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PM Modi के प्रयासों से 7 साल में 200 अति प्राचीन और दुर्लभ मूर्तियां स्वदेश वापस आईं, अब लंदन से नटराज की 1100 साल पुरानी मूर्ति राजस्थान आएगी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 27 फरवरी को अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम की शुरुआत ही भारतीय प्राचीन मूर्तियों को याद करके की थी। पीएम मोदी ने कहा, “इन मूर्तियों को वापस लाना, भारत मां के प्रति हमारा दायित्व है। इन मूर्तिंयों में भारत की आत्मा का, आस्था का अंश है। इनका एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व भी है…क्योंकि इनके साथ भारत की भावनाएं जुड़ी हैं, भारत की श्रद्धा जुड़ी है…ये भारत के प्रति बदल रहे वैश्विक नजरिए का ही उदाहरण है…साल 2013 तक करीब-करीब 13 प्रतिमाएं ही भारत आईं थीं, लेकिन पिछले सात साल में 200 से ज्यादा बहुमूल्य प्रतिमाओं को भारत सफलता के साथ वापस लाया जा चुका है। अमेरिका, ब्रिटेन, हालेंड, फ्रांस, कनाडा, सिंगापुर और जर्मनी ऐसे कितने ही देशों ने भारत की इस भावना को समझा है और मूर्तियां लाने में हमारी मदद की है।”

रंग ला रहीं विरासत वापसी की कोशिशें, पहले मां अन्नपूर्णा आई, अब नटराज आएंगे 
प्रधानमंत्री की श्रद्धा, आस्था और भारतीय स्वर्णिम इतिहास के प्रति लगाव का ही सुफल है कि अभी पिछले दिनों काशी से चोरी हुई मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा भी वापस लाई गई थी। मोदी सरकार के प्रयासों का ही सुपरिणाम है कि अब 10वीं शताब्दी की दुर्लभ नटराज की प्रतिमा लंदन से अगले माह राजस्थान लाई जाएगी। यह मूर्ति रावतभाटा (चित्तौड़गढ़) के सटे बाड़ौली के प्राचीन घाटेश्वर मंदिर से 1998 में चोरी हुई थी। अब यह प्रतिमा उसी मंदिर में या फिर कोटा के म्यूजियम में रखी जाएगी।

तस्करों ने असली मूर्ति 85 लाख की बेची, उसकी जगह नकली रखी
काबिले जिक्र है कि फरवरी 1998 में यह मूर्ति बाड़ौली के प्राचीन घाटेश्वर मंदिर से चोरी हुई थी। चोरी के 8 माह बाद मंदिर से समीप जंगल से मूर्ति कथित रूप से मिल भी गई, लेकिन आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया, नई दिल्ली के अधिकारियों ने जब मूर्ति को देखा तो इसे संदेहास्पद तो पाया, लेकिन कोई और सुबूत न होने के कारण इसे असली मूर्ति मानकर गोदाम में रखवा दिया। ऑपरेशन ब्लैक हॉल के दौरान जुलाई 2003 में मूर्ति चोरों ने खुलासा किया कि उन्होंने घाटेश्वर मंदिर से नटराज की वह मूर्ति चुराकर 85 लाख में लंदन में बेच दी थी। भ्रमित करने के लिए असली मूर्ति की जगह वैसी ही नकली मूर्ति रख दी थी।

 

कुख्यात मूर्ति तस्कर घीया गैंग के गुर्गों ने मूर्ति लंदन पहुंचाई
मामले में कुख्यात मूर्ति तस्कर घीया गैंग का नाम भी आया था। उसके गुर्गों ने मूर्ति लंदन में बेच डाली थी। वरिष्ठ संरक्षक सहायक सुरेश कुमावत को इस मूर्ति की जांच के दौरान जान से मारने तक की धमकियां मिली थी। आश्चर्य की बात यह है कि 2004 में इस बारे में पुख्ता हो गया था कि नटराज की बेशकीमती मूर्ति लंदन में हैं, इसके बावजूद कई साल तक इसे वापस लाने के गंभीर प्रयास मनमोहन सरकार की ओर से नहीं दिखाए गए। इसके फलस्वरूप पिछले कई सालों से चोरी गई नटराज की यह दुर्लभ मूर्ति लंदन में ही रही।

नटराज की मूर्ति वहीं लगे जहां से चोरी हुई थी
आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया, नई दिल्ली के पूर्व संयुक्त महानिदेशक देवकीनंदन डीमरी के मुताबिक 2014-15 में इस मूर्ति को वापस लाने की दिशा में सरकार ने प्रयास शुरू किए। उन्होंने बताया कि उस समय वो एएसआई में डायरेक्टर थे। मूर्ति को वापस लाने के कई प्रयासों के बाद 2017 में इसकी मंजूरी मिली। इसके बाद वे और तत्कालीनी डिप्टी सुपरिटेंडेंट डॉ. विनय गुप्ता वेरीफिकेशन के लिए लंदन गए। मूर्ति की वेरीफिकेशन के बाद इसे भारत लाने का मार्ग प्रशस्त हुई। डीमरी के मुताबिक मूर्ति वहीं लगे जहां से चोरी हुई या कोटा के म्यूजियम में रखी जाए।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कई बार अमेरिका गए हैं। एक बार अमेरिका यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ दोस्ती का नया अध्याय शुरू किया, वहीं संयुक्त राष्ट्र में कामयाबी के झंडे गाड़ने के बाद देश की अमूल्य धरोहरों को भी वापस लेकर आए। अमेरिका ने 157 कलाकृतियों व पुरावशेषों को प्रधानमंत्री मोदी को भेंट किया। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के मुताबिक इनमें से अधिकतर कलाकृतियां और वस्तुएं 11वीं से 14वीं शताब्दी के बीच की हैं। कुछ पुरावशेष 2000 ईसा पूर्व के हैं। टेराकोटा का एक फूलदान दूसरी शताब्दी का है। करीब 45 पुरावशेष ईसा पूर्व दौर के हैं।

कलाकृतियां और पुरावशेष तस्करी और चोरी करके अमेरिका पहुंची थीं

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन ने सांस्कृतिक वस्तुओं के अवैध कारोबार, चोरी और तस्करी से निपटने के प्रयासों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। एक आधिकारिक बयान में शनिवार को कहा गया कि लगभग आधी कलाकृतियां (71) सांस्कृतिक हैं, जबकि अन्य आधे में हिंदू धर्म (60), बौद्ध (16) और जैन धर्म (9) से संबंधित मूíतयां हैं। ये कलाकृतियां और पुरावशेष तस्करी और चोरी करके कभी अमेरिका ले जाए गए थे। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के पुरावशेषों के प्रत्यावर्तन के लिए अमेरिका के प्रति अपना आभार व्यक्त किया। 

इन 157 कलाकृतियों की सूची में 10 वीं शताब्दी के बलुआ पत्थर में रेवंत के डेढ़ मीटर बेस रिलीफ पैनल से लेकर 12वीं शताब्दी की 8.5 सेंटीमीटर ऊंची कांसे की नटराज की मूर्ति शामिल है। कांस्य संग्रह में मुख्य रूप से लक्ष्मी नरायण, बुद्ध, विष्णु, शिव पार्वती और 24 जैन तीर्थंकरों की प्रसिद्ध मुद्राओं की अलंकृत मूर्तियां हैं। देवताओं के अलावा कंकलामूर्ति, ब्राह्मी और नंदीकेश की भी मूर्तियां हैं। इन कलाकृतियों में तीन सिर वाले ब्रह्मा, रथ पर आरूढ़ सूर्य, शिव की दक्षिणामूर्ति, नृत्य करते गणेश की प्रतिमा भी है। इसी तरह खड़े बुद्ध, बोधिसत्व मजूश्री, तारा की मूर्तियां हैं।

जैन धर्म की मूर्तियों में जैन तीर्थंकर, पद्मासन तीर्थंकर, जैन चौबिसी के साथ अनाकार युगल और ढोल बजाने वाली महिला की मूर्ति शामिल हैं। इसके अलावा टेराकोटा की 56 कलाकृतियां और 18वीं शताब्दी की म्यान के साथ एक तलवार है जिसमें फारसी में गुरु हरगोविंद सिंह लिखा है। दरअसल मोदी सरकार ने दुनिया भर से भारत की प्राचीन वस्तुओं और कलाकृतियों को वापस लाने की मुहिम छेड़ रखी है। ये 157 कलाकृतियां उसी मुहिम के तहत वापस लाई गई हैं। 

आइए देखते हैंं किस तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने अपने कार्यकाल में अबतक अनेकों प्राचीन मूर्तियों और अमूल्य धरोहरों को विदेशों से वापस लाने में सफलता पाई है…

ऑस्ट्रेलिया से भारत लाईं गईं चोरी हुईं 14 प्राचीन वस्तुएं

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की कोशिशों के कारण ऑस्ट्रेलिया में कैनबरा स्थित नेशनल गैलरी ऑफ ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 14 प्राचीन विरासत वस्तुएं लौटाने का फैसला किया। इन 14 महत्वपूर्ण कलाकृतियों में कांसे और पत्थर की मूर्तियां, चित्रित स्क्रॉल और तस्वीरें शामिल हैं। इनकी कीमत 30 लाख डॉलर बताई जाती है। इन 14 चुराई हुई विरासत की वस्तुओं को वापस लाया गया।

विदेशों से प्राचीन धरोहरों को वापस लाने में जुटी मोदी सरकार

2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार के प्रयासों से जो वस्तुएं या मूर्तियां विदेशों से वापस लाई गई हैं, उनमें चोल शासकों के समय की श्रीदेवी की धातु की मूर्ति और मौर्य काल की टेराकोटा की महिला की मूर्ति शामिल हैं। इनके अलावा 24 चर्चित प्राचीन धरोहरों को वापस लाने का काम किया गया, उनमें से 16 अमेरिका से, 5 ऑस्ट्रेलिया से और एक-एक कनाडा, जर्मनी और सिंगापुर से लाई गई हैं। इन प्रतिमाओं में बाहुबली की धातु की प्रतिमा और नटराज की एक-एक प्रतिमाएं भी शामिल हैं।

पीएम मोदी ने गौरव वापस दिलाया

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अनुसार संत मन्निक्कावचाका की कांस्य प्रतिमा, गणेश और पार्वती की धातु की प्रतिमाएं भी अमेरिका से वापस आई हैं। अमेरिका ने दुर्गा की पत्थर की प्रतिमा, नृत्य की भाव-भंगिमा में नटराज की पत्थर की एक प्रतिमा भी वापस भेज दी हैं। जबकि ऑस्ट्रेलिया ने बैठे हुए भगवान बुद्ध की एक मूर्ति, नटराज और अर्द्धनारीश्वर की प्रतिमाएं भेजी हैं। सिंगापुर से उमा परमेश्वरी, कनाडा से एक पैरट लेडी और जर्मनी से जम्मू-कश्मीर से चुराई गई ‘महिष मर्दनी’ की प्रतिमाएं वापस लाई हैं। जबकि प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से 2016 में ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने अमरावती के मंदिर से चोरी की गई 900 साल पुरानी देवी प्रत्यगंरा की मूर्ति और मथुरा की ध्यानस्थ बुद्ध की मूर्ति वापस कर दी हैं।

विदेश यात्राओं के दौरान विरासत को स्वदेश लाने का प्रयास

प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में अबतक सैकड़ों मूर्तियों और कलाकृतियों को वापस देश लाए गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने 2016 में अमेरिका से 200 देवी-देवाताओं की मूर्तियों और कलाकृतियों को वापस लाने का विशेष प्रयास किया, जिसमें वो सफल रहे। 7 जून, 2016 को वॉशिंगटन में एक समारोह में अमेरिका की एटार्नी जनरल लोरेटा लिंच ने, 2000 साल से भी पुरानी इन मूर्तियों और कलाकृतियों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंपा। इसके पहले शायद ही किसी प्रधानमंत्री ने सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए इस मनोयोग से काम किया है।

विरासत को वापस लाने के मोदी सरकार के प्रयास जारी हैं

एएसआई के हवाले से कहा गया है कि ढेरों पुरातनकालीन वस्तुएं अब भी बाकी हैं जिन्हें स्विट्जरलैंड समेत दूसरे देशों से वापस लाया जाना है। जानकारी के अनुसार मोदी सरकार भारत से चोरी करके ले जाई गयीं प्राचीन वस्तुओं को कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से वापस लाने पर जोर दे रही है। लेकिन पूर्व की यूपीए और अन्य सरकारों की भारतीय संस्कृति के प्रति बेरुखी और केवल कागजों पर खड़ी की गई व्यवस्था का नतीजा रहा है कि आजादी के बाद से हर दशक में लगभग दस हजार देवी-देवताओं की मूर्तियों और कलाकृतियों को चुराकर विदेशों में बेचा जाता रहा है।

 

 

 

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