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रेवड़ी कल्चर का नुकसान! 5 गारंटी के चलते, कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के पास विकास के लिए पैसा नहीं

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेवड़ी संस्कृति के प्रति चेताते हुए कई बार कहा है कि यदि देश को विकसित बनाना है तो रेवड़ी संस्कृति से छुटकारा पाना होगा। लेकिन विडंबना है कि कई राजनीतिक दल रेवड़ी संस्कृति की न केवल पैरवी कर रहे हैं, बल्कि उसे बढ़ावा भी दे रहे हैं। अब इसका नुकसान भी देखने को मिल रहा है। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने कहा कि उसके पास राज्य में विकास के लिए अब पैसा नहीं बचा है। कर्नाटक सरकार ने कहा कि कांग्रेस की पांच गारंटी को पूरा करने के लिए 40,000 करोड़ रुपये अलग रखने पड़े हैं, इसीलिए अब विकास के लिए पैसा नहीं है। अभी कुछ दिन पहले ही अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए पैसे देने से मना कर दिया था जबकि उन्होंने तीन साल में विज्ञापन पर 1100 करोड़ रुपये खर्च कर दिए। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को फटकार भी लगाई।

कर्नाटक सरकार ने कहा- विकास के लिए पैसा नहीं
कर्नाटक के उप-मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने राज्य भर के विधानसभा क्षेत्रों में विकास कार्य करने के लिए चालू वित्तीय वर्ष के दौरान धन के आवंटन से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता कांग्रेस पार्टी द्वारा जारी चुनाव से पहले दी गई पांच गारंटियों को लागू करना है। कर्नाटक सरकार ने कहा कि कांग्रेस की पांच गारंटी को पूरा करने के लिए 40,000 करोड़ रुपये अलग रखने पड़े हैं, इसीलिए अब विकास के लिए पैसा नहीं है।

कर्नाटक में कांग्रेस सरकार कोई भी विकास योजना नहीं चला सकेगी
अंग्रेजी अखबार ‘डेक्कन हेराल्ड’ के मुताबिक कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने बुधवार को कहा कि इस साल कांग्रेस की सरकार कर्नाटक में कोई भी विकास योजना नहीं चला सकेगी। शिवकुमार से कांग्रेस के विधायकों की उन शिकायतों के बारे में पूछा गया था, जिनमें उन्होंने सरकार को चिट्ठी लिखकर विकास के काम के लिए धन न दिए जाने की बात कही थी। डीके शिवकुमार ने कहा कि 5 मुफ्त वादों को पूरा करने के लिए कर्नाटक सरकार ने इस साल 40000 करोड़ रुपए रखे हैं। उन्होंने ये भी कहा कि सिंचाई और निर्माण के कामों के लिए भी इस साल पैसा नहीं दे सकेंगे। शिवकुमार ने कहा कि हम कांग्रेस विधायक दल की बैठक में अपने विधायकों को इस बारे में बताएंगे।

कांग्रेसी विधायकों ने कहा- लोगों की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पा रहे
डीके शिवकुमार का यह बयान 11 कांग्रेसी विधायकों द्वारा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को लिखे एक पत्र के वायरल होने के ठीक एक दिन बाद आया है। दरअसल, 25 जुलाई 2023 को एक पत्र में इन विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्रों में विकास कार्य करने के लिए धन का आवंटन न होने की बात पर नाराजगी व्यक्त की थी। कांग्रेस विधायकों ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर उन्हें काम में आ रही समस्याओं से अवगत कराया है। उन्होंने कहा कि वे कोई काम नहीं कर पा रहे हैं। लोगों की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि मंत्री सहयोग नहीं कर रहे हैं। विधायकों ने कहा कि हम लोगों की अपेक्षाओं के अनुसार काम करने में असमर्थ हैं।

मुफ्त की योजनाओं के लिए सरकार को कर्ज लेना पड़ेगा
मई 2023 में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में 135 सीटें हासिल कीं। इसके बाद सिद्धारमैया ने राज्य के नए सीएम का पद संभाला। इस महीने की शुरुआत में सीएम सिद्धारामैया ने कर्नाटक विधानसभा में बजट पेश किया था। इसमें मुफ्त की योजनाओं के लिए 35000 करोड़ से ज्यादा की रकम रखी गई है। इससे सरकार को और कर्ज लेना पड़ेगा। क्योंकि वित्तीय घाटा 12522 करोड़ हो गया है।

पीएम मोदी ने कहा था- जिसकी ‘वारंटी’ समाप्त, उसकी ‘गारंटी’ क्या मतलब?
कर्नाटक चुनाव से पहले पीएम मोदी ने कांग्रेस की फ्री की राजनीति पर तंज कसते हुए कहा भी था कि जिस पार्टी की ‘वारंटी’ ही समाप्त हो चुकी है तो उसकी ‘गारंटी’ (चुनावी वादों) का क्या मतलब है? पीएम मोदी ने मुफ्त की योजनाओं को गलत बताया था। उन्होंने कहा था कि ऐसी योजनाओं से राज्यों को श्रीलंका जैसे संकट का सामना करना पड़ सकता है। फिर भी दिल्ली, पंजाब, हिमाचल और कर्नाटक में आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस की तरफ से मुफ्त की योजनाएं लागू की गईं। जिनका खामियाजा अब देखने को मिल रहा है।

केजरीवाल के पास विकास के लिए पैसे नहीं, विज्ञापन पर खर्च किए 1100 करोड़
सुप्रीम कोर्ट ने 24 जुलाई 2023 को दिल्ली सरकार को दो महीने के अंदर ‘रीजनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम’ (आरआरटीएस) के लिए 415 करोड़ रुपये देने का निर्देश दिया है। दिल्ली सरकार के विज्ञापन का खर्च देखकर सुप्रीम कोर्ट भी हैरत में पड़ गया। आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली सरकार ने पिछले तीन वर्षों में विज्ञापनों पर करीब 1100 करोड़ रुपये खर्च कर डाले। लेकिन जब बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए पैसे देने की बात आई तो उन्होंने कह दिया कि पैसे नहीं हैं। इससे साफ पता चलता है कि विकास उनके एजेंडे में ही नहीं है।

रेवड़ी कल्चर से कई राज्य आर्थिक संकट के मुहाने पर
आरबीआई ने राजस्थान सहित 10 राज्यों के वित्तीय हालत पर चिंता जताई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान के अलावा बिहार, केरल, पंजाब, पश्चिम बंगाल जैसे राज्य कर्ज के भारी बोझ तले दबे हैं। पंजाब को एक्ट्रा बजटरी बोरोइंग देने के लिए आरबीआई ने बैंकों को ही मना कर दिया है। अब राजस्थान भी इसी राह पर चल पड़ा है। प्रदेश का कर्ज बढ़कर 4.77 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया है। इसमें 82 हजार करोड़ रुपये का गारंटेड लोन भी शामिल कर दें तो प्रदेश पर कुल कर्ज 5.59 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है। साल 2019 तक बजट में शामिल कर्ज 3.39 लाख करोड़ रुपये था। इसके अलावा 61 हजार करोड़ से ज्यादा का गारंटेड लोन था।

रेवड़ी कल्चर पर आगाह कर चुका है RBI
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया भी ‘रेवड़ी कल्चर’ से देश को होने वाले नुकसान को लेकर आगाह कर चुका है। ‘स्टेट फाइनेंसेस: अ रिस्क एनालिसिस’ नाम से आई आरबीआई की रिपोर्ट की मानें तो पंजाब, राजस्थान, केरल, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की हालत डांवाडोल है। कैग (CAG) के डेटा के हवाले से इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सब्सिडी पर राज्य सरकारों के खर्च में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। जिससे कर्ज बढ़ता जा रहा है। वित्त वर्ष 2020-21 में सब्सिडी पर राज्यों ने कुल खर्च का 11.2 प्रतिशत खर्च किया था। जो 2021-22 में बढ़कर 12.9 प्रतिशत हो गया। सब्सिडी पर सबसे ज्यादा खर्च ओडिशा, झारखंड, केरल और तेलंगाना ने किया। वहीं पंजाब, गुजरात और छत्तीसगढ़ सरकार ने सब्सिडी पर अपने रेवेन्यू एक्सपेंडिचर का 10 प्रतिशत से ज्यादा खर्च किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य सरकारें सब्सिडी की बजाय मुफ्त दे रहीं हैं। जिससे फ्री पानी, फ्री बिजली, बिल माफी और कर्ज माफी से सरकारों को कोई कमाई नहीं हो रही है। उल्टे सरकार को इस पर खर्च करना पड़ रहा है। RBI के मुताबिक कुछ ऐसे राज्य हैं जिनका कर्ज 2026-27 तक सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) का 30 प्रतिशत से ज्यादा हो सकता है। ऐसे राज्यों में पंजाब की हालत ज्यादा खराब होगी। पंजाब सरकार पर GSDP का 45 प्रतिशत से ज्यादा कर्ज होने का अनुमान है। तो वहीं राजस्थान, केरल और पश्चिम बंगाल का कर्ज भी 35 प्रतिशत तक होने की संभावना है।

आम जनता को भी सावधान रहना होगा
चुनाव जीतने के इरादे से राजनीतिक दलों की ओर से की जाने वाली लोकलुभावन घोषणाओं को लेकर आम जनता को भी चेतना चाहिए, क्योंकि ऐसी योजनाएं अंतत: उसके लिए मुसीबत बनती हैं और अर्थव्यवस्था का बेड़ा भी गर्क करती हैं। उन्हें यह तय करना होगा कि उन्हें 200 यूनिट फ्री बिजली चाहिए, एक हजार रुपये चाहिए या फिर अच्छे अस्पताल चाहिए, अच्छे स्कूल चाहिए, अच्छी सड़कें और अच्छी कनेक्टिविटी चाहिए।

रेवड़ी कल्चर से कभी एक्सप्रेसवे, एयरपोर्ट नहीं बनेंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2022 में बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के समय कहा था कि हमें रेवड़ी कल्चर से सावधान रहना होगा। रेवड़ी कल्चर वाले कभी आपके लिए नए एक्सप्रेसवे नहीं बनाएंगे, नए एयरपोर्ट या डिफेंस कॉरिडोर नहीं बनाएंगे। ऐसे लोगों को लगता है कि मुफ्त की रेवड़ी के बदले उन्होंने जनता जनार्दन को खरीद लिया है। उन्होंने कहा, ‘हमें देश की रेवड़ी कल्चर को हटाना है। रेवड़ी बांटने वाले कभी विकास के कार्यों जैसे रोड नेटवर्क, रेल नेटवर्क का निर्माण नहीं करा सकते। ये अस्पताल, स्कूल और गरीबों को घर नहीं बनवा सकते।’ यानी रेवड़ी कल्चर से देश तरक्की नहीं कर सकता, उल्टा देश बर्बादी की ओर बढ़ेगा। पीएम मोदी ने तो चिंता जताते हुए यहां तक कहा कि रेवड़ी कल्चर देश को कहीं का नहीं छोड़ेगा।

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