डीआरडीओ हैदराबाद के डिफेंस लेबोरेटरी, रिसर्च सेंटर इमारत (RCI) ने UVC सैनिटाइजर कैबिनेट विकसित किया है। खास बात ये कि अल्ट्रा वॉयलेट किरणों की तकनीक से लैस ये कैबिनेट आपके इस्तेमाल किए हुए N-95 मास्क, मोबाइल फोन्स, आईपैड, लैपटॉप, करेंसी नोट, चेक बुक के पन्ने और कई अहम चीजों को बिना केमिकल के इस्तेमाल के सैनिटाइज करता है।
कोविड-19 के खिलाफ जंग में शरीक मेडिकल स्टाफ सहित बाकी जरूरी सेवाओं में रत स्टाफ के लिए जरूरी है कि वे बार-बार इस्तेमाल की जीचों को सैनिटाइज करते रहें। जिसमें डीआरडीओ आरसीआई की तरफ से विकसित यूवीसी सैनिटाइजर कैबिनेट काफी कारगर साबित हो सकता है। खासकर N-95 मास्क को इस कैबिनेट में डालकर बार-बार इस्तेमाल में लिया जा सकता है। मेडिकल एमरजेंसी की स्थिति में मास्क की बाजार में कमी है। ऐसे में UVC सैनिटाइजर कैबिनेट मुफीद साबित हो सकता है।
UVC सैनिटाइजर कैबिनेट बैंकिंग सेवा में कार्यरत लोगों के लिए भी काफी उपयोगी बताई जा रही है। WHO गाइडलाइन के मुताबिक कोरोना वायरस कुछ घंटों तक नोट या फिर कागजों पर टिका रह सकता है। ऐसे में बैंककर्मी बिना झिझक के ग्राहकों के लिए नोट कैबिनेट के जरिए सैनिटाइज कर पाएंगे। इसके बाद इसे फिर से ग्राहकों के लिए जारी किया जा सकता है।
UVC सैनिटाइजर कैबिनेट विकसित करने में साइंटिस्ट सौरभ कुमार (Sc: ‘D’) और एस गोपीनाथ, आउट्सटैंडिंग साइंटिस्ट व निदेशक (SINT) की अहम भूमिका रही। जिसमें आरसीआई के निदेशक BHSV मूर्ति का सक्रिय दिशा-निर्देश शामिल रहा।
वैज्ञानिकों ने बताया कि कैबिनेट में इस्तेमाल किए गए यूवीसी किरणों में वायरस और सूक्ष्म परजीवियों को मारने की क्षमता होती है। ये किरणें सीधे तौर पर वायरस के डीएनए पर हमला करती है, और इनके प्रसार या प्रजनन को तत्काल रोक देती है। कुल मिलाकर कहें तो ये किरणे घातक से घातक वायरस, जिसमें कोरोना वायरस भी शामिल है, को निष्क्रिय करने की क्षमता रखती है।
UVC किरणें न सिर्फ वायरस बल्कि इंसानों और जीवों के लिए भी घातक है। लिहाजा विकसित कैबिनेट में तमाम सहूलियतों का ध्यान रखा गया है। ताकि इंसान का कोई अंग सीधे तौर पर किरणों के संपर्क में न आ जाय।