राजस्थान की गहलोत सरकार में प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर-दर-पेपर लीक हो रहे हैं और हर पेपर लीक के साथ लाखों बेरोजगार युवाओं की उम्मीदें ढह रही हैं और उनमें सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ रहा है। बार-बार पेपर लीक कराने के करोड़पति मास्टरमाइंड के हाथ या तो सरकार से भी लंबे हैं। या फिर सरकारी जांच एजेंसियों ने ही उनसे हाथ मिलाए हुए हैं। तभी तो कांग्रेस सरकार मास्टरमाइंड के किराए के कोचिंग सेंटर पर बुलडोजर चलाकर झूठी वाह-वाही लूट रही है और दोनों मास्टरमाइंड ने बड़े आराम से भारत की सरहद पार कर नेपाल पहुंच गए। पुलिस उनके घर और रिश्तेदारों के यहां झूठे ही हाथ-पांव मार रही है और दोनों मास्टरमाइंड थाईलैंड में नया साल मना रहे थे। पेपर लीक कराने के मास्टरमाइंड ढाका और सारण ने बड़े आराम से बॉर्डर पार कराने के लिए ह्यूमन ट्रैफिकिंग से जुड़े लोगों से संपर्क किया। इसके बाद वे नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार होते हुए थाईलैंड में अय्याशी कर रहे हैं।गहलोत सरकार के मंत्रियों के गले न फंसे इसलिए नहीं करा रहे सीबीआई जांच
प्रदेश में पेपर लीक होने की घटनाओं की शुरुआत से ही केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, सांसद किरोड़ी लाल मीणा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां और उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र सिंह राठौड़ समेत विपक्षी नेता इसकी सीबीआई जांच कराने की मांग करते रहे हैं, लेकिन गहलोत सरकार हर बार सीबीआई जांच कराने से बचती रही है। केंद्रीय मंत्री शेखावत कहते हैं कि पेपर लीक की जांच सीबीआई को सौंपनी चाहिए। लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर रही है, क्योंकि यदि सीबीआई को जांच होती तो जांच की आंच इनके मंत्रियों के गले तक पहुंच जाती। क्योंकि सारे पेपर लीक मिलीभगत से हो रहे हैं। शेखावत ने कहा कि नकल माफिया ने सरकार के साथ मिलकर राजस्थान के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। अब सब जान गए हैं कि पेपर माफिया को कौन प्रश्रय दे रहा है।रीट में जिसने पेपर लीक कराया, उसी ने अब खुलेआम बस में बैठाकर पेपर लीक कराया
बीजेपी के आरोप इसलिए भी खरे लग रहे हैं कि सरकारी जांच एजेंसियां सख्ती के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही कर रही हैं। लापरवाही के हालात यह हैं कि रीट की परीक्षा में जिस मास्टरमाइंड आरोपी ने पेपर लीक किया था, वही अब शिक्षक भर्ती परीक्षा में खुलेआम बस में बैठाकर पेपर लीक करवा रहा था। पेपर लीक होने की रिपोर्ट होने के बाद भी पुलिस उसे पकड़ नहीं सकी। सीनियर टीचर भर्ती के पेपर लीक मामले के मास्टरमाइंड सुरेश ढाका और भूपेंद्र सारण अब भी पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं। पेपर लीक का खुलासा होते ही दोनों फरार हो गए थे। उनका हर कदम पुलिस से आगे रहा। पुलिस उनके घर और रिश्तेदारों के यहां तलाश रही थी और दोनों आरोपी थाईलैंड में नया साल मना रहे थे। ढाका और सारण ने बॉर्डर पार कराने के लिए ह्यूमन ट्रैफिकिंग से जुड़े लोगों से संपर्क किया।दोनों मास्टरमाइंड पुलिस की आंखों में धूल झोंककर नेपाल के रास्ते पहुंचे थाईलैंड
दोनों मास्टरमाइंड जयपुर से हजारों किलोमीटर दूर थाईलैंड में हैं। बताते हैं कि जब उन्हें लगा कि वे पुलिस की गिरफ्त से दूर हो गए हैं तो उन्होंने करीबी दोस्तों को वीडियो कॉल करके थाईलैंड के नजारे भी दिखाए। सुरेश ढाका ने चित्रकूट स्थित अपने घर और गुर्जर की थड़ी पर स्थित अधिगम कोचिंग सेंटर को कंट्रोल रूम बना रखा था। 24 दिसंबर को पेपर वाले दिन यहां से सुरेश ढाका और भूपेंद्र सारण प्लानिंग कर सुरेश बिश्नोई को डायरेक्शन दे रहे थे। सुरेश बिश्नोई उनकी डायरेक्शन पर लीक पेपर के साथ स्टूडेंट्स को बताकर बस में एग्जाम सेंटर ले जा रहा था। सुरेश और भूपेंद्र ने पूरे काम पर नजर रखने के लिए बस में जीपीएस तक लगवाया था। उदयपुर पुलिस ने किसी स्टूडेंट की ही सूचना पर बस में सवार स्टूडेंट्स और सुरेश बिश्नोई व भजनलाल बिश्नोई को पकड़ लिया था। सुरेश ढाका और भूपेंद्र सारण ने पहले अपने साथियों को पुलिस से छुड़वाने का प्रयास किया। लेकिन दाल नहीं गली तो उन्होंने जयपुर से नेपाल भागने का प्लान बनाया। इसके बाद दोनों यहां से कार में नेपाल के लिए रवाना हो गए।पांच करोड़ के लिए 44 परीक्षार्थियों को चुना, 15 दिन पहले बताया लीक का प्लान
सुरेश ढाका ने एग्जाम से पहले ही तय कर लिया था कि उसे भर्ती परीक्षा में चार से पांच करोड़ रुपए कमाने है। इसके लिए उसने जान पहचान के 44 छात्रों के परिजनों से सम्पर्क किया। उन्हें पास करवाने की गारंटी दी और आठ से दस लाख रुपए में हर छात्र से सौदा तय किया। भूपेंद्र सारण और सुरेश ढाका ने सीनियर टीचर भर्ती परीक्षा के शुरू होने से 15 दिन पहले ही पेपर आउट कराने और छात्रों को पास करवाने का पूरा प्लान बना दिया था। भूपेंद्र को पेपर आउट करके लाना था और सुरेश की जिम्मेदारी छात्रों को सेलेक्ट करना और पेपर आने के बाद उनको एग्जाम दिलवाने की जिम्मेदारी थी। भूपेंद्र सारण फर्जी डिग्रियां और पेपर आउट करवाता था। उसकी पहुंच आरपीएससी तक है। कांन्स्टेबल भर्ती परीक्षा का पेपर लीक कराने के बाद एसओजी भूपेंद्र को पकड़ नहीं पाई थी। एसओजी भूपेंद्र को पकड़ती तब तक उसने सीनियर टीचर भर्ती परीक्षा का पेपर भी आउट कर दिया।बस में जीपीएस लगाकर नकल से आंसर शीट हल कराने के लिए बनाई थी ये टीम
सुरेश बिश्नोई : सुरेश बिश्नोई अपनी कार से बस को एस्कॉर्ट कर रहा था। बस में सवार छात्रों को पेपर की आंसर शीट पढ़ाने की जिम्मेदारी सुरेश को दे रखी थी। सुरेश हेडमास्टर है। वह सांचौर से 20 किलोमीटर दूर रूणोधर गांव में गिरधर धौरा का रहने वाला है। करीब एक साल पहले ही रिडिया का धौरा के पास ठेलियों के सेकेंडरी स्कूल में हेडमास्टर लगा था। इसे जीजा सुरेश ढाका ने जयपुर से वॉट्सऐप पर पेपर भेजा था। जीजा-साले ने ही मिलकर पेपर लीक कराने की साजिश रची थी। पुलिस ने इसे गिरफ्तार कर लिया है।
भागीरथ राम बिश्नोई : भागीरथ राम जालोर का रहने वाला है। वह सरकारी स्कूल में विज्ञान का वरिष्ठ शिक्षक है। यह पेपर हल कराने का जिम्मा था।
भजनलाल बिश्नोई : वेटरनरी डॉक्टर, कहीं भी क्लीनिक नहीं खोल रखा है। सांचौर में रूणोधर का रहने वाला है।
रावताराम चौधरी : हरियाणा का रहने वाला है और सेकेंड ग्रेड टीचर है। बस में पेपर सॉल्व कराने की जिम्मेदारी थी।
ढाका ने भर्ती परीक्षाओं से करोड़ों कमाए, एक ही नंबर की लग्जरी कारों का कलेक्शन
सुरेश ढाका सांचौर से 20 किलोमीटर दूर स्थित अचलपुर गांव का रहने वाला है। चौंकाने वाली बात ये है कि सुरेश ढाका कई मंत्रियों के ट्विटर हैंडल और फेसबुक पेज हैंडल करता है। इसके अलावा खुद के भी सभी सोशल मीडिया अकाउंट वेरिफाइड हैं। सुरेश ढाका को लग्जरी लाइफ स्टाइल में रहने का शौक है। ब्रांडेड कपड़े, गजेट्स पहनता है। एप्पल के लैपटॉप, आईफोन का मोबाइल रखता है। इसके अलावा उसने क्रेटा, स्कॉर्पियो, हेक्टर जैसी लग्जरी कारें रखी हैं। हर लग्जरी कार का नंबर 3233 लेता है। सुरेश ढाका अपनी लग्जरी लाइफ स्टाइल का फेसबुक, इंस्टाग्राम पर रील्स बनाकर दिखावा भी करता था। ढाका ने चित्रकूट में पिता मांगीलाल के नाम से डेढ़ करोड़ में फ्लैट खरीदा था। उसने गांव में आलीशान कोठी बना रखी है। जिसकी कीमत करोड़ों में है।किराए के कोचिंग सेंटर को तो ढहाया, पर आरोपियों की 5 करोड़ की संपत्ति ‘अछूती’
शिक्षक भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में जेडीए ने मास्टरमाइंड सुरेश ढाका और भूपेंद्र सारण से जुड़े ‘अधिगम कोचिंग सेंटर’ पर बुलडोजर चलाया। लेकिन गुर्जर की थड़ी स्थित जिस पांच मंजिला बिल्डिंग को ढहाया गया है, वह आरोपियों ने कोचिंग क्लास चलाने के लिए अनिल अग्रवाल से किराये पर ली थी। बिल्डिंग तो ढहा दी, लेकिन मास्टरमाइंड सारण और ढाका पर 25-25 हजार रु. इनाम के बावजूद सरकारी एजेंसियां इतने दिन बाद भी इन्हें ढूंढ नहीं पाईं। इसके अलावा जयपुर में ही इनकी 5 करोड़ रुपए की संपत्ति ‘अछूती’ है। उनके थाईलैंड पहुंचने के बाद अब जाकर पुलिस को टोल और नेपाल बॉर्डर के सीसीटीवी फुटेज से इनके भागने के रूट का इनपुट मिला है। इसमें मदद करने वालों की पहचान हुई है और पुलिस उन्हें तलाश रही है।