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क्या नीतीश-तेजस्वी को अपने बिहारी मजदूरों पर भरोसा नहीं है ? क्या पीड़ितों को झूठा बताकर तमिलनाडु की स्टालिन सरकार को बचाया जा रहा है ?

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तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों के साथ जो अत्याचार हो रहा है, वो काफी परेशान करने वाला है। लेकिन जिस तरह बिहारी मजदूरों पर हो रहे हमले को फर्जी बताकर उसे दबाने की कोशिश की जा रही है, वो उससे भी ज्यादा चिंताजनक है। सेक्युलर और लिबरल मीडिया गैंग तमिलनाडु से बिहार लौट रहे मजदूरों को झूठा साबित करने पर लगा हुआ है। वहीं तमिलनाडु पुलिस वायरल तस्वीरों और वीडियो को फर्जी बताकर लोगों पर कार्रवाई भी कर रही है। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या तमिलनाडु से अपनी जान बचाकर भागे मजदूरों पर बिहार के मुख्यमंत्री डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भरोसा नहीं है ? क्या तमिलनाडु सरकार को बचाने के लिए अपने ही राज्य के लोगों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है ? क्या एक साजिश तहत बिहार लौटे मजदूरों को झूठा साबित कर उनकी आवाज को दबाने की कोशिश जा रही है? इन सवालों का जवाब पीड़ित मजदूर ही दे रहे हैं।

तमिलनाडु की स्टालिन सरकार और पुलिस बिहारी मजदूरों पर हमले को फर्जी बता रही है। लेकिन तमिलनाडु से लौट रहे बिहार के लोग स्पष्ट कह रहे हैं कि वहां हालात बहुत खराब है। हिन्दी बोलने वाले लोगों की पिटाई हो रही है। वो किसी तरह अपनी जान बचाकर भाग रहे हैं। दानापुर स्टेशन पर पहुंचे कुछ बिहारी मजदूरों से मीडिया ने बात की तो उन्होंने कहा कि हमारे साथ भी मारपीट की गई। इसकी वजह से काम छोड़कर भागना पड़ा है। पीड़ितों को कहना है कि ज्यादातर लोग पीटकर आ रहे हैं। बिहार के लोगों में काफी दहशत है। पीड़ित मजदूर खुद सरकार से सवाल कर रहे हैं। 

तमिलनाडु में काम करने वाले मुजफ्फरपुर के उपेंद्र साहनी ने जो आपबीती बताई है, वो पूरे मामलों को फर्जी बताने वालों की पोल खोल रहा है। उपेंद्र ने कहा कि वो तमिलनाडु के तिरुपुर गए थे, जहां बिहारियों को मारा जा रहा है। उन्होंने कहा कि मैंने अपनी आंखों से देखा कि बिहारियों को बेरहमी से मारा जा रहा है। कहा जा रहा है कि जितने हिन्दी वाले है, वो सभी तमिलनाडु छोड़कर भाग जाए। उपेंद्र दावा कर रहे हैं कि करीब 12 लोगों की हत्या हो चुकी है। तिरुपुर से पटना तक के रेल टिकट को दिखाते हुए उपेंद्र ने कहा कि वीडियो और तस्वीरों को फेक बताया जा रहा है, लेकिन वीडियो देखकर मेरा खून खौल रहा है। वहां लोगों को निर्ममता के साथ मारा जा रहा है। स्टेशन तक बिहारियों को आने नहीं दिया जा रहा है। मजदूर तमिलनाडु में काफी परेशान है, फिर भी मजाक बनाया जा रहा है। मैंने दो सहोदर भाइयों का मडर होते हुए देखा है। हत्या करने वालों को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर रही है।

पूरे तमिलनाडु में बिहारियों पर हमले हो रहे हैं। कोयंबुत्तूर से लौटे एक बिहारी मजदूर ने कहा कि वहां बहुत मारा-पीटा जा रहा है और काम नहीं करने दिया जा रहा है। कंपनी में काम करने के बाद निकलने पर डंडे से मारा जा रहा है। कई मजदूरों को चार दिनों से खाना तक नसीब नहीं हुआ। हालात ऐसे हो गए कि अपना मेहनताना भी छोड़कर भागना पड़ रहा है। तमिलनाडु से लौटे मजदूर अब सरकार से रोजगार की मांग कर रहे हैं। वे सवाल कर रहे हैं कि अगर बिहार में रोजगार होगा तो वो मरने के लिए तमिलनाडु क्यों जाएंगे ?

इस तरह के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जो तमिलनाडु पुलिस और मीडिया के एक वर्ग पर सवाल खड़े कर रहे हैं। 

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