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अहंकार चकनाचूर! राहुल गांधी जेल जाएंगे? 2 दिन बचे हैं, कोर्ट से राहत न मिली तो होंगे गिरफ्तार

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सूरत सेशन कोर्ट ने मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने संबंधी याचिका 20 अप्रैल 2023 को खारिज कर दी। इससे राहुल गांधी का अहंकार चकनाचूर हो गया। देश पर 60 साल तक कांग्रेस के शासन में गांधी परिवार खुद को शाही परिवार मानने लगा था। उसको लगता था कि देश में उसके लिए अलग कानून होना चाहिए। वे यह भूल गए थे देश की जनता ने उनकी करतूतों की वजह से सत्ता से बेदखल किया है और कानून की नजर में सब बराबर हैं। सूरत की निचली अदालत ने मानहानि के मामले में 23 मार्च 2023 को राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी। अदालत ने एक महीने के लिए सजा रद्द करते हुए उन्हें उपरी अदालत में अपील करने का अवसर दिया था। इससे उन्हें 22 अप्रैल 2023 तक जेल जाने से छूट मिल गई थी। निचली अदालत ने उन्हें माफी मांग लेने का अवसर भी दिया था लेकिन शाही परिवार के घमंड में उन्होंने माफी मांगने से इनकार दिया था। अब अगर उन्हें गुजरात हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट से 22 अप्रैल तक राहत नहीं मिलती है तो उनका जेल जाना तय है।

राहुल गांधी को सूरत कोर्ट से नहीं मिली राहत

सूरत कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मानहानि मामले में दोषसिद्धि पर रोक लगाने संबंधी याचिका 20 अप्रैल को खारिज कर दी। कांग्रेस ने सूरत कोर्ट के फैसले को कानूनी रूप से गलत बताते हुए गुजरात हाई कोर्ट में जाने की बात कही है। वहीं बीजेपी ने इसे न्यायपालिका व लोगों की जीत और गांधी परिवार के अहंकार पर तमाचा करार दिया।

राहुल गांधी ने सजा रद्द करने के लिए पुख्ता आधार नहीं दिया

एडिशनल सेशन जज आर. पी. मोगेरा की कोर्ट ने राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि के इस मामले में दो साल के कारावास की सजा सुनाए जाने के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दायर अर्जी आज खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता ने अपने खिलाफ दर्ज दोषसिद्धि को निलंबित करने के लिए कोई पुख्ता आधार नहीं बनाया है।

राहुल गांधी को अपने शब्दों को लेकर ज्यादा सावधान रहना चाहिए

राहुल गांधी की अर्जी को खारिज करते हुए जज ने कहा कि सांसद और दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष होने के नाते राहुल गांधी को अपने शब्दों को लेकर ज्यादा सावधान रहना चाहिए था। जब राहुल गांधी ने मोदी सरनेम वाला बयान दिया था तब वे सांसद होने के साथ-साथ कांग्रेस के अध्यक्ष भी थे।

राहुल शब्द पीड़ित व्यक्ति को मानसिक पीड़ा देने के लिए पर्याप्त

जज आर. पी. मोगेरा ने कहा कि राहुल गांधी की ओर से कहे गए शब्द पीड़ित व्यक्ति को मानसिक पीड़ा देने के लिए पर्याप्त हैं। इस मामले में ‘मोदी’ सरनेम वाले व्यक्ति की तुलना चोरों से करने से निश्चित रूप से शिकायतकर्ता को मानसिक पीड़ा होगी और प्रतिष्ठा को नुकसान होगा.

राहुल के वकीलों ने सांसदी जाने का मुद्दा भी उठाया

कोर्ट ने कहा कि उनके वकील यह प्रदर्शित करने में विफल रहे कि यदि उन्हें (राहुल गांधी को) दोषसिद्धि पर रोक न लगने के कारण जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) के तहत चुनाव लड़ने के अवसर से वंचित किया जाता है, तो उन्हें ऐसा नुकसान होगा जिसकी भरपाई संभव नहीं होगी।

राहुल ने 3 अप्रैल को सेशन कोर्ट में अपील की थी

राहुल गांधी ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ 3 अप्रैल को सेशन कोर्ट का रुख किया था। उनके वकील ने दो साल की सजा के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दायर मुख्य अपील के साथ दो अर्जियां भी दायर की थीं, जिनमें एक अर्जी जमानत के लिए थी, जबकि दूसरी अर्जी मुख्य अपील के निस्तारण तक दोषसिद्धि पर रोक के लिए थी।

कांग्रेस ने कहा- सभी कानूनी विकल्पों का उपयोग करेगी

कांग्रेस ने कहा कि वह इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों का उपयोग जारी रखेगी। राहुल गांधी झुकने वाले नहीं हैं और जनहित में अपनी आवाज उठाते रहेंगे। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया कि कानून के तहत जो भी विकल्प हमारे लिए उपलब्ध होंगे, हम उन सभी विकल्पों का लाभ उठाना जारी रखेंगे। वहीं पार्टी प्रवक्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि दोषसिद्धि को निलंबित नहीं किया गया है। कानून के मूलभूत आधार के हिसाब से यह निर्णय गलत है।

अभिषेक सिंघवी ने अदालत के निर्णय को ही गलत कह दिया

कांग्रेस प्रवक्ता और वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने अदालत के निर्णय को ही गलत कह दिया। इससे समझा जा सकता है कि ये लोग गांधी परिवार को कानून से ऊपर समझते हैं। उन्होंने कहा कि गलत कानूनी आधार पर जो (निचली और सेशन अदालत के) दो निर्णय आए हैं उनको चुनौती दी जाएगी। हमें विश्वास है कि कानूनी रूप से गलती को ठीक किया जाएगा। राहुल गांधी के बयान को तोड़-मरोड़कर नया आयाम दिया गया जो पूरी तरह गलत है।

गांधी परिवार के अहंकार पर तमाचा

बीजेपी ने कोर्ट के फैसले को न्यायपालिका गांधी परिवार के अहंकार पर तमाचा करार दिया। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि अदालत का फैसला गांधी परिवार, खासकर राहुल गांधी के अहंकार पर तमाचा है। ये भारत के आम लोगों और पिछड़े वर्गों की जीत है। ये न्यायपालिका की भी एक बड़ी जीत है।

देश में संविधान का राज, परिवार का राज नहीं

कोर्ट का फैसला यह भी साबित करता है कि कानून सभी के लिए बराबर है और वह किसी भी प्रकार के दवाब के आगे झुकता नहीं है। इस फैसले से एक बात साफ हुई है देश में संविधान का राज है, परिवार का राज नहीं है और किसी भी परिवार के लिए अलग कानून नहीं हो सकता। राहुल गांधी के पास अभी भी मौका है, अहंकार को छोड़ें और देश के सामने ओबीसी समाज से क्षमा याचना कर लेना चाहिए।

गांधी परिवार खुद को समझता रहा शाही परिवार

देश पर 60 साल तक कांग्रेस का शासन था तो उस समय से गांधी परिवार खुद को शाही परिवार ही समझता रहा है। इसको आप इसी बात से समझ सकते हैं कि आज भी राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी प्रधानमंत्री के आवास से बड़े घर में रहती है। सोनिया पिछले 32 साल से इसी 10 जनपथ रोड आवास में रह रही हैं। वह तब भी इस आवास में रहती रही जब न तो सांसद थी और न ही किसी पद पर थी। संसद सदस्यता खत्म होने के बाद अब राहुल गांधी 12 तुगलक लेन वाला अपना सरकारी बंगला खाली कर 10 जनपथ में शिफ्ट हो गए हैं।

राहुल का विक्टिम कार्ड नहीं चला, नहीं मिला जनता का समर्थन

सजा मिलने के बाद करीब 10 दिन तक जनता की नब्ज टटोलने के बाद राहुल गांधी को आखिरकार समझ आया कि विक्टिम कार्ड नहीं चल पाया। जनता के जिस समर्थन की वे उम्मीद कर रहे थे वह नहीं मिल पाया। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिल में बसा चुकी जनता टस से मस नहीं हुई। देश की जनता भ्रष्टाचार के उस काले दौर को अब याद भी नहीं रखना चाहती। जनता का समर्थन नहीं मिलता देख अंततः 3 अप्रैल 2023 को राहुल ने सूरत सेशन कोर्ट में सजा के खिलाफ अपील दायर की थी। राहुल को 23 मार्च को सूरत की सीजेएम कोर्ट ने धारा 504 के तहत दो साल की सजा सुनाई थी।

कांग्रेस को कर्नाटक चुनाव में लाभ मिलने की थी उम्मीद

राहुल गांधी को सजा मिलने पर अपील नहीं करने के पीछे सबसे बड़ा तात्कालिक कारण यह था कि कांग्रेस को उम्मीद थी कि इसका लाभ कर्नाटक चुनाव में होगा। इसकी वजह यह है कि मोदी सरनेम टिप्पणी राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कर्नाटक में की थी। जहां उन्होंने ओबीसी समाज को अपमानित किया था। लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने 13 अप्रैल 2019 को नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था- ‘चोरों का सरनेम मोदी है। सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है, चाहे वह ललित मोदी हो या नीरव मोदी हो चाहे नरेंद्र मोदी।’ अब चूंकि यह बयान राहुल ने कर्नाटक में दी थी तो उन्हें उम्मीद थी कि जनता की साहनुभूति मिलेगी। लेकिन यह विक्टिम कार्ड नहीं चल पाया। ‘संकल्प सत्याग्रह’ में भी ज्यादा लोग नहीं जुटे और वहां से जो फीडबैक मिला वह भी निराशाजनक ही रहा।

चिदंबरम ने माना- राहुल मामले में नहीं मिल रहा जनता का समर्थन

इंडिया टुडे के राजदीप सरदेसाई के साथ बातचीत में जब चिदंबरम से पूछा गया कि राहुल गांधी के अयोग्य होने के बाद जनता उनके समर्थन में आंदोलन करने क्यों नहीं आ रही है। तो उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से लोग प्रदर्शन करने सड़क पर नहीं उतर रहे हैं। सीएए मामले में भी सिर्फ मुसलमानों ने प्रदर्शन किया। हैरानी है कि दूसरे देशों की तरह लोग यहां प्रदर्शन करने नहीं आ रहे हैं। ये निराशाजनक है कि राहुल मामले में भी लोगों में कोई गुस्सा नहीं दिख रहा है।

राहुल गांधी संसद सदस्यता बचाने के लिए चौथी बार मांगेंगे माफी!

गुजरात की सूरत कोर्ट ने ‘सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है’ वाले बयान से जुड़े मानहानि केस में राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए दो साल सजा सुनाई तो उनकी संसद सदस्यता भी समाप्त हो गई। कोर्ट ने हालांकि उन्हें माफी मांगने का अवसर दिया था लेकिन अहंकार में उन्होंने माफी मांगने से इनकार करते हुए कहा कि मैं माफी नहीं मांगूंगा, मुझे कोर्ट की दया नहीं चाहिए। देश विरोधी, सनातन विरोधी बयानों से विवादों में रहने वाले राहुल गांधी हालांकि इससे पहले तीन बार माफी मांग चुके हैं। 2019 में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने कहा था- ‘चौकीदार चोर है’। इस मामले में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर माफी मांग ली थी। अब अगर राहुल की सजा कोर्ट रद्द नहीं करती तो वह चौथी बार माफी मांग कर अपनी सदस्यता बचा सकते हैं।

राहुल गांधी ने राजनीतिक लाभ के लिए जानबूझकर सदस्यता गंवाई, इसके बाद कई संवेदना हासिल करने के लिए कई चाल चली गई लेकिन कोई काम नहीं आई।

राहुल ने सोशल मीडिया पर खुद को डिस्क्वालीफाईड MP बताया

कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी को उनकी ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद संसद सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया। उसके बाद राहुल ने सोशल मीडिया पर अपने बायो में खुद को डिस्क्वालीफाईड एमपी बताया है। यह मोदी सरकार के खिलाफ नैरेटिव बनाने और विक्टिम कार्ड खेलते हुए अपने लिए संवेदना हासिल करने की एक चाल है। लोकसभा सेक्रिटेरिएट ने 24 मार्च को राहुल गांधी को डिसक्वालिफाइड कर दिया था। राहुल केरल के वायनाड से सांसद थे। यह एक्शन मानहानि केस में राहुल को 2 साल की सजा सुनाए जाने के बाद लिया गया। राहुल ने 2019 में कर्नाटक की सभा में मोदी सरनेम को लेकर बयान दिया था और पिछड़े समुदाय का अपमान किया था।

नाखून कटाकर राहुल गांधी ने शहीद होने की कोशिश की

पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि देश में कानून है कि दो साल की सजा होगी तो आप तुरंत डिस्क्वालिफाई हो जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट यह बात कह चुका है। तो कांग्रेस पार्टी की तरफ से राहुल के मामले में स्टे हासिल करने की कोशिश क्यों नहीं की गई। यह नाखून कटाकर शहीद होने की कोशिश की गई है। यह जो पूरा प्रकरण है, यह सब सोची-समझी रणनीति है कि राहुल को बलिदानी बताओ और कर्नाटक चुनाव में इसका फायदा लो। राहुल को पीड़ित दिखाओ और कांग्रेस बचाओ। इसका जवाब तो आपको देना पड़ेगा। आपके दोषी ठहराए जाने के बाद आपके लिए वकीलों की फौज ने स्टे की कोशिश क्यों नहीं की। अगर देश में सबके लिए एक ही कानून है तो क्या आपके लिए अलग से कानून बनेगा?

पार्टी में जान फूंकने के लिए राहुल ने माफी की जगह सजा चुनी

देश में सबसे लंबे समय तक केन्द्र की सत्ता पर राज करने वाली कांग्रेस पार्टी आज हाशिए है। इसमें जान फूंकने के लिए जी-जान से मेहनत की जा रही है। पीएम मोदी के परिवारवाद के खिलाफ आह्वान के बाद अब चूंकि देशवासी परिवारवादी पार्टियों को स्वीकार करने के मूड में नहीं हैं इसीलिए कांग्रेस गांधी खानदान से बाहर के खरगे को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने को मजबूर हुई। इसके बाद भी कुछ खास फायदा नहीं मिला तो राहुल गांधी ने पार्टी में जान फूंकने के लिए ही अपनी संसद सदस्यता कुर्बान कर दी। लेकिन 10 दिन बीत गए इसका का भी कोई फायदा कांग्रेस को नहीं मिला।

राहुल को अयोग्य ठहराए जाने के विरोध में ‘संकल्प सत्याग्रह’

मोदी सरकार के खिलाफ नैरेटिव बनाने और विक्टिम कार्ड खेलते हुए कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी को अयोग्य ठहराए जाने के विरोध में 26 मार्च 2023 को महात्मा गांधी की प्रतिमाओं के सामने एक दिवसीय सत्याग्रह किया। आप सोचिए अगर राहुल गांधी अयोग्य करार नहीं दिए जाते तो उन्हें सत्याग्रह करने का मौका मिलता? यह ‘संकल्प सत्याग्रह’ सभी प्रांतों एवं जिलों में आयोजित किया गया। लेकिन अफसोस कि वे जनता की सहानुभूति हासिल करने में नाकाम रहे।

राहुल की ढाल बनकर आई बहन प्रियंका ने खेला विक्टिम कार्ड

राहुल की ढाल बनकर आई बहन प्रियंका गांधी वाड्रा ने विक्टिम कार्ड खेलते हुए परिवार के अपमान का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि शहीद पिता का अपमान भरी संसद में किया जाता है। उस शहीद के बेटे को आप देशद्रोही कहते हैं। मीरजाफर कहा जाता है। उसकी मां का अपमान किया जाता है। आपके मंत्री मेरी मां का अपमान भरी संसद में करते हैं। आपके एक मंत्री कहते हैं कि राहुल गांधी को पता भी नहीं है कि उनका पिता कौन है। आज तक हम चुप रहे हैं, आप हमारे परिवार का अपमान करते गए। मैं पूछना चाहती हूं कि एक आदमी का कितना अपमान करोगे। मेरा भाई पीएम के पास गया, उन्हें गले लगाया और कहा कि मुझे आपसे नफरत नहीं है। हमारी विचारधारा अलग है, लेकिन हमारे पास नफरत की विचारधारा नहीं है। क्या भगवान राम और पांडव परिवारवादी थे। हमारा परिवार देश के लिए शहीद हुआ तो क्या हमें शर्म आनी चाहिए।

प्रियंका वाड्रा की जुबां पर आ ही गया परिवारवाद

प्रियंका गांधी वाड्रा ने दिल्ली में सत्याग्रह कार्यक्रम के दौरान अपने परिवार के त्याग के बारे में बात की। यानि दिल की बात जुबां पर आ ही गई। जिस परिवारवाद की वजह से देश 60 सालों तक विकास को तरसता रहा, जिस परिवारवाद ने देश को भ्रष्टाचार रूपी घुन दिया जो दीमक की तरह देश को खाता रहा। एक बार वह परिवारवाद ही याद दिलाती रहीं। जबकि जनता ने उन्हें नकार दिया है।

कांग्रेस ने काले कपड़े पहनकर कोर्ट का किया अवमानना

राहुल गांधी को सजा सुनाने में सूरत कोर्ट ने कानून का पालन किया। कानून के तहत ही राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म हुई और उन्हें सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस दिया गया। इसमें मोदी सरकार की कोई भूमिका नहीं है, फिर भी कांग्रेस नेता काले कपड़े पहनकर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या कांग्रेस के नेता काले कपड़े पहनकर कानून और कोर्ट की अवमानना कर रहे हैं ?

कांग्रेस ने संसद की गरिमा और मर्यादा का किया हनन

दरअसल मंगलवार (28 मार्च, 2023) को लोकसभा में कांग्रेस का जो रूप देखने मिला, वो काफी हैरान करने वाला था। कांग्रेस के सांसदों ने सदन को युद्ध का मैदान बना दिया और सदन की गरिमा को तार-तार करने की पूरी कोशिश की। भारी हंगामा के बीच कांग्रेस के कुछ सांसदों ने कागज फाड़कर आसन की ओर फेंके। यहां तक कि सदन की मर्यादा का हनन करते हुए आसन के सामने काला कपड़ा रखने का प्रयास किया। इसी तरह का नजारा राज्यसभा में भी देखने को मिला। काले कपड़े पहने कुछ विपक्षी सदस्यों ने सदन के वेल में विरोध किया। इस दौरान कांग्रेस के सांसद टी एन प्रतापन ने एक काला दुपट्टा संसद में उछाल दिया।

सड़क से सदन तक कानून और कोर्ट का उड़ाया मजाक

राहुल गांधी को सजा मिलने के बाद कांग्रेस के सांसदों ने विक्टिम कार्ड खेलते हुए सड़क से सदन तक काले कपड़े पहनकर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में कांग्रेस को अन्य विपक्षी दलों का भी साथ मिला। सोनिया गांधी के साथ ही कांग्रेस के तमाम सांसद काले कपड़े पहनकर संसद पहुंचे। कांग्रेस के सांसदों ने सदन में हंगामा किया। विपक्षी नेताओं ने संसद परिसर में धरना दिया और विजय चौक तक मार्च निकाला। महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरने में कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस के कई सांसदों के अलावा विपक्षी दल डीएमके के टीआर बालू, आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन और कुछ अन्य नेता शामिल हुए। ये सभी नेता काले कपड़े पहने हुए थे। लेकिन इतना सब करने के बाद भी कांग्रेस को जनता का समर्थन नहीं मिला।

अपने काले कारनामे काले कपड़े में छिपाती आ रही है कांग्रेस

यह पहला मौका नहीं है, जब कांग्रेस के नेताओं ने काले कपड़े पहनकर कानून और कोर्ट की अवमानना की हो। इससे पहले 05 अगस्त, 2022 को भी काले कपड़े पहनकर अपने अंदर की कुंठा को प्रदर्शित करने की कोशिश की थी। नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की संभावित गिरफ्तारी से डरे कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता काले कपड़े पहन कर सड़क पर प्रदर्शन करते नजर आए। उन्होंने अपनी बाजू पर काली पट्टी बांध रखी थी। इसको लेकर सोशल मीडिया पर सवाल उठाए जा रहे थे कि क्या यह संयोग है या कांग्रेस का कोई नया प्रयोग है ? एक ट्विटर यूजर ने सवाल किया था, “क्या यह महज़ संयोग है या कांग्रेस का तुष्टिकरण परवान चढ़ चुका है ? 5 अगस्त मतलब..कश्मीर में धारा-370 ख़त्म होने,तीन-तलाक समाप्त करने और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास की वर्षगांठ पर ‘काले कपड़े’ पहनकर महंगाई प्रदर्शन करना संयोग मात्र है ? या 5 अगस्त को काला दिन ?

“कितना ही काला जादू कर लें, जनता का भरोसा नहीं जीत सकते”

कांग्रेस के इस काले प्रदर्शन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ठीक ही कहा था कि चाहे कितना ही काला जादू कर लें, जनता का भरोसा नहीं जीत सकते हैं। पानीपत में इथेनॉल प्लांट के लोकार्पण के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि आजादी के अमृत महोत्सव में जब देश तिरंगे के रंग में रंगा हुआ है, तब कुछ ऐसा भी हुआ है, जिसकी तरफ मैं देश का ध्यान दिलाना चाहता हूं। अभी हमने गत पांच अगस्त, 2022 को देखा कि कैसे कुछ लोगों ने काले जादू को फैलाने का प्रयास किया गया। ये लोग सोचते हैं कि काले कपड़े पहनकर, उनकी निराशा-हताशा का काल समाप्त हो जाएगा। लेकिन उन्हें पता नहीं है कि वो कितनी ही झाड़-फूंक कर लें, कितना ही काला जादू कर लें, अंधविश्वास कर लें, जनता का विश्वास अब उन पर दोबारा कभी नहीं बन पाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस काले जादू के फेर में, आजादी के अमृत महोत्सव का अपमान ना करें, तिरंगे का अपमान ना करें।

काले जादू के फेर में रहने वाले लोगों की मानसिकता समझना भी जरूरी- पीएम मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने पानीपत में कहा था कि काले जादू के फेर में रहने वाले ऐसे लोगों की मानसिकता देश को भी समझना जरूरी है। जैसे कोई मरीज, अपनी लंबी बीमारी के इलाज से थक जाता है, निराश हो जाता है, अच्छे डॉक्टर से सलाह लेने के बावजूद जब उसे लाभ नहीं होता, तो वो अंधविश्वास की तरफ बढ़ने लगता है। वो झाड़-फूंक कराने लगता है, टोने-टोटके पर, काले जादू पर विश्वास करने लगता है। ऐसे ही हमारे देश में भी कुछ लोग हैं जो नकारात्मकता के भंवर में फंसे हुए हैं, निराशा में डूबे हुए हैं। सरकार के खिलाफ झूठ पर झूठ बोलने के बाद भी जनता जनार्दन ऐसे लोगों पर भरोसा करने को तैयार नहीं हैं। ऐसी हताशा में ये लोग भी अब काले जादू की तरफ मुड़ते नजर आ रहे हैं।

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