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दिल्ली शराब घोटाले से उठ रहा पर्दा, केजरीवाल और सिसोदिया को थी घोटाले की जानकारी, लाभ मार्जिन का 6 प्रतिशत हिस्सा अवैध रूप से AAP के खाते में गया

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल राजनीति में बदलाव के लिए आए थे। लेकिन उन्होंने ये बदलाव किए कि भ्रष्टाचार, घोटाले और झूठ बोलने में सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। पिछले दिनों जब दिल्ली में शराब घोटाला हुआ और उसमें एक आरोपी के रूप में आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया का नाम सामने आया तो केजरीवाल अपने मंत्री के बचाव में उतर आए और ईमानदारी का राग अलापते हुए यह तक कह दिया कि सिसोदिया को तो भारत रत्न मिलना चाहिए। अभी पिछले दिनों प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शराब घोटाला मामले में दिल्ली की अदालत में तीन हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की और कहा कि जांच अभी जारी है। ED ने कोर्ट को बताया कि हम अभी सिर्फ समीर महेंद्रू के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर रहे हैं, जल्द ही दूसरे आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जाएगी। अब जैसे-जैसे ED अपनी जांच पूरी कर रही है दिल्ली के शराब घोटाले से एक-एक कर पर्दा उठता जा रहा है। दिल्ली की नई शराब पॉलिसी को बनाने के पीछे इनके बदनीयत इरादे और आकांक्षाएं साफ होती नजर आ रही हैं। यह बात भी सामने आई है कि पॉलिसी मेकिंग में ऐसे लोगों को शामिल किया गया जो अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के करीबी थे। इससे यह बात साफ हो जाती है कि इस घोटाले की जानकारी केजरीवाल और सिसोदिया दोनों को थी। दिल्ली शराब घोटाले के मुख्य सूत्रधार मनीष सिसोदिया के करीबी विजय नायर थे जिसने शराब माफिया से करोड़ों रुपये वसूले और 12 प्रतिशत लाभ मार्जिन का 6 प्रतिशत हिस्सा अवैध रूप से AAP को वापस किया। इस तरह दिल्ली सरकार को 2873 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसकी जवाबदेही कौन लेगा?

नई शराब नीति में कमीशन ढाई फीसदी से बढ़ाकर 12 प्रतिशत क्यों किया गया

नई शराब नीति में कमीशन ढाई फीसदी से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया जिससे 6 प्रतिशत कमीशन आम आदमी पार्टी को मिल सके। ये सच सामने आने के बाद भी अरविंद केजरीवाल कहते हैं कि कोई घोटाला नहीं हुआ। ये सभी कट्टर ईमानदार हैं। लेकिन यहां सवाल उठता है कि अगर घोटाला नहीं हुआ तो केजरीवाल सरकार ने नई पालिसी को छोड़कर पुरानी पालिसी पर जाने का फैसला क्यों किया। अगर घोटाला नहीं हुआ तो आरोपी नंबर एक मनीष सिसोदिया आबकारी से संबंधित फाइलें क्यों मंगवा रहे थे। अगर घोटाला नहीं हुआ तो सिसोदिया और उनके करीबी डिजिटल साक्ष्य जैसे मोबाइल आदि नष्ट क्यों कर रहे थे। अगर घोटाला नहीं हुआ तो केजरीवाल को बताना चाहिए कि कमीशन ढाई फीसदी से बढ़ाकर 12 प्रतिशत क्यों किया गया।

दिल्ली सरकार की आबकारी नीति का ED ने किया भंडाफोड़

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपनी जांच में आम आदमी पार्टी की एक्साइज पॉलिसी का पूरा भंडाफोड़ कर दिया है। इस पॉलिसी को बनाने के पीछे इनके बदनीयत इरादे और आकाक्षांएं साफ नजर आ रही है। सबसे अजीब बात यह है कि इतना खुलेआम घोटाले करके भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने मंत्री सिसोदिया को भारत रत्न देने की पेशकश करते है। इन्हें भारत रत्न मिलना चाहिए या पार्टी से ही निष्कासित कर देना चाहिए ? क्या केजरीवाल इन्हें पार्टी से बेदखल करेंगे?

लाभ मार्जिन का 6 प्रतिशत हिस्सा अवैध रूप से AAP को दिया गया

दिल्ली में हुए शराब घोटाले में पॉलिसी मेकिंग में ऐसे लोगों को शामिल किया गया जो केजरीवाल और सिसोदिया के करीबी थे। इसमें प्रमुख नाम विजय नायर का है जो मनीष सिसोदिया के ज्यादा करीबी हैं। उसने शराब माफिया से करोड़ों रुपये वसूले और 12 प्रतिशत लाभ मार्जिन का 6 प्रतिशत हिस्सा अवैध रूप से AAP को वापस दिया। इसके लिए पालिसी में ढाई प्रतिशत मार्जिन को बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया। इस काम के लिए दिल्ली सरकार के मंत्री कैलाश गहलोत के सरकारी बंगले का दुरूपयोग से लेकर रेस्टोरेंट और बार मालिकों से इलेक्शन फण्ड के नाम पर वसूली करना भी शामिल है।

घोटाले से जुड़े डिजिटल एविडेंस के साथ ही फ़ोन नष्ट किए जा रहे

एक्साइज पॉलिसी में जानबूझकर कुछ न कुछ कमी छोड़ना और फिर उसे ठीक करने के बहाने फंडिंग इकट्ठी करना ही आप का एकमात्र मकसद था। विजय नायर ने पूरी भूमिका निभाई जिससे इस घोटाले को अंजाम दे सके। इस घोटाले की केजरीवाल और सिसोदिया को जानकारी थी। यही वजह है कि घोटाले को अंजाम देने में इस्तेमाल किए गए सभी डिजिटल एविडेंस के साथ ही फ़ोन अब नष्ट किये जा रहे हैं। जिससे यह साबित न हो कि किसकी जवाबदेही थी।

केजरीवाल करते हैं भ्रष्टाचारियों का महिमामंडन

अरविंद केजरीवाल ने सरकार में आते ही ना सिर्फ भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया, बल्कि भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने और उनका महिमामंडन करने में भी सारी हदें पार कर दी हैं। दरअसल केजरीवाल यह जानते हैं कि जब उनके करीबी पर फंदा कसेगा तो लपटें उन तक भी पहुंचेगी इसीलिए वे अपने मंत्रियों और नेताओं के बचाव में उतर आते हैं। एक तरफ केजरीवाल दिल्ली शराब घोटाले में फंसे उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को ‘भारत रत्न’ देकर सम्मानित करने की मांग कर डाली तो इससे पहले मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसे दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित करने की मांग की थी।

कोरोना की आड़ में शराब ठेकेदारों की 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ कराए

आबकारी नीति 2021-22 को तैयार करने और इसके क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार पर अपनी प्राथमिकी में सीबीआई ने कहा है कि इंडोस्पिरिट्स के एमडी समीर महेंद्रू ने नई दिल्ली के राजेंद्र प्लेस में स्थित यूको बैंक की शाखा में राधा इंडस्ट्रीज के खाते में 1 करोड़ रुपये की रकम भेजी थी। राधा इंडस्ट्रीज का प्रबंधन दिनेश अरोड़ा कर रहे हैं, जो दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया के करीबी सहयोगी हैं। इसके अलावा मुख्य सचिव नरेश कुमार की एलजी को सौंपी गोपनीय रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने कोरोना की आड़ में शराब ठेकेदारों की 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस ही माफ कर दी।

सिसोदिया के करीबी शराब लाइसेंसधारियों से एकत्रित करते थे अनुचित आर्थिक लाभ

सीबीआई की जांच यह बात सामने आ चुका है कि मनोरंजन और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी ‘ओनली मच लाउडर’ के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विजय नायर, पर्नोड रिकार्ड के पूर्व कर्मचारी मनोज राय, ब्रिंडको स्पिरिट्स के मालिक अमनदीप ढल तथा इंडोस्पिरिट्स के मालिक समीर महेंद्रू सक्रिय रूप से पिछले साल नवंबर में लाई गई आबकारी नीति का निर्धारण और क्रियान्वयन में अनियमितताओं में शामिल थे। एजेंसी ने आरोप लगाया कि गुरुग्राम में बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे, सिसोदिया के ‘करीबी सहयोगी’ हैं और आरोपी लोक सेवकों के लिए ‘शराब लाइसेंसधारियों से एकत्र किए गए अनुचित आर्थिक लाभ के प्रबंधन और स्थानांतरण करने में सक्रिय रूप से शामिल थे।

दिल्ली सरकार ने नई एक्साइज पॉलिसी में 100 प्रतिशत दुकानें निजी हाथों में सौंप दीं

दरअसल, दिल्ली सरकार के शराब घोटाले का खेल कोरोना काल में ही शुरू हो गया था। सरकार ने 17 नवंबर 2021 को दिल्ली में नई एक्साइज पॉलिसी लागू की। इसके तहत राजधानी में 32 जोन बनाए गए। हर जोन में 27 दुकानें खुलनी थीं। इस तरह कुल मिलाकर 849 दुकानें खोलने की नीति थी। नई नीति लागू होने से पहले तक दिल्ली में शराब की 60% दुकानें सरकारी और 40% प्राइवेट थीं, लेकिन नई नीति लागू होने के बाद 100% दुकानें निजी हाथों को सौंप दी गई। आरोप लगे तो दिल्ली सरकार ने खोखला तर्क गढ़ा कि इससे रेवेन्यू 3,500 करोड़ रुपये बढ़ने की उम्मीद है। अब 1 सितंबर से फिर से पुरानी एक्साइज पॉलिसी लागू हो जाएगी। इसके बाद शराब की दुकानें सरकारी एजेंसियां ही चलाएंगी।

लाइसेंस शुल्क में छूट, बिना मंजूरी के एल-1 लाइसेंस के विस्तार में हुईं अनियमितताएं

सीबीआई की जांच में यह सामने आया है कि आबकारी नीति में संशोधन, लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ देने, लाइसेंस शुल्क में छूट/कमी, बिना मंजूरी के एल-1 लाइसेंस के विस्तार में अनियमितताएं की गईं। यह भी आरोप लगाया गया था कि इन कृत्यों से अवैध लाभ को निजी पक्षों द्वारा संबंधित लोक सेवकों को उनके खातों की पुस्तकों में गलत प्रविष्टियां देकर बदल दिया गया था। प्राथमिकी में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को आरोपी नंबर 1 के रूप में नामित किया गया है।

मुख्य सचिव की गोपनीय रिपोर्ट पर एलजी ने की थी सीबीआई जांच की सिफारिश

दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और अन्य के खिलाफ ये पूरी कार्रवाई मुख्य सचिव नरेश कुमार की उस रिपोर्ट पर हो रही है, जिसमें एक्साइज पॉलिसी में गड़बड़ी होने का आरोप लगाया गया है। ये रिपोर्ट लेफ्टिनेंट गवर्नर वीके सक्‍सेना को सौंपी गई थी। मुख्य सचिव कुमार की रिपोर्ट पर एलजी ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। इस रिपोर्ट में GNCTD एक्ट 1991, ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 के नियमों का उल्लंघन पाया गया था।

सिसोदिया ने टेंडर देने के बाद भी शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया

जनमानस की यह जानने में दिलचस्पी जरूर होगी कि आखिर शातिर खिलाड़ी मनीष सिसोदिया इस सारे खेल में कैसे घिर गए। दरअसल, मुख्य सचिव की रिपोर्ट बताती है कि एक्साइज डिपार्टमेंट के प्रभारी होने के नाते मनीष सिसोदिया ने जानबूझकर ऐसे फैसले लिए। इसके आधार पर एलजी ने पाया कि आबकारी नीति को लागू करने में किस प्रकार की वित्तीय गड़बड़ियां हुईं। सिसोदिया पर एक्साइज पॉलिसी के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है. मुख्य सचिव की रिपोर्ट में कहा गया था कि सिसोदिया ने कथित तौर पर टेंडर दिए जाने के बाद भी शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ। इसी रिपोर्ट में बताया गया कि शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के लिए सिसोदिया के आदेश पर एक्साइज पॉलिसी के जरिए कोरोना के बहाने शराब ठेकेदारों के 144.36 करोड़ रुपये माफ किए गए।

शराब घोटाले में चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार की विस्तृत जांच में मिलीं ये सात ‘खामियां’

1. मनीष सिसोदिया के निर्देश पर एक्साइज विभाग ने एयरपोर्ट जोन के एल-1 बिडर को 30 करोड़ रुपये रिफंड करने का निर्णय लिया। बिडर एयरपोर्ट अथॉरिटीज से जरूरी एनओसी नहीं ले पाया था। ऐसे में उसके द्वारा जमा कराया गया सिक्योरिटी डिपॉजिट सरकारी खाते में जमा हो जाना चाहिए था, लेकिन बिडर को वह पैसा लौटा दिया गया।
2. सक्षम अथॉरिटीज से मंजूरी लिए बिना एक्साइज विभाग ने 8 नवंबर 2021 को एक आदेश जारी करके विदेशी शराब के रेट कैलकुलेशन का फॉर्मूला बदल दिया और बियर के प्रत्येक केस पर लगने वाली 50 रुपए की इंपोर्ट पास फीस को हटाकर लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया, जिससे सरकार को रेवेन्यू का भारी नुकसान हुआ।
3. टेंडर दस्‍तावेजों के प्रावधानों को हल्का करके L7Z (रिटेल) लाइसेंसियों को वित्‍तीय फायदा पहुंचाया गया, जबकि लाइसेंस फी, ब्‍याज और पेनाल्‍टी न चुकाने पर ऐक्‍शन होना चाहिए था।
4. सरकार ने दिल्ली के अन्य व्यवसायियों के हितों को दरकिनार करते हुए केवल शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए कोविड काल में हुए नुकसान की भरपाई के नाम पर उनकी 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ कर दी, जबकि टेंडर दस्तावेजों में ऐसे किसी आधार पर शराब विक्रेताओं को लाइसेंस फीस में इस तरह की छूट या मुआवजा देने का कहीं कोई प्रावधान नहीं था।
5. सरकार ने बिना किसी ठोस आधार के और किसी के साथ चर्चा किए बिना नई पॉलिसी के तहत हर वॉर्ड में शराब की कम से कम दो दुकानें खोलने की शर्त टेंडर में रख दी। बाद में एक्साइज विभाग ने सक्षम अथॉरिटीज से मंजूरी लिए बिना नॉन कन्फर्मिंग वॉर्डों के बजाय कन्फर्मिंग वॉर्डों में लाइसेंसधारकों को अतिरिक्त दुकानें खोलने की इजाजत दे दी।
6. सोशल मीडिया, बैनरों और होर्डिंग्‍स के जरिए शराब को बढ़ावा दे रहे लाइसेंसियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह दिल्‍ली एक्‍साइज नियमों, 2010 के नियम 26 और 27 का उल्‍लंघन है।
7. लाइसेंस फीस में बढ़ोतरी किए बिना लाइसेंसधारकों को लाभ पहुंचाने के लिए उनका ऑपरेशनल पीरियड पहले 1 अप्रैल 2022 से बढ़ाकर 31 मई 2022 तक किया गया और फिर इसे 1 जून 2022 से बढ़ाकर 31 जुलाई 2022 तक कर दिया गया। इसके लिए सक्षम अथॉरिटी यानी कैबिनेट और एलजी से भी कोई मंजूरी नहीं ली गई। बाद में आनन फानन में 14 जुलाई को कैबिनेट की बैठक बुलाकर ऐसे कई गैरकानूनी फैसलों को कानूनी जामा पहनाने का काम किया गया। शराब की बिक्री में बढ़ोतरी होने के बावजूद रेवेन्यू में बढ़ोतरी होने के बजाय 37.51 पर्सेंट कम रेवेन्यू मिला।

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