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CM Yogi की ईमानदारी भी सफलता का राज, भाई सीएम और बड़ी बहन शशि पयाल ऋषिकेश में चलाती है फूल-प्रसाद की दुकान, योगी के विजय-तिलक के लिए नीलकंठ महादेव से प्रार्थना

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सार्वजनिक जीवन में ही नहीं निजी जीवन में भी ईमानदारी को आचरण बनाने के कारण आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के करोड़ों लोगों के हीरो हैं। सीएम और उसके बाद पीएम बनने के बाद भी मोदी का परिवार साधारण जीवन जी रहा है। जैसी वो 2001 में नरेंद्र के पहली बार सीएम बनने के समय जीता था। पीएम मोदी ने खुद इस बात की तारीफ करते हुए एक बार कहा था. ‘इसका श्रेय मेरे भाइयों और भतीजों को दिया जाना चाहिए कि वो साधारण जीवन जी रहे हैं और कभी मुझ पर दबाव बनाने की कोशिश नहीं की। आज की दुनिया ऐसा वाकई दुर्लभ है।’ पीएम मोदी के नक्शेकदम पर ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी चल रहे हैं। योगी के सांसद और फिर उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बावजूद उनकी बड़ी बहन शशि पयाल आज भी ऋषिकेश में फूल-प्रसाद बेचती है।

नीलकंठ महादेव मंदिर के बाहर फूल-प्रसाद और पूजा-पाठ की सामिग्री की दुकान
ऋषिकेश से 26 किलोमीटर दूर नीलकंठ महादेव मंदिर लाखों श्रद्धालुओं के आस्‍था का केंद्र है। इसी मंदिर के पास हैं फूल-प्रसाद की 70 दुकानें। इन्हीं में से एक दुकान है शशि पयाल की भी है। साधारण सी दिखने वाली इस दुकान में पूजा-पाठ व फूल प्रसाद के साथ ही थोड़ी-बहुत खाने-पीने की सामाग्री भी मिल जाती है, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि इस दुकान का संचालन करने वाली शशि पयाल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बड़ी बहन हैं। सादगी का भाव योगी आदित्यनाथ को परिवार से विरासत में मिला है।

पति-पत्नी रोज ढाई किलोमीटर पैदल जाते हैं नीलकंठ महादेव मंदिर
सात भाई-बहनों में शशि सबसे बड़ी और योगी पांचवे नंबर के हैं। योगी पौड़ी जिले में यमकेश्वर ब्लाक में पंचूर गांव के रहने वाले हैं। 31 वर्ष पहले शशि का विवाह कोठार गांव के पूरण सिंह पयाल से हुआ। पूरण 12वीं तो शशि दसवीं तक पढ़ी लिखी हैं। पति-पत्नी हर दिन कोठार गांव से ढाई किलोमीटर दूर नीलकंठ महादेव मंदिर पैदल ही आते हैं। प्रतिदिन सुबह सात बजे दुकान खोलते हैं और शाम चार बजे तक गांव लौट जाते हैं। शशि के तीन बच्चे हैं, दो पुत्र और एक पुत्री। एक पुत्र का विवाह हो चुका है।योगी भाई के मस्तक पर विजय तिलक देखना ही बहन का सपना
उत्तर प्रदेश में चल रहे चुनावों के बीच शशि प्रतिदिन भाई की विजय के लिए नीलकंठ महादेव से प्रार्थना करना नहीं भूलतीं। शशि कहती हैं कि ‘भाई के मस्तक पर विजय का तिलक देखना ही मेरा सपना है। सादगी की प्रतिमूर्ति शशि किसी को भी यह बताने में संकोच करती हैं कि उनके भाई उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। इन दिनों उत्तर प्रदेश के चुनावों को लेकर उनमें उत्सुकता बनी रहती है। अक्सर दुकानों में बातचीत के दौरान यदि उन्हें पता चलता है कि यह ग्राहक उत्तर प्रदेश से है तो वह यह पूछना नहीं भूलतीं कि वहां किसकी सरकार बनने वाली है। वह कहती हैं ‘योगी जी संन्यासी हैं, लेकिन मैं तो बहन हूं। रोज नीलकंठ महादेव से उनके उनकी विजय के लिए प्रार्थना करती हूं।’ पति पूरण सिंह पयाल कहते हैं कि हम सबका यही प्रयास रहता है कि हमारे कारण कभी भी योगी जी के सम्मान को ठेस न पहुंचे।

भाई आदित्यनाथ के सन्यासी होने के बाद भी पर साल भेजती है राखी
बचपन के दिनों को याद करते हुए शशि कहती हैं कि छुटपन से ही योगी का स्वभाव अन्य भाई-बहनों से अलग था। वह गंभीर प्रवृति के थे। वह बताती हैं कि हर वर्ष वह रक्षाबंधन पर उन्हें राखी अवश्य भेजती हैं। यह अलग बात है वर्ष 1994 में योगी आदित्यनाथ के संन्यास लेने के बाद कभी उनकी कलाई पर राखी बांधने का अवसर नहीं मिला। शशि बताती हैं कि योगी के संन्यास लेने के बाद भी उन्हें उम्मीद थी कि एक दिन भाई लौट आएगा, लेकिन दिन बीतने के साथ यह स्पष्ट हो गया कि अब यह संभव नहीं है।

आखिरी बार 2017 के विधानसभा चुनाव में योगी से मिली थी
शशि बताती हैं कि योगी आदित्यनाथ को उनके हाथ का बना भोजन बहुत पसंद था। हालांकि, अब उनके साथ भोजन किए भी वर्षों बीत गए हैं। शशि के अनुसार आखिरी बार योगी से उनकी भेंट 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान हुई थी। तब वह विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए ऋषिकेश, यमकेश्वर और रायवाला आए थे। इसी दौरान वह अपने गांव पंचूर गए। तब परिवार के सभी लोग गांव में एकत्र हुए और योगी के साथ समय बिताया।

 

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