दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का पूरा ध्यान विज्ञापन के जरिए अपना चेहरा चमकाने पर रहता है। 25 दिसंबर को क्रिसमस के दिन अरविंद केजरीवाल ने देश के तमाम अखबारों को करोड़ों रुपये के विज्ञापनों से पाट दिया। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि ये फुल पेज विज्ञापन दिल्ली के अखबारों में ही नहीं, बल्कि पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र लेकर यूपी-एमपी और बिहार तक के अखबारों में दिए गए। काम की जगह करदाताओं के सैकड़ों करोड़ रुपये विज्ञापन पर बर्बाद करने से उनके समर्थक भी गुस्से में हैं। सोशल मीडिया पर इसी की चर्चा हो रही है। लोगों का कहना है कि अखबारों को दिए गए करोड़ों रुपये के इन्हीं विज्ञापनों के कारण मीडिया वाले दिल्ली के सीएम केजरीवाल से कोई सवाल नहीं करते हैं। आप भी देखिए सोशल मीडिया पर यूजर्स किस तरह से रिएक्ट कर रहे हैं-
Ad man of India pic.twitter.com/J6J9jJfU0d
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) December 25, 2021
AD-WIND pic.twitter.com/FXnF0jn69J
— Wokeflix (@wokeflix_) December 25, 2021
Full page Christmas advertisements featuring Arvind Kejriwal in the “Mumbai edition” of Times of India this morning.
Delhi taxpayers money being diverted to bear the expenses of his personal promotion in other States where he is preparing to fight upcoming elections!!
1/2 pic.twitter.com/gQsBylDQoB
— Priti Gandhi – प्रीति गांधी (@MrsGandhi) December 25, 2021
Kejriwal’s ad in almost all National dailies…
Why didn’t he using this money to build colleges, hospitals etc? pic.twitter.com/3nPwWMrLJk
— Dharmendra Chhonkar (@yoursdharm) December 25, 2021
#AdMan Kejriwal is wasting crores of Delhi taxpayer’s money in other states.
Please check your local newspaper too! pic.twitter.com/LLHgWUuCcJ
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) December 25, 2021
Kejriwal become Santa Claus for all newspapers today! pic.twitter.com/E5HuBdVKnl
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) December 25, 2021
Kejriwal has given ad in almost all newspapers of India. Hindi to Gujarati, he didn’t miss any single newspaper.
This is how he waste taxpayers money…apna pic chhapane ka aisa shauk hai, itna atm mugdh hai ki possible ho to currency par bhi apna pic chhapwa de.. pic.twitter.com/N6tEbjtx8r
— Mr Sinha (@MrSinha_) December 25, 2021
Which party paid how much money to which media house for ads? Do people have a rt to know this?@ArvindKejriwal https://t.co/YX0Fr2Ym0j pic.twitter.com/28ezcjjhlf
— Naweed (@Spoof_Junkey) December 25, 2021
Tell us @ArvindKejriwal do people have a rt to know this ? pic.twitter.com/9JntXoky7x
— Political Kida (@PoliticalKida) December 25, 2021
राहुल गांधी पुरखों की वजह राजनीति में है और @ArvindKejriwal केजरीवाल, मूर्खों की वजह से C.M है।#मुफ्तखोर https://t.co/JVbZ7gNI2P pic.twitter.com/rDVGACbKFl
— ????? ????? ? (@007kiran_) December 25, 2021
केजरीवाल जी हमारे टैक्स के रूप में दिए गए पैसों को इस तरह बर्बाद मत करो। यह हमारे खून पसीने की गाढ़ी कमाई हैं।@kejriwal @AmitShah @PMOIndia @drharshvardhan https://t.co/DCmxdFPIEq
— Meenu Jaiswal (@MeenuJaiswal15) December 25, 2021
In Bihar also pic.twitter.com/vGPFeSIPkb
— N K SINGH (@NAVIN1969) December 25, 2021
आइए देखते हैं केजरीवाल सरकार किस तरह जनता के पैसे को सिर्फ प्रचार-प्रसार के लिए खर्च कर रही है, वो आंकड़ा चौंकाने वाला है।
पिछले दिनों ही देश में कोरोना संक्रमण की स्थिति सबसे ज्यादा दिल्ली में खराब होने के बावजूद केजरीवाल का ध्यान हेल्थ सेक्टर को मजबूत करने के बजाय टीवी पर रोज अपना चेहरा दिखाने पर रहा। हर न्यूज चैनल पर दिल्ली के सीएम का ही विज्ञापन आने पर लोग सोशल मीडिया पर सवाल कर कहने लगे है कि क्या इन्हीं विज्ञापनों की वजह से तमाम न्यूज चैनल दिल्ली में कोरोना से बदतर हुई स्थिति को नहीं दिखा रहे हैं। सीएम केजरीवाल ने हर न्यूज चैनल को अपने विज्ञापनों से भर दिया, ताकि वे उनके कोरोना कुप्रबंधन पर सवाल न खड़ा कर सकें।
हाल ही में दिल्ली नगर निगम के कर्मचारियों के वेतन को लेकर दाखिल की गई एक जनहित याचिका पर सुनावाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल सरकार को कड़ी फटकार लगाई। दिल्ली हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हम देख सकते हैं कि किस तरह से सरकार राजनेताओं की तस्वीरों के साथ अखबारों में पूरे पन्ने का विज्ञापन देती हैं। वहीं, दूसरी तरफ कर्मचारियों को वेतन तक नहीं दी जाती है। क्या यह अपराध नहीं है कि ऐसे मुश्किल वक्त में भी आप पैसा विज्ञापन पर खर्च कर रहे हैं। अगर आप इन कर्मचारियों को तय वक्त पर तनख्वाह देते तो आपका कहीं ज्यादा नाम हो सकता है।
केजरीवाल के पिछले सात साल के कार्यकाल को देखें तो आपको पता चलेगा कि सरकार का मकसद जनता के हित में काम करने से ज्यादा ढिंढोरा पीटना रहा है। इससे साफ संकेत मिलता है कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली सरकार की झूठी तारीफ के लिए दिल खोलकर पैसे लूटा रहे हैं।
#Exclusive:- दिल्ली सरकार ने विज्ञापन पर खर्च की 500 करोड़ से ज्यादा की रकम
Updates here – https://t.co/Ty3TTKJ5xS@AamAadmiParty @CMODelhi pic.twitter.com/tQxU4Y7WQ2
— Newsroom Post (@NewsroomPostCom) March 9, 2021
साल 2012-13 में आम आदमी पार्टी ने 10.11 करोड़ रुपये सरकार के विज्ञापन पर खर्च किया। यह आंकड़ा 2013-14 में बढ़कर 11.22 करोड़ हो गया। इसके बाद 2014-15 में चुनाव से ठीक पहले तक 7.37 करोड़ रुपये विज्ञापन पर खर्च किए गए। वहीं 2015-16 में सरकार के गठन के साथ ही पार्टी की तरफ से सरकारी कामकाज के प्रचार प्रसार के लिए किए गए विज्ञापन पर 62.03 करोड़ रुपये खर्च किए गए। साल 2016-17 में अरविंद केजरीवाल की सरकार ने विज्ञापन पर 66.80 करोड़ रुपये खर्च किए तो वहीं 2017-18 में यह आंकड़ा लगभग दोगुना हो चुका था। इस वित्त वर्ष में अरविंद केजरीवाल सरकार ने विज्ञापन पर 120.30 करोड़ रुपये खर्च कर दिए।
2018-19 में इस आंकड़े में कमी आई और सरकारी विज्ञापन पर केजरीवाल सरकार ने 46.90 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। इसके बाद 2020 का चुनावी साल आया। ऐसे में 2019-20 के लिए विज्ञापन पर अरविंद केजरीवाल सरकार ने कई गुना ज्यादा रकम खर्च कर डाली। इस वित्त वर्ष में केजरीवाल सरकार के द्वारा विज्ञापन पर केवल 201.20 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए।
2020 के मार्च महीन में कोरोना ने देश में दस्तक दी तब भी अरविंद केजरीवाल की सरकार विज्ञापन पर रोक नहीं लगा पाई। अभी तक 2020-21 के आंकड़े सही तरीके से मौजूद नहीं हैं। लेकिन जिस तरह से कोरोना काल में अरविंद केजरीवाल सरकार ने विज्ञापन के जरिए अपनी उपलब्धियों को जाहिर करने की कोशिश की उससे साफ पता चलता है कि यह आंकड़ा साल 2019-20 के मुकाबले कई गुणा बड़ा होगा। हालांकि 2020-21 के लिए जनवरी तक का अनुमानित आंकड़ा 177.18 करोड़ रुपये का बताया जा रहा है।
गौरतलब है कि लगभग 2 करोड़ की आबादी वाले प्रदेश की सरकार ने 500 करोड़ से ज्यादा की रकम केवल अपने काम के विज्ञापन के लिए खर्च कर दिए। इतनी रकम के जरिए दिल्ली की जनता को विकास का एक और मानक तैयार करके दिया जा सकता था। लेकिन अरविंद केजरीवाल सरकार जनता के बीच अपने स्कीमों को लेकर विज्ञापने के जरिए पहुंचने का रास्ता ही सही मानती रही। यही वजह है कि राष्ट्रीय राजधानी की जनता के टैक्स के पैसे को केजरीवाल एंड कंपनी विज्ञापनों पर लूटा रही है।