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जल जीवन मिशन: 4 करोड़ से अधिक ग्रामीण घरों में पहुंचाया गया नल का जल कनेक्शन

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त, 2019 को लाल किले के प्राचीर से ‘जल जीवन मिशन’ की घोषणा की थी। इस मिशन के तहत 2024 तक हर घर में पाइप के द्वारा पानी पहुंचाने का लक्ष्य है। इस जल जीवन मिशन के तहत चार करोड़ से अधिक ग्रामीण घरों में नल से जल पहुंचा कर नया कीर्तिमान स्थापित किया गया है। इसके साथ ही 7 करोड़ 24 लाख ग्रामीण घरों में नल का पानी उपलब्ध हो गया है।

गोवा देश का ऐसा पहला राज्य बन गया है जहां शत प्रतिशत ग्रामीण घरों में पाइप से पीने का पानी मिल रहा है। इसके बाद तेलंगाना एवं अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह आते हैं। यह भारत सरकार के उस संकल्प के अनुरूप हैं जिसमें लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने और उनका जीवन सुगम बनाने पर जोर दिया गया है। जल जीवन मिशन को राज्यों के सहयोग से लागू किया जा रहा है और इसका उद्देश्य नियमित एवं दीर्घ-कालिक आधार पर निर्धारित मानकों के अनुरूप गुणवत्ता का पेयजल पर्याप्त मात्र में उपलब्ध करवाना है।

दूषित जल से सबसे अधिक बच्चों के रोगग्रस्त होने की आशंका बनी रहती है, इसलिए देशभर के विद्यालयों, आश्रमशालाओं और आंगनवाड़ियों में नल से पानी पहुंचाने का अभियान शुरू किया गया है। नल के इस पानी का इस्तेमाल दोपहर का भोजन तैयार करने, हाथ धोने की सुविधा और शौचालय में किया जा सकेगा।

11.80 करोड़ घरों में दिए जाने हैं नल कनेक्शन
मिशन की शुरुआत के बाद पता चला कि देश के 19.04 करोड़ ग्रामीण घरों में से 7.24 करोड़ घरों को पहले ही नल कनेक्शन दिए जा चुके हैं। बाकी के 11.80 करोड़ घरों को नल कनेक्शन दिए जाने हैं। लक्ष्य को देखते हुए हर साल 2.9 करोड़ घरों को कवर किया जाना है।

जल जीवन मिशन के लिए 23,500 करोड़ रुपये
वित्त वर्ष 2020-21 में जल जीवन मिशन के लिए कुल 23,500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया। मिशन के लिए राज्यों/ संघ शासित राज्‍योंको 8,000 करोड़ रुपये का केन्द्रीय कोष उपलब्ध है। इसके साथ ही 2020-21 में ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए वित्त आयोग के अनुदान का 50 प्रतिशत जल आपूर्ति और स्वच्छता के लिए निर्धारित किया गया है, जो 30,375 करोड़ रुपये के बराबर है। इससे उन्हें गांवों में वाटर सप्लाई सिस्टम के लिए बेहतर योजना बनाने, कार्यान्वयन, प्रबंधन, परिचालन और रखरखाव में सहायता मिलेगी।

समय से पहले लक्ष्य हासिल करने की योजना
कई राज्यों ने 2024 से पहले ही मिशन के लक्ष्य को हासिल करने की बात कही है। बिहार, गोवा, पुडुचेरी और तेलंगाना ने 2021 में, जबकि गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, मेघालय, पंजाब, सिक्किम और उत्तर प्रदेश ने 2022 में इसे पूरा करने की योजना बनाई है। वहीं अरुणाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़ ने 2023 में, जबकि असम, आंध्र प्रदेश, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल ने 2024 तक 100 प्रतिशत कवरेज हासिल करने की योजना बनाई है।

पीने योग्य पानी की आपूर्ति सबसे पहली प्राथमिकता
जल जीवन मिशन के अंतर्गत खराब गुणवत्ता वाले पानी से प्रभावित इलाकों में पीने योग्य पानी की आपूर्ति सबसे पहली प्राथमिकता है, क्योंकि फ्लूरोसिस और आर्सेनिकोसिस के दुष्प्रभावों में कमी लानी है। राज्यों को दिसंबर, 2020 तक आर्सेनिक और फ्लूरॉइड प्रभावित बस्तियों के सभी घरों में पाइप से पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करनी है।

पानी समिति का गठन
ग्राम स्तर पर कम से कम 50 प्रतिशत महिला सदस्यों के साथ ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियां/ग्राम पंचायत की उप समिति के रूप में पानी समिति का गठन किया जा रहा है। समिति जल संसाधन विकास, आपूर्ति, ग्रे वाटर प्रबंधन और परिचालन व रखरखाव पर विचार करते हुए ग्राम कार्य योजनाएं तैयार करने के लिए जिम्मेदार हैं। इसका उद्देश्य ग्राम पंचायत और उप समिति के सदस्यों की क्षमता बढ़ाना भी है, जिससे गांव में एक उत्तरदायी और जिम्मेदार नेतृत्व तैयार किया जा सके, जो गांव में जल आपूर्ति आधारभूत ढांचे का प्रबंधन, योजना, परिचालन एवं रखरखाव जैसे काम कर सके।

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