श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। संसद के केन्द्रीय कक्ष में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना ने उन्हें शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने सम्बोधन में कहा कि भारतीय लोकतंत्र की यही खूबसूरती है कि देश के दूर-दराज के इलाके की एक गरीब महिला राष्ट्रपति बनी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति पद तक पहुंचना उनकी व्यक्तिगत नहीं बल्कि देश के हर गरीब की उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि मेरा राष्ट्रपति बनना इस बात का प्रमाण कि गरीब सपने देख सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, ‘मैं जनजातीय समाज से हूं, और वार्ड कॉउंसलर से लेकर भारत की राष्ट्रपति बनने तक का अवसर मुझे मिला है। यह लोकतंत्र की जननी भारतवर्ष की महानता है। ये हमारे लोकतंत्र की ही शक्ति है कि उसमें एक गरीब घर में पैदा हुई बेटी, दूर-सुदूर आदिवासी क्षेत्र में पैदा हुई बेटी, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है। राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है। मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है।”
उन्होंने कहा, “ये मेरे लिए बहुत संतोष की बात है कि जो सदियों से वंचित रहे, जो विकास के लाभ से दूर रहे, वे गरीब, दलित, पिछड़े और आदिवासी मुझ में अपना प्रतिबिंब देख रहे हैं। मेरे इस निर्वाचन में देश के गरीब का आशीर्वाद शामिल है, देश की करोड़ों महिलाओं और बेटियों के सपनों और सामर्थ्य की झलक है। मेरे इस निर्वाचन में, पुरानी लीक से हटकर नए रास्तों पर चलने वाले भारत के आज के युवाओं का साहस भी शामिल है।”
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, ” मेरे सामने भारत के राष्ट्रपति पद की ऐसी महान विरासत है जिसने विश्व में भारतीय लोकतन्त्र की प्रतिष्ठा को निरंतर मजबूत किया है। देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद से लेकर श्री राम नाथ कोविन्द जी तक, अनेक विभूतियों ने इस पद को सुशोभित किया है। इस पद के साथ साथ देश ने इस महान परंपरा के प्रतिनिधित्व का दायित्व भी मुझे सौंपा है। संविधान के आलोक में, मैं पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करूंगी। मेरे लिए भारत के लोकतांत्रिक-सांस्कृतिक आदर्श और सभी देशवासी हमेशा मेरी ऊर्जा के स्रोत रहेंगे।”
श्रीमती द्रोपदी मुर्मू ने कहा कि कोरोना महामारी के वैश्विक संकट का सामना करने में भारत ने जिस तरह का सामर्थ्य दिखाया है, उसने पूरे विश्व में भारत की साख बढ़ाई है। हम हिंदुस्तानियों ने अपने प्रयासों से न सिर्फ इस वैश्विक चुनौती का सामना किया बल्कि दुनिया के सामने नए मापदंड भी स्थापित किए। कुछ ही दिन पहले भारत ने कोरोना वैक्सीन की 200 करोड़ डोज़ लगाने का कीर्तिमान बनाया है। इस पूरी लड़ाई में भारत के लोगों ने जिस संयम, साहस और सहयोग का परिचय दिया, वो एक समाज के रूप में हमारी बढ़ती हुई शक्ति और संवेदनशीलता का प्रतीक है।
उन्होंने कहा, “मैंने अपने अब तक के जीवन में जन-सेवा में ही जीवन की सार्थकता को अनुभव किया है। श्री जगन्नाथ क्षेत्र के एक प्रख्यात कवि भीम भोई जी की कविता की एक पंक्ति है- “मो जीवन पछे नर्के पड़ी थाउ, जगत उद्धार हेउ”। अर्थात, अपने जीवन के हित-अहित से बड़ा जगत कल्याण के लिए कार्य करना होता है। जगत कल्याण की इसी भावना के साथ, मैं आप सब के विश्वास पर खरा उतरने के लिए पूरी निष्ठा व लगन से काम करने के लिए सदैव तत्पर रहूंगी। आइए, हम सभी एक जुट होकर समर्पित भाव से कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ें तथा वैभवशाली व आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करें।”