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करौली में हिंदू नववर्ष के शांतिमय जुलूस पर पथराव के बाद भड़की सांप्रदायिक हिंसा अनायास या सुनियोजित साजिश ? सवालों के घेरे में गहलोत सरकार और PFI की चिठ्ठी

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राजस्थान के करौली जिले में हिंदू नव सवंत्सर के मौके पर उपद्रव, दंगाइयों द्वारा पत्थरों की बरसात, मकानों को ‘लाक्षागृह’ बनाकर धू-धूकर जलाकर भस्म करने की घटनाएं क्या अनायास हुई हैं ? नहीं….यह पूरी तरह सुनियोजित थीं और इसकी पहले से तैयारी की गई थी। क्या राजस्थान की गहलोत सरकार को ऐसे किसी उपद्रव की पूर्व सूचना नहीं थी ? क्या राज्य सरकार की इंटेलिजेंस एजेंसियां फैल हुई हैं ? हां….सरकार को इसकी हिंदू नववर्ष की आड़ में हिंसा फैलाने की सूचना थी, लेकिन इसे गंभीरता के नहीं लिया गया। दरअसल, इस बार नव संवत्सर के मौके पर छोटे से गांव से लेकर राजधानी अद्भुत उल्लास था। राज्य में कई जगह छोटे-बड़े आयोजन हुए। करौली के ऐसे ही आयोजन में हिंसा फैलाने के एक आह्वान सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

राजस्थान के सीएम और डीजीपी तक को जताई थी हिंसा की आशंका, पर कोई इंतजाम नहीं
दरअसल सोशल मीडिया पर जो लेटर वायरल हो रहा है और जिसमें  हिंदू नववर्ष की आड़ में प्रदेश में हिंसा फैलाने की साजिश रचने की बात कही गई है। हैरान करने वाली बात ये सामने आई है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद आसिफ ने बयान जारी करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री और डीजीपी को हिंसा की आशंका भी जताई थी। बीते शनिवार को राजस्थान के करौली में जुलूस के दौरान जमकर बवाल मचा गया था। हिंदू नववर्ष का जश्न मनाने के लिए एक धार्मिक जुलूस में पथराव हुआ था जिसके बाद सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी।

 

 

 

 

 

 

धार्मिक जुलूस के संकरी गली में पहुंचने के बाद छतों से बरसाए गए पत्थर
हैरान करने वाली बात यह है कि सोशल म़ीडिया पर धार्मिक जूलूस में पथराव के जो वीडियो वायरल हो रहे हैं, वो साफ-साफ चुगली खाते हैं कि यहां माहौल अनायास ही खराब नहीं हुआ, बल्कि इसकी सुनियोजित प्लानिंग की गई थी। जुलूस पर पथराव के लिए घरों की छतों पर पहले के ही बड़े-बड़े पत्थर जमा किए गए थे। धार्मिक जुलूस पर तब तक पथराव नहीं किया गया, जब तक वह एक संकरी गली में नहीं पहुंच गया, ताकि जब ऊपर से पथराव हो तो संकरी गली में जमा ज्यादा से ज्यादा लोगों को शारीरिक रूप से गंभीर चोटों आएं।

आखिर पीएफआई को कैसे पता चला कि 2 से 4 अप्रैल के बीच हो सकते हैं दंगे
अब करौली घटना के तार कट्टर धार्मिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से जुड़ता दिखाई दे रहा हैं। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया  राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद आसिफ ने बयान जारी करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री और डीजीपी को हिंसा की आशंका भी जताई थी। चिट्ठी में इस बात का भी जिक्र किया गया था कि 2-4 अप्रैल तक सूबे के अलग-अलग जिलों, तहसीलों और कस्बों में आरएसएस और उसके संगठनों के जरिए हिंदू नववर्ष के मौके पर भगवा रैली आयोजित की जा रही है। रैलियों मे धार्मिक उन्माद फैलाने और कानून व्यवस्था बिगड़ने की भी बात कही थी। मगर सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर पीएफआई को कैसे पता चला कि 2 से 4 अप्रैल के बीच राजस्थान के करौली समेत कुछ ज़िलों में सांप्रदायिक झगड़े हो सकते हैं?

भाजपा अब इस मुद्दे को लेकर राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर हमलावर
वहीं बवाल को बढ़ता देखे करौली में कर्फ्यू लगा दिया गया और इंटरनेट सेवा दूसरे दिन भी बंद रखी गई।  पुलिस ने मामले में अब 40 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है जबकि 7 लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। नींद से जागी गहलोत सरकार ने अब  इस मामले की जांच एसआईटी से कराने के निर्णय लिया है। एक तरफ जहां राजस्थान के करौली में हुई को लेकर गहलोत सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है। भाजपा अब इस मुद्दे को लेकर राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर हमलावर हो गई है। 

सवालों में गहलोत सरकार, जानकारी के बावजूद चुप्पी क्यों साधे रही
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का लेटर सामने आने के बाद अब सीएम गहलोत की मुश्किलों में घिरते नजर आ रहे है। बड़ा सवाल ये है कि अगर इस घटना से राजस्थान की गहलोत सरकार अवगत थी तो उन्होंने समय रहते इस हिंसा को रोकने के लिए बड़ा कदम क्यों नहीं उठाया? आखिर क्यों गहलोत सरकार जानकारी होने के बावजूद भी चुप्पी साधे रही?  अब उनकी इस खामोशी पर भाजपा नेता शहजाद पूनावाला ने सवाल उठाए है और राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर जोरदार प्रहार किया है।

करौली के उपद्रव के वीडियो और पीएफआई की चिठ्ठी सोशल मीडिया पर वायरल होने के बार लोग राजस्थान सरकार और सीएम अशोक गहलोत को ट्रोल कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि जानकारी के बावजूद गहलोत सरकार आंखें मूंदें क्यों बैठी रही।

करौली में पहले भी दबंगों ने मंदिर के पुजारी को जलाकर मार डाला था
ऐसा भी नहीं है कि करौली में इस तरह धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली घटना पहली बार हुई हो। आपको याद होगा कि करौली में एक मंदिर की जमीन हड़पने के चक्कर में दबंगों ने मंदिर के पुजारी बाबूलाल को जिंदा आग के हवाले कर दिया था। जिसके बाद पुजारी की अस्पताल में मौत हो गई थी। इस घटना को लेकर बीजेपी ने गहलोत सरकार पर और कांग्रेस पर राजनीतिक प्रहार पर करारा हमला बोला था। वहीं राजस्थान की घटना को लेकर मायावती ने राजस्थान के शासन को भी जंगलराज करार दिया है।

और अंत में देवदूत बनकर…अपनी जान पर खेलकर…चार जिंदगियां बचाने वाले करौली कोतवाली थाने के कांस्टेबल नेत्रेश शर्मा सौ-सौ सलाम….

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