पुलवामा के शहीदों की वीरांगनाओं का अपमान करने वाली कांग्रेस की गहलोत सरकार अब अपनों के निशाने पर भी आ गई है। वीरांगनाओं का धरने पर साथ देने वाले बीजेपी सांसद को ‘आतंकी’ कहने पर कांग्रेस की विधायक दिव्या मदेरणा ने अपनी सरकार और उसके मंत्रियों को विधानसभा में जमकर घेरा। दरअसल गहलोत सरकार वीरांगनाओं के मामले में अपमान के साथ-साथ सामाजिक मर्यादाओं का ख्याल भी नहीं रख रही है और वीरांगनाओं की मांगों पर इंसाफ करने के बजाए उन्हें ही ‘नाता’ पर जाने के लिए आरोपित कर रही है। कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा ने विधानसभा में स्वायत्त शासन विभाग की अनुदान मांगों पर बहस के दौरान सरकार और यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को जमकर घेरा। वीरांगना मंजू के नाते जाने के बयान और बीजेपी सांसद किरोड़ी लाल मीणा को आतंकी कहने के बयान को लेकर धारीवाल पर मदेरणा खूब बरसीं।यूडीएच मंत्री 45 प्रतिशत वोट बैंक को नाराज करने वाले बयान क्यों दे रहे हैं?
गहलोत सरकार में नंबर दो के मंत्री शांति धारीवाल को घेरते हुए कांग्रेस विधायक ने कहा कि सरकार कैसी सोशल इंजीनियरिंग कर रही है। सरकार की पुलिस जिनका अपमान कर रही है, उनमें गुर्जर और मीणा समाज की वीरांगनाएं शामिल हैं। गुर्जर, मीणा और जाट ये खेतीहर हैं और 45 परसेंट से ज्यादा इनका हिस्सा है। 6 महीने बाद आप चुनाव में जाने वाले हैं और ऐसी गजब की सोशल इंजीनियरिंग दिखा रहे हैं। मीणा समाज के सबसे कद्दावर नेता को आप आतंकी कहते हैं। जाट समाज की बेटी मंजू को नाते के नाम से आप चरित्र हनन करते हैं। आप एक समाज के नेता को आतंकी के समान कैसे कह देंगे? उसकी प्रतिक्रिया क्या हुई, आपने उनके नेता को आतंकी कहा। दूसरे दिन उन्होंने हमारे प्रभारी को आतंकी कह दिया। हम कौन सा उदाहरण सेट करेंगे। वीरांगनाओं की तरह मुंह में घास लेकर धरने पर बैठी तो सबकी हिम्मत जवाब दे जाएगी
कांग्रेस विधायक ने साफ-साफ आरोप लगाया कि जब उन्होंने बीजेपी राज्यसभा सांसद को मंत्री द्वारा आतंकी कहने वाले बयान का विरोध किया तो उन्होंने मेरे इलाके की 44 सड़कों को रातों-रात रद्द कर दिया। मुख्यमंत्री को इसमें बहुत गंभीरता से हस्तक्षेप करना चाहिए। वरना जनता और समाज के मतदाता अगले चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि आजकल मंत्रीजी अपनी जिद पर आ जाते हैं और उनकी जिद सबसे बड़ी होती है। आपके पास मिनिस्ट्री है, जिस कलम से दस्तखत करते हैं, उस पर इतना मत इतराइए, यह भी उधार की है और ऐसे दरिया तो बहुत जल्दी चढ़कर उतर जाते हैं। अगर मेरी रद्द सड़कें मंजूर नहीं हुई तो मैं वीरांगनाओं की तरह मुंह में घास लेकर ओसियां की जनता के साथ धरने पर बैठ जाउंगी, आप में हिम्मत है तो रात को तीन बजे उठाकर देखना कि ओसियां की जनता फिर क्या सुलूक करती है।सीएम सलाहकार का ही मंत्री पर तंज, अडाणी की तरह समाजों को जमीन दीजिए
स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल पर कांग्रेस विधायकों ने ही नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार ने भी विधानसभा में आड़े हाथों लिया। जिस अडानी के लिए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने लोकसभा में खूब अनर्गल प्रलाप किया, उन्हीं के नाम पर विधानसभा में गहलोत के मंत्री को घेरा गया। स्वायत्त शासन विभाग की अनुदान मांगों पर बहस के दौरान सीएम सलाहकार संयम लोढ़ा ने यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल पर निशाना साधते हुए कहा- कई समाजों ने छात्रावास-धर्मशाला के लिए जमीन मांगी हुई है। पिछले चार साल से आप उनकी फाइलें लेकर आंखें बंद कर बैठे हुए हो। समझ में नहीं आता कि उन जरूरतमंदों को आप आवंटित क्यों नहीं कर रहे हो? उन्होंने कहा कि उद्घोगपति अडाणी को आप 75000 बीघा दे रहे हो, यह तो बेचारे एक-एक बीघा जमीन ही मांग रहे हैं। इनको जमीन देने में क्या दिक्कत है। इनकी मांगें अधर में क्यों लटकी हैं।प्रदेश प्रभारी रंधावा के बयान के जिक्र पर हंगामा, दुर्योधन और कृष्ण से तुलना
कांग्रेस प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने पिछले दिनों पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिया था। बीजेपी विधायक ज्ञानचंद पारख ने कांग्रेस प्रभारी रंधावा के पीएम मोदी को मारने वाले बयान का जिक्र करते हुए महाभारत में कृष्ण और दुर्योधन का उदाहरण देते हुए कई तल्ख कमेंट किए। इस पर सत्तापक्ष को सच्चाई कड़वी लगी तो दबाव डालकर उनके कमेंट डिलीट करवा दिए। इससे पहले बीजेपी विधायक ज्ञानचंद ने यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की तंजनुमा तारीफ करते हुए उन्हें ताकतवर, तेज तर्रार मंत्री बताया। साथ में, हाईकमान को आंख दिखाने वाले मंत्री के रूप में भी उनका जिक्र किया। सभापति जेपी चंदेलिया ने कांग्रेस हाईकमान पर किए कमेंट को सदन की कार्यवाही से डिलीट करवा दिया। दो बार कमेंट डिलीट करने पर बीजेपी विधायकों ने कड़ी आपत्ति जताई। इस मामले में सदन में जमकर नोकझोंक हुई।मोदी सरकार शहीदों का सम्मान और गहलोत सरकार कर रही अपमान
एक ओर पीएम मोदी सरकार ने पुलवामा हमले का पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देकर देश का सिर गौरव से ऊंचा किया, वहीं दूसरी ओर राजस्थान की कांग्रेस सरकार पुलवामा के वीर बलिदानियों की वीरागंनाओं का अपमान करने में जुटी है। गहलोत सरकार उनकी मांगों को पूरी करने में वादाखिलाफी तो कर ही रही है, शर्मनाक बात तो यह है कि शांति-पूर्वक विरोध प्रदर्शन कर रहीं कुछ शहीदों की पत्नी, मांओं और परिजनों को राजस्थान पुलिस घसीटते हुए ले गई। इस बदसलूकी के वीडियो भी वायरल हुए हैं और इसके बाद वीरगति पाने वाले अमर जवानों के परिजनों ने सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए इच्छामृत्यु की मांग कर डाली है। वीरांगनाओं ने कहा है कि यदि सरकार उनकी जायज मांगे पूरी नहीं कर सकती है। यदि उनको इच्छामृत्यु नहीं दे सकती है, तो वो उनको गोली ही मार दे। बीजेपी ने गहलोत सरकार के इस निरंकुश रवैये का कड़ा विरोध जताया है। खुद सरकार के सैनिक कल्याण मंत्री ने इसे शर्मनाक बताया है, लेकिन सरकार ने किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है।वीरांगना बोली- कई बार अनुरोध के बावजूद वादाखिलाफी कर रही है गहलोत सरकार
पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए राजस्थान के सीआरपीएफ के जवानों के परिजनों ने पुलिस द्वारा प्रताड़ित किए जाने का आरोप लगाया है। शहीदों की वीरांगनाओं और परिजनों ने राजस्थान सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा है कि इतने साल बीत जाने के बावजूद गहलोत सरकार मांगे पूरी नहीं कर रही है। काबिले जिक्र है कि 14 फरवरी 2019 के पुलवामा आतंकी हमले में बलिदान हुए सीआरपीएफ जवानों के परिजन जयपुर स्थित शहीद स्मारक पर अपनी मांगों को लेकर कुछ दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं। इस प्रदर्शन में बलिदानी जवानों की माताएं, परिजन और पत्नी भी शामिल हैं। बलिदानी हेमराज मीणा की वीरांगना पत्नी मधुबाला के मुताबिक काफी समय पहले ही उनके गांव का नाम उनके शहीद पति के नाम पर रखने और सांगोद के स्कूल में स्मारक बनाने का वादा सरकार ने किया था। इसके लिए कई बार अनुरोध करने के बावजूद सरकार अब वादाखिलाफी कर रही है।शहीदों की वीरांगनाओं के साथ राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा धरने पर बैठे
सरकार के रवैये से आहत होकर राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा के साथ पुलवामा शहीदों की तीन वीरांगनाएं राज्यपाल को ज्ञापन देने पहुंचीं। वीरांगनाओं ने ज्ञापन देकर इच्छा मृत्यु मांगी। ज्ञापन देने के बाद वीरांगनाएं सीएम हाउस जाकर मुख्यमंत्री से मिलना चाहती थी। पुलिस ने तीनों को आगे नहीं बढ़ने दिया, बाद में उन्हें घसीटकर गाड़ी में बैठाया। इस दौरान छीना झपटी में शहीद रोहिताश लांबा की वीरांगना मंजू की तबीयत बिगड़ गई। तबीयत बिगड़ने पर वीरांगना को एसएमएस अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। दूसरी ओर सरकार की अनदेखी के खिलाफ सांसद किरोड़ी लाल मीणा विधानसभा के सामने धरने पर बैठ गए। पुलिस अधिकारी भरत लाल मीणा से उनकी बहस हो गई। इसके बाद किरोड़ी लाल मीणा को पुलिस की बस में बिठाया। जहां से मीणा शहीदों के परिजनों के साथ शहीद स्मारक पहुंचे। फिर अनिश्चितकालीन धरना शुरू हो गया है।
आज तीनों वीरांगनाओं के साथ राज्यपाल महोदय @kalrajmishra जी को ज्ञापन देने राजभवन गया था। ज्ञापन सौंपने के बाद वीरांगनाएं मुख्यमंत्री जी से मिलने के लिए मुख्यमंत्री आवास की ओर पहुँची तो पुलिस ने उनके साथ अभद्रता व मारपीट की। इसमें वीरांगना मंजू जाट घायल हो गईं।@BJP4India pic.twitter.com/VR66tl2a4x
— Dr.Kirodi Lal Meena (@DrKirodilalBJP) March 4, 2023
रोते हुए शहीद की पत्नी बोलीं- सरकार इतनी परेशान है तो पुलिस गोली मार दे
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक अन्य शहीद रोहिताश लाम्बा की पत्नी मंजू ने बताया कि उनके पति के अंतिम संस्कार के समय कांग्रेस के तमाम नेता और मंत्री आ कर बड़े-बड़े वादे किए थे। तब मंजू के देवर जितेंद्र को सरकारी नौकरी के साथ रोहिताश का एक स्मारक भी बनवाने का वादा राज्य सरकार की तरफ से किया गया था। वारांगना मंजू का आरोप है कि वो तमाम सरकारी वादे अधूरे पड़े हैं। अब हालात यह हैं कि रोहिताश के घर किसी मंत्री या नेता का आना-जाना तो दूर, कोई अधिकारी ठीक से बात भी नहीं करता। रोते हुए मंजू लम्बा ने बताया कि जब उन्होंने अपनी माँगों के लिए आवाज उठाई, तब उन्हें राजस्थान पुलिस से प्रताड़ित करवाया गया। इस दौरान मंजू लाम्बा ने कहा, “हमने सोचा था कि हम अपने बच्चों को भी देश के लिए लड़ने भेजेंगे, पर यह सब देख कर हमने अपने हाथ वापस खींच लिए हैं।” पुलिस छीना-झपटी में घायल हुई मंजू ने रोते हुए कहा कि हम मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात रखना चाहते थे। हमसे पुलिस ने अपराधियों जैसा व्यवहार किया। हमारी मांगें मानने की जगह बदसलूकी की जा रही है। मुख्यमंत्री से मिलने जाते हैं, पुलिस पीट रही है। यदि सरकार को हमसे इतनी ही परेशानी है तो पुलिस को हमारे सीने में गोली मार देनी चाहिए।
मुख्यमंत्री से मिलने जा रही , पुलवामा के अमर शहीद रोहिताश लांबा जी की पत्नी को कांग्रेस की राजस्थान सरकार की पुलिस ने लाठियाँ से पीटा
बिलखती इस वीरांगना के आँसू आपको सोने देंगे @ashokgehlot51 जी ? pic.twitter.com/YBxj4kfT5m
— Laxmikant bhardwaj (@lkantbhardwaj) March 4, 2023
प्रताड़ना से बाध्य होकर परिजनों को इच्छामृत्यु मांगने को बाध्य होना पड़ा- अरुण सिंह
बीजेपी के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने भी पांच दिन से शहीद समारक पर वीरांगनाओं के साथ धरना सांसद किरोड़ीलाल मीणा और शहीदों के परिजनों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि वीरांगनाओं की मांगें इतनी बड़ी भी नहीं है कि सरकार इन्हें पूरा नहीं कर पाए। खुद मंत्रियों ने जो घोषणाएं कीं, उन पर ही अमल करना चाहिए। ऐसा करने की बजाय सरकार वीरांगनाओं को प्रताड़ित कर रही है। हालात यह हैं कि परिजनों को इच्छामृत्यु मांगने को बाध्य होना पड़ रहा है। इन आरोपों के समर्थन में कुछ वीडियो भी वायरल हुए हैं, जिनमें राजस्थान पुलिस के जवान महिलाओं से बदसलूकी करते नजर आ रहे हैं। सरकार को ऐसे पुलिस कर्मियों के खिलाफ भी तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।
राजस्थान सरकार ने 81 शहीदों के परिजनों को अब तक नहीं दी है नौकरी
पुलवामा शहीदों की वीरांगनाओं की पीड़ा इसलिए भी सही प्रतीत होती है, क्योंकि पिछले सप्ताह ही सैनिक कल्याण राज्यमंत्री राजेंद्र गुढ़ा में प्रदेश के कलेक्टर्स और रेवेन्यू ऑफिसर पर आरोप लगाया था कि– वे शहीदों के परिजनों को कॉपरेट नहीं करते। वे उन्हें चक्कर कटवाते हैं। उन्होंने साफ कहा था कि शहीद के परिजनों को जो सुविधाएं या सरकारी नौकरी मिलनी थीं, वो अब तक पेंडिंग हैं। पड़ताल में भी यह सामने आया है कि राजस्थान के 81 शहीदों के परिजनों को सालों से नौकरी नहीं मिली है। देश की रक्षा के लिए प्राण देने वाले शहीदों के परिजन अब सरकारी सुविधाओं के लिए दर-दर की ठोकर खा रहे हैं। अनुकंपा नियुक्ति पाने के लिए रोजाना सरकारी ऑफिस के चक्कर काट रहे है। इनमें 1962 में भारत-पाक और 1965 में हुए भारत-चीन युद्ध के शहीदों के परिजन भी हैं।प्रदेश में 158 स्कूल और 25 चिकित्सा संस्थान शहीदों के नाम से नहीं हो पाए
पुलवामा शहीद ही नहीं, राजस्थान सरकार देश के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले अन्य जांबांजों के साथ भी न्याय नहीं कर रही है। मीडिया की पड़ताल में यह भी सामने आया है कि 158 स्कूल और 25 चिकित्सा संस्थान आज भी शहीद के नाम से नहीं हो पाए । वहीं, पिछले 3 साल में शहीद हुए 11 जवानों के परिजन एक मुश्त 45 लाख की नकद सहायता और पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम से वंचित है। इतना ही नहीं शहीदों के परिजन नल-बिजली कनेक्शन और रोडवेज में पास के लिए भी भटक रहे हैं। दरअसल, सरकारी योजनाओं की मॉनिटरिंग के लिए तो सिंगल क्लिक विंडो सिस्टम है। लेकिन, शहीदों के परिजनों को सरकारी योजनाएं पाने के लिए कोई ऑनलाइन आवेदन का सिस्टम और सिंगल क्लिक विंडो का ऑप्शन नहीं है।सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ही बोले- “ये सरकार के लिए शर्म की बात है”
सैनिक कल्याण राज्य मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने भी विधानसभा में माना कि कई कलेक्टर और राजस्व विभाग के अफसर शहीदों के परिजनों का बिल्कुल सहयोग नहीं करते है। इससे एक दिन पहले ही उन्होंने जयपुर में चल रहे पुलवामा शहीदों के धरने में पहुंचकर कहा था कि ‘ ये सरकार के लिए शर्म की बात है।’ उन्होंने शहीदों के परिजनों को हो रही दिक्कतों के मसले को कैबिनेट मीटिंग में रखने की बात भी कही थी। हाल ही में सदन में पूछे गए एक सवाल के जवाब में सरकार ने बताया कि शहीदों के परिजनों को सरकारी सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए कोई ऑनलाइन सिस्टम नहीं है और न ही सरकार के पास ऐसा कोई प्लान या व्यवस्था है।