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Bengal SIR: ममता की भवानीपुर सीट से 44 हजार ‘फर्जी’ वोट कटने से बढ़ी मुश्किलें, बंगाल में कटेंगे 58 लाख से ज्यादा नाम

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पश्चिम बंगाल में ज्यों-ज्यों विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, त्यों-त्यों मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। हिंदुओं की खिलाफत, मुस्लिम तुष्टिकरण, एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर और अब स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) ने ममता बनर्जी की धड़कने बढ़ा दी हैं। बांग्लादेशी घुसपैठियों के दम पर जिस तरह तृणमूल कांग्रेस जीतती रही है, उस पर एसआईआर ने सेंध लगा दी है। इस रिवीजन में राज्य के 58 लाख से ज्यादा ‘फर्जी’ वोटर के नाम मतदाता सूची से हटा दिए हैं। इतना ही नहीं खुद ममता बनर्जी की भवानीपुर विधानसभा सीट पर भी 44 हजार से ज्यादा बोगस वोटर मिले हैं। यहां से ममता बनर्जी 2016 के चुनाव में करीब 25 हजार और 2021 के उप चुनाव में करीब 58 हजार वोटों से जीती थीं। ऐसे में यदि ममता बनर्जी अगला चुनाव मुस्लिम बहुल वोटर वाली इस सीट से लड़ती हैं तो उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। बता दें कि 2021 के विधानसभा चुनाव में भी ममता बनर्जी अपने घमंड और अहंकार के चलते नंदीग्राम से हार गई थीं। बाद में वे उपचुनाव से विधानसभा पहुंची।

एसआईआर की गूंज ने ममता सरकार की बेचैनी और बढ़ाई
पश्चिम बंगाल की राजनीति इन दिनों एक असामान्य करवट ले रही है। वहां सत्ता का समीकरण वर्षों से लगभग स्थिर दिखता था, अब वही जमीन अस्थिर होती जा रही है। एसआईआर ने राज्य की राजनीति को जिस तरह बदल दिया है, वह केवल एक चुनावी मुद्दा नहीं रह गया है; यह पहचान, सुरक्षा और शासन की विश्वसनीयता से जुड़ा भावनात्मक प्रश्न बन चुका है। बिहार में हुए चुनाव परिणामों और एसआईआर की चर्चा ने एक ऐसा माहौल बना दिया है कि इसके प्रभाव की तरंगें सीधे बंगाल तक पहुंची हैं। राजनीतिक विश्लेषक इसे सामान्य नहीं मान रहे, क्योंकि बंगाल की राजनीति, अपनी जटिलताओं के बावजूद कभी भी एकाकी नहीं रही। यह हमेशा पड़ोसी राज्यों के प्रभाव और केंद्र–राज्य संबंधों से प्रभावित होती आई है। इसी पृष्ठभूमि में यह सच्चाई भी सामने आने लगी है कि एसआईआर के डर से घुसपैठिए पश्चिम बंगाल छोड़कर भागने लगे हैं। एसआईआर की गूंज और घुसपैठ पर सवालिया निशान ने ममता सरकार की बेचैनी और बढ़ा दी है।

घुसपैठिए मतदाता पोल खुलने के डर से पश्चिम बंगाल से भागे
दरअसल, चुनाव आयोग ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के पहले फेज के बाद निर्वाचन क्षेत्रवार आंकड़े जारी कर दिए हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 58 लाख से ज्यादा नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए हैं। इनमें से कई मतदाता बोगस मिले और कई मृत हो चुके हैं। कई घुसपैठिए मतदाता पोल खुलने के डर से पश्चिम बंगाल से भाग खड़े हुए। अब इस मुद्दे पर विमर्श शुरू हो गया है। भाजपा का कहना है कि बांग्लादेशी नागरिकों का पलायन उनके दावे को सच साबित कर रहा है। दरअसल, पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एसआईआर की वजह से बड़ी संख्या में बांग्लादेशी नागरिक अपने देश लौट रहे हैं। भारत-बांग्लादेश की हकीमपुर सीमा पर बांग्लादेशियों में बड़ी संख्या में ऐसे लोग नजर आए, जो 10-15 साल पहले दलालों की मदद से भारत में घुस आए थे।

भवानीपुर से कटे फर्जी वोटों ने बढ़ाई ममता बनर्जी की धड़कनें
चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों ने सीएम ममता बनर्जी की भी धड़कनें बढ़ा दी हैं। दरअसल, मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र भवानीपुर सीट से 44,787 वोटरों के नाम हटाए गए हैं। यहां जनवरी 2025 की लिस्ट में 1,61,509 वोटर्स थे। मुस्लिम बहुल भवानीपुर कोलकाता के दक्षिण हिस्से में स्थित एक प्रमुख और हाई-प्रोफाइल विधानसभा सीट है। यह कोलकाता दक्षिण लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। यह विधानसभा सीट तृणमूल कांग्रेस और ममता का गढ़ रही है। विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने यहां से जीत हासिल की थी। उन्हें 65,520 मिले और उनकी जीत का मार्जिन 25,301 रहा। इसके बाद 2021 विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के शोभनदेब चट्टोपाध्याय ने भवानीपुर सीट जीती। उधर ममता बनर्जी नंदीग्राम से चुनाव हार गईं। उन्हें विधानसभा में भेजने के लिए 2021 में ही इस सीट पर उप चुनाव कराया गया, जिसमें उन्हें जीत मिली। ममता का गढ़ रहे इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता लगभग 35 प्रतिशत हैं। इसके बाद बंगाली ब्राह्मण, अनुसूचित जातियां, ओबीसी, कायस्थ और मारवाड़ी आते हैं।

एसआईआर का काम बेहद निष्पक्ष, इन क्षेत्रों में भी नाम कटे
ममता ने स्पेशल इंटेसिव रिवीजन (SIR यानी वोटर वेरिफिकेशन) को लेकर महिलाओं को भड़काते हुए बयान दिया कि अगर आपके नाम काटे गए तो आपके पास किचन के बर्तन हैं, इनसे लड़िए। अपने नाम को लिस्ट से कटने मत देना। महिलाएं आगे आकर लड़ेंगी, पुरुष इनके पीछे रहेंगे। ममता बनर्जी चाहे जो आरोप लगा रही हों, लेकिन सच यही कि एसआईआर का काम बेहद निष्पक्षता से हो रहा है। तृणमूल कांग्रेस के गढ़ में ही नहीं भाजपा विधायकों के क्षेत्र में भी नाम कटे हैं। भाजपा के नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी की नंदीग्राम सीट से 10,599 नाम हटाए गए हैं। यहां SIR से पहले 2,78,212 वोटर थे। आसनसोल साउथ जहां से अग्निमित्रा पॉल विधायक हैं, वहां पर 39,202 नाम हटाए गए। वहीं शंकर घोष के विधानसभा क्षेत्र सिलीगुड़ी से 31,181 नाम हटाए गए हैं।

कोलकाता पोर्ट से 74 हजार नाम हटे, 16 दिसंबर को ड्राफ्ट रोल
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक राज्य के 294 असेंबली एरिया में से सबसे ज्यादा नाम कोलकाता के चौरंगी और कोलकाता पोर्ट जैसे क्षेत्रों में कटे हैं। चौरंगी विधानसभा क्षेत्र में 74,553 नाम हटाए गए। कोलकाता पोर्ट से कुल 63,730 नाम हटाए गए। वहीं मंत्री अरूप बिस्वास के टॉलीगंज में 35,309 नाम हटे। सबसे कम नाम बांकुरा जिले के कोतुलपुर से हटाए गए, जहां 5,678 नाम हटाए गए। चुनाव आयोग ने बताया कि वोटर की मौत, दूसरी जगह शिफ्ट होना और डुप्लीकेट एंट्री के कारण उनके नाम लिस्ट हटाए गए हैं। चुनाव आयोग ने गुरुवार को 5 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश (UT) में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR यानी वोटर वेरिफिकेशन) की समयसीमा बढ़ा दी। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और अंडमान-निकोबार में 18 दिसंबर तक फॉर्म भर सकेंगे। आयोग ने बताया कि गोवा, पुडुचेरी, लक्षद्वीप, राजस्थान और पश्चिम बंगाल के लिए समयसीमा गुरुवार को ही समाप्त होगी और ड्राफ्ट मतदाता सूची 16 दिसंबर को पब्लिश की जाएगी। केरल में पहले ही अखिरी तारीख 18 दिसंबर कर दी गई थी, जिसका ड्राफ्ट 23 दिसंबर को पब्लिश होगा।

अमित शाह बोले- हम लोकतंत्र को प्रदूषित होने से बचा रहे
गृह मंत्री अमित शाह ने ममता के विरोध को घुसपैठियों को बचाने का प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि SIR से लोकतंत्र को प्रदूषित होने से बचाया जा रहा। शाह ने X पर लिखा कि कुछ दल मतदाता सूची शुद्धीकरण के खिलाफ हैं, क्योंकि उन्हें घुसपैठियों के वोट चाहिए। दरअसल, इन बांग्लादेशी घुसपैठियों को तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले नेताओं का समर्थन प्राप्त था। यही वजह है कि इन्होंने अपने रहने के लिए अस्थायी झुग्गियां बना लीं। अब जब दो दशक बाद भारत में एसआईआर शुरू हुआ तो बांग्लादेशी नागरिकों ने यहां से पलायन करना शुरू कर दिया। इस रिवर्स माइग्रेशन ने बंगाल में घुसपैठ की सच्चाई को नई धार दे दी है।

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