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन होगा। इन संयंत्रों को स्थापित करने पर लगभग 1,200 करोड़ रुपये यानि करीब 1 करोड़ रुपये प्रति संयंत्र खर्च किए गए हैं। सचिव ने बताया कि चालू संयंत्रों में ऑक्सीजन आपूर्ति की स्थिति की निगरानी के लिए एक पोर्टल भी विकसित किया गया है।

सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा कहा कि पीएसए संयंत्रों के प्रदर्शन और कार्यप्रणाली को ट्रैक करने के लिए ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ जैसी उन्नत तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू), राज्य सरकारों और अन्य माध्यमों द्वार वित्त पोषित 3,850 पीएसए संयंत्रों में से 2,494 (65% के करीब) 13 अक्टूबर तक रोजाना 3,324 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन कर रहे हैं। 

प्रधानमंत्री कार्यालय के मुताबिक, ऑक्सीजन प्लांट के संचालन व रखरखाव के लिए अस्पताल के कर्मचारियों की उचित प्रशिक्षण देने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिया गया था। इसके बाद देशभर में 8000 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन ऑक्सीजन संयंत्रों की कार्यप्रणाली और उनके प्रदर्शन पर नजर रखने के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर जोर दिया था।

गौरतलब है कि इस साल अप्रैल और मई में कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के दौरान देश में मेडिकल ऑक्सीजन की मांग में अचानक तेजी आ गई थी। इसकी वजह से देश के कई राज्यों में जीवन रक्षक ऑक्सीजन की कमी के मामले भी सामने आए थे। अचानक बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए रेलवे को ऑक्सीजन एक्सप्रेस चलाना पड़ा। इसके बाद से सरकार की ओर से ऑक्सीजन का उत्पादन बढ़ाने और उसकी निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने की लगातार कोशिश की जा रही है।

 

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