प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केंद्र की सत्ता में 2014 में आने के बाद भारतीय विदेश नीति में अभूतपूर्व परिवर्तन प्रारंभ हुआ। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत में ऊर्जावान कूटनीति एवं शक्तिशाली निर्णयों की शुरुआत हुई। यह स्वर्णिम दौर भारत के लिए क्रांतिकारी परिवर्तन का प्रारंभिक दौर है। वैश्विक भू-राजनीति में आज पीएम मोदी का कद लगातार बढ़ रहा है। जी-20 दिल्ली घोषणापत्र पर बनी सर्वसम्मति कोई साधारण बात नहीं थी। यह पीएम मोदी की गारंटी और जादू की वजह से ही संभव हुआ। क्योंकि यह जी-20 बाली घोषणापत्र के बिलकुल उलट है। इंडोनेशिया के बाली में हुए जी20 सम्मेलन के घोषणा पत्र में रूस के खिलाफ कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया गया था और यूक्रेन के प्रति खुलकर समर्थन जताया गया था। वहीं दिल्ली घोषणा पत्र में रूस की निंदा नहीं की गई लेकिन यूक्रेन की पीड़ा के प्रति दुख जरूर जताया गया। यही वजह है कि अमेरिका और रूस जैसी विश्व की महाशक्तियां भी आज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की कायल हो चुकी हैं।
पीएम मोदी की कूटनीति से अमेरिका बैकफुट पर
आज पीएम मोदी की कूटनीति से दुनिया जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा मानती है। पीएम मोदी की कूटनीति से पाकिस्तान दुनिया भर में अलग-थलग पड़ गया। यहां तक पाकिस्तान के प्रति चीन के रुख में भी बदलाव आया है। अब कनाडा से रिश्तों में तनाव के बीच भारत के ताबड़तोड़ एक्शन के बाद यह खबर सामने आई है कि अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने बाइडन प्रशासन को चेतावनी दी है कि कनाडा के चक्कर में भारत के साथ अमेरिका के रिश्ते रसातल में जा सकते हैं। यह पीएम मोदी की कूटनीति ही है कि आज अमेरिका जैसा ताकतवर देश भारत के सामने बैकफुट पर है और अपने नाटो गठबंधन के देश कनाडा का पक्ष नहीं ले पा रहा है।
कनाडा के चक्कर में भारत के साथ अमेरिका के रिश्ते हो सकते खराब
सुरक्षा और विदेश नीति को कवर करने वाली अमेरिका की न्यूज वेबसाइट Politico ने एक खबर प्रकाशित की है- Why Biden’s mum on the India-Canada spat (भारत-कनाडा विवाद पर बाइडन क्यों चुप हैं?)। पोलिटिको की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने बाइडन प्रशासन को चेतावनी दी है कि कनाडा के चक्कर में भारत के साथ अमेरिका के रिश्ते रसातल में जा सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस चेतावनी के बाद अब अमेरिका सतर्क हो गया है। वहीं विदेश मंत्रालय ने गार्सेटी के इस बयान पर चुप्पी साध ली है।
“U.S. Ambassador to India Eric garcetti has told his in-country team that, because of the diplomatic spat with Canada, relations between India and the U.S. could get worse for a time”. State department keeps mum. Politico Report:https://t.co/kPU9WrzeL6
— Sidhant Sibal (@sidhant) October 5, 2023
भारत का सख्त रुख बाइडन प्रशासन के लिए परेशानी का सबब
कनाडा के प्रति भारत का सख्त रुख बाइडन प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है। इस बीच रिपोर्ट में बाइडन प्रशासन के सदस्यों के हवाले से दावा किया गया है कि बाइडन प्रशासन के रिश्ते आने वाले समय में परेशानी भरे हो सकते हैं। खालिस्तान आतंकियों को लेकर पिछले कुछ समय से भारत और कनाडा के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। पीएम मोदी की कूटनीति के सामने अमेरिका को सूझ नहीं कि अब वह क्या करे। वह पीएम मोदी को नाराज नहीं करना चाहता।
कनाडा को खुफिया जानकारी देने के पीछे अमेरिका का मकसद क्या
खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत और कनाडा के बीच तलवारें खिंची हुई हैं। कनाडा जहां भारत से सहयोग की मांग रहा है, वहीं मोदी सरकार ने जस्टिन ट्रूडो से उनके आरोपों पर सबूत मांगा है। ट्रूडो सरकार अब तक भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के एजेंट के शामिल होने को लेकर कोई ठोस सबूत नहीं दे सकी। रिपोर्टों के मुताबिक, कनाडा को अमेरिका ने ही खुफिया जानकारी दी थी। उसके बाद कहा गया कि फाइव आईज की तरफ से खुफिया जानकारी आई। अब जानकारी आई या सबूत यह भी स्पष्ट नहीं है। अगर कनाडा सरकार के पास सबूत है तो वह अब तक भारत को पेश क्यों नहीं कर पा रही है। बहरहाल अब अमेरिका ने ऐसी जानकारी कनाडा को क्यों दी यह अभी साफ नहीं है। इसका दो ही मकसद हो सकता है, या तो भारत को बदनाम करने के लिए किया गया या फिर वह जस्टिन ट्रूडो को बदनाम कर सत्ता से हटाना चाहते हों। क्योंकि इस प्रकारण के बाद ट्रूडो की हालत अपने ही देश में खराब हो चुकी है।
भारत का ताबड़तोड़ एक्शन, अमेरिका का स्वर होने लगा मंद
जब अमेरिका और फाइव आईज की तरफ से खुफिया जानकारी कनाडा को देने के बात सामने आई तो अमेरिका का दोहरा मापदंड भी सामने आ गया और उसकी छीछालेदर होने लगी। बाकी दुनिया के साथ ही भारत को भी अमेरिका के नापाक चाल की बात चला चली। कनाडा के खिलाफ भारत का ताबड़तोड़ एक्शन को देखते हुए अमेरिका ने इस मुद्दे से अपने को अलग करना शुरू कर दिया। जब कनाडा-भारत का तनाव शुरू हुआ था तब अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन ने कहा था कि भारत कनाडा के साथ जांच में सहयोग करे। लेकिन जैसे-जैसे कनाडा के खिलाफ भारत का एक्शन तेज हुआ, अमेरिका का स्वर मद्धम होने लगा। और अब अमेरिका के नेशनल सिक्यूरिटी काउंसिल के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि दोनों देशों को आपस में द्विपक्षीय बात करने दीजिए।
कनाडा के तेवर ढीले, अब भारत के साथ करना चाहते प्राइवेट बातचीत
अमेरिका की चाल में फंसकर कनाडाई सरकार ने भारत से सीधे पंगा ले लिया। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का मनगढ़ंत आरोप मढ़ दिया। अमेरिका और कनाडा ने सोचा होगा कि भारत क्या ही करेगा। वे भूल गए कि ये नया भारत है। नया भारत ने उन्हें घुटनों के बल ला दिया। मनगढ़ंत आरोप पर भारत सरकार ने भी पलटवार किया। भारत ने पहले कनाडा का वीजा कैंसिल कर दिया, अब भारत ने 10 अक्टूबर तक भारत में मौजूद कनाडाई राजदूतों को निकलने का अल्टीमेटम दे दिया। भारत के रुख के बाद अब कनाडा के तेवर ढीले पड़ते जा रहे हैं। अब कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने कहा कि उनका देश खालिस्तान आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर “राजनयिक विवाद को सुलझाने के लिए भारत के साथ प्राइवेट बातचीत” चाहता है। हो सकता है कनाडा प्राइवेट बातचीत में भारत से कहे कि हमें तो अमेरिका ने चने के झाड़ पर चढ़ा दिया, हमसे गलती हो गई, हमका माफी दय दो।
Now, Canada wants to talk “in private” with India to resolve the diplomatic impasse.
Trudeau should have thought about that the day he opened his mouth on the floor of the Canadian parliament. Now, it’s too late. The diplomatic ship has sailed. https://t.co/Q2yokDPSpJ
— Major Gaurav Arya (Retd) (@majorgauravarya) October 4, 2023
ट्रूडो के आरोपों के बाद से बिगड़े भारत-कनाडा के रिश्ते
खालिस्तान आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई। कनाडाई प्रधानमंत्री ने बिना कोई सबूत दिखाए इस हत्याकांड का आरोप भारत पर मढ़ दिया। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों के बाद भारत-कनाडा संबंधों में तनाव है। ट्रूडो ने कनाडाई संसद में एक बहस के दौरान दावा किया कि उनके देश के राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों के पास यह मानने के कारण हैं कि भारत सरकार के एजेंटों ने कनाडाई नागरिक की हत्या को अंजाम दिया, जो सरे के गुरु नानक सिख गुरुद्वारे के अध्यक्ष भी थे। हालांकि, कनाडा ने अभी तक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के दावे का समर्थन करने के लिए कोई सबूत उपलब्ध नहीं कराया है।
पीएम मोदी की कूटनीति का आज दुनिया लोहा मानती है। उनकी कूटनीति के कुछ उदाहरण-
जी-20 में पीएम मोदी की कूटनीति का बजा डंका
जी-20 सम्मेलन ने दिखाया है कि भारत और पीएम मोदी का नेतृत्व लोकतांत्रिक मूल्यों का जंक्शन है। संयुक्त घोषणा पत्र पर सहमति को विभाजनकारी सर्वसम्मति की जगह समावेशी सर्वसम्मति कहना ज्यादा सही है। घोषणा पत्र मौजूदा संकट से निपटने के लिए स्थायी फ्रेमवर्क दर्शाता है। बीते साल इंडोनेशिया के बाली में हुए जी20 सम्मेलन के घोषणा पत्र में रूस के खिलाफ कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया गया था और यूक्रेन के प्रति खुलकर समर्थन जताया गया था। वहीं दिल्ली घोषणा पत्र में रूस की निंदा नहीं की गई लेकिन यूक्रेन की पीड़ा के प्रति दुख जरूर जताया गया। विदेश मंत्री एस जयशंकर से जब बाली के घोषणा पत्र से तुलना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि बाली, बाली है और नई दिल्ली, नई दिल्ली।
पीएम मोदी के नेतृत्व और कूटनीति के मुरीद हुए पुतिन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उनकी टीम ने रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से दो हिस्सों में बंटी दुनिया के बीच जिस तरह सेतु का काम किया है, उससे पूरे विश्व में वाहवाही हो रही है। जी-20 के ‘नई दिल्ली घोषणापत्र’ पर आम सहमति बनाने से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन काफी गदगद हुए। उनकी खुशी उनके शब्दों में बयां हुई। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के अद्भुत नेतृत्व कौशल की जमकर तारीफ की। वह पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी पहल ‘मेक इन इंडिया’ से इतने ज्यादा प्रभावित हैं कि अपने देश के उद्योगपतियों को इससे सीखने की सलाह दी।
पीएम मोदी की कूटनीति से अलग-थलग पड़ा पाकिस्तान
पीएम मोदी की कूटनीति से पाकिस्तान दुनियाभर में अलग-थलग पड़ गया। आज उसकी हालत खस्ता है और दिवालिया होने के कगार पर है। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने और पुनर्गठन से बौखलाए पाकिस्तान ने हर चाल चलने की कोशिश की लेकिन किसी भी देश ने उसका समर्थन नहीं किया। आड कोई भी देश पाकिस्तान की किसी बात पर भरोसा करने के लिए तैयार नहीं हैं। हालात ऐसे है कि पाकिस्तान का ऑल वेदर फ्रेंड चीन भी मदद के लिए आगे नहीं आ रहा।
दुनिया के 57 मुस्लिम देश भी पाकिस्तान की नहीं कर रहे मदद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में कहा था- पाकिस्तान के हुक्मरान ये कान खोल कर सुन लें कि हम उरी में अपने 18 जवानों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगे। हम पाकिस्तान को दुनिया भर में अलग-थलग यानी अकेला रहने को मजबूर कर देंगे। पीएम मोदी की कही बात आज चरितार्थ हो रही है। पाकिस्तान आज दुनिया में अलग-थलग हो गया है। कोई देश उसकी तरफ देखना ही नहीं चाहता। यहां तक कि 57 मुस्लिम देश हैं वो भी पाकिस्तान को भाव नहीं दे रहे हैं। आजादी के बाद से 75 वर्षों में पाकिस्तान आतंकवाद को ही सप्लाई करता रहा और आज भी यह जारी है।
आज दुनिया मानती है जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा
पीएम मोदी की कूटनीति से दुनिया जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा मानती है। यहां तक कि इस मुद्दे पर मुस्लिम देशों ने भी भारत का समर्थन किया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने 13 मार्च, 2023 को 2022-23 का सालाना रिपोर्ट जारी की, जिसमें कहा गया है कि अब दुनिया मानने लगी है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। इससे संबंधित कोई भी मामला भारत का आंतरिक मामला है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक पाकिस्तान ने हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाया। लेकिन भारत ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देते हुए उसकी सभी कार्रवाई और बयानों को अंदरूनी मामला बताकर पूरी तरह खारिज कर दिया। भारत यह साबित करने में सफल रहा है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अंदरूनी मामला है। भारत अपने पड़ोसी देश के साथ शांति और सद्भाव का संबंध रखना चाहता है, लेकिन पाकिस्तान अपने घरेलू अव्यवस्था और असफलताओं से ध्यान हटाने के लिए जम्मू-कश्मीर के खिलाफ प्रोपेगेंडा करता रहता है।
इमरान खान ने की पीएम मोदी और भारत की विदेश नीति की तारीफ
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने कई अवसरों पर पीएम मोदी की प्रशंसा की है। इमरान खान ने कहा कि भारत की विदेश नीति स्वतंत्र है। रूस से तेल खरीदने के भारत के फैसले के बारे में खान ने कहा, ‘मुझे भारत का उदाहरण लेना चाहिए, जो हमारे साथ-साथ आजाद हुआ था। अब इसकी विदेश नीति को देखें। यह एक स्वतंत्र और स्पष्ट विदेश नीति है। भारत अपने निर्णयों के पक्ष में डट कर खड़ा रहता है कि अपने नागरिकों के हित में रूस से तेल खरीदेंगे। पीएम मोदी की कूटनीति को इंगित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका क्वाड में सहयोगी हैं। इसके बावजूद भारत ने अपने नागरिकों के हित में रूस से तेल खरीदने का फैसला किया।
पीएम मोदी ने पुतिन से कहा- यह समय युद्ध का नहीं
रूस -यूक्रेन युद्ध के सन्दर्भ में भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा व उसके किसी भी मंच पर कभी रूस के विरुद्ध मतदान नहीं किया अपितु ऐसे हर प्रस्ताव के समय अनुपस्थित रहा किन्तु जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भेंट रूसी राष्ट्रपति पुतिन से हुई तो उन्होंने स्पष्ट रूप से पुतिन से कहा कि यह समय युद्ध का नहीं है। इसके बाद यूरोपियन समुदाय के सभी देशों के प्रमुख नेताओं ने प्रधानमंत्री के बयान का स्वागत व प्रशंसा की। यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है कि आज रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन दोनों ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा कर रहे हैं।
पीएम मोदी की कूटनीति से यूक्रेन से छात्रों की सुरक्षित वापसी हुई
यह पीएम मोदी की सुविचारित कूटनीति का ही परिणाम था कि रूस- यूक्रेन युद्ध के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप के कारण कुछ समय के लिए युद्ध रूका और वहां फंसे भारतीय छात्रों की वापसी संभव हो सकी। इस दौरान पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से बात की। यह कम बड़ी उपलब्धि नहीं है कि दो दुश्मन जब जंग लड़ रहे हों तब आप दोनों से बात कर कुछ देर के लिए जंग रुकवा दें।
पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने हासिल किया नया मुकाम
पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने अपनी जिजीविषा एवं संघर्ष के बल पर एक ऐसा मुकाम हासिल किया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य न होते हुए भी आज विश्व के अधिकांश स्थायी एवं अस्थायी सदस्य भारत के विचारों या पक्ष को जानने के लिए लालायित रहते हैं। आज भारत ने अपनी ‘साफ्ट स्टेट’ की पहचान को छोड़कर एक मजबूत एवं स्पष्ट हितों वाले देश के रूप में पहचान स्थापित कर ली है। यही वजह है कि भारत की मुखर विदेश नीति ने सबका ध्यान आकर्षित किया है।